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ଅଧ୍ୟୟନ ଲେଖା ୪୮

‘ତମେ ପବିତ୍ର ହୁଅ’

‘ତମେ ପବିତ୍ର ହୁଅ’

‘ତୁମ୍ଭେମାନେ ସମସ୍ତ ଆଚରଣରେ ପବିତ୍ର ହୁଅ ।’—୧ପିତ. ୧:୧୫.

ଗୀତ ୩୪ चलते रहें वफा की राह

ଲେଖାର ଝଲକ *

୧. (କ) ପିତର ଖ୍ରୀଷ୍ଟିୟାନମାନଙ୍କୁ କ’ଣ ପରାମର୍ଶ ଦେଲେ ? (ଖ) ତାଙ୍କ ପରାମର୍ଶକୁ ମାନିବା କାହିଁକି କଷ୍ଟ ଲାଗିପାରେ ?

 चाहे हमारी आशा स्वर्ग में जीने की हो या धरती पर, हम सब प्रेषित पतरस की सलाह मान सकते हैं। उसने कहा, “उस पवित्र परमेश्‍वर की तरह, जिसने तुम्हें बुलाया है, तुम भी अपना पूरा चालचलन पवित्र बनाए रखो क्योंकि लिखा है: ‘तुम्हें पवित्र बने रहना है क्योंकि मैं पवित्र हूँ।’” (1 पत. 1:15, 16) यहोवा पवित्रता की सबसे बढ़िया मिसाल है। इन आयतों से पता चलता है कि हम यहोवा की तरह पवित्र बन सकते हैं और हमें बनना भी चाहिए। लेकिन कुछ लोगों को शायद लगे कि यह मुमकिन नहीं है, क्योंकि हम पापी हैं। लेकिन पतरस का उदाहरण लीजिए। उसने कई गलतियाँ कीं, फिर भी वह आगे चलकर अपना ‘चालचलन पवित्र बनाए रख’ पाया।

୨. ଏହି ଲେଖାରେ ଆମେ କେଉଁ ପ୍ରଶ୍ନଗୁଡ଼ିକ ଉପରେ ଆଲୋଚନା କରିବା ?

इस लेख में हम चार सवालों के जवाब जानेंगे: पवित्र बने रहने का मतलब क्या है? बाइबल में यहोवा की पवित्रता के बारे में क्या बताया गया है? हम अपना चालचलन पवित्र कैसे बनाए रख सकते हैं? पवित्रता और यहोवा के साथ हमारे रिश्‍ते के बीच क्या नाता है?

ପବିତ୍ର ହେବାର ଅର୍ଥ କ’ଣ ?

୩. (କ) ଦୁନିଆର ଲୋକେ କାହାକୁ ପବିତ୍ର ବୋଲି ମାନନ୍ତି ? (ଖ) ପବିତ୍ରତା ବିଷୟରେ ଆମେ କେଉଁଠୁ ଶିଖିପାରିବା ?

कई लोग सोचते हैं कि पवित्र या धार्मिक लोग, साधु-संत होते हैं जो खास किस्म की पोशाक पहनते हैं और कभी हँसते-मुस्कुराते नहीं हैं। लेकिन यह सोच गलत है। हालाँकि यहोवा पवित्र है, फिर भी बाइबल में उसे “आनंदित परमेश्‍वर” कहा गया है। (1 तीमु. 1:11) जो लोग उसकी उपासना करते हैं, उन्हें भी “सुखी” कहा गया है। (भज. 144:15) और जहाँ तक खास पोशाक पहनने की बात है, तो यीशु ने ऐसे लोगों को धिक्कारा जो खास किस्म की पोशाक पहनते थे और सिर्फ दिखावे के लिए भले काम करते थे। (मत्ती 6:1; मर. 12:38) लेकिन हमारी सोच दुनिया की सोच से अलग है, क्योंकि हमने पवित्रता के बारे में बाइबल से सीखा है। हमें यकीन है कि यहोवा पवित्र है और वह हमसे प्यार करता है। वह हमें कभी-भी ऐसी आज्ञा नहीं देगा, जिसे मानना हमारे लिए मुश्‍किल हो। इसलिए अगर यहोवा ने कहा है, “तुम्हें  पवित्र बने रहना है,” तो हमसे यह हो सकता है। लेकिन अपना चालचलन पवित्र बनाए रखने के लिए, हमें समझना होगा कि पवित्रता क्या है।

