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अध्ययन लेख 34

परखकर देखो कि यहोवा भला है!

परखकर देखो कि यहोवा भला है!

“परखकर देखो कि यहोवा कितना भला है, सुखी है वह इंसान जो उसकी पनाह में आता है।”—भज. 34:8.

गीत 117 भलाई का गुण

लेख की एक झलक *

1-2. यहोवा भला है, यह जानने के लिए हमें क्या करना होगा? (भजन 34:8)

मान लीजिए, आपको खाने के लिए कोई ऐसी चीज़ दी गयी है, जो आपने पहले कभी नहीं खायी। हो सकता है कि इसे देखकर और सूँघकर, आप थोड़ा-बहुत जान जाएँ कि यह खाना कैसा है। या शायद आप किसी से पूछें कि इसे कैसे बनाया गया है और इसका स्वाद कैसा है। लेकिन यह खाना आपको पसंद आएगा या नहीं, यह तभी पता चलेगा जब आप इसे खुद चखेंगे।

2 उसी तरह, हम बाइबल और प्रकाशन पढ़कर यहोवा की भलाई के बारे में थोड़ा-बहुत जान सकते हैं। हम दूसरों के अनुभवों से भी जान पाते हैं कि यहोवा कितना भला है। लेकिन यहोवा की भलाई को अच्छी तरह जानने के लिए हमें उसे खुद “परखकर” देखना होगा। (भजन 34:8 पढ़िए।) कैसे? मान लीजिए कि आप पायनियर सेवा करना चाहते हैं। यीशु ने वादा किया था कि जब हम पहले परमेश्‍वर के राज की खोज करेंगे, तो यहोवा हमारी सारी ज़रूरतें पूरी करेगा। (मत्ती 6:33) पायनियर सेवा करने के लिए हमें यीशु के वादे पर भरोसा करना होगा और अपनी ज़िंदगी सादी करनी होगी, अपने खर्चे कम करने होंगे, अपनी नौकरी में फेरबदल करना होगा और परमेश्‍वर की सेवा पर पूरा ध्यान लगाना होगा। जैसे-जैसे हमें ये करेंगे, हम खुद देख पाएँगे कि यहोवा हमारी सारी ज़रूरतों का खयाल रख रहा है। इस तरह हम खुद “परखकर” देख पाएँगे कि यहोवा कितना भला परमेश्‍वर है।

3. भजन 16:1, 2 के मुताबिक, यहोवा खासकर किन लोगों के साथ भलाई करता है?

3 यहोवा “सबके साथ भला” करता है। उन लोगों के साथ भी, जो उसे नहीं जानते। (भज. 145:9; मत्ती 5:45) लेकिन वह खासकर उन लोगों को आशीषें देता है, जो उससे प्यार करते हैं और तन-मन से उसकी सेवा करते हैं। (भजन 16:1, 2 पढ़िए।) आइए देखें कि यहोवा ने किन तरीकों से हमारे साथ भलाई की है।

4. जब कोई यहोवा के बारे में जानने लगता है, तो यहोवा किन तरीकों से उसके साथ भलाई करता है?

4 हर बार जब हम बाइबल से यहोवा के बारे में कुछ सीखते हैं और उस पर चलते हैं, तो हमारी ज़िंदगी बेहतर होती है। उदाहरण के लिए, जब एक व्यक्‍ति यहोवा के बारे में सीखता है और उससे प्यार करने लगता है, तो यहोवा गलत सोच और बुरी आदतों को छोड़ने में उसकी मदद करता है। (कुलु. 1:21) बाद में जब वह अपनी ज़िंदगी यहोवा को समर्पित करता है और बपतिस्मा लेता है, तो उसे और भी आशीषें मिलती हैं। यहोवा उसे एक साफ ज़मीर देता है और उसका अच्छा दोस्त बन जाता है।—1 पत. 3:21.

5. प्रचार के मामले में, यहोवा किन तरीकों से हमारे साथ भलाई करता है?

