इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

अध्ययन लेख 35

बुज़ुर्ग भाई-बहनों को अनमोल समझिए

बुज़ुर्ग भाई-बहनों को अनमोल समझिए

“पके बाल एक इंसान का खूबसूरत ताज हैं।”​—नीति. 16:31.

गीत 138 पके बालों की खूबसूरती

लेख की एक झलक *

1-2. (क) नीतिवचन 16:31 के मुताबिक, हमें अपने बुज़ुर्ग भाई-बहनों को क्या समझना चाहिए? (ख) इस लेख में हम किन सवालों पर चर्चा करेंगे?

अमरीका के एक पार्क में ज़मीन पर हीरे पड़े हुए होते हैं। लेकिन लोग उन पर ध्यान नहीं देते, क्योंकि वे तराशे हुए नहीं होते, बल्कि पत्थर जैसे दिखते हैं।

2 उन हीरों की तरह हमारे बुज़ुर्ग भाई-बहन भी अनमोल हैं। बाइबल में लिखा है कि उनके पके बाल ताज की तरह हैं। (नीतिवचन 16:31 पढ़िए; नीति. 20:29) लेकिन हो सकता है कि हम उन्हें नज़रअंदाज़ कर दें। मगर हमें उनकी कदर करनी चाहिए। अगर जवान भाई-बहन उन्हें अनमोल समझेंगे, तो वे उनसे बहुत कुछ सीख पाएँगे। इस लेख में तीन सवालों के जवाब दिए जाएँगे: यहोवा क्यों हमारे बुज़ुर्ग भाई-बहनों को अनमोल समझता है? यहोवा के संगठन में उनकी क्या अहमियत है? उनसे सीखने के लिए हमें क्या करना होगा?

यहोवा बुज़ुर्ग भाई-बहनों को क्यों अनमोल समझता है?

बुज़ुर्ग भाई-बहन यहोवा और हमारे लिए बहुत अनमोल हैं (पैराग्राफ 3 देखें)

3. भजन 92:12-15 के मुताबिक, यहोवा बुज़ुर्ग भाई-बहनों को क्यों अनमोल समझता है?

3 हमारे बुज़ुर्ग भाई-बहन यहोवा के लिए बहुत अनमोल हैं। वह जानता है कि उनमें अच्छे-अच्छे गुण हैं। जैसे, सालों से यहोवा की सेवा करते रहने की वजह से उनमें बुद्धि होती है। इसलिए जब वे बच्चों और नौजवानों को अच्छी सलाह देते हैं, तो यहोवा को बहुत अच्छा लगता है। (अय्यू. 12:12; नीति. 1:1-4) यहोवा यह भी जानता है कि उन्होंने ज़िंदगी-भर धीरज रखा है। (मला. 3:16) कई मुश्‍किलों के बावजूद उन्होंने यहोवा पर अपना विश्‍वास मज़बूत रखा। इसके अलावा, उनके लिए नयी दुनिया की आशा पहले से ज़्यादा पक्की हो गयी है। वे “ढलती उम्र में भी” यहोवा के नाम का ऐलान करते हैं। इसलिए यहोवा उनसे बहुत प्यार करता है।​—भजन 92:12-15 पढ़िए।

4. बुज़ुर्ग भाई-बहनों को किस बात से हौसला मिलता है?

