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अध्ययन लेख 25

माफ कयो ऐं यहोवा खां आसीसूं पायो!

माफ कयो ऐं यहोवा खां आसीसूं पायो!

“जैसे यहोवा ने तुम्हें दिल खोलकर माफ किया है, तुम भी वैसा ही करो।”​—कुलु. 3:13.

गीत 130 माफ करना सीखें

एक झलक *

1. जेके दिल सां पछिताउ कनि था यहोवा उन्हनि खे कहिड़ो यकीन ॾिनो आहे?

 यहोवा ने हमें बनाया है, हमें कानून दिए हैं और वह सबसे अच्छा न्यायी है। (भज. 100:3; यशा. 33:22) इसलिए उसके पास हमें माफ करने का अधिकार है। लेकिन वह हमारा पिता भी है और हमसे बहुत प्यार करता है। इसलिए कोई गलती हो जाने पर जब हम दिल से पश्‍चाताप करते हैं, तो वह हमें माफ करने को तैयार रहता है। (भज. 86:5) उसने भविष्यवक्‍ता यशायाह के ज़रिए भी हमें इस बात का यकीन दिलाया है। उसने लिखवाया, “चाहे तुम्हारे पाप सुर्ख लाल रंग के हों, तो भी वे बर्फ के समान सफेद हो जाएँगे।”​—यशा. 1:18.

2. ॿियन सां सुठो रिश्‍तो ठाहे रखण जे लाइ असां खे छा करण घुरिजे?

2 हम अपरिपूर्ण हैं, इसलिए कई बार एक-दूसरे का दिल दुखा देते हैं। (याकू. 3:2) अगर हमारे बीच कोई अनबन हो जाए, तो हमें एक-दूसरे को माफ कर देना चाहिए। इससे सबके साथ हमारा एक अच्छा रिश्‍ता होगा। (नीति. 17:9; 19:11; मत्ती 18:21, 22) यहोवा भी चाहता है कि हम दूसरों को माफ कर दें। (कुलु. 3:13) वह खुद भी ऐसा ही करता है। बाइबल में लिखा है कि वह हमें “दिल खोलकर माफ करता है।”​—यशा. 55:7.

3. हिन लेख में असां छा ॼाणींदासीं?

3 इस लेख में हम जानेंगे कि यहोवा की तरह हम कैसे दूसरों को माफ कर सकते हैं। हम यह भी जानेंगे कि ऐसे कौन-से पाप हैं जिनके बारे में हमें प्राचीनों को बताना चाहिए और यहोवा क्यों चाहता है कि हम दूसरों को माफ करें। हम कुछ भाई-बहनों के बारे में भी पढ़ेंगे जिन्होंने दूसरों की वजह से बहुत दुख झेले, पर आगे चलकर उन्हें माफ कर दिया। उनसे हम सीखेंगे कि दूसरों को माफ करने से हमें कौन-सी आशीषें मिल सकती हैं।

जॾहिं हिक मसीह वॾो पाप कंदो आहे

4. (क)जॾहिं हिक मसीह वॾो पाप कंदो आहे, त हुन खे छा करण घुरिजे? (ख) प्राचीननि जी कहिड़ी ज़िम्मेदारी आहे?

