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अध्ययन लेख 15

क्या आप बोलने के मामले में एक अच्छी मिसाल हैं?

क्या आप बोलने के मामले में एक अच्छी मिसाल हैं?

‘बोलने में विश्‍वासयोग्य लोगों के लिए एक मिसाल बन जा।’​—1 तीमु. 4:12.

गीत 90 एक-दूसरे की हिम्मत बँधाएँ

एक झलक a

1. हमें बोलने की काबिलीयत किसने दी है?

 यहोवा हमसे बहुत प्यार करता है और उसी ने हमें बोलने की काबिलीयत दी है। जब पहले इंसान आदम को बनाया गया, तभी से वह यहोवा से बात कर सकता था और आगे चलकर नए शब्द भी बना सकता था। इसी काबिलीयत की वजह से वह जानवरों के नाम रख पाया। (उत्प. 2:19) और सोचिए जब उसने पहली बार किसी दूसरे इंसान से, अपनी प्यारी पत्नी हव्वा से बात की तब उसे कितनी खुशी हुई होगी!​—उत्प. 2:22, 23.

2. (क) बोलने की काबिलीयत का गलत इस्तेमाल कैसे होने लगा? (ख) आज लोगों की बोली कैसी है?

2 इंसानों को बनाने के कुछ ही समय बाद, बोलने की काबिलीयत का गलत इस्तेमाल होने लगा। शैतान ने हव्वा से झूठ बोला, जिस वजह से इंसानों ने पाप किया और वे अपरिपूर्ण हो गए। (उत्प. 3:1-4) जब आदम ने गलती की, तो उसने सारा दोष हव्वा पर और यहोवा पर डाल दिया। (उत्प. 3:12) जब कैन ने अपने भाई हाबिल को मार डाला, तो उसके बाद उसने यहोवा से झूठ बोला। (उत्प. 4:9) आगे चलकर कैन के एक वंशज लेमेक ने बदला लेने के बारे में एक कविता लिखी। इससे पता चलता है कि उस वक्‍त की दुनिया कैसी थी और लोग कितने हिंसक हो गए थे। (उत्प. 4:23, 24) आज लोगों की बोली कैसी है? कई नेता अपने भाषणों में गंदी बोली बोलते हैं और ज़्यादातर फिल्मों में भी लोगों को गालियाँ देते हुए दिखाया जाता है। चाहे स्कूल हो या काम की जगह, हमें हर कहीं ऐसी ही भाषा सुनने को मिलती है। इससे पता चलता है कि दुनिया किस हद तक गिर गयी है।

3. (क) हमें क्यों सावधान रहना है? (ख) इस लेख में हम क्या सीखेंगे?

3 अगर हम सावधान न रहें, तो लोगों की देखा-देखी हम भी गंदी बोली बोलने लग सकते हैं। लेकिन अगर हम चाहते हैं कि यहोवा हमसे खुश हो, तो हम ऐसी बोली कभी नहीं बोलेंगे। हम अपनी बोलने की काबिलीयत का अच्छे-से इस्तेमाल करेंगे और अपनी बोली से यहोवा की महिमा करेंगे। इस लेख में हम सीखेंगे कि जब हम (1) प्रचार करते हैं, (2) सभाओं में होते हैं और (3) एक-दूसरे से बात करते हैं, तो हम यह कैसे कर सकते हैं। पर आइए सबसे पहले ध्यान दें कि यहोवा क्यों चाहता है कि हमारी बोली अच्छी हो।

यहोवा चाहता है कि हमारी बोली अच्छी हो

आपकी बोली से पता चलता है कि आपके दिल में क्या है (पैराग्राफ 4-5) d

4. मलाकी 3:16 के मुताबिक, यहोवा हमारी बातों पर क्यों ध्यान देता है?

4 मलाकी 3:16 पढ़िए। इस आयत के मुताबिक, यहोवा लोगों की बातें ध्यान से सुनता है क्योंकि उनकी बातों से पता चलता है कि उनके दिल में क्या है। और जिन लोगों की बातों से पता चलता है कि वे यहोवा का डर मानते हैं और उसके नाम के बारे में मनन करते हैं, वह उन्हें ‘याद रखने के लिए एक किताब’ में उनके नाम लिखता है। यीशु ने भी कहा, “जो दिल में भरा है वहीं मुँह पर आता है।” (मत्ती 12:34) हमारी बातों से यहोवा जान पाता है कि हम उससे कितना प्यार करते हैं। और जो लोग यहोवा से प्यार करते हैं, उन्हें वह हमेशा की ज़िंदगी देना चाहता है।

5. (क) यहोवा हमारी उपासना से कब खुश होगा? (ख) जैसे तसवीर में दिखाया गया है, हमें क्या नहीं करना चाहिए?