୪. “ପବିତ୍ର” ବା “ପବିତ୍ରତା” ଶବ୍ଦର ଅର୍ଥ କ’ଣ ?

पवित्रता का मतलब क्या है? बाइबल में शब्द, “पवित्र” और “पवित्रता” का मतलब है, उपासना के मामले में और नैतिक मामलों में शुद्ध होना। इन दोनों शब्दों का एक और मतलब है, परमेश्‍वर की सेवा के लिए अलग किया जाना। यानी अगर हमें पवित्र बनना है, तो हमारा चालचलन सही होना चाहिए, हमें उस तरीके से यहोवा की उपासना करनी चाहिए जिस तरीके से वह चाहता है और उसके साथ गहरी दोस्ती करनी चाहिए। ज़रा सोचकर देखिए, यहोवा कितना पवित्र है और हम पापी हैं, फिर भी वह हमसे दोस्ती करना चाहता है!

ଯିହୋବା ପବିତ୍ର, ପବିତ୍ର, ପବିତ୍ର ଅଟନ୍ତି

୫. ସ୍ବର୍ଗଦୂତମାନେ ଯିହୋବାଙ୍କ ବିଷୟରେ କ’ଣ କହିଲେ ?

यहोवा हर मामले में शुद्ध और पवित्र है। यह बात साराप की बातों से पता चलती है। साराप ऐसे स्वर्गदूत हैं, जो यहोवा के सिंहासन के करीब रहते हैं। उन्होंने कहा, “सेनाओं का परमेश्‍वर यहोवा पवित्र, पवित्र, पवित्र है।” (यशा. 6:3) ज़ाहिर-सी बात है कि अगर इन स्वर्गदूतों का यहोवा के साथ इतना करीबी रिश्‍ता है, तो ये स्वर्गदूत भी पवित्र होंगे। इसी वजह से कई बार जब स्वर्गदूत धरती पर किसी जगह संदेश देने आते थे, तो वह जगह पवित्र बन जाती थी। जब मूसा जलती हुई कँटीली झाड़ियों के पास था, तब भी कुछ ऐसा ही हुआ।​—निर्ग. 3:2-5; यहो. 5:15.

महायाजक की पगड़ी पर बँधी सोने की पट्टी पर खुदा था, “यहोवा पवित्र है” (पैराग्राफ 6-7 देखें)

୬-୭. (କ) ଯାତ୍ରା ପୁସ୍ତକ ୧୫:୧, ୧୧ ପଦରେ ମୋଶା କିପରି ଜୋର ଦେଇ କହିଲେ ଯେ ଈଶ୍ବର ପବିତ୍ର ଅଟନ୍ତି ? (ଖ) ଇସ୍ରାଏଲୀୟମାନଙ୍କୁ ଯିହୋବା ପବିତ୍ର ଅଟନ୍ତି ବୋଲି କିପରି ମନେ ପକାଇ ଦିଆଯାଉଥିଲା ? (ବାହାରେ ଥିବା ଚିତ୍ର ଦେଖନ୍ତୁ ।)