4 जब हमें पता लगता है कि किसी ने कोई गंभीर पाप किया है, तो हमें प्राचीनों को इस बारे में बताना चाहिए। पहला कुरिंथियों 6:9, 10 में ऐसे ही कुछ पापों के बारे में बताया गया है। जब एक व्यक्‍ति कोई गंभीर पाप करता है, तो वह यहोवा के कानून का अनादर कर रहा होता है। इसलिए उसे यहोवा से प्रार्थना करके माफी माँगनी चाहिए और इस बारे में प्राचीनों को बताना चाहिए। (भज. 32:5; याकू. 5:14) क्या प्राचीन ऐसे व्यक्‍ति को माफ कर सकते हैं? सिर्फ यहोवा के पास किसी के पाप को पूरी तरह माफ करने का अधिकार है और वह ऐसा यीशु के फिरौती बलिदान के आधार पर करता है। * लेकिन यहोवा ने प्राचीनों को यह ज़िम्मेदारी दी है कि वे बाइबल सिद्धांतों के आधार पर तय करें कि जिस व्यक्‍ति ने पाप किया है, वह मंडली में रह सकता है या नहीं। (1 कुरिं. 5:12) यह फैसला लेते वक्‍त प्राचीन कुछ बातों को ध्यान में रखते हैं। जैसे, क्या उस व्यक्‍ति ने जानबूझकर पाप किया है? क्या उसने इसे छिपाने की कोशिश की? क्या वह काफी समय से यह पाप करता आ रहा है? प्राचीन खासकर यह देखेंगे: क्या उसने सच में पश्‍चाताप किया है? और क्या इस बात का कोई सबूत है कि यहोवा ने उसे माफ कर दिया है?​—प्रेषि. 3:19.

5. प्राचीननि जे फैसले जो छा फायदो थींदो आहे?

5 जब प्राचीन उस व्यक्‍ति से मिलते हैं जिसने पाप किया है, तो वे वही फैसला लेने की कोशिश करते हैं जो स्वर्ग में यहोवा ने लिया होगा। (मत्ती 18:18) अगर वे फैसला करते हैं कि अब वह व्यक्‍ति मंडली में नहीं रह सकता, तो इससे मंडली की हिफाज़त होती है और दूसरों पर उसका बुरा असर नहीं पड़ता। (1 कुरिं. 5:6, 7, 11-13; तीतु. 3:10, 11) इस फैसले से पाप करनेवाले का भी भला होता है। उसे बढ़ावा मिलता है कि वह पश्‍चाताप करे और यहोवा के पास लौट आए। जब वह ऐसा करेगा, तो यहोवा उसे माफ कर देगा। (लूका 5:32) प्राचीन उस व्यक्‍ति के लिए प्रार्थना भी करते हैं कि यहोवा के साथ उसका रिश्‍ता फिर से जुड़ जाए।​—याकू. 5:15.

6. बहिष्कृत शख्स खे यहोवा जी माफी मिली सघे थी? समझायो.

6 अगर प्राचीन देखते हैं कि एक व्यक्‍ति को अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है, तो उसका मंडली से बहिष्कार कर दिया जाता है। और अगर उसने देश का कोई कानून तोड़ा है, तो प्राचीन उसे बचाने की कोशिश नहीं करते। यहोवा ने सरकारों को यह अधिकार दिया है कि अगर कोई देश का कानून तोड़े, तो वे उसे सज़ा दें, फिर चाहे उस व्यक्‍ति ने पश्‍चाताप किया हो या नहीं। (रोमि. 13:4) लेकिन अगर बाद में उस व्यक्‍ति को अपनी गलती का एहसास होता है और वह पश्‍चाताप करके अपने अंदर बदलाव करता है, तो यहोवा उसे माफ करने को तैयार रहता है। (लूका 15:17-24) यहोवा उसे तब भी माफ कर सकता है जब उसने कोई गंभीर पाप किया हो।​—2 इति. 33:9, 12, 13; 1 तीमु. 1:15.

7. अगर कोई असां जे खिलाफ पाप करे थो, त असां खे छा करण घुरिजे?