5 यहोवा हमारी उपासना से तभी खुश होगा जब हमारी बोली अच्छी होगी। (याकू. 1:26) जो लोग यहोवा से प्यार नहीं करते, वे अकसर गुस्से से और अकड़कर बात करते हैं और अपनी बातों से दूसरों को दुख पहुँचाते हैं। (2 तीमु. 3:1-5) पर हम उनकी तरह नहीं बनना चाहते। हम चाहते हैं कि हमारी बोली से यहोवा खुश हो। इसलिए हमें न सिर्फ प्रचार करते वक्‍त और सभाओं में, बल्कि घर में भी प्यार और आदर से बात करनी चाहिए। तभी यहोवा हमारी उपासना से खुश होगा।​—1 पत. 3:7.

6. किंबरली की अच्छी बोली की वजह से क्या हुआ?

6 हमारी अच्छी बोली से लोग शायद जानना चाहें कि हम दूसरों से क्यों अलग हैं और इस तरह हम उन्हें यहोवा के बारे में बता पाते हैं। इससे लोग साफ देख पाते हैं कि “कौन परमेश्‍वर की सेवा करता है और कौन नहीं।” (मला. 3:18) किंबरली नाम की एक बहन के अनुभव पर ध्यान दीजिए। b उसे स्कूल में एक लड़की के साथ एक प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए कहा गया। साथ काम करते वक्‍त वह लड़की साफ देख पायी कि किंबरली दूसरों से अलग है। वह पीठ पीछे दूसरों की बुराई नहीं करती, गालियाँ नहीं देती और सबके साथ अच्छी तरह बात करती है। वह लड़की जानना चाहती थी कि किंबरली इतनी अलग क्यों है और इसलिए वह बाइबल अध्ययन करने को तैयार हो गयी। जब हमारी बोली सुनकर लोग यहोवा के बारे में जानना चाहते हैं, तो सोचिए उसे यह देखकर कितनी खुशी होती होगी।

7. हमें अपनी बोली के बारे में क्या ध्यान रखना चाहिए?

7 हमें ध्यान रखना चाहिए कि हमारी बोली ऐसी हो, जिससे यहोवा की महिमा हो और भाई-बहनों के साथ हमारा एक अच्छा रिश्‍ता हो। इसलिए आइए कुछ सुझावों पर ध्यान दें जिन्हें मानकर हम बोलने में अच्छी मिसाल बन सकते हैं।

प्रचार करते वक्‍त

अगर हम प्रचार करते वक्‍त प्यार से बात करेंगे, तो यहोवा खुश होगा (पैराग्राफ 8-9)

8. लोगों को प्रचार करते वक्‍त हम यीशु की तरह कैसे बन सकते हैं?

8 जब कोई बुरा-भला कहे, तब भी प्यार और आदर से बात कीजिए।  जब यीशु धरती पर था, तो लोगों ने कहा कि वह पेटू और पियक्कड़ है और सब्त का नियम तोड़ता है। कुछ ने तो यह तक कहा कि वह शैतान के साथ मिला हुआ है और परमेश्‍वर की निंदा करता है। (मत्ती 11:19; 26:65; लूका 11:15; यूह. 9:16) फिर भी यीशु ने बदले में उन्हें कुछ बुरा नहीं कहा। आज लोग हमें भी बुरा-भला कह सकते हैं। लेकिन यीशु की तरह, हमें कभी-भी उन्हें पलटकर जवाब नहीं देना चाहिए। (1 पत. 2:21-23) पर ऐसा करना आसान नहीं होता। (याकू. 3:2) तो क्या बात हमारी मदद कर सकती है?

9. प्रचार के दौरान जब कोई व्यक्‍ति गुस्सा हो जाता है, तो हम क्या कर सकते हैं?