5 प्रचार के मामले में भी यहोवा हमारे साथ भलाई करता है। उदाहरण के लिए, हममें से कई लोग शर्मीले स्वभाव के हैं। शायद पहले, साक्षी बनने के खयाल से ही हमें डर लगा हो। हमने सोचा हो, ‘घर-घर जाकर लोगों के दरवाज़े खटखटाने पड़ेंगे और उन्हें एक ऐसा संदेश सुनाना होगा, जो उन्हें शायद अच्छा न लगे।’ लेकिन आज हम यहोवा की मदद से हमेशा प्रचार काम में जाते हैं और हमें इसमें मज़ा भी आता है। यहोवा और भी कई तरीकों से हमारी मदद करता है। जब कोई व्यक्‍ति गुस्से से बात करता है, तो यहोवा हमें शांत रहने में मदद देता है। जब कोई हमारे संदेश के बारे में और जानना चाहता है, तो वह सही आयत याद दिलाता है। और जब हम किसी ऐसे इलाके में प्रचार करते हैं, जहाँ ज़्यादातर लोग हमारी बात नहीं सुनते, वह हमें ताकत देता है, ताकि हम प्रचार काम में लगे रहें।—यिर्म. 20:7-9.

6. यहोवा और किस तरह हमारे साथ भलाई करता है?

6 एक और तरीके से यहोवा हमारे साथ भलाई करता है। वह हमें सिखाता है कि हम प्रचार कैसे करें। (यूह. 6:45) हफ्ते के बीच होनेवाली सभा में, हमें प्रचार में लोगों से बात करना सिखाया जाता है और उन सुझावों को अपनाने का बढ़ावा दिया जाता है। शुरू-शुरू में शायद हमें उन सुझावों को अपनाने में डर लगे। लेकिन जब हम ऐसा करते हैं, लोग अच्छे-से हमारी बात सुनते हैं। सभाओं और अधिवेशनों में हमें बढ़ावा दिया जाता है कि हम प्रचार के नए-नए तरीके अपनाएँ। शायद ऐसा करना हमें मुश्‍किल लगे, लेकिन जब हम ऐसा करते हैं, यहोवा हमें आशीष देता है। हमारे हालात चाहे जैसे भी हों, जब हम उस पर भरोसा रखते हैं और उसकी सेवा में कुछ अलग करते हैं, तो वह हमें आशीषें देता है। आइए जानें कि यहोवा हमें क्या आशीषें देता है। हम यह भी चर्चा करेंगे कि उसकी सेवा में और ज़्यादा करने के लिए हमें क्या कदम उठाने होंगे।

यहोवा उन्हें आशीषें देता है, जो उस पर भरोसा रखते हैं

7. जब हम यहोवा की सेवा में ज़्यादा करते हैं, तो हमें कौन-सी आशीष मिलती है?

7यहोवा के साथ हमारी दोस्ती और गहरी होती है।  एक प्राचीन, भाई सैमयूल * और उसकी पत्नी का उदाहरण लीजिए, जो कोलंबिया में सेवा कर रहे हैं। ये दोनों अपनी मंडली में पायनियर सेवा कर रहे थे। लेकिन वे किसी ऐसी मंडली में जाकर सेवा करना चाहते थे, जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है। उस लक्ष्य तक पहुँचने के लिए उन्हें कई त्याग करने पड़े। सैमयूल कहता है, “हमने मत्ती 6:33 में दी सलाह मानी और फिज़ूल खर्ची करनी बंद कर दी। लेकिन हमारे लिए अपना घर छोड़ना सबसे मुश्‍किल था। इसे हमने अपनी पसंद के मुताबिक बनवाया था और हम इसकी सारी किश्‍ते भर चुके थे।” नयी जगह जाकर उनकी पैसों की चिंता दूर हो गयी, क्योंकि उनका बहुत कम पैसों में गुज़ारा होने लगा। सैमयूल कहता है, “यहोवा ने हमारी प्रार्थना का जवाब दिया और फैसले लेने में हमारी मदद की। अब हम यहोवा का प्यार और भी ज़्यादा महसूस करते हैं।” क्या आप भी इनकी तरह किसी नए तरीके से यहोवा की सेवा कर सकते हैं? अगर आप ऐसा करेंगे, तो यहोवा के साथ आपकी दोस्ती और गहरी होगी और वह आपको सँभालेगा।—भज. 18:25.

8. इवान और विक्टोरिया को क्या आशीषें मिलीं?