7 हमें यह सोच-सोचकर परेशान नहीं होना चाहिए कि एक व्यक्‍ति का पाप माफ किया जाएगा या नहीं क्योंकि यह यहोवा के हाथ में है, ना कि हमारे हाथ में। तो क्या इसका यह मतलब है कि हमें कुछ नहीं करना? हो सकता है, एक व्यक्‍ति हमें ठेस पहुँचाए या हमारे खिलाफ कोई गंभीर पाप करे। चाहे वह हमसे माफी माँगे या नहीं, हम उसे अपनी तरफ से माफ कर सकते हैं। यह हमारे हाथ में है कि हम नाराज़गी पाले रखेंगे या उसे माफ कर देंगे। उस बात को भुलाने में और अपने मन से कड़वाहट निकालने में वक्‍त लग सकता है। इस बारे में 15 सितंबर, 1994 की अँग्रेज़ी प्रहरीदुर्ग  में भी बताया गया था। उसमें लिखा था, “जब हम किसी को माफ करते हैं, तो इसका यह मतलब नहीं कि हम उसके पाप को हलके में ले रहे हैं, बल्कि हम मामले को यहोवा के हाथ में छोड़ रहे होते हैं। हम भरोसा रखते हैं कि यहोवा सबसे अच्छा न्यायी है और वक्‍त आने पर वह सबकुछ ठीक कर देगा।” पर यहोवा क्यों चाहता है कि हम अपनी तरफ से दूसरों को माफ कर दें और न्याय करने का काम उसके हाथ में छोड़ दें?

ॿियन खे छो माफ कयूं?

8. असां खे ॿियन खे छो माफ करण घुरिजे?

8 दूसरों को माफ करके हम दिखाते हैं कि हम यहोवा का एहसान मानते हैं।  एक बार यीशु ने एक कहानी सुनायी। एक राजा ने अपने एक दास का बहुत बड़ा कर्ज़ माफ कर दिया, क्योंकि वह उसे चुका नहीं पा रहा था। लेकिन उस दास ने एक दूसरे दास का कर्ज़ माफ नहीं किया जिसे एक छोटी-सी रकम चुकानी थी। (मत्ती 18:23-35) इस कहानी से हम क्या सीखते हैं? यहोवा उस राजा की तरह है और वह दिल खोलकर हमें माफ करता है। अगर हम उसका एहसान मानते हैं, तो हमें भी दूसरों के पाप माफ करने चाहिए। (भज. 103:9) सालों पहले एक प्रहरीदुर्ग  में एक बहुत अच्छी बात लिखी थी: “यीशु के फिरौती बलिदान के आधार पर यहोवा हमेशा हमें माफ करने को तैयार रहता है। तो हम चाहे दूसरों को कितनी ही बार माफ क्यों न करें, हम कभी-भी यहोवा की बराबरी नहीं कर सकते।”

9. यहोवा कंहिं खे माफ कंदो आहे? (मत्ती 6:14, 15)

9 माफ करनेवालों को माफ किया जाएगा।  अगर हम दूसरों पर दया करेंगे और उन्हें माफ करेंगे, तो यहोवा हमें भी माफ करेगा। (मत्ती 5:7; याकू. 2:13) यीशु ने भी अपने चेलों को यह बात सिखायी थी। (मत्ती 6:14, 15 पढ़िए।) और क्या आपको अय्यूब का किस्सा याद है? जब उसके तीन साथी एलीपज, बिलदद और सोपर उससे मिलने आए, तो उन्होंने उसे बहुत बुरा-भला कहा और उसका दिल दुखाया। मगर फिर यहोवा ने अय्यूब से कहा कि वह उनके लिए प्रार्थना करे। जब अय्यूब ने ऐसा किया और उन्हें माफ कर दिया, तब यहोवा ने उसे आशीष दी।​—अय्यू. 42:8-10.

10. नाराज़गी पाले रखण सां छा नुकसान थींदो आहे? (इफिसियों 4:31, 32)

10 नाराज़गी पाले रखने से हमारा ही नुकसान होता है।  अगर हम किसी से नाराज़ रहें, तो यह ऐसा होगा जैसे हमारे दिल पर एक भारी बोझ रखा हो। (इफिसियों 4:31, 32 पढ़िए।) इसी वजह से यहोवा हमसे कहता है, “गुस्सा करना छोड़ दे, क्रोध त्याग दे।” (भज. 37:8) यह कितनी बढ़िया सलाह है। अगर हम अंदर-ही-अंदर कुढ़ते रहें, तो यह ऐसा होगा मानो हम ज़हर पीते जा रहे हों। इससे हमारा ही नुकसान होगा। हम परेशान रहने लगेंगे और हमारी सेहत भी खराब हो सकती है। (नीति. 14:30) लेकिन अगर हम दूसरों को माफ कर दें, तो इससे हमारा भला होगा। (नीति. 11:17) हमें मन की शांति मिलेगी और हमारी सेहत भी अच्छी रहेगी। इस तरह हम खुश रह पाएँगे और यहोवा की अच्छी तरह सेवा कर पाएँगे।