9 प्रचार के दौरान जब कोई हमसे बुरी तरह बात करता है, तो हमें नाराज़ नहीं हो जाना चाहिए। सैम नाम का एक भाई कहता है, “मैं याद रखता हूँ कि सामनेवाले को सच्चाई बताना बहुत ज़रूरी है और आगे चलकर वह बदल सकता है।” कई बार एक व्यक्‍ति इसलिए नाराज़ हो सकता है क्योंकि हमने गलत वक्‍त पर दरवाज़ा खटखटाया। जब हम किसी ऐसे व्यक्‍ति से मिलते हैं जो बहुत गुस्से में है, तो हम प्रार्थना कर सकते हैं। लूसिया नाम की एक बहन भी ऐसा ही करती है। वह यहोवा से मदद माँगती है कि वह शांत रहे और कुछ भी उलटा-सीधा न कहे।

10. पहला तीमुथियुस 4:13 के मुताबिक हमें क्या करते रहना चाहिए?

10 सिखाने का हुनर बढ़ाइए।  तीमुथियुस लोगों को बहुत अच्छे-से सिखाता था। लेकिन उसे भी अपना हुनर बढ़ाते रहना था। (1 तीमुथियुस 4:13 पढ़िए) हम यह हुनर कैसे बढ़ा सकते हैं? अगर हम अच्छी तैयारी करेंगे, तो हम लोगों को और अच्छे-से सिखा पाएँगे। इसके लिए संगठन ने हमें कई प्रकाशन दिए हैं। उदाहरण के लिए, आपको कुछ सुझाव जी-जान  ब्रोशर में और सभा-पुस्तिका  के “बढ़ाएँ प्रचार करने का हुनर” भाग में मिलेंगे। इन्हें मानकर आपको बहुत फायदा होगा। और जब आप अच्छी तैयारी करेंगे तो आप ज़्यादा घबराएँगे नहीं बल्कि यकीन से बात कर पाएँगे।

11. कुछ भाई-बहनों ने अपना सिखाने का हुनर कैसे बढ़ाया है?

11 मंडली के दूसरे भाई-बहनों को देखकर भी हम अपना सिखाने का हुनर बढ़ा सकते हैं। सैम, जिसका पहले ज़िक्र किया गया था, दूसरे अनुभवी भाई-बहनों को गौर से देखता है कि वे कैसे सिखाते हैं। फिर वह खुद भी वैसा ही करने की कोशिश करता है। तानिया नाम की एक बहन ध्यान देती है कि अनुभवी भाई जन भाषण कैसे देते हैं। इस तरह वह प्रचार के दौरान लोगों को और अच्छे-से सिखा पाती है और तर्क कर पाती है।

सभाओं में

सभाओं में जोश से गीत गाकर हम यहोवा की महिमा कर रहे होंगे (पैराग्राफ 12-13)

12. कुछ लोग क्या करने से झिझकते हैं?

12 हम सभी जोश से गीत गाकर और अच्छे जवाब देकर सभाओं में हिस्सा ले सकते हैं। (भज. 22:22) पर कुछ लोग ऐसा करने से झिझकते हैं। अगर आपको भी ऐसा लगता है, तो दूसरे भाई-बहनों के अनुभव पढ़कर आपको मदद मिलेगी।

13. सभाओं में जोश से गीत गाने के लिए आप क्या कर सकते हैं?

13 जोश से गीत गाइए।  हमें याद रखना चाहिए कि जब हम सभाओं में गीत गाते हैं, तो इससे यहोवा की महिमा होती है। सारा नाम की एक बहन का कहना है कि वह ज़्यादा अच्छे-से नहीं गा पाती। फिर भी वह गीत गाकर यहोवा की महिमा करना चाहती है। इसलिए सभाओं की तैयारी करते वक्‍त वह गाने की भी प्रैक्टिस करती है। वह खासकर इस बात पर ध्यान देती है कि गीत के बोल, सभा के अलग-अलग भागों से कैसे जुड़े हैं। वह कहती है, “जब मैं गीतों के बोल पर ध्यान देती हूँ, तो मुझे इस बात की चिंता नहीं रहती कि मैं कैसे गा रही हूँ।”

14. अगर आपको जवाब देने में घबराहट होती है, तो आप क्या कर सकते हैं?