8हमें खुशी मिलती है।  भाई इवान और बहन विक्टोरिया पर ध्यान दीजिए। वे किर्गिस्तान में पायनियर सेवा कर रहे हैं। उन्होंने अपनी ज़िंदगी सादी रखी, ताकि वे संगठन के दूसरे कामों में मदद कर सकें। जैसे, निर्माण काम। इवान कहता है, “हमें जो भी काम मिलता था, हम उसमें पूरी तरह लग जाते थे। शाम तक हम बहुत थक जाते थे। लेकिन फिर भी हम खुश थे, क्योंकि हम जानते थे कि हमने अपनी ताकत राज के काम में लगायी है। हमें इस बात की भी खुशी है कि इस दौरान हमने कई अच्छे दोस्त बनाए और मीठी यादें बनायीं।”—मर. 10:29, 30.

9. (क) मुश्‍किल हालात के बावजूद एक बहन ने क्या किया है? (ख) उसे क्या आशीषें मिली हैं?

9 हमें तब भी खुशी मिलती है जब हम मुश्‍किल हालात के बावजूद यहोवा की सेवा करते हैं। एक बुज़ुर्ग बहन मीरा की मिसाल लीजिए। वह एक विधवा है और पश्‍चिम अफ्रीका में रहती है। वह डॉक्टर थी, लेकिन रिटायर होने के बाद उसने पायनियर सेवा शुरू की। मीरा को गठिया रोग है। उसे चलने में बहुत दर्द होता है, जिस वजह से वह घर-घर प्रचार में मुश्‍किल से एक घंटा बिता पाती है। लेकिन वह कार्ट या टेबल लगाकर ज़्यादा देर तक प्रचार कर पाती है। उसके पास कई वापसी भेंट और बाइबल अध्ययन हैं, जिनमें से कुछ के साथ वह फोन के ज़रिए बात करती है। मीरा इतनी खराब सेहत के बावजूद यहोवा की सेवा क्यों कर रही है? वह कहती है, “मैं यहोवा और यीशु मसीह से बहुत प्यार करती हूँ। मैं बार-बार यहोवा से प्रार्थना करती हूँ कि वह मुझे पायनियर सेवा करते रहने की ताकत दे।”—मत्ती 22:36, 37.

10. जो लोग यहोवा की सेवा में ज़्यादा करते हैं, उन्हें क्या मिलता है? (1 पतरस 5:10)

10यहोवा हमें अलग-अलग काम करना सिखाता है।  मॉरीशस में रहनेवाले एक पायनियर भाई कैनी की मिसाल लीजिए। जब उसने सच्चाई सीखी, तो उसने यूनिवर्सिटी की पढ़ाई छोड़ दी और बपतिस्मा लिया। कुछ समय बाद वह पायनियर सेवा करने लगा। वह कहता है, “मैं भविष्यवक्‍ता यशायाह की तरह बनने की कोशिश करता हूँ, जिसने कहा, ‘मैं यहाँ हूँ! मुझे भेज!’” (यशा. 6:8) कैनी ने कई बार निर्माण काम में हिस्सा लिया। उसने हमारे प्रकाशनों का अनुवाद अपनी मातृ-भाषा में करने में भी हाथ बँटाया। वह कहता है, “मुझे जब भी कोई काम दिया जाता था, तो यह भी सिखाया जाता था कि उसे कैसे करना है।” लेकिन कैनी ने सिर्फ काम करना नहीं सीखा, उसने और भी कई चीज़ें सीखीं। वह कहता है, “मैंने यह भी सीखा कि मेरे लिए कौन-सा काम करना मुश्‍किल है और यहोवा का एक बेहतर सेवक बनने के लिए मुझे कौन-से गुण बढ़ाने होंगे।” (1 पतरस 5:10 पढ़िए।) क्या आप भी कैनी की तरह यहोवा से और सीखना चाहते हैं? अगर हाँ, तो अपने हालात की जाँच कीजिए और यहोवा की सेवा में ज़्यादा करने की कोशिश कीजिए।

