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अध्ययन लेख 37

आप अपने भाई-बहनों पर भरोसा कर सकते हैं!

आप अपने भाई-बहनों पर भरोसा कर सकते हैं!

“प्यार . . . सब बातों पर यकीन करता है, सब बातों की आशा रखता है।”​—1 कुरिं. 13:4, 7.

गीत 124 हमेशा वफादार

एक झलक a

1. हमें यह देखकर हैरानी क्यों नहीं होती कि आज लोगों का एक-दूसरे पर से भरोसा उठता जा रहा है?

 आज लोगों का एक-दूसरे पर से भरोसा उठता जा रहा है। व्यापारी, धर्म गुरु और नेता ऐसे-ऐसे काम करते हैं कि लोगों को उन पर भरोसा करना बहुत मुश्‍किल लगता है। यहाँ तक कि लोग अपने दोस्तों, आस-पड़ोस में रहनेवालों और अपने घरवालों पर भी भरोसा नहीं कर पाते। लेकिन हमें यह देखकर हैरानी नहीं होती, क्योंकि बाइबल में पहले से ही बताया गया था कि ‘आखिरी दिनों में लोग विश्‍वासघाती, बदनाम करनेवाले और धोखेबाज़ होंगे।’ देखा जाए तो लोग आज ऐसे इसी वजह से हैं क्योंकि इस दुनिया का ईश्‍वर शैतान भी भरोसे के लायक नहीं है।​—2 तीमु. 3:1-4; 2 कुरिं. 4:4.

2. (क) हम किन पर पूरा भरोसा करते हैं? (ख) कुछ लोगों को शायद क्या करना मुश्‍किल लगे?

2 दुनिया के लोग नहीं जानते कि वे किस पर भरोसा कर सकते हैं, लेकिन हम जानते हैं। हम यहोवा पर पूरा भरोसा कर सकते हैं, क्योंकि हमें पता है कि वह हमसे बहुत प्यार करता है और उसने वादा किया है कि वह अपने दोस्तों को “कभी नहीं छोड़ेगा।” (भज. 9:10; यिर्म. 17:7, 8) हम यीशु पर भी भरोसा कर सकते हैं, क्योंकि वह हमसे इतना प्यार करता है कि उसने हमारे लिए अपनी जान दे दी। (1 पत. 3:18) और हम बाइबल में लिखी बातों पर भी पूरा भरोसा कर सकते हैं, क्योंकि हमने खुद देखा है कि इसमें दी सलाह कितने काम की है। (2 तीमु. 3:16, 17) लेकिन जब भाई-बहनों की बात आती है, तो शायद कुछ लोगों को उन पर भरोसा करना मुश्‍किल लगे। आइए जानें कि हम उन पर भी क्यों भरोसा कर सकते हैं।

हमें भाई-बहनों की ज़रूरत है

पूरी दुनिया में हमारे भाई-बहन हमारी तरह यहोवा से प्यार करते हैं और हम उन पर भरोसा कर सकते हैं (पैराग्राफ 3)

3. हम सबको क्या खास मौका मिला है? (मरकुस 10:29, 30)

3 यह कितनी बड़ी बात है कि यहोवा ने हमें अपने परिवार का हिस्सा बनने का मौका दिया है। हम अकेले नहीं हैं, दुनिया-भर में हमारे भाई-बहन हमारे साथ हैं। यह किसी आशीष से कम नहीं! (मरकुस 10:29, 30 पढ़िए।) हम सब अलग-अलग भाषा बोलते हैं, हमारा रहन-सहन अलग है, हम अलग-अलग तरह के कपड़े पहनते हैं, फिर भी जब हम एक-दूसरे से पहली बार मिलते हैं तो ऐसा लगता है कि कोई अपना मिल गया। हम सब यहोवा से प्यार करते हैं और उसके स्तरों को मानने की पूरी कोशिश करते हैं। और जब हम साथ मिलकर यहोवा की उपासना करते हैं, तो हमें बहुत अच्छा लगता है।​—भज. 133:1.

4. हमें अपने भाई-बहनों की ज़रूरत क्यों है?

4 आज हमें पहले से कहीं ज़्यादा अपने भाई-बहनों के करीब रहने की ज़रूरत है। कई बार हम चिंताओं के बोझ से दब जाते हैं और तब वे हमारी हिम्मत बँधाते हैं। (रोमि. 15:1; गला. 6:2) वे हमारा हौसला भी बढ़ाते हैं ताकि हम जोश से यहोवा की सेवा करते रहें और उसके साथ एक अच्छा रिश्‍ता बनाए रखें। (1 थिस्स. 5:11; इब्रा. 10:23-25) सोचिए, अगर भाई-बहनों का साथ ना होता, तो हम शैतान के हमलों का सामना कैसे कर पाते! इस बुरी दुनिया में जीना हमारे लिए कितना मुश्‍किल हो जाता! बहुत जल्द शैतान और उसका साथ देनेवाले मिलकर यहोवा के सेवकों पर हमला करेंगे। उस वक्‍त हम कितने खुश होंगे कि हम अकेले नहीं हैं, हमारे भाई-बहन हमारे साथ हैं!

5. कुछ भाई-बहन दूसरों पर क्यों भरोसा नहीं कर पाते?

5 लेकिन कुछ भाई-बहनों को दूसरे भाई-बहनों पर भरोसा करना मुश्‍किल लगता है। हो सकता है, उन्होंने किसी को अपनी कोई बात बतायी हो, लेकिन फिर उसने जाकर दूसरों को वह बात बता दी। या शायद किसी भाई या बहन ने उनसे कहा हो कि मैं ऐसा करूँगा, पर फिर वैसा किया नहीं। यह भी हो सकता है कि किसी ने कुछ ऐसा कर दिया हो या कुछ कह दिया हो जिसका उन्हें बहुत बुरा लगा। जब ऐसा कुछ होता है, तो किसी पर भी भरोसा करना सच में बहुत मुश्‍किल हो जाता है। तो आइए देखें कि हम अपने भाई-बहनों पर कैसे भरोसा कर सकते हैं।

प्यार होगा तो भरोसा कर पाएँगे

6. भाई-बहनों पर भरोसा करने के लिए उनसे प्यार करना क्यों ज़रूरी है? (1 कुरिंथियों 13:4-8)

6 हम भाई-बहनों पर तभी भरोसा कर पाएँगे जब हमें उनसे प्यार होगा। पहला कुरिंथियों अध्याय 13 में प्यार के बारे में बहुत-सी बातें बतायी गयी हैं। इन्हें ध्यान में रखने से भाई-बहनों पर भरोसा करना हमारे लिए आसान हो जाएगा और अगर किसी ने हमारा भरोसा तोड़ दिया हो, तो हम उस पर दोबारा भरोसा कर पाएँगे। (1 कुरिंथियों 13:4-8 पढ़िए।) जैसे आयत 4 में लिखा है, “प्यार सब्र रखता है और कृपा करता है।