14 हर सभा में जवाब देने की कोशिश कीजिए।  कुछ लोगों के लिए ऐसा करना बहुत मुश्‍किल हो सकता है। तानिया, जिसका पहले ज़िक्र किया गया था, कहती है, “शायद दूसरों को पता ना चले, लेकिन मैं जानती हूँ कि जवाब देते वक्‍त मुझे कितनी घबराहट होती है।” फिर भी वह जवाब देने की पूरी कोशिश करती है। जब वह सभाओं की तैयारी करती है, तो वह याद रखती है कि पहला जवाब छोटा और सीधा होना चाहिए। वह कहती है, “अगर मेरा जवाब छोटा, सीधा और मुख्य मुद्दे से जुड़ा है, तो इसमें कोई बुराई नहीं। अध्ययन चलानेवाला भाई भी तो यही चाहता है ना, कि सब लोग इसी तरह के जवाब दें?”

15. जवाब देने के बारे में हमें क्या याद रखना चाहिए?

15 कुछ भाई-बहन शर्मीले नहीं होते, फिर भी वे जवाब देने से झिझकते हैं। क्यों? जूलीयट नाम की एक बहन कहती है, “कई बार मुझे लगता है कि मेरा जवाब कुछ खास नहीं है, इसलिए मैं हाथ नहीं उठाती।” पर हम सब याद रख सकते हैं कि यहोवा बस इतना चाहता है कि हम अपनी काबिलीयत के हिसाब से अच्छा जवाब दें। c जब वह देखता है कि हम सभाओं में जवाब देने से पीछे नहीं हटते और उसकी महिमा करते हैं, तो उसे बहुत खुशी होती है।

एक-दूसरे से बात करते वक्‍त

16. हमें कैसी बातें नहीं करनी चाहिए?

16 गाली-गलौज और अपमान करनेवाली बातें मत कीजिए।  (इफि. 4:31) हम जानते हैं कि हमें गाली-गलौज कभी नहीं करना चाहिए। हमें ऐसी बातें भी नहीं करनी चाहिए, जिससे दूसरों का अपमान हो। शायद हम जानबूझकर ऐसा न करें, लेकिन अनजाने में हमसे ऐसा हो सकता है। जैसे, शायद दूसरी संस्कृति, जाति या देश के लोगों के बारे में बात करते वक्‍त हम उनका मज़ाक उड़ाने लगें या उनकी बुराई करने लगें। या हो सकता है कि हम किसी पर ताने कसें या चुभनेवाली बातें कहें। एक भाई कहता है, “मज़ाक-मज़ाक में मैं कुछ ऐसी बातें कह जाता था, जिनसे दूसरों को बहुत बुरा लगता था। पर बीते सालों के दौरान मेरी पत्नी ने इस मामले में मेरी बहुत मदद की। जब भी मैंने कुछ ऐसा कहा जिससे उसे या दूसरों को बुरा लगा, तो उसने मुझे अलग-से समझाया।”

17. इफिसियों 4:29 के मुताबिक, हम दूसरों की हिम्मत कैसे बढ़ा सकते हैं?

17 अपनी बातों से दूसरों की हिम्मत बढ़ाइए।  हर वक्‍त शिकायत करने और दूसरों में नुक्स निकालने के बजाय उनकी तारीफ कीजिए। (इफिसियों 4:29 पढ़िए।) इसराएलियों को बहुत-सी आशीषें मिली थीं, फिर भी वे जब देखो शिकायत करते थे। और अकसर देखा गया है कि एक व्यक्‍ति को शिकायत करता देख दूसरे भी ऐसा करने लगते हैं। आपको याद होगा कि जब दस जासूसों ने वादा किए गए देश के बारे में बुरी-बुरी बातें बतायीं, तो यह सुनकर “सभी इसराएली मूसा . . . के खिलाफ कुड़कुड़ाने लगे।” (गिन. 13:31–14:4) लेकिन शिकायत करने के बजाय अगर हम हौसला बढ़ानेवाली बातें कहें, तो इसका सब पर अच्छा असर होगा। उदाहरण के लिए, जब हर साल यिप्तह की बेटी की सहेलियाँ उससे मिलने आती थीं, तो वे उसकी तारीफ करती थीं। (न्यायि. 11:40) इससे उसे बहुत हौसला मिला होगा कि वह यहोवा की सेवा करने में लगी रहे। सारा, जिसका पहले ज़िक्र किया गया था, कहती है, “जब हम किसी की तारीफ करते हैं, तो हम उसे यकीन दिला रहे होते हैं कि यहोवा और दूसरे लोग उससे प्यार करते हैं और वह बहुत अनमोल है।” इसलिए जब भी मौका मिले, दूसरों की दिल से तारीफ कीजिए।

18. (क) भजन 15:1, 2 के मुताबिक, हमें सच क्यों बोलना चाहिए? (ख) सच बोलने में क्या शामिल है?