एक पति-पत्नी ऐसे इलाके में प्रचार कर रहे हैं, जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है; एक जवान बहन राज-घर के निर्माण काम में हाथ बँटा रही है; बुज़ुर्ग पति-पत्नी फोन के ज़रिए गवाही दे रहे हैं। वे यहोवा की सेवा में जो कर रहे हैं, उससे उन्हें बहुत खुशी मिल रही है (पैराग्राफ 11 पढ़ें)

11. दक्षिण कोरिया की बहनों ने क्या करना सीखा और उसका क्या नतीजा हुआ? (बाहर दी तसवीर भी देखें।)

11 जो मसीही लंबे समय से सच्चाई में हैं, उन्हें भी प्रचार करने के नए-नए तरीके सीखने पड़ते हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान दक्षिण कोरिया में कुछ ऐसा ही हुआ। वहाँ की एक मंडली के प्राचीन कहते हैं, “हमारे कुछ भाई-बहन खराब सेहत की वजह से प्रचार में ज़्यादा नहीं कर पाते थे। लेकिन अब वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए इसमें पूरा हिस्सा ले रहे हैं। तीन बहनों ने, जिनकी उम्र 80 साल से ज़्यादा है, कंप्यूटर चलाना सीखा। अब वे लगभग हर दिन प्रचार कर रही हैं।” (भज. 92:14, 15) क्या आप भी यहोवा की सेवा में ज़्यादा करना चाहते हैं और उसकी भलाई को परखकर देखना चाहते हैं? आइए देखें कि इस लक्ष्य तक पहुँचने के लिए आपको क्या करना होगा?

यहोवा की सेवा में ज़्यादा करने के लिए हमें क्या करना होगा?

12. यहोवा क्या वादा करता है?

12यहोवा पर भरोसा रखिए।  वह वादा करता है कि जब हम उस पर भरोसा रखेंगे और जी-जान से उसकी सेवा करते रहेंगे, तो वह हमें ढेरों आशीषें देगा। (मला. 3:10) कोलंबिया में रहनेवाली एक बहन फैबियोला के साथ ऐसा ही हुआ। वह शादीशुदा है और उसके तीन बच्चे हैं। बपतिस्मे के बाद वह पायनियर सेवा करना चाहती थी, लेकिन वह ऐसा नहीं कर पायी। क्योंकि उसी की कमाई से उसका घर चलता था। जब वह रिटायर हुई, उसने यहोवा से कहा कि वह अब पायनियर सेवा शुरू करना चाहती है। वह कहती है, “आम तौर पर पेंशन के पैसे मिलने में बहुत समय लग जाता था। लेकिन मुझे एक महीने के बाद ही मिलने शुरू हो गए थे। मेरे लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं था!” दो महीने बाद बहन ने पायनियर सेवा शुरू कर दी। अब उसकी उम्र 70 साल से ज़्यादा है और वह पिछले 20 सालों से पायनियर सेवा कर रही है। इस दौरान उसने कई लोगों का बाइबल अध्ययन कराया, जिनमें से आठ लोगों ने बपतिस्मा लिया। वह कहती है, “कई बार मेरी तबियत ठीक नहीं रहती, लेकिन मैं हर दिन पायनियर सेवा करते रहने के लिए यहोवा से प्रार्थना करती हूँ।”

अब्राहम और सारा, याकूब और याजकों ने कैसे दिखाया कि उन्हें यहोवा पर भरोसा है? (पैराग्राफ 13 पढ़ें)

13-14. यहोवा पर भरोसा रखने के बारे में आप किनसे सीख सकते हैं?

13जिन लोगों ने यहोवा पर भरोसा किया था, उनसे सीखिए।  बाइबल में ऐसे कई लोगों के बारे में बताया गया है, जिन्होंने यहोवा की सेवा में कड़ी मेहनत की। कई बार उन सेवकों को पहले कदम उठाना पड़ा और उसके बाद यहोवा ने उन्हें आशीष दी। मिसाल के लिए, अब्राहम ने पहले अपना घर छोड़ा, फिर यहोवा ने उसे आशीष दी। (इब्रा. 11:8) याकूब ने पहले स्वर्गदूत के साथ कुश्‍ती लड़ी, उसके बाद यहोवा ने उसे आशीष दी। (उत्प. 32:24-30) याजकों को पहले यरदन नदी में पैर रखने पड़े, तब जाकर नदी का तेज़ बहता पानी रुक गया। इसके बाद इसराएल राष्ट्र उसे पार कर पाया और वादा किए गए देश में पहुँच सका।—यहो. 3:14-16.