4 अगर आप एक बुज़ुर्ग भाई या बहन हैं, तो यकीन रखिए कि अब तक आपने यहोवा की सेवा में जो किया है, यहोवा उसे भूला नहीं है। (इब्रा. 6:10) आपने जोश के साथ प्रचार किया। कई मुश्‍किलों के दौरान धीरज रखा। बाइबल के सिद्धांतों के मुताबिक ज़िंदगी बितायी। यहोवा के संगठन में आपने कई ज़िम्मेदारियाँ उठायीं और दूसरों को भी अलग-अलग काम सिखाए। जब भी संगठन में कुछ बदलाव हुए, आपने उनके मुताबिक खुद को ढाला। जिन लोगों ने पूरे समय की सेवा की, आपने उनकी हिम्मत बँधायी। आपकी यह वफादारी देखकर यहोवा परमेश्‍वर बहुत खुश है और वह आपसे बहुत प्यार करता है। उसने वादा किया है कि “वह अपने वफादार सेवकों को कभी नहीं त्यागेगा।” (भज. 37:28) उसने यह भी कहा है, “चाहे तुम्हारे बाल पक जाएँ मैं तुम्हें उठाए रहूँगा।” (यशा. 46:4) इसलिए अगर आपकी उम्र ढल रही है, तो ऐसा मत सोचिए कि यहोवा के संगठन में आपकी कोई ज़रूरत नहीं है। आपकी बहुत अहमियत है!

यहोवा के संगठन में बुज़ुर्ग भाई-बहनों की अहमियत है

5. बुज़ुर्ग भाई-बहनों को कौन-सी बात याद रखनी चाहिए?

5 भले ही बुज़ुर्ग भाई-बहनों में पहले जैसी ताकत न रहे, फिर भी उनमें सालों का तजुरबा है। इसलिए यहोवा के संगठन में वे अब भी बहुत कुछ कर सकते हैं। यह जानने के लिए आइए पुराने ज़माने और आज के समय के बुज़ुर्गों के उदाहरणों पर ध्यान देते हैं।

6-7. (क) ऐसे लोगों का उदाहरण दीजिए, जो बुढ़ापे में यहोवा की सेवा करते रहे। (ख) शिमोन और हन्‍ना को उनकी वफादारी के लिए क्या इनाम मिला?

6 बाइबल में ऐसे कई लोगों के उदाहरण दिए गए हैं, जो बुढ़ापे में भी यहोवा की सेवा करते रहे। जैसे, मूसा जब 80 साल का हुआ, तब यहोवा ने उसे भविष्यवक्‍ता और इसराएल का अगुवा चुना। दानियेल की उम्र 90 से ज़्यादा हो गयी थी, फिर भी यहोवा उसे भविष्यवक्‍ता के तौर पर इस्तेमाल करता रहा। और जब यहोवा ने प्रेषित यूहन्‍ना को प्रकाशितवाक्य की किताब लिखने के लिए प्रेरित किया, तब उसकी भी उम्र 90 से ज़्यादा थी।

7 पुराने ज़माने में ऐसे भी कई बुज़ुर्ग थे, जिनके बारे में बाइबल में ज़्यादा कुछ नहीं बताया गया है। फिर भी यहोवा ने उन पर ध्यान दिया और उनकी वफादारी के लिए उन्हें इनाम दिया। इसके दो उदाहरण देखते हैं। पहला, शिमोन का। वह “नेक और परमेश्‍वर का भक्‍त था,” इसलिए यहोवा ने उसे एक खास सम्मान दिया। वह नन्हे यीशु को देख पाया और उसने यीशु और उसकी माँ के बारे में भविष्यवाणी की। (लूका 2:22, 25-35) दूसरा उदाहरण है, भविष्यवक्‍तिन हन्‍ना का। वह 84 साल की थी और एक विधवा थी, फिर भी “वह मंदिर जाना कभी नहीं छोड़ती थी।” उसकी इस वफादारी के लिए यहोवा ने उसे इनाम दिया। वह भी नन्हे यीशु को देख पायी। शिमोन और हन्‍ना, दोनों यहोवा के लिए बहुत अनमोल थे।​—लूका 2:36-38.

बहन लोइस आज 81 साल की हैं, फिर भी वे पूरे जोश से यहोवा की सेवा कर रही हैं (पैराग्राफ 8 देखें)

8-9. कुछ बहनें अपने पति की मौत के बाद भी क्या करती रहती हैं?

