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अध्ययन लेख 14

प्राचीनो, पौलुस की मिसाल पर चलते रहिए

प्राचीनो, पौलुस की मिसाल पर चलते रहिए

“मेरी मिसाल पर चलो।”​—1 कुरिं. 11:1.

गीत 99 लाखों हज़ारों भाई

एक झलक *

1-2. प्राचीन, प्रेषित पौलुस से क्या सीख सकते हैं?

 प्रेषित पौलुस अपने भाई-बहनों से बहुत प्यार करता था। उसने उनकी मदद करने के लिए कड़ी मेहनत की। (प्रेषि. 20:31) इसलिए भाई-बहन भी उससे बहुत प्यार करते थे। एक बार जब इफिसुस के प्राचीनों को पता चला कि वे पौलुस से आखिरी बार मिल रहे हैं, तो “वे सब फूट-फूटकर रोने लगे।” (प्रेषि. 20:37) पौलुस की तरह, आज भी प्राचीन अपने भाई-बहनों से बहुत प्यार करते हैं और उनकी मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। (फिलि. 2:16, 17) लेकिन कभी-कभी प्राचीनों के लिए अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभाना मुश्‍किल हो सकता है। ऐसे में वे क्या कर सकते हैं?

2 प्राचीन, पौलुस से सीख सकते हैं। (1 कुरिं. 11:1) पौलुस के पास कोई अनोखी शक्‍ति नहीं थी। वह भी अपरिपूर्ण था। कई बार सही काम करने के लिए उसे संघर्ष करना पड़ता था। (रोमि. 7:18-20) उसे कई मुश्‍किलों का भी सामना करना पड़ा। ऐसे में वह हार मान सकता या उसकी खुशी छिन सकती थी। पर उसने ऐसा नहीं होने दिया। प्राचीन, पौलुस से सीख सकते हैं कि वे कैसे मुश्‍किलों का सामना करें और खुशी-खुशी यहोवा की सेवा करें।

3. इस लेख में हम क्या-क्या सीखेंगे?

3 इस लेख में हम ऐसी चार चीज़ों के बारे में चर्चा करेंगे, जिन्हें करना कई बार प्राचीनों के लिए मुश्‍किल हो सकता है। (1) दूसरी ज़िम्मेदारियाँ सँभालने के साथ-साथ प्रचार काम के लिए वक्‍त निकालना, (2) सभी भाई-बहनों की प्यार से देखभाल करना, (3) खुद की कमज़ोरियों पर काबू पाना और (4) दूसरों के बारे में सही नज़रिया रखना। ये चार चीज़ें करना पौलुस के लिए भी मुश्‍किल था। आइए जानें कि ऐसे में उसने क्या किया। हम यह भी सीखेंगे कि प्राचीन उसकी मिसाल पर कैसे चल सकते हैं।

दूसरी ज़िम्मेदारियाँ सँभालने के साथ-साथ प्रचार काम के लिए वक्‍त निकालना

4. प्राचीनों के लिए प्रचार काम के लिए वक्‍त निकालना क्यों मुश्‍किल हो सकता है?

4 क्यों मुश्‍किल हो सकता है?  प्रचार काम में अगुवाई करने के अलावा, प्राचीनों के पास और भी कई ज़िम्मेदारियाँ होती हैं। जैसे, वे हफ्ते के बीच की सभा और मंडली का बाइबल अध्ययन चलाते हैं। उन्हें भाषण भी देने होते हैं। इसके अलावा, वे सहायक सेवकों को अलग-अलग काम सिखाते हैं और लगातार सभी भाई-बहनों की हिम्मत बँधाते हैं। (1 पत. 5:2) कुछ प्राचीन, राज-घर और दूसरी इमारतें बनाने या उनके रख-रखाव में हिस्सा लेते हैं। लेकिन मंडली के सभी लोगों की तरह, उनकी भी सबसे अहम ज़िम्मेदारी है खुशखबरी सुनाना।​—मत्ती 28:19, 20.