11. असां खे बदलो छो न वठणु घुरिजे? (रोमियों 12:19-21)

11 बदला लेना यहोवा का काम है।  यहोवा ने हमें यह अधिकार नहीं दिया है कि हम किसी से बदला लें या उसे सज़ा दें। (रोमियों 12:19-21 पढ़िए।) हम अपरिपूर्ण हैं और हमें हमेशा मामले की पूरी जानकारी नहीं होती। इसलिए हम यहोवा की तरह सही-सही न्याय नहीं कर सकते। (इब्रा. 4:13) या कभी-कभी हम दूसरों से इतना नाराज़ होते हैं कि भावनाओं में बहकर फैसला ले लेते हैं। इसी वजह से यहोवा ने याकूब के ज़रिए लिखवाया, “इंसान के क्रोध का नतीजा परमेश्‍वर की नेकी नहीं होता।” (याकू. 1:20) तो दूसरों से बदला लेने के बजाय, हमें भरोसा रखना चाहिए कि समय आने पर यहोवा हमें इंसाफ दिलाएगा।

नाराज़गी मत पाले रखिए। मामला यहोवा के हाथ में छोड़ दीजिए, वह हर नुकसान की भरपाई कर देगा (पैराग्राफ 12)

12. यहोवा ते यकीन कीअं ज़ाहिर करे सघूं था?

12 माफ करके हम दिखाते हैं कि हमें यकीन है कि यहोवा हमें न्याय दिलाएगा।  जब हम मामले को यहोवा के हाथ में छोड़ देते हैं, तो हम दिखाते हैं कि हमें पूरा भरोसा है कि वह सबकुछ ठीक कर देगा। उसने वादा किया है कि नयी दुनिया में हमें बुरी यादें नहीं सताएँगी और ‘न ही उनका खयाल कभी हमारे दिल में आएगा।’ (यशा. 65:17) यह सच है कि दूसरों को माफ करना हमेशा आसान नहीं होता, खासकर जब किसी ने हमें बहुत दुख पहुँचाया हो। पर हम ऐसा कर सकते हैं! आइए कुछ भाई-बहनों से सीखें जिन्होंने ऐसा ही किया।

माफ करण सां असीसूं मिलंदियूं आहिनि

13-14. माफ करण जे बारे में तव्हां टोनी खां छा सिखयो?

13 हमारे कई भाई-बहनों ने ऐसे लोगों को भी माफ कर दिया जिन्होंने उन्हें बहुत दुख पहुँचाया था। ऐसा करने से उन्हें क्या आशीषें मिलीं?

14 टोनी * फिलीपींस में रहता है। यहोवा का साक्षी बनने से पहले वह बहुत गुस्सैल था और बात-बात पर मार-पीट पर उतर आता था। एक दिन उसे पता चला कि होज़े नाम के एक आदमी ने उसके बड़े भाई का कत्ल कर दिया है। टोनी का खून खौल उठा, वह उससे बदला लेना चाहता था। लेकिन होज़े को जेल हो गयी। कुछ समय बाद जब उसे रिहा किया गया, तो टोनी ने कसम खायी कि वह उसे नहीं छोड़ेगा। उसे मारने के लिए टोनी ने एक बंदूक तक खरीद ली। लेकिन फिर वह यहोवा के साक्षियों के साथ अध्ययन करने लगा। वह कहता है, “अध्ययन करके मैंने सीखा कि मुझे खुद को बदलना होगा, मुझे अपने गुस्से पर भी काबू करना होगा।” कुछ समय बाद टोनी ने बपतिस्मा ले लिया और आगे चलकर वह प्राचीन बन गया। फिर एक दिन उसे पता चला कि होज़े भी यहोवा का साक्षी बन गया है। जब वे दोनों मिले तो उन्होंने एक-दूसरे को गले लगा लिया और टोनी ने उससे कहा कि उसने उसे माफ कर दिया है। इसका क्या नतीजा हुआ? टोनी कहता है कि वह बता नहीं सकता कि होज़े को माफ करके उसे कितनी खुशी हुई, कितना सुकून मिला। सच में, जब हम किसी को माफ करते हैं तो हमें यहोवा से कई आशीषें मिलती हैं!