8 आज भी ऐसे कई बुज़ुर्ग भाई-बहन हैं, जो जवानों के लिए बढ़िया मिसाल हैं। बहन लोइस डीडर के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। वे 21 साल की थीं, जब उन्होंने कनाडा में खास पायनियर सेवा शुरू की। फिर उनके पति, जॉन ने कई सालों तक सर्किट निगरान का काम किया और उस दौरान बहन ने उनका साथ दिया। बाद में वे कनाडा बेथेल गए। वहाँ उन्होंने करीब 20 साल सेवा की। जब बहन लोइस 58 साल की हुईं, तब उन दोनों को यूक्रेन में सेवा करने के लिए कहा गया। उन्होंने क्या किया? क्या उन्होंने सोचा कि वे बुज़ुर्ग हो गए हैं और दूसरे देश जाकर सेवा नहीं कर सकते? नहीं। वे दोनों यूक्रेन गए और भाई जॉन को वहाँ के शाखा-समिति का सदस्य बनाया गया। सात साल बाद भाई जॉन की मौत हो गयी, फिर भी बहन ने यूक्रेन में ही रहकर सेवा करने का फैसला किया। आज बहन लोइस 81 साल की हैं और खुशी-खुशी बेथेल में सेवा कर रही हैं। यूक्रेन बेथेल के भाई-बहन उनसे बहुत प्यार करते हैं।

9 जब लोइस जैसी बहनों के पति की मौत हो जाती है, तो हो सकता है, लोग उन पर ध्यान न दें। फिर भी वे यहोवा के लिए बहुत अनमोल हैं। उन्होंने सालों तक अपने पति का साथ दिया और वे आज भी यहोवा की सेवा कर रही हैं, इसलिए यहोवा उनकी बहुत कदर करता है। (1 तीमु. 5:3) ये बहनें जवानों के लिए भी अच्छी मिसाल हैं।

10. भाई टोनी से हम क्या सीखते हैं?

10 ऐसे कई बुज़ुर्ग भाई-बहन हैं, जो वृद्धाश्रम या नर्सिंग होम में रहते हैं। फिर भी, यहोवा के संगठन में उनकी बहुत अहमियत है। इसका एक उदाहरण है भाई टोनी का। उनका बपतिस्मा अगस्त 1942 में अमरीका में हुआ। उस वक्‍त वे 20 साल के थे। उसके तुरंत बाद, उन्हें सेना में भरती होने के लिए कहा गया। मगर उन्होंने मना कर दिया। इस वजह से उन्हें ढाई साल की जेल की सज़ा हो गयी। फिर उनकी शादी बहन हिल्डा से हो गयी और उनके दो बच्चे हुए। उन्होंने बच्चों को बचपन से यहोवा के बारे में सिखाया। भाई टोनी तीन मंडलियों में प्रमुख अध्यक्ष रह चुके हैं (जिसे आज प्राचीनों के निकाय का संयोजक कहा जाता है) और वे सर्किट सम्मेलन के निगरान भी रह चुके हैं। उन्होंने एक जेल में कई लोगों का बाइबल अध्ययन कराया और सभाएँ भी चलायीं। आज भाई टोनी 98 साल के हैं और वे अपनी मंडली के भाई-बहनों के साथ मिलकर जोश से यहोवा की सेवा कर रहे हैं।

11. हम बुज़ुर्ग भाई-बहनों को अहमियत कैसे दे सकते हैं?