जब इसराएलियों ने लाल सागर पार किया, तो मूसा ने इस बात पर ज़ोर दिया कि उनका परमेश्‍वर यहोवा पवित्र है। (निर्गमन 15:1, 11 पढ़िए।) जिस देश से वे निकले थे यानी मिस्र और जिस देश में वे जानेवाले थे यानी कनान, उन देशों के लोग पवित्र नहीं थे। वे झूठे देवी-देवताओं की उपासना करते थे। कनानी लोग उपासना के लिए अपने बच्चों की बलि चढ़ाते थे और घिनौने लैंगिक काम करते थे। (लैव्य. 18:3, 4, 21-24; व्यव. 18:9, 10) लेकिन यहोवा ने कभी नहीं चाहा कि इसराएली ऐसे गंदे और घिनौने काम करें। वह हर मामले में पवित्र है। वह चाहता था कि इसराएली यह बात हमेशा याद रखें। इसलिए उसने महायाजक की पगड़ी पर बँधी पट्टी पर खुदवाया, “यहोवा पवित्र है।”​—निर्ग. 28:36-38.

जब भी कोई इसराएली सोने की यह पट्टी देखता, तो उसे याद आता कि यहोवा पवित्र है। लेकिन अगर एक इसराएली, महायाजक के पास नहीं जा पाता और यह पट्टी नहीं देख पाता, तो उसे यह बात कैसे याद दिलायी जाती थी? जब भी पूरी मंडली के सामने कानून पढ़ा जाता था, तो उसे याद दिलाया जाता कि यहोवा पवित्र है। (व्यव. 31:9-12) अगर आप वहाँ होते, तो आपको भी बार-बार सुनने को मिलता, “मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ। . . . तुम्हें पवित्र बने रहना है क्योंकि मैं पवित्र हूँ।” “तुम मेरे पवित्र लोग बने रहना क्योंकि मैं यहोवा पवित्र हूँ।”​—लैव्य. 11:44, 45; 20:7, 26.

୮. ଆମେ ଲେବୀ ପୁସ୍ତକ ୧୯:୨ ଏବଂ ୧ ପିତର ୧:୧୪-୧୬ ପଦରୁ କ’ଣ ଶିଖୁ ?

अब आइए हम लैव्यव्यवस्था 19:2 पर ध्यान दें, जिसमें लिखी बात सबको पढ़कर सुनायी जाती थी। यहोवा ने मूसा से कहा, “इसराएलियों की पूरी मंडली से कहना, ‘तुम पवित्र बने रहो क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा पवित्र हूँ।’” पतरस ने शायद इसी आयत को ध्यान में रखकर मसीहियों को सलाह दी कि वे ‘पवित्र बने रहें।’ (1 पतरस 1:14-16 पढ़िए।) हम आज मूसा के कानून के अधीन नहीं हैं। लेकिन पतरस की बातों से पता चलता है कि हम लैव्यव्यवस्था 19:2 से यह सीखते हैं कि यहोवा पवित्र है और हमें उसकी तरह पवित्र बनना चाहिए, फिर चाहे हमारी आशा स्वर्ग में जीने की हो या धरती पर।​—1 पत. 1:4; 2 पत. 3:13.

ନିଜ ଚାଲିଚଳନକୁ ପବିତ୍ର ରଖନ୍ତୁ

୯. ଲେବୀ ପୁସ୍ତକ ୧୯ ଅଧ୍ୟାୟରୁ ଆମେ କ’ଣ ଶିଖୁ ?

हम अपने पवित्र परमेश्‍वर यहोवा को खुश करना चाहते हैं। इसलिए हम उसकी तरह पवित्र बनना चाहते हैं। हम पवित्र कैसे बन सकते हैं? इस बारे में यहोवा ने बहुत-सी बढ़िया सलाह दी हैं, खास तौर से लैव्यव्यवस्था के अध्याय 19 में। इब्रानी भाषा के एक विद्वान, मार्कस कालिश ने लिखा कि इस अध्याय को न सिर्फ लैव्यव्यवस्था की किताब का, बल्कि बाइबल की पहली पाँच किताबों का सबसे खास अध्याय कहा जा सकता है। याद रखिए कि इस अध्याय की शुरूआत में लिखा है, “तुम पवित्र बने रहो।” इसी बात को ध्यान में रखते हुए अब हम इस अध्याय की दूसरी आयतों से सीखेंगे कि हम हर दिन पवित्र कैसे बने रह सकते हैं।

