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अध्ययन लेख 38

यहोवा और भाई-बहनों के लिए अपना प्यार बढ़ाइए

यहोवा और भाई-बहनों के लिए अपना प्यार बढ़ाइए

‘मैं अपने पिता और तुम्हारे पिता के पास ऊपर जा रहा हूँ।’​—यूह. 20:17.

गीत 3 हमारी ताकत, आशा और भरोसा

लेख की एक झलक *

1. हम यहोवा को क्या बुला सकते हैं?

यहोवा के परिवार में यीशु है, जो “सारी सृष्टि में पहलौठा है” और लाखों-करोड़ों स्वर्गदूत भी हैं। (कुलु. 1:15; भज. 103:20) जब यीशु धरती पर था, तो उसने बताया कि जो लोग यहोवा के वफादार रहते हैं, वे भी उसे अपना पिता कह सकते हैं। इसलिए यीशु ने अपने चेलों से कहा कि यहोवा उसका और उनका पिता है। (यूह. 20:17) जब हम यहोवा को अपना जीवन समर्पित करते हैं और बपतिस्मा लेते हैं, तो हम एक ऐसे परिवार का हिस्सा बनते हैं जो भाई-बहनों से बना है।​—मर. 10:29, 30.

2. इस लेख में हम क्या सीखेंगे?

2 कुछ लोगों को यहोवा को पिता मानना मुश्‍किल लगता है। कुछ ऐसे भी हैं, जिन्हें भाई-बहनों को प्यार जताना नहीं आता। इस लेख में हम यीशु से सीखेंगे कि हमें यहोवा को अपना पिता क्यों मानना चाहिए। और यह भी जानेंगे कि यहोवा की तरह हम अपने भाई-बहनों से किस तरह प्यार कर सकते हैं।

यहोवा चाहता है कि आप उसके करीब आएँ

3. यीशु ने जो प्रार्थना सिखायी, उससे क्या पता चलता है?

3 यहोवा कठोर पिता नहीं है, बल्कि वह एक प्यार करनेवाला पिता है। उसके पास हम कभी-भी जा सकते हैं और बात कर सकते हैं। इसलिए जब यीशु ने अपने चेलों को प्रार्थना करना सिखाया तो उसने कहा, “हमारे पिता।” (मत्ती 6:9) उसने यहोवा को “सर्वशक्‍तिमान,” “सृष्टिकर्ता” या ‘युग-युग का राजा’ नहीं कहा। (उत्प. 49:25; इफि. 3:9; 1 तीमु. 1:17) हालाँकि बाइबल में यहोवा को इस तरह पुकारा गया है, लेकिन फिर भी यीशु ने प्यार से उसे “पिता” कहा।

4. यहोवा हमसे क्या चाहता है?

4 कई लोगों को बचपन में अपने पिता से प्यार नहीं मिलता। इसलिए यहोवा को एक प्यार करनेवाला पिता मानना, उन्हें मुश्‍किल लगता है। क्या आपको भी ऐसा लगता है? यकीन रखिए यहोवा आपकी मुश्‍किल समझता है। बाइबल में लिखा है, “परमेश्‍वर के करीब आओ और वह तुम्हारे करीब आएगा।” (याकू. 4:8) यहोवा आपसे प्यार करता है और वह आपसे वादा करता है कि उससे अच्छा पिता आपको कहीं नहीं मिलेगा।

5. हम यहोवा के करीब कैसे आ सकते हैं? (लूका 10:22)

5 यीशु की मदद से हम यहोवा के करीब आ सकते हैं। यीशु यहोवा को बहुत अच्छी तरह जानता है और उसमें वही सारे गुण हैं, जो यहोवा में हैं। इसलिए उसने कहा, “जिसने मुझे देखा है उसने पिता को भी देखा है।” (यूह. 14:9) यीशु ने बड़े भाई की तरह हमें सिखाया है कि हमें अपने पिता का आदर करना चाहिए, उसकी बात माननी चाहिए और उसे खुश करने की कोशिश करनी चाहिए। लेकिन अपने जीने के तरीके से उसने खासकर यह सिखाया कि यहोवा प्यार करनेवाला और कृपा करनेवाला परमेश्‍वर है।​—लूका 10:22 पढ़िए।

एक प्यार करनेवाले पिता की तरह, यहोवा ने स्वर्गदूत के ज़रिए यीशु की हिम्मत बँधायी (पैराग्राफ 6 देखें) *

6. यहोवा ने कब-कब यीशु की प्रार्थनाएँ सुनीं?