पीटर और सू से हम सीखते हैं कि हम दिल से कड़वाहट निकाल सकते हैं! (पैराग्राफ 15-16)

15-16. माफ करण जे बारे में तव्हां भाउ पीटर ऐं भेण सू खां छा सिखयो?

15 अब ज़रा भाई पीटर और बहन सू के अनुभव पर ध्यान दीजिए। सन्‌ 1985 की बात है। वे राज-घर में थे और सभा चल रही थी। अचानक वहाँ एक ज़ोरदार धमाका हुआ। एक आदमी ने राज-घर में बम रख दिया था। बहन सू को बहुत चोट आयी। इस वजह से वे आज भी ना तो ठीक से देख पाती हैं, ना ही ठीक से सुन पाती हैं। उनकी सूँघने की शक्‍ति भी चली गयी। * वे दोनों कई बार उस दिन को याद करके सोचते थे, ‘कोई इंसान ऐसा करने की सोच भी कैसे सकता है?’ कई साल बाद उस आदमी को गिरफ्तार कर लिया गया और उम्रकैद की सज़ा सुनायी गयी। जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने उस आदमी को माफ कर दिया है, तो उन्होंने कहा, “यहोवा चाहता है कि हम गुस्सा थूक दें और नाराज़गी ना पालें, क्योंकि इससे हमारा ही नुकसान होगा। हम परेशान रहने लगेंगे, हमारी खुशी छिन जाएगी और हमारी सेहत पर भी बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए इस हादसे के कुछ ही समय बाद, हमने यहोवा से बिनती की कि हम इसी बारे में ना सोचते रहें।”

16 क्या उनके लिए उस आदमी को माफ करना आसान था? नहीं। वे बताते हैं, “कभी-कभी जब सू को अपनी चोट की वजह से तकलीफ होती है, तो हमें वापस वे सब बातें याद आ जाती हैं और हमें गुस्सा आने लगता है। लेकिन हम उसी बारे में नहीं सोचते रहते। इसलिए हमारा मन शांत हो जाता है। सच कहें तो अगर कल को वह आदमी हमारा भाई बन जाए, तो हम खुशी से उसका स्वागत करेंगे। इस सब से हमने सीखा कि बाइबल के सिद्धांतों को मानने से हम अपनी कड़वी यादें भुला सकते हैं और अपनी ज़िंदगी खुशी-खुशी जी सकते हैं। हमें यह सोचकर भी बहुत हिम्मत मिलती है कि हमने जो भी नुकसान झेले हैं, यहोवा बहुत जल्द उनकी भरपाई कर देगा।”

17. माफ करण जे बारे में तव्हां मायरा खां छा सिखयो?