हम लैव्यव्यवस्था 19:3 से माता-पिता का आदर करने के बारे में क्या सीखते हैं? (पैराग्राफ 10-12 देखें) *

୧୦-୧୧. ଲେବୀ ପୁସ୍ତକ ୧୯:୩ ପଦ ଅନୁସାରେ, ଆମେ କ’ଣ କରିବା ଉଚିତ୍‌ ଏବଂ କାହିଁକି ?

୧୦ इसराएलियों को पवित्र रहने के बारे में बताने के बाद यहोवा ने कहा, “तुममें से हर कोई अपनी माँ और अपने पिता का आदर करे।  . . . मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ।”​—लैव्य. 19:2, 3.

୧୧ हमें परमेश्‍वर की यह सलाह माननी चाहिए। ऐसा करना क्यों ज़रूरी है? एक बार एक आदमी ने यीशु से पूछा, “हमेशा की ज़िंदगी पाने के लिए मैं कौन-सा अच्छा काम करूँ?” यीशु ने उसे जो जवाब दिया, उसमें उसने यह भी बताया कि अपने माता-पिता का आदर करो। (मत्ती 19:16-19) यीशु ने उन फरीसियों और शास्त्रियों को भी धिक्कारा, जो अपने माता-पिता की देखभाल न करने के बहाने ढूँढ़ते थे। उसने कहा कि वे “परमेश्‍वर के वचन को रद्द कर” रहे हैं। (मत्ती 15:3-6) “परमेश्‍वर के वचन” में माता-पिता का आदर करने की आज्ञा भी दी गयी है, जो दस आज्ञाओं में से पाँचवीं आज्ञा है और लैव्यव्यवस्था 19:3 में भी लिखी है। (निर्ग. 20:12) याद रखिए कि लैव्यव्यवस्था 19:3 से पहले यहोवा ने कहा, “तुम पवित्र बने रहो क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा पवित्र हूँ।”

୧୨. ଆମେ ଲେବୀ ପୁସ୍ତକ ୧୯:୩ ପଦରେ ଦିଆଯାଇଥିବା ପରାମର୍ଶକୁ କିପରି ମାନିପାରିବା ?

୧୨ आप खुद से पूछ सकते हैं, ‘क्या मैं अपने माता-पिता का आदर करता हूँ?’ हो सकता है कि आपने बीते कल में अपने माता-पिता का ज़्यादा आदर न किया हो। आप इस बात को बदल तो नहीं सकते, लेकिन अब से उनका आदर ज़रूर कर सकते हैं। आप उनके साथ ज़्यादा वक्‍त बिता सकते हैं। अगर उन्हें किसी चीज़ की ज़रूरत है, तो आप उन्हें लाकर दे सकते हैं। यहोवा के करीब बने रहने में आप उनकी मदद कर सकते हैं। आप उन्हें हौसला दे सकते हैं। अगर आप ऐसा करेंगे, तो आप लैव्यव्यवस्था 19:3 की सलाह मान रहे होंगे।

୧୩. (କ) ଲେବୀ ପୁସ୍ତକ ୧୯:୩ ପଦରେ ଆଉ କେଉଁ ଆଜ୍ଞା ଦିଆଯାଇଛି ? (ଖ) ଲୂକ ୪:୧୬-୧୮ ପଦ ଅନୁସାରେ, ଆମେ ଯୀଶୁଙ୍କ ଭଳି କ’ଣ କରିବା ଉଚିତ୍‌ ?