6 यहोवा अपने बच्चों की सुनता है।  जब यीशु धरती पर था, तो उसने यहोवा से बहुत बार प्रार्थना की और यहोवा ने उसकी सुनी। (लूका 5:16) एक बार उसे बहुत बड़ा फैसला लेना था, उसे 12 प्रेषित चुनने थे। उसने यहोवा से प्रार्थना की और यहोवा ने उसकी सुनी। (लूका 6:12, 13) अपनी मौत से एक रात पहले जब यीशु बहुत परेशान था और मुश्‍किलों का सामना करनेवाला था, तब उसने यहोवा से गिड़गिड़ाकर प्रार्थना की। उस वक्‍त यहोवा ने न सिर्फ अपने प्यारे बेटे की प्रार्थनाएँ सुनीं, बल्कि उसकी हिम्मत बँधाने के लिए स्वर्गदूत को भी भेजा।​—लूका 22:41-44.

7. यहोवा हमारी प्रार्थनाएँ सुनता है, यह जानकर आपको कैसा लगता है?

7 आज भी यहोवा हमारी प्रार्थनाएँ सुनता है। वह सही वक्‍त पर और सबसे बढ़िया तरीके से उनका जवाब देता है। (भज. 116:1, 2) भारत में रहनेवाली एक बहन पर गौर कीजिए। वह हर वक्‍त परेशान रहती थी और उसने इस बारे में यहोवा से कई बार प्रार्थना की। वह कहती है, “यहोवा ने मेरी प्रार्थनाओं का जवाब दिया। मई 2019 के JW ब्रॉडकास्टिंग कार्यक्रम में यह बताया गया था कि हम चिंताओं का सामना कैसे कर सकते हैं। यह कार्यक्रम बिलकुल सही वक्‍त पर आया।”

8. यहोवा ने किन तरीकों से यीशु के लिए अपना प्यार ज़ाहिर किया?

8 यहोवा अपने बच्चों से बहुत प्यार करता है और उनकी देखभाल करता है। यीशु जब धरती पर था तो यहोवा ने उसका खयाल रखा। (यूह. 5:20) उसने यीशु को विश्‍वास मज़बूत रखने में मदद दी। जब वह दुखी था तो उसने उसकी हिम्मत बँधायी। उसने उसकी दूसरी ज़रूरतें भी पूरी कीं। कई बार उसने अपने बेटे के लिए अपना प्यार खुलकर ज़ाहिर किया। (मत्ती 3:16, 17) यीशु ने कभी-भी खुद को अकेला महसूस नहीं किया, क्योंकि उसे पता था कि उसका प्यार करनेवाला पिता हमेशा उसके साथ है।​—यूह. 8:16.

9. हमें कैसे पता कि यहोवा हमसे प्यार करता है?

9 जिस तरह यहोवा ने यीशु से प्यार किया, उसी तरह वह हमसे भी प्यार करता है। उसने हमें अपनी तरफ खींचा और भाई-बहनों से बना एक बड़ा परिवार दिया। (यूह. 6:44) इन भाई-बहनों के साथ रहकर हमें खुशी मिलती है और वे मुश्‍किलों के वक्‍त में हमारी हिम्मत बँधाते हैं। यहोवा हमारी मदद करता है ताकि हमारा विश्‍वास मज़बूत रहे और हमारी ज़रूरतें पूरी हों। (मत्ती 6:31, 32) जब हम इस बारे में सोचते हैं कि यहोवा हमसे कितना प्यार करता है, तो हम उससे और प्यार करने लगते हैं।

यहोवा की तरह अपने भाई-बहनों से प्यार कीजिए

10. हमें किसकी तरह भाई-बहनों से प्यार करना चाहिए?