5. पौलुस ने कैसे अच्छी तरह प्रचार किया?

5 पौलुस ने क्या किया?  फिलिप्पियों 1:10 में पौलुस ने कहा, ‘पहचानो की ज़्यादा अहमियत रखनेवाली बातें क्या हैं।’ उसने खुद भी यह सलाह मानी। उसे प्रचार करने का काम सौंपा गया था और उसने आखिर तक इस काम को सबसे ज़्यादा अहमियत दी। वह “सरेआम और घर-घर जाकर” प्रचार करता था। (प्रेषि. 20:20) वह किसी तय समय या दिन पर प्रचार नहीं करता था, बल्कि जब भी उसे मौका मिलता था वह लोगों को गवाही देता था। उदाहरण के लिए, एथेन्स में अपने साथियों का इंतज़ार करते वक्‍त, उसने वहाँ के जाने-माने लोगों को खुशखबरी सुनायी और उनमें से कुछ लोग मसीही बन गए। (प्रेषि. 17:16, 17, 34) पौलुस ने तब भी लोगों को प्रचार किया जब वह कैद में था।​—फिलि. 1:13, 14; प्रेषि. 28:16-24.

6. पौलुस ने दूसरों को क्या सिखाया?

6 पौलुस ने प्रचार के दौरान दूसरे भाइयों को सिखाया भी। आइए इसके कुछ उदाहरण देखें। पहले मिशनरी दौरे पर वह यूहन्‍ना मरकुस को और दूसरे मिशनरी दौरे पर तीमुथियुस को अपने साथ ले गया। (प्रेषि. 12:25; 16:1-4) इस दौरान उसने उन्हें सिखाया कि मंडली में क्या अलग-अलग काम करने होते हैं, भाई-बहनों की देखभाल कैसे करनी होती है और वे कैसे अच्छे शिक्षक बन सकते हैं।​—1 कुरिं. 4:17.

पौलुस की तरह, हमेशा गवाही देने के लिए तैयार रहिए (पैराग्राफ 7) *

7. प्राचीन, इफिसियों 6:14, 15 में दी पौलुस की सलाह कैसे मान सकते हैं?

7 सीख:  पौलुस की तरह प्राचीन घर-घर जाकर प्रचार करने के अलावा, दूसरे मौकों पर भी गवाही देने के लिए तैयार रह सकते हैं। (इफिसियों 6:14, 15 पढ़िए।) उदाहरण के लिए, जब वे खरीदारी करने जाते हैं या काम की जगह पर जाते हैं, तो वे वहाँ लोगों को गवाही दे सकते हैं। या जब वे संगठन के निर्माण काम में हिस्सा लेते हैं, तो वे आस-पास रहनेवालों को या जिनसे वे चीज़ें खरीदते हैं, उन्हें खुशखबरी सुना सकते हैं। पौलुस की तरह प्राचीन, प्रचार के दौरान दूसरों को सिखा भी सकते हैं, जैसे सहायक सेवकों को।

8. कभी-कभी प्राचीनों को क्या करना पड़ सकता है?

8 प्राचीनों को मंडली या सर्किट के कामों में इतना व्यस्त नहीं रहना चाहिए कि प्रचार करने के लिए उनके पास वक्‍त ही न बचे। इसके लिए शायद कभी-कभी उन्हें कुछ ज़िम्मेदारी लेने से ना कहना पड़े। प्राचीनों को कोई भी ज़िम्मेदारी लेने से पहले प्रार्थना करनी चाहिए और फिर सोचना चाहिए, ‘इस ज़िम्मेदारी को लेने के बाद क्या मेरे पास ज़्यादा ज़रूरी कामों के लिए वक्‍त बचेगा, जैसे हर हफ्ते पारिवारिक उपासना करने के लिए, जोश से प्रचार करने या अपने बच्चों को गवाही देना सिखाने के लिए?’ कुछ प्राचीनों को लगता है कि वे कोई ज़िम्मेदारी लेने से ना कैसे कहें। लेकिन वे यकीन रख सकते हैं कि यहोवा उनके मना करने की वजह जानता है। वह समझता है कि वे अपनी दूसरी ज़िम्मेदारियाँ अच्छी तरह निभाने की कोशिश कर रहे हैं।

सभी भाई-बहनों की प्यार से देखभाल करना

9. व्यस्त होने की वजह से प्राचीनों के लिए क्या करना मुश्‍किल हो सकता है?