14 आप ऐसे भाई-बहनों से भी सीख सकते हैं, जो यहोवा पर भरोसा रखकर उसकी सेवा में ज़्यादा कर रहे हैं। भाई पेटन और उसकी पत्नी डायना का उदाहरण लीजिए। उन्होंने ऐसे भाई-बहनों के बारे में अनुभव पढ़े, जिन्होंने दूर जाकर सेवा की। इनमें से कुछ लोगों के अनुभव “उन्होंने खुशी-खुशी खुद को पेश किया” शृंखला में दिए गए हैं। * पेटन कहता है, “जब हम इन अनुभवों को पढ़ते थे, तो हमें ऐसा लगता था जैसे हम किसी को बहुत ही स्वादिष्ट खाना खाते हुए देख रहे हैं। हम जितना ज़्यादा उसे देखते थे, उतना हमारा जी ललचाता था। हमारा भी मन करता था कि हम यहोवा को परखकर देखें कि वह कितना भला है।” कुछ समय बाद पेटन और डायना ऐसी जगह जाकर सेवा करने लगे, जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत थी। क्या आपने यह शृंखला पढ़ी है? या क्या आपने jw.org पर दूर-दराज़ के इलाकों में प्रचार—ऑस्ट्रेलिया  और वहाँ जाकर सेवा करना जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है  नाम के वीडियो देखे हैं? ऐसा करके आप यहोवा की सेवा में और ज़्यादा करने की सोच पाएँगे।

15. हमें किन लोगों के साथ वक्‍त बिताना चाहिए?

15ऐसे लोगों के साथ वक्‍त बिताइए, जो आपका हौसला बढ़ाएँगे।  पैराग्राफ 1 में दिए गए उदाहरण को याद कीजिए। अगर हम ऐसे लोगों के साथ वक्‍त बिताएँ, जो उस खाने को बहुत चाव से खाते हैं, तो हमें भी उसे चखने का मन करेगा। उसी तरह, अगर हम ऐसे लोगों के साथ वक्‍त बिताएँगे, जो यहोवा की सेवा को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह देते हैं, तो हमारा भी मन करेगा कि हम उसकी सेवा में और ज़्यादा करें। भाई केंट और बहन वेरॉनिका के साथ भी ऐसा ही हुआ। केंट कहता है, “हमारे दोस्तों और परिवारवालों ने हमें यहोवा की सेवा में ज़्यादा करने का बढ़ावा दिया। उनके साथ वक्‍त बिताने से हमें कुछ नया करने की हिम्मत मिली।” आज केंट और वेरॉनिका सर्बिया में खास पायनियर हैं।

16. हमें त्याग क्यों करने चाहिए? (लूका 12:16-21)

16यहोवा के लिए त्याग कीजिए।  इसका यह मतलब नहीं कि यहोवा को खुश करने के लिए हमें अपना सबकुछ त्यागना होगा। (सभो. 5:19, 20) लेकिन अगर हम त्याग करने के डर से ही यहोवा की सेवा में और ज़्यादा न करें, तो हम उस आदमी की तरह होंगे, जिसके बारे में यीशु ने अपनी मिसाल में बताया था। उस आदमी ने अपने लिए अच्छी-अच्छी चीजें तो बटोर ली थीं, लेकिन वह परमेश्‍वर को भूल गया था। (लूका 12:16-21 पढ़िए।) फ्रांस में रहनेवाले एक भाई क्रिस्टियान का उदाहरण लीजिए। वह कहता है, “मैं अपने परिवार और यहोवा को ज़्यादा समय नहीं देता था।” लेकिन फिर उसने और उसकी पत्नी ने पायनियर सेवा करने का फैसला किया। इस लक्ष्य को पाने के लिए उन दोनों को अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी। गुज़ारा चलाने के लिए उन्होंने साफ-सफाई का काम शुरू किया और कम पैसों में जीना सीखा। क्या वे इतने त्याग करने के बाद भी खुश हैं? क्रिस्टियान कहता है, “हम बहुत खुश हैं। अब हम प्रचार में ज़्यादा वक्‍त बिता पाते हैं और हमारे पास कई वापसी भेंट हैं। हमारे बाइबल विद्यार्थी यहोवा के बारे में सीख रहे हैं और यह देखकर हमें बहुत अच्छा लगता है।”

17. एक बहन ने नए तरीके से प्रचार करने के लिए क्या किया?