10 यहोवा हमारे सभी भाई-बहनों से बहुत प्यार करता है। लेकिन कई बार हमारे लिए ऐसा करना मुश्‍किल होता है। हम सभी अलग-अलग संस्कृतियों से हैं और कई बार गलतियाँ कर बैठते हैं, जिस वजह से हम एक-दूसरे को नाराज़ करते हैं। फिर भी हमें अपने भाई-बहनों से प्यार करते रहना चाहिए। हम इस मामले में यहोवा से सीख सकते हैं।​—इफि. 5:1, 2; 1 यूह. 4:19.

11. यह कैसे पता चलता है कि यीशु भी यहोवा की तरह “कोमल करुणा” करता है?

11 यहोवा “कोमल करुणा” करनेवाला पिता है।  (लूका 1:78) यह गुण यीशु में भी था। इस वजह से जब वह लोगों को तकलीफ में देखता था, वह उनका दर्द समझ पाता था और उनकी मदद करने के लिए कदम भी उठाता था। (यूह. 5:19) एक बार “जब उसने भीड़ को देखा तो वह तड़प उठा, क्योंकि वे ऐसी भेड़ों की तरह थे जिनकी खाल खींच ली गयी हो और जिन्हें बिन चरवाहे के यहाँ-वहाँ भटकने के लिए छोड़ दिया गया हो।” (मत्ती 9:36) यीशु बीमारों को ठीक करता था और उन लोगों की भी मदद करता था, ‘जो कड़ी मज़दूरी करते थे और बोझ से दबे हुए थे।’​—मत्ती 11:28-30; 14:14.

यहोवा की तरह भाई-बहनों पर करुणा कीजिए और दरियादिल बनिए (पैराग्राफ 12-14 देखें) *

12. हम किन तरीकों से अपने भाई-बहनों के साथ करुणा कर सकते हैं?

12 हमें भी अपने भाई-बहनों के साथ करुणा करनी चाहिए। लेकिन ऐसा हम तभी कर पाएँगे, जब हम उनके हालात समझेंगे। उदाहरण के लिए, शायद एक बहन बहुत बीमार हो और वह उस बारे में किसी से बात न करती हो। क्या हम उसकी मदद कर सकते हैं? जैसे खाना बनाने या घर की सफाई करने में? या फिर हो सकता है, एक भाई की नौकरी चली गयी हो। क्या हम बिना बताए उसे कुछ पैसे दे सकते हैं? इस तरह जब तक उसकी नौकरी नहीं लगती, तब तक उसका गुज़ारा चल जाएगा।

13-14. हम यहोवा की तरह दरियादिल कैसे बन सकते हैं?

13 यहोवा दरियादिल है।  (मत्ती 5:45) वह इंसानों को उनके माँगने से पहले ही कई अच्छी चीजें दे देता है। उदाहरण के लिए, हम सबको सूरज की ज़रूरत है। लेकिन हमारे माँगे बिना, वह हर दिन हम पर सूरज चमकाता है। उन लोगों पर भी जो उसका एहसान नहीं मानते। हम इससे यहोवा का प्यार और उसकी दरियादिली साफ देख सकते हैं। हमें यहोवा की तरह बनना चाहिए। इससे पहले कि भाई-बहन हमसे मदद माँगे, हमें आगे बढ़कर उनकी मदद करनी चाहिए।

14 उदाहरण के लिए, 2013 में हैयान नाम के एक ज़बरदस्त तूफान ने फिलीपींस में तबाही मचा दी। कई भाई-बहनों का घर-बार, सबकुछ लुट गया। अलग-अलग देशों के भाई-बहनों ने उनकी मदद की। कुछ ने पैसे दान किए, तो कुछ ने निर्माण काम में हिस्सा लिया। इस वजह से एक साल के अंदर, करीब 750 घरों की मरम्मत हुई या उन्हें दोबारा बनाया गया। कोविड-19 महामारी के दौरान भी कई भाई-बहनों ने एक-दूसरे की मदद की। इस तरह जब हम तुरंत अपने भाई-बहनों की मदद करते हैं, तो हम उन्हें दिखाते हैं कि हम उनसे कितना प्यार करते हैं।

15-16. लूका 6:36 के मुताबिक, अपने पिता यहोवा की तरह बनने के लिए हमें क्या करना होगा?