9 क्यों मुश्‍किल हो सकता है?  इन आखिरी दिनों में यहोवा के लोगों पर कई तकलीफें आती हैं। इसलिए हम सबको हौसले, दिलासे और मदद की ज़रूरत होती है। कुछ भाई-बहनों को गलत कामों से दूर रहने के लिए भी मदद चाहिए होती है। (1 थिस्स. 5:14) यह सच है कि प्राचीन, भाई-बहनों की हर तकलीफ दूर नहीं कर सकते। फिर भी यहोवा चाहता है कि वे जितना हो सके चरवाहों की तरह उसकी भेड़ों की देखभाल और हिफाज़त करें। तो फिर प्राचीन, जिनके पास पहले से बहुत काम हैं, भाई-बहनों की किस तरह मदद कर सकते हैं?

दूसरों की तारीफ कीजिए और उनका हौसला बढ़ाइए (पैराग्राफ 10, 12) *

10. पहला थिस्सलुनीकियों 2:7 के मुताबिक, पौलुस ने भाई-बहनों की देखभाल किस तरह की?

10 पौलुस ने क्या किया?  उसे जब भी मौका मिला, उसने भाई-बहनों की तारीफ की और उनका हौसला बढ़ाया। उसने भाई-बहनों की प्यार से देखभाल करने में प्राचीनों के लिए एक अच्छी मिसाल रखी। (1 थिस्सलुनीकियों 2:7 पढ़िए।) उसने भाई-बहनों को यकीन दिलाया कि वह उनसे बहुत प्यार करता है और यहोवा को भी उनसे बहुत प्यार है। (2 कुरिं. 2:4; इफि. 2:4, 5) उसने उन्हें अपना दोस्त माना और उनके साथ वक्‍त बिताया। उसे उन पर भरोसा था, इसलिए उसने दिल खोलकर अपनी चिंताएँ उन्हें बतायीं और यह भी कि उसमें कुछ कमज़ोरियाँ हैं। (2 कुरिं. 7:5; 1 तीमु. 1:15) लेकिन उसने अपनी परेशानियों पर नहीं, बल्कि भाई-बहनों की मदद करने पर ज़्यादा ध्यान दिया।

11. पौलुस ने भाई-‏बहनों को सलाह क्यों दी?

11 कभी-कभी पौलुस को भाई-बहनों को सलाह देनी पड़ी। लेकिन उसने ऐसा गुस्से में आकर नहीं बल्कि प्यार से किया, क्योंकि उसे उनकी परवाह थी और वह उन्हें खतरों से बचाना चाहता था। उसने उन्हें साफ-साफ बताया कि उन्हें किन मामलों में सुधार करना है। वह यह भी जानना चाहता था कि उसकी सलाह सुनने के बाद भाई-बहनों को कैसा लगा। उदाहरण के लिए, उसने कुरिंथ के मसीहियों को एक चिट्ठी लिखी और सख्ती से सलाह दी। इसके बाद उसने तीतुस को उनके पास भेजा क्योंकि वह जानना चाहता था कि उसकी सलाह सुनने के बाद भाई-बहनों ने क्या किया। जब उसे पता चला कि उन्होंने उसकी सलाह मान ली है, तो उसे बहुत खुशी हुई।​—2 कुरिं. 7:6, 7.

12. भाई-बहनों का हौसला बढ़ाने के लिए प्राचीन क्या कर सकते हैं?