17नए-नए तरीकों से प्रचार करने की कोशिश कीजिए।  (प्रेषि. 17:16, 17; 20:20, 21) अमरीका में रहनेवाली एक पायनियर बहन शर्ली को लीजिए। उसे कोविड-19 महामारी के दौरान गवाही देने का तरीका बदलना पड़ा। शुरू-शुरू में फोन के ज़रिए गवाही देने से उसे बहुत डर लगता था। लेकिन सर्किट निगरान के दौरे के समय उसने फोन के ज़रिए गवाही देनी सीखी। इसके बाद से वह इसमें ज़्यादा हिस्सा लेने लगी। वह कहती है, “अब मुझे इसमें मज़ा आता है। फोन के ज़रिए गवाही देने से हम पहले से कहीं ज़्यादा लोगों से बात कर पा रहे हैं।”

18. जब कोई मुश्‍किल आती है, तो हम क्या कर सकते हैं?

18उपाय सोचिए और कदम उठाइए।  जब भी हमारे सामने कोई मुश्‍किल आती है, हम प्रार्थना करके बुद्धि माँगते हैं और उसे पार करने के उपाय सोचते हैं। (नीति. 3:21) बहन सोनिया एक पायनियर है। वह यूरोप में रोमैनी भाषा बोलनेवाले एक समूह में सेवा करती है। वह कहती है, “मैं अपने लक्ष्य एक कागज़ पर लिख लेती हूँ। फिर उस कागज़ को ऐसी जगह रखती हूँ, जहाँ मैं उसे देख सकूँ। मेरी टेबल पर दो रास्तों की एक तसवीर है। जब भी मुझे कोई फैसला लेना होता है, मैं उस तसवीर को देखती हूँ और सोचती हूँ कि कौन-सा फैसला मुझे अपनी मंज़िल तक ले जाएगा।” सोनिया सही सोच बनाए रखने की भी कोशिश करती है। जब भी उसके सामने कोई मुश्‍किल आती है, वह उसे अपने रास्ते के आड़े नहीं आने देती, बल्कि कुछ कदम उठाकर उसे पार करती है।

19. इस लेख से आपने क्या सीखा?

19 यहोवा हमें बहुत सारी आशीषें देता है। हमें उसका एहसान मानना चाहिए और उसकी महिमा करनी चाहिए। (इब्रा. 13:15) हमें उसकी सेवा करने के नए-नए तरीके ढूँढ़ने चाहिए। फिर वह हमें और भी आशीषें देगा। तो आइए हर दिन हम ‘परखकर देखें कि यहोवा कितना भला है।’ फिर हम भी यीशु की तरह कह पाएँगे, “मेरा खाना यह है कि मैं अपने भेजनेवाले की मरज़ी पूरी करूँ और उसका काम पूरा करूँ।”—यूह. 4:34.

गीत 80 “परखकर देखो कि यहोवा कितना भला है”

^ पैरा. 5 यहोवा भलाई करनेवाला परमेश्‍वर है। वह सबको अच्छी-अच्छी चीज़ें देता है, दुष्ट लोगों को भी। लेकिन वह खासकर अपने लोगों के साथ भलाई करता है। इस लेख में हम चर्चा करेंगे कि यहोवा अपने सेवकों को कौन-सी अच्छी-अच्छी चीज़ें देता है? हम यह भी जानेंगे कि जो लोग यहोवा की सेवा में ज़्यादा करते हैं, उन्हें वह और क्या-क्या आशीषें देता है।

^ पैरा. 7 कुछ नाम बदल दिए गए हैं।

^ पैरा. 14 प्रहरीदुर्ग  की यह शृंखला अब jw.org पर उपलब्ध है। हमारे बारे में > अनुभव > ईश्‍वर की सेवा ही उनका लक्ष्य है में देखें।