15 यहोवा दयालु है।  (लूका 6:36 पढ़िए।) वह हर दिन हमारी कई गलतियाँ माफ करता है। (भज. 103:10-14) यीशु भी दयालु था। उसके चेलों ने कई गलतियाँ कीं, लेकिन उसने हर बार उन्हें माफ किया। यीशु ने अपनी जान दी ताकि हम सबको अपने पापों की माफी मिल सके। (1 यूह. 2:1, 2) यहोवा और यीशु हम पर जिस तरह दया करते हैं, उससे हम उनके और भी करीब आ जाते हैं।

16 हमें भी “एक-दूसरे को दिल से माफ” करना चाहिए। (इफि. 4:32) तभी भाई-बहनों के लिए हमारा प्यार गहरा होगा। कई बार ऐसा करना मुश्‍किल हो सकता है, लेकिन हमें फिर भी कोशिश करते रहना चाहिए। एक बहन ने ऐसा ही किया। जब उसने प्रहरीदुर्ग  का लेख, “एक-दूसरे को दिल खोलकर माफ करो” * पढ़ा, तो उसे बहुत मदद मिली। वह कहती है, “इस लेख ने मुझे यह समझने में मदद दी कि दूसरों को माफ करने में मेरी ही भलाई है। इसमें बताया गया है कि माफ करने का यह मतलब नहीं कि हम किसी के गलत कामों की तरफ आँख मूँद लें, या इस बात को अनदेखा कर दें कि उनके कामों से दूसरों को नुकसान हुआ है। इसके बजाय माफ करने का मतलब है, ऐसे लोगों के लिए अपने दिल में नाराज़गी न बढ़ने देना और अपनी शांति बनाए रखना।” जब हम दिल खोलकर अपने भाई-बहनों को माफ करते हैं, हम दिखाते हैं कि हम उनसे प्यार करते हैं और अपने पिता यहोवा की तरह बनने की कोशिश कर रहे हैं।

अपने पिता और भाई-बहनों की कदर कीजिए

बच्चे-बूढ़े, सभी मसीही हर देश के भाई-बहनों से प्यार करते हैं (पैराग्राफ 17 देखें) *

17. मत्ती 5:16 के मुताबिक, हम यहोवा की महिमा कैसे कर सकते हैं?

17 हमें बहुत खुशी है कि हम ऐसे परिवार का हिस्सा हैं, जिसके सदस्य पूरी दुनिया में हैं। हम चाहते हैं कि ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग इस परिवार का हिस्सा बनें। इसलिए हमें ध्यान रखना चाहिए कि हम ऐसा कुछ न करें, जिससे यहोवा या उसके लोगों की बदनामी हो। हमें सबके साथ अच्छे-से पेश आना चाहिए, ताकि लोग यहोवा के बारे में सीखें और उसकी सेवा करें।​—मत्ती 5:16 पढ़िए।

18. हिम्मत से प्रचार करने में कौन हमारी मदद कर सकता है?

18 जब हम दूसरों को अपने पिता यहोवा के बारे में बताते हैं, तो कई लोग हमें सताते हैं या बुरा-भला कहते हैं। लेकिन हमें डरने की ज़रूरत नहीं है। यहोवा और यीशु हमारी मदद करेंगे। यीशु ने अपने चेलों से कहा कि उन्हें इसकी चिंता नहीं करनी चाहिए कि वे क्या कहेंगे। क्यों? उसने कहा, “जो तुम्हें बोलना है वह उस वक्‍त तुम जान जाओगे। इसलिए कि तुम अपने आप नहीं बल्कि अपने पिता की पवित्र शक्‍ति की मदद से बोलोगे।”​—मत्ती 10:19, 20.