୧୩ लैव्यव्यवस्था 19:3 में एक और आज्ञा दी गयी है, जिसे मानने से इसराएली पवित्र बने रह सकते थे। यहोवा ने उनसे कहा, “तुम मेरे सब्तों को मानना।” आज मसीही मूसा के कानून के अधीन नहीं हैं। इसलिए हम सब्त का दिन नहीं मनाते। लेकिन इसराएली सब्त के दिन जो करते थे और उन्हें जो फायदा होता था, उससे हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। इसराएली सब्त के दिन कोई काम नहीं करते थे, बल्कि यहोवा की उपासना करते थे। * यीशु भी सब्त के दिन सभा-घर जाता था और परमेश्‍वर का वचन पढ़ता था। (निर्ग. 31:12-15; लूका 4:16-18 पढ़िए।) लैव्यव्यवस्था 19:3 में दी सब्त की आज्ञा से हम सीखते हैं कि हमें भी हर दिन के कामों से कुछ वक्‍त निकालकर यहोवा की उपासना करनी चाहिए। क्या आप ऐसा कर रहे हैं? अगर आप हर दिन थोड़ा वक्‍त निकालकर यहोवा की उपासना करें, तो आप उसके और भी करीब आ पाएँगे। और यह पवित्र बने रहने के लिए ज़रूरी है।

ଯିହୋବାଙ୍କ ସହ ନିଜ ସମ୍ପର୍କକୁ ମଜବୁତ୍‌ କରନ୍ତୁ

୧୪. ଲେବୀ ପୁସ୍ତକ ୧୯ ଅଧ୍ୟାୟରେ କେଉଁ ମହତ୍ତ୍ବପୂର୍ଣ୍ଣ ସତ୍ୟକୁ ଦୋହରାଇ ଦିଆଯାଇଛି ?

୧୪ लैव्यव्यवस्था 19 में बार-बार एक अहम सच्चाई बतायी गयी है, जो हमें पवित्र बने रहने में मदद करेगी। वह है, “मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ।” (लैव्य. 19:4) यह बात इस अध्याय में 16 बार लिखी गयी है। दस आज्ञाओं में से पहली आज्ञा में भी यही बात लिखी है, “मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ . . . मेरे सिवा तुम्हारा कोई और ईश्‍वर न हो।” (निर्ग. 20:2, 3) अगर हम पवित्र बने रहना चाहते हैं, तो हमें ध्यान रखना होगा कि कोई भी व्यक्‍ति या चीज़ यहोवा के साथ हमारे रिश्‍ते के बीच न आए। और हमसे यहोवा का नाम जुड़ा है, इसलिए हमें ठान लेना चाहिए कि हम ऐसा कुछ न करें, जिससे यहोवा के पवित्र नाम का अपमान हो।​—लैव्य. 19:12; यशा. 57:15.

୧୫. ଲେବୀ ପୁସ୍ତକ ୧୯:୫-୮, ୨୧, ୨୨ ପଦରୁ ଆମେ କ’ଣ ଶିଖୁ ?

୧୫ यहोवा को अपना परमेश्‍वर मानने के लिए इसराएलियों को क्या करना था? लैव्यव्यवस्था 18:4 में यहोवा ने कहा, “तुम मेरे न्याय-सिद्धांतों को मानना, मेरी विधियों का पालन किया करना और उन पर चलना। मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ।” कुछ ‘विधियाँ’ अध्याय 19 में बतायी गयी हैं। जैसे आयत 5-8, 21, 22 में जानवरों के बलिदान चढ़ाने के बारे में कुछ विधियाँ दी गयी हैं। इसराएलियों को ये बलिदान सही तरीके से चढ़ाने थे, नहीं तो वे ‘यहोवा की पवित्र चीज़ को तुच्छ जानते।’ इन आयतों को पढ़ने से हमें बढ़ावा मिलता है कि हम भी यहोवा को खुश करें और उसे तारीफ के बलिदान चढ़ाएँ।​—इब्रा. 13:15.

୧୬. ଲେବୀ ପୁସ୍ତକ ୧୯:୧୯ ପଦରୁ ଆମେ କ’ଣ ଶିଖୁ ?