11 जो बुज़ुर्ग भाई-बहन वृद्धाश्रम या नर्सिंग होम में रहते हैं, या फिर ऐसे रिश्‍तेदारों के साथ रहते हैं जो सच्चाई में नहीं हैं, हमें उन्हें अहमियत देनी चाहिए। कैसे? प्राचीन ऐसे इंतज़ाम कर सकते हैं ताकि वे सभाओं में आ सकें या सभाएँ सुन सकें या फिर प्रचार कर सकें। हम सबको उनसे मिलने के लिए जाना चाहिए या वीडियो कॉल पर उनसे बात करनी चाहिए। जो बुज़ुर्ग भाई-बहन हमसे बहुत दूर रहते हैं, हो सकता है कि हम उन्हें भूल जाएँ, लेकिन हमें उन पर भी ध्यान देना चाहिए। कुछ बुज़ुर्ग भाई-बहन अपने बारे में बात करने से झिझकते हैं। इसलिए हमें उनसे सवाल करने चाहिए और जब वे हमें बताते हैं कि यहोवा के संगठन में उन्होंने क्या-क्या किया है और उन्हें कौन-सी आशीषें मिली हैं, तो हमें ध्यान से उनकी सुननी चाहिए। इस तरह हम उनसे बहुत कुछ सीख पाएँगे।

12. मंडली के बुज़ुर्ग भाई-बहनों से बात करके आपको क्या पता चलेगा?

12 जब हम अपनी मंडली के बुज़ुर्ग भाई-बहनों से बात करेंगे, तो शायद हम उनकी अनोखी कहानियाँ सुनकर हैरान रह जाएँ। बहन हैरियट का उदाहरण लीजिए। बहन ने कई सालों तक अमरीका के न्यू जर्सी की एक मंडली में सेवा की। फिर वे अपनी बेटी के साथ रहने चली गयीं। वहाँ की मंडली के भाई-बहनों ने उनके साथ वक्‍त बिताया और उन्हें जानने की कोशिश की। उन्हें पता चला कि वे उनके लिए कितनी बढ़िया मिसाल हैं। बहन हैरियट ने उन्हें बताया कि करीब 1925 में सच्चाई सीखने के बाद उन्होंने प्रचार कैसे किया। जब भी वे प्रचार में जातीं, अपने साथ टूथ-ब्रश ज़रूर ले जातीं क्योंकि उन्हें पता नहीं रहता कि वे कब गिरफ्तार हो जाएँगी। सन्‌ 1933 में उन्हें दो बार जेल हुई और हर बार उन्हें एक पूरा हफ्ता जेल में रहना पड़ा। उस दौरान उनके पति ने, जो सच्चाई में नहीं थे, बच्चों का खयाल रखा। सच में, हैरियट जैसे बुज़ुर्ग भाई-बहन हमारे लिए किसी खज़ाने से कम नहीं!

13. यहोवा के संगठन में बुज़ुर्ग भाई-बहनों की कितनी अहमियत है?

13 हमारे बुज़ुर्ग भाई-बहन यहोवा के लिए बहुत अनमोल हैं और उसके संगठन में भी बहुत अहमियत रखते हैं। उन्होंने देखा है कि यहोवा ने संगठन के अलग-अलग कामों पर किस तरह आशीष दी है और खुद उन्हें भी आशीष दी है। उन्होंने अपनी गलतियों से सबक सीखा है। ये भाई-बहन हमारे लिए ‘बुद्धि के सोतों’ की तरह हैं। (नीति. 18:4) इसलिए अगर हम वक्‍त निकालकर उन्हें जानें, तो हमारा विश्‍वास मज़बूत होगा और हम उनसे बहुत कुछ सीख पाएँगे।

बुज़ुर्ग भाई-बहनों से सीखिए

एलीशा ने एलियाह से बहुत कुछ सीखा। उसी तरह, हम बुज़ुर्ग भाई-बहनों के अनुभव से बहुत कुछ सीख सकते हैं (पैराग्राफ 14-15 देखें)

14. जैसे व्यवस्थाविवरण 32:7 में लिखा है जवान भाई-बहनों को क्या करना चाहिए?