17 मायरा के अनुभव पर भी ध्यान दीजिए। जब उसे सच्चाई के बारे में पता चला, तब तक उसकी शादी हो चुकी थी और उसके दो छोटे बच्चे थे। लेकिन उसके पति ने सच्चाई कबूल नहीं की। कुछ समय बाद उसने उसे धोखा दिया और उन्हें छोड़कर चला गया। मायरा कहती है, ‘जब मेरे पति हमें छोड़कर चले गए, तो मुझे बहुत बड़ा धक्का लगा। मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि मेरे साथ ऐसा हुआ है। कभी-कभी मुझे बहुत गुस्सा आ जाता और मैं खुद को ही दोष देने लगती। मैं बता नहीं सकती कि मैं कितनी दुखी थी।’ हालाँकि उनकी शादी टूट गयी, मगर वह दर्द अभी-भी उसके दिल में था। मायरा यह भी कहती है, “कई महीनों तक मुझे ये बातें सताती रहीं। पर फिर मुझे एहसास हुआ कि इसका यहोवा के साथ और दूसरों के साथ मेरे रिश्‍ते पर बुरा असर पड़ रहा है।” अब मायरा के दिल में अपने पति के लिए कोई कड़वाहट नहीं है, बल्कि वह उम्मीद रखती है कि शायद वह भी एक दिन यहोवा के बारे में सीखे। उसे यकीन है कि एक दिन यहोवा सबकुछ ठीक कर देगा। मायरा ने अकेले अपने दोनों बच्चों की परवरिश की और उन्हें यहोवा के बारे में सिखाया। आज वह बहुत खुश है। वह अपने दोनों बच्चों और उनके परिवार के साथ मिलकर यहोवा की सेवा कर रही है।

यहोवा बेहतरीन न्यायी आहे

18. असां कहिड़ी ॻाल्हि जो यकीन रखे सघूं था?

18 यह जानकर हमें कितनी राहत मिलती है कि इंसानों का न्याय करना हमारा काम नहीं है। यहोवा सबसे बड़ा न्यायी है और वही हम सबका न्याय करेगा। (रोमि. 14:10-12) यहोवा के स्तर कभी नहीं बदलते। इसलिए हम यकीन रख सकते हैं कि वह सही-सही न्याय करेगा। (उत्प. 18:25; 1 राजा 8:32) वह कभी-भी किसी के साथ नाइंसाफी नहीं करेगा।

19. भविष्य में यहोवा छा कंदो?

19 आज सभी इंसान अपरिपूर्ण हैं और कई बार ऐसे काम करते हैं जिससे दूसरों को चोट पहुँचती है या उनका नुकसान होता है। लेकिन हम उस वक्‍त का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं जब यहोवा सबकुछ ठीक कर देगा। तब हमारे शरीर पर और दिल पर लगा हर ज़ख्म भर जाएगा और हमें कोई बुरी याद नहीं सताएगी। (भज. 72:12-14; प्रका. 21:3, 4) पर जब तक वह वक्‍त नहीं आता, आइए हम सब यहोवा की तरह एक-दूसरे को माफ करते रहें।

गीत 18 फिरौती के लिए एहसानमंद

^ यहोवा उन लोगों को माफ करने को तैयार रहता है जो दिल से पश्‍चाताप करते हैं। यहोवा की तरह हमें भी उन्हें माफ करना चाहिए जो हमारा दिल दुखाते हैं। कुछ पाप ऐसे होते हैं जिन्हें हम खुद माफ कर सकते हैं। लेकिन कुछ पाप ऐसे होते हैं जिनके बारे में हमें प्राचीनों को बताना चाहिए। इस लेख में हम इस बारे में और जानेंगे। हम यह भी जानेंगे कि यहोवा क्यों चाहता है कि हम एक-दूसरे को माफ करें और ऐसा करने से हमें कौन-सी आशीषें मिलेंगी।

^ 15 अप्रैल, 1996 की प्रहरीदुर्ग  में दिया लेख “पाठकों के प्रश्‍न” पढ़ें।

^ इस लेख में कुछ लोगों के नाम उनके असली नाम नहीं हैं।

^ 8 जनवरी, 1992 की अँग्रेज़ी सजग होइए!  के पेज 9-13 पर दिया लेख पढ़ें। JW ब्रॉडकास्टिंग पर शुल्स: सदमे से उबरा जा सकता है  नाम का वीडियो भी देखें।