୧୬ पवित्र बने रहने के लिए शायद हमें कभी-कभी दूसरों से अलग नज़र आना पड़े। यह आसान नहीं है। स्कूल के दोस्त, साथ काम करनेवाले, रिश्‍तेदार और दूसरे लोग शायद हम पर दबाव डालें कि हम ऐसे काम करें, जो यहोवा को पसंद नहीं। ऐसे में हम सही फैसला कैसे ले सकते हैं? हम लैव्यव्यवस्था 19:19 को याद रख सकते हैं, जहाँ लिखा है, “तुम ऐसी पोशाक न पहनना जो दो अलग-अलग किस्म के धागों से बुनकर तैयार की गयी हो।” यह आज्ञा मानने की वजह से इसराएली दूसरे राष्ट्रों के लोगों से अलग नज़र आते थे। आज हम मसीही मूसा के कानून के अधीन नहीं हैं, इसलिए हम इस तरह के कपड़े पहन सकते हैं। जैसे हम कॉटन और पॉलिएस्टर से मिलकर बने कपड़े पहनते हैं। भले ही हम लैव्यव्यवस्था 19:19 की आज्ञा नहीं मानते, लेकिन इसका सिद्धांत ज़रूर मानते हैं। यानी हम उन लोगों की तरह नहीं बनते जिनकी शिक्षाएँ और काम बाइबल के मुताबिक नहीं हैं, फिर चाहे वे लोग हमारे दोस्त या रिश्‍तेदार ही क्यों न हों। यह सच है कि हम अपने परिवारवालों और पड़ोसियों से प्यार करते हैं, लेकिन ज़िंदगी के ज़रूरी मामलों में हम यहोवा की आज्ञा मानते हैं। इसके लिए अगर हमें दूसरों से अलग नज़र आना पड़े, तो भी हम तैयार हैं। क्योंकि जैसा हमने सीखा, पवित्र बने रहने का एक मतलब है, परमेश्‍वर की सेवा के लिए अलग किया जाना।​—2 कुरिं. 6:14-16; 1 पत. 4:3, 4.

लैव्यव्यवस्था 19:23-25 में दी आज्ञा से इसराएलियों को क्या समझ जाना चाहिए था और इन आयतों से हम क्या सीखते हैं? (पैराग्राफ 17-18 देखें) *

୧୭-୧୮. ଲେବୀ ପୁସ୍ତକ ୧୯:୨୩-୨୫ ପଦରୁ ଆମେ କ’ଣ ଶିଖୁ ?

୧୭ “मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा हूँ,” इस बात से इसराएलियों को समझना था कि उन्हें यहोवा के साथ अपने रिश्‍ते को सबसे ज़्यादा अहमियत देनी है। वे यह कैसे कर सकते थे? इसका एक तरीका लैव्यव्यवस्था 19:23-25 में बताया गया है। (पढ़िए।) इसराएलियों को यह आज्ञा वादा किए गए देश में जाने के बाद माननी थी। अगर कोई इसराएली पेड़ लगाता, तो वह तीन साल तक उन पेड़ों का फल नहीं खा सकता था। चौथे साल उन पेड़ों पर जो फल लगते, उस व्यक्‍ति को उन्हें पवित्र डेरे में देना था। पाँचवें साल से ही वह व्यक्‍ति उन पेड़ों का फल खा सकता था। इस आज्ञा से यहोवा इसराएलियों को समझाना चाहता था कि उन्हें अपनी ज़रूरतों के बजाय, उसकी उपासना को अपनी ज़िंदगी में पहली जगह देनी है। उन्हें भरोसा रखना था कि यहोवा उनकी खाने-पीने की ज़रूरतें पूरी करेगा। यहोवा ने उन्हें यह भी बढ़ावा दिया कि वे दिल खोलकर पवित्र डेरे के लिए दान करें।