12 सीख:  पौलुस की तरह प्राचीन भी अपने भाई-बहनों के साथ वक्‍त बिता सकते हैं। एक तरीका है, वे सभाओं में समय से पहले आ सकते हैं ताकि भाई-बहनों के साथ खुलकर बात कर सकें। अगर प्राचीन किसी भाई या बहन से कुछ मिनट भी बात करें, तो इससे उसका काफी हौसला बढ़ सकता है। (रोमि. 1:12; इफि. 5:16) प्राचीन, पौलुस की तरह भाई-बहनों को बाइबल से आयतें दिखा सकते हैं, जिससे उनका विश्‍वास मज़बूत हो और उन्हें यकीन हो कि यहोवा उनसे प्यार करता है। इसके अलावा, वे अपनी बातों और कामों से भाई-बहनों के लिए प्यार ज़ाहिर कर सकते हैं। वे समय-समय पर उनसे बातचीत कर सकते हैं और जब भी मौका मिले, उनकी तारीफ कर सकते हैं। जब एक प्राचीन को किसी भाई या बहन को सलाह देनी पड़े तो उसे बाइबल से सलाह देनी चाहिए। उसे साफ-साफ शब्दों में और प्यार से सलाह देनी चाहिए ताकि वह उसकी सलाह मान पाए।​—गला. 6:1.

खुद की कमज़ोरियों पर काबू पाना

13. अपनी कमज़ोरियों के बारे में प्राचीनों को क्या लग सकता है?

13 क्यों मुश्‍किल हो सकता है?  प्राचीन भी हमारी तरह अपरिपूर्ण हैं। उनसे भी गलतियाँ होती हैं। (रोमि. 3:23) ऐसे में कुछ प्राचीन शायद अपनी कमज़ोरियों के बारे में इतना सोचने लगें कि वे निराश हो जाएँ। उन्हें शायद लगे कि वे अपनी कमज़ोरियों पर कभी काबू नहीं कर पाएँगे। या हो सकता है कि कुछ प्राचीन अपनी कमज़ोरियों को नज़रअंदाज़ कर दें और उन्हें लगे कि उन्हें कोई बदलाव करने की ज़रूरत नहीं।

14. फिलिप्पियों 4:13 के मुताबिक, नम्र होने की वजह से पौलुस ने क्या किया?

14 पौलुस ने क्या किया?  पौलुस नम्र था। इसलिए उसने माना कि वह अपने दम पर अपनी कमज़ोरियों पर काबू नहीं पा सकता, उसे यहोवा की ताकत चाहिए। वह पहले मसीहियों पर बुरी तरह ज़ुल्म करता था, लेकिन बाद में उसे पता चला कि वह गलत कर रहा है। इसलिए उसने खुद को बदलने की कोशिश की। (1 तीमु. 1:12-16) यहोवा की मदद से पौलुस एक प्यार और परवाह करनेवाला प्राचीन बन पाया और नम्र रह पाया। उसे पता था कि उसमें कई कमज़ोरियाँ हैं, लेकिन वह उनके बारे में सोचता नहीं रहा। इसके बजाय, उसे यकीन था कि यहोवा उसे माफ करेगा। (रोमि. 7:21-25) उसने खुद से हद-से-ज़्यादा की उम्मीद नहीं की बल्कि उससे जो हो सकता था वह किया। उसने अपने अंदर अच्छे गुण बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत की। नम्र होने की वजह से वह अपना काम पूरा करने के लिए यहोवा पर निर्भर रहा।​—1 कुरिं. 9:27; फिलिप्पियों 4:13 पढ़िए।

खुद की कमज़ोरियों पर काबू पाने की कोशिश कीजिए (पैराग्राफ 14-15) *

15. अपनी कमज़ोरियों पर काबू पाने के लिए प्राचीन क्या कर सकते हैं?