14 बुज़ुर्ग भाई-बहनों से जाकर मिलिए, उनसे बात कीजिए। (व्यवस्थाविवरण 32:7 पढ़िए।) हालाँकि उनकी आँखें कमज़ोर हो गयी हैं, वे लड़खड़ाकर चलते हैं और धीमे बोलते हैं, मगर उनमें अब भी यहोवा की सेवा करने का जोश है और उन्होंने यहोवा की नज़र में एक “अच्छा नाम” कमाया है। (सभो. 7:1) याद रखिए कि यहोवा उन्हें क्यों अनमोल समझता है और उनका आदर कीजिए। एलीशा की तरह बनिए। जब एलियाह उसे छोड़कर जा रहा था, तो उसने तीन बार उससे कहा, “मैं तेरा साथ नहीं छोड़ूँगा।”​—2 राजा 2:2, 4, 6.

15. हम बुज़ुर्ग भाई-बहनों से कौन-से सवाल कर सकते हैं?

15 जब आप बुज़ुर्ग भाई-बहनों से बात करते हैं, तो अदब से उनसे सवाल कीजिए। (नीति. 1:5; 20:5; 1 तीमु. 5:1, 2) जैसे कि, “आपको किस बात से यकीन हुआ, यही सच्चाई है?” “आपकी ज़िंदगी में ऐसा क्या हुआ जिस वजह से आप यहोवा के और भी करीब आ गए?” “आप यहोवा की सेवा में हमेशा खुश रहते हैं, इसका राज़ क्या है?” (1 तीमु. 6:6-8) फिर जब वे अपनी कहानी सुनाते हैं, तो ध्यान से उनकी सुनिए।

16. बुज़ुर्ग भाई-बहनों के साथ बात करने से क्या होगा?

16 जवानो, जब आप बुज़ुर्ग भाई-बहनों से बात करेंगे, तो इससे न सिर्फ आपका हौसला बढ़ेगा, बल्कि उनका भी बढ़ेगा। (रोमि. 1:12) आपको यकीन हो जाएगा कि यहोवा अपने वफादार सेवकों का खयाल रखता है और बुज़ुर्ग भाई-बहन जान पाएँगे कि आप उनसे बहुत प्यार करते हैं। उन्हें यह बताने में भी बहुत मज़ा आएगा कि यहोवा ने उन्हें कौन-कौन-सी आशीषें दी हैं।

17. सालों के गुज़रते हमारे भाई-बहन किस मायने में और खूबसूरत हो जाते हैं?

17 जैसे-जैसे साल गुज़रते हैं, हमारी बाहर की खूबसूरती मिटती जाती है। लेकिन जो लोग यहोवा के वफादार रहते हैं, उनकी अंदर की खूबसूरती और भी बढ़ जाती है। (1 थिस्स. 1:2, 3) ऐसा क्यों होता है? क्योंकि बुज़ुर्ग भाई-बहन परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति की मदद से अपने अंदर अच्छे-अच्छे गुण बढ़ा पाए हैं। हम जितना ज़्यादा इन भाई-बहनों को जानेंगे, उनका आदर करेंगे और उनसे सीखेंगे, उतना ज़्यादा हम उन्हें अनमोल समझेंगे।

18. अगले लेख में हम क्या सीखेंगे?

18 सिर्फ जवानों को बुज़ुर्गों की नहीं, बल्कि बुज़ुर्गों को भी जवानों की कदर करनी चाहिए, तभी मंडली की एकता मज़बूत होगी और वह तरक्की करेगी। अगले लेख में हम सीखेंगे कि बुज़ुर्ग भाई-बहन जवान भाई-बहनों को किस तरह अनमोल समझ सकते हैं।

गीत 144 इनाम पे रखो नज़र!

^ पैरा. 5 बुज़ुर्ग भाई-बहन हमारे लिए बहुत अनमोल हैं। इस लेख में हमें बढ़ावा दिया गया है कि हम उनसे और ज़्यादा प्यार करें और उनकी इज़्ज़त करें। हम जानेंगे कि उनकी बुद्धि और तजुरबे से हम कैसे सीख सकते हैं। इस लेख में यह भी बताया जाएगा कि यहोवा के संगठन में हमारे बुज़ुर्ग भाई-बहनों की कितनी अहमियत है। और यह जानकर उन्हें बहुत हिम्मत मिलेगी।