18 सच बोलिए।  अगर हम चाहते हैं कि यहोवा हमसे खुश हो, तो हमें कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए। यहोवा हर तरह के झूठ से नफरत करता है। (नीति. 6:16, 17) बहुत-से लोगों को लगता है कि झूठ बोलना कोई बड़ी बात नहीं है। पर हमें लोगों की सुनने के बजाय यहोवा की सुननी चाहिए। (भजन 15:1, 2 पढ़िए।) सीधे-सीधे झूठ बोलना तो दूर, हमें आधा-अधूरा सच भी नहीं बोलना चाहिए और न ही बातों को घुमा-फिराकर कहना चाहिए, जिससे लोग कुछ और ही समझ बैठें।

किसी की बुराई करने के बजाय अगर हम अच्छी बातें करेंगे, तो यहोवा खुश होगा (पैराग्राफ 19)

19. हमें और किस तरह की बातें नहीं करनी चाहिए?

19 दूसरों के बारे में गपशप मत कीजिए।  (नीति. 25:23; 2 थिस्स. 3:11) जूलीयट, जिसका पहले ज़िक्र किया गया था, कहती है, “जब मैं किसी को दूसरों की बुराई करते हुए सुनती हूँ, तो मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगता। उस पर से मेरा भरोसा उठ जाता है। आज वह किसी और की बुराई कर रहा है, कल को वह मेरी भी बुराई कर सकता है।” इसलिए जब आप देखें कि कोई किसी के बारे में गपशप कर रहा है, तो बातचीत वहीं रोक दीजिए और किसी अच्छे विषय पर बात कीजिए।​—कुलु. 4:6.

20. हमें क्या करने की कोशिश करते रहना है?

20 हमारे आस-पास के लोग बहुत गंदी भाषा बोलते हैं। इसलिए हमें सावधान रहना चाहिए कि हम उनकी तरह ना बन जाएँ। हमें याद रखना चाहिए कि बोलने की काबिलीयत हमें यहोवा से मिली है और वह चाहता है कि हम इसका अच्छा इस्तेमाल करें। अगर हम प्रचार के दौरान, सभाओं में और एक-दूसरे से बात करते वक्‍त ऐसा करेंगे, तो वह खुश होगा और हमें आशीषें देगा। जब इस दुष्ट दुनिया का नाश हो जाएगा, तब अपनी बोली से यहोवा की महिमा करना हमारे लिए और आसान होगा। (यहू. 15) लेकिन तब तक आइए हम कोशिश करते रहें कि हमारे “मुँह की बातें” हमेशा यहोवा को भाएँ।​—भज. 19:14.

गीत 121 संयम रखना ज़रूरी

a यहोवा ने इंसानों को एक खास काबिलीयत दी है, वह है बोलने की काबिलीयत। पर अफसोस, बहुत-से लोग इस काबिलीयत का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं और उनकी बोली खराब होती जा रही है। ऐसे में हम क्या कर सकते हैं ताकि हमारी बोली अच्छी रहे और इससे दूसरों का हौसला बढ़े? जब हम प्रचार करते हैं, सभाओं में होते हैं और दूसरों से बात करते हैं, तो हम अपनी बोली से यहोवा को कैसे खुश कर सकते हैं? इस लेख में हम इन सवालों के जवाब जानेंगे।

b कुछ नाम बदल दिए गए हैं।

c सभाओं में जवाब देने के बारे में और जानने के लिए जनवरी 2019 की प्रहरीदुर्ग  में लेख, “मंडली में यहोवा की तारीफ कीजिए” पढ़ें।

d तसवीर के बारे में: प्रचार के दौरान जब एक आदमी गुस्से से बात करता है, तो भाई भी उसे पलटकर जवाब देता है। सभा में एक भाई बेमन से गीत गाता है। एक बहन किसी के बारे में गपशप कर रही है।