15 सीख:  प्राचीन परिपूर्ण नहीं हैं। और यहोवा चाहता है कि वे अपनी गलती मानें और खुद में सुधार करें। (इफि. 4:23, 24) वे बाइबल का अध्ययन करके खुद की जाँच कर सकते हैं और फिर अपने अंदर बदलाव कर सकते हैं। तब यहोवा उनकी मदद करेगा कि वे खुश रहें और अपनी ज़िम्मेदारियाँ अच्छी तरह निभा पाएँ।​—याकू. 1:25.

दूसरों के बारे में सही नज़रिया रखना

16. अगर प्राचीन दूसरों की कमियों पर ज़्यादा ध्यान दें, तो वे क्या करने लग सकते हैं?

16 क्यों मुश्‍किल हो सकता है?  प्राचीन जब भाई-बहनों के साथ वक्‍त बिताते हैं या उनके साथ मिलकर काम करते हैं, तो वे उनकी कमियों को और भी साफ देख सकते हैं। लेकिन अगर प्राचीन उनकी कमियों पर ज़्यादा ध्यान देने लगें तो वे उनसे चिढ़ सकते हैं, उनके साथ रूखा व्यवहार कर सकते हैं या उनके बारे में गलत राय कायम कर सकते हैं। और शैतान यही चाहता है कि मसीही ऐसा करें। इस बारे में पौलुस ने मसीहियों को आगाह किया था।​—2 कुरिं. 2:10, 11.

17. पौलुस अपने भाई-बहनों के बारे में कैसा नज़रिया रखता था?

17 पौलुस ने क्या किया?  उसने भाई-बहनों के बारे में सही नज़रिया रखा। वह उनकी कमियों और गलतियों के बारे में जानता था, क्योंकि कई बार उन्होंने अपने कामों से उसका दिल दुखाया। लेकिन वह यह भी जानता था कि अगर भाई-बहनों से कोई गलती होती है, तो इसका यह मतलब नहीं कि वे बुरे हैं। पौलुस अपने भाई-बहनों से प्यार करता था और उनकी अच्छाइयों पर ध्यान देता था। वह समझता था कि भाई-बहनों के लिए सही काम करना आसान नहीं है और वे अपने अंदर बदलाव करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, उन्हें बस थोड़ी मदद की ज़रूरत है।

18. पौलुस ने जिस तरह यूओदिया और सुन्तुखे की मदद की, उससे आप क्या सीखते हैं? (फिलिप्पियों 4:1-3)

18 गौर कीजिए कि जब फिलिप्पी मंडली की दो बहनों, यूओदिया और सुन्तुखे के बीच अनबन हो गयी तो पौलुस ने क्या किया। (फिलिप्पियों 4:1-3 पढ़िए।) पौलुस ने उन्हें डाँटा-फटकारा नहीं और ना ही उनमें नुक्स निकाला, बल्कि उसने उनकी अच्छाइयों पर ध्यान दिया। वे बहनें लंबे समय से यहोवा की सेवा कर रही थीं। पौलुस ने याद रखा कि यहोवा उनसे प्यार करता है। इसलिए उसने उन्हें बढ़ावा दिया कि वे सुलह कर लें। भाई-बहनों के बारे में सही नज़रिया रखने से पौलुस खुश रह पाया और उसका सभी के साथ एक अच्छा रिश्‍ता था।

दूसरों के बारे में तुरंत गलत राय मत कायम कीजिए (पैराग्राफ 19) *

19. (क) भाई-बहनों के बारे में सही नज़रिया रखने के लिए प्राचीन क्या कर सकते हैं? (ख) इस पैराग्राफ से जुड़ी तसवीर से आप क्या सीखते हैं?

19 सीख:  प्राचीनो, भाई-बहनों की अच्छाइयों पर ध्यान दीजिए। मंडली में सभी लोग अपरिपूर्ण हैं, लेकिन उनमें कई अच्छे गुण भी हैं। (फिलि. 2:3) यह सच है कि प्राचीनों को समय-समय पर भाई-बहनों की सोच सुधारनी पड़ती है। लेकिन पौलुस की तरह उन्हें अपने भाई-बहनों के बारे में सही नज़रिया रखना चाहिए। उनकी छोटी-मोटी गलतियों पर ध्यान देने के बजाय उन्हें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि वे यहोवा से प्यार करते हैं, उसकी सेवा करने की कोशिश कर रहे हैं और वे सुधार कर सकते हैं। अगर प्राचीन, भाई-बहनों के बारे में सही नज़रिया रखें तो मंडली में प्यार और एकता बढ़ेगी।

पौलुस की मिसाल पर चलते रहिए

20. पौलुस के बारे में और सीखने के लिए प्राचीन क्या कर सकते हैं?

20 प्राचीनो, अगर आप पौलुस के बारे में और पढ़ेंगे तो इससे आपको काफी फायदा होगा। उदाहरण के लिए, आप गवाही दो  किताब और सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र  ब्रोशर में दी जानकारी पढ़ सकते हैं। * उसे पढ़ते वक्‍त खुद से पूछिए, ‘अपनी ज़िम्मेदारी खुशी-खुशी निभाने के बारे में मैं पौलुस से क्या सीख सकता हूँ?’

21. प्राचीन किस बात का यकीन रख सकते हैं?

21 प्राचीनो, याद रखिए कि यहोवा आपसे यह उम्मीद नहीं करता कि आप परिपूर्ण बनें। वह बस चाहता है कि आप विश्‍वासयोग्य रहें और अपनी ज़िम्मेदारी अच्छी तरह निभाएँ। (1 कुरिं. 4:2) पौलुस भी विश्‍वासयोग्य था और उसने कड़ी मेहनत की, इसलिए यहोवा उससे खुश था। उसी तरह, अगर आप कड़ी मेहनत करें तो आप यकीन रख सकते हैं कि यहोवा आपसे खुश होगा। वह आपके ‘काम और उस प्यार को कभी नहीं भूलेगा जो आपको उसके नाम के लिए है, यानी कैसे आपने पवित्र जनों की सेवा की है और अब भी कर रहे हैं।’​—इब्रा. 6:10.

गीत 87 आओ! तरो-ताज़ा हो जाओ

^ हम प्राचीनों के कितने शुक्रगुज़ार हैं कि वे हमारी मदद करने के लिए बहुत मेहनत करते हैं! लेकिन उनके लिए ऐसा करना हमेशा आसान नहीं होता। इस लेख में हम चार मामलों के बारे में चर्चा करेंगे जिनमें प्राचीन, प्रेषित पौलुस से सीख सकते हैं। इससे हमें बढ़ावा मिलेगा कि हम प्राचीनों से प्यार करें, उनकी मेहनत की कदर करें और उनका पूरा-पूरा साथ दें।

^ परमेश्‍वर के राज के बारे में अच्छी तरह गवाही दो,  अध्या. 12, पैरा. 17-20 और अध्या. 21, पैरा. 6-7; “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र”​—सच्चा और फायदेमंद (मत्ती-कुलुस्सियों), पेज 24, पैरा. 19; (1 थिस्सलुनीकियों-प्रकाशितवाक्य), पेज 12-13, पैरा. 8-9.

^ तसवीर के बारे में: एक भाई काम खत्म करने के बाद अपने साथी को गवाही दे रहा है।

^ तसवीर के बारे में: एक प्राचीन एक ऐसे भाई से प्यार से बात कर रहा है, जो दूसरों से ज़्यादा मिलता-जुलता नहीं।

^ तसवीर के बारे में: एक भाई किसी बात को लेकर नाराज़ है और एक प्राचीन प्यार से उसे सलाह दे रहा है।

^ तसवीर के बारे में: एक भाई कोई काम करने के लिए आगे आता है, मगर काम करते-करते उसका ध्यान भटक जाता है। फिर भी यह देखकर प्राचीन चिढ़ नहीं जाता।