19. रॉबर्ट ने किस तरह गवाही दी?

19 दक्षिण अफ्रीका में रहनेवाले भाई रॉबर्ट का उदाहरण लीजिए। उसने बाइबल के बारे में सीखना शुरू ही किया था कि उसे सेना में भर्ती होने के लिए कहा गया। उसने ऐसा करने से मना कर दिया, जिस वजह से उसे अदालत में जाना पड़ा। उसने जज से कहा कि वह निष्पक्ष रहना चाहता है, क्योंकि वह अपने भाई-बहनों से बहुत प्यार करता है। तभी अचानक से जज ने उससे पूछा, “तुम्हारे भाई-बहन कौन हैं?” उसी वक्‍त रॉबर्ट को दिन का वचन याद आया। वह था मत्ती 12:50, जिसमें लिखा है, “जो कोई स्वर्ग में रहनेवाले मेरे पिता की मरज़ी पूरी करता है, वही मेरा भाई, मेरी बहन और मेरी माँ है।” जज ने उससे और भी कई सवाल किए, जिनके लिए वह तैयार नहीं था। लेकिन यहोवा की पवित्र शक्‍ति की मदद से वह उन सबका जवाब दे पाया। रॉबर्ट की हिम्मत देखकर यहोवा को कितनी खुशी हुई होगी! जब हम यहोवा पर भरोसा रखकर हिम्मत से गवाही देते हैं, वह हमसे भी बहुत खुश होता है।

20. हमें क्या करना चाहिए? (यूहन्‍ना 17:11, 15)

20 हम बहुत खुश हैं कि हम एक ऐसे परिवार का हिस्सा हैं, जिसमें सभी एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। हमारा पिता यहोवा इस दुनिया का सबसे अच्छा पिता है। हमें हमेशा अपने परिवार की कदर करनी चाहिए। शैतान और उसके साथी चाहते हैं कि हम यहोवा के प्यार पर शक करें और हमारी एकता टूट जाए। इसलिए यीशु ने अपने पिता से प्रार्थना की कि वह हमारी देखभाल करे और हमारे परिवार की एकता बनाए रखे। (यूहन्‍ना 17:11, 15 पढ़िए।) यहोवा आज भी उस प्रार्थना का जवाब दे रहा है। यीशु की तरह हमें कभी-भी यहोवा के प्यार पर शक नहीं करना चाहिए और न ही यह सोचना चाहिए कि वह हमारी कभी मदद नहीं करेगा। तो आइए हम ठान लें कि हम यहोवा और अपने भाई-बहनों के और करीब आते रहेंगे।

गीत 99 लाखों हज़ारों भाई

^ पैरा. 5 हम सब एक बहुत बड़े परिवार का हिस्सा हैं। इस परिवार में हमारे सभी भाई-बहन हैं। सब एक-दूसरे से प्यार करते हैं। हम चाहते हैं कि हमारे बीच जो प्यार है, वह और भी गहरा हो। यह कैसे हो सकता है? हम अपने पिता यहोवा से सीख सकते हैं। जिस तरह यहोवा हमसे प्यार करता है, उसी तरह हमें अपने भाई-बहनों से प्यार करना चाहिए। हम इस बारे में यीशु और भाई-बहनों से भी सीख सकते हैं।

^ पैरा. 57 तसवीर के बारे में: यहोवा ने यीशु की हिम्मत बँधाने के लिए, गतसमनी बाग में एक स्वर्गदूत भेजा।

^ पैरा. 59 तसवीर के बारे में: कोविड-19 महामारी के दौरान, कुछ भाई-बहनों ने दूसरों तक खाने-पीने की चीज़ें पहुँचाने में बहुत मेहनत की।

^ पैरा. 61 तसवीर के बारे में: एक छोटी लड़की जेल में कैद एक भाई की हिम्मत बँधाने के लिए कुछ बना रही है ताकि चिट्ठी के साथ भेज सके और उसकी माँ उसकी मदद कर रही है।