୧୮ लैव्यव्यवस्था 19:23-25 में दी आज्ञा से हमें यीशु का पहाड़ी उपदेश याद आता है। यह उपदेश देते वक्‍त यीशु ने कहा, “चिंता करना छोड़ दो कि तुम क्या खाओगे या क्या पीओगे, . . . स्वर्ग में रहनेवाला तुम्हारा पिता जानता है कि तुम्हें इन सब चीज़ों की ज़रूरत है।” (मत्ती 6:25, 26, 32) अगर परमेश्‍वर पंछियों को खिला सकता है, तो वह हमारी भी देखभाल कर सकता है। इसलिए हमें यहोवा पर भरोसा रखना चाहिए कि वह हमारी खाने-पीने की ज़रूरतें पूरी करेगा। हमें बिना किसी दिखावे के ज़रूरतमंदों को “दान” देना चाहिए। हमें मंडली का खर्च पूरा करने के लिए भी दान करना चाहिए। यहोवा हमारी इस दरियादिली पर ध्यान देगा और हमें आशीष देगा। (मत्ती 6:2-4) अगर हम दरियादिल बनेंगे, तो हम लैव्यव्यवस्था 19:23-25 से मिलनेवाली सीख को मान रहे होंगे।

୧୯. ଏହି ଲେଖାରେ ଲେବୀ ପୁସ୍ତକ ୧୯ ଅଧ୍ୟାୟର ଯେଉଁ ପଦଗୁଡ଼ିକ ବିଷୟରେ କୁହାଯାଇଛି, ସେଥିରୁ ଆପଣ କ’ଣ ଶିଖିଲେ ?

୧୯ इस लेख में लैव्यव्यवस्था 19 की कुछ आयतों से हमने सीखा कि हम अपने पवित्र परमेश्‍वर की तरह कैसे बन सकते हैं। अगर हम यहोवा की तरह बनने की कोशिश करेंगे, तो हम “अपना पूरा चालचलन पवित्र बनाए” रख पाएँगे। (1 पत. 1:15) कई लोगों ने यहोवा के सेवकों के बढ़िया चालचलन पर ध्यान दिया है, कुछ ने तो यहोवा की महिमा भी की है। (1 पत. 2:12) लैव्यव्यवस्था 19 से हम और भी बहुत सारी बातें सीख सकते हैं। अगले लेख में हम इस अध्याय की कुछ और आयतों पर चर्चा करेंगे और ज़िंदगी के दूसरे मामलों में ‘पवित्र बने’ रहने के बारे में सीखेंगे।

ଗୀତ ୮୦ “परखकर देखो कि यहोवा कितना भला है”

^ ଅନୁ. 5 हम यहोवा से बहुत प्यार करते हैं और उसे खुश करना चाहते हैं। इसलिए हमें उसकी तरह पवित्र बनना होगा, क्योंकि वह पवित्र है। लेकिन क्या हम पापी इंसान पवित्र बन सकते हैं? हाँ, बन सकते हैं। प्रेषित पतरस ने मसीहियों को जो सलाह दी और यहोवा ने प्राचीन इसराएल को जो नियम दिए, उनसे हम सीखेंगे कि हम अपना चालचलन कैसे पवित्र बनाए रख सकते हैं।

^ ଅନୁ. 13 सब्त और उससे मिलनेवाली सीख के बारे में जानने के लिए, दिसंबर 2019 की प्रहरीदुर्ग  का लेख, “काम और आराम का ‘एक समय होता है’” पढ़ें।

^ ଅନୁ. 57 तसवीर के बारे में: एक बेटा अपने माता-पिता के साथ वक्‍त बिताता है। वह अपनी पत्नी और बेटी के साथ उनसे मिलने आता है। वह वक्‍त-वक्‍त पर उनसे बात करता है।

^ ଅନୁ. 59 तसवीर के बारे में: एक इसराएली अपने बाग में लगाए पेड़ों के फल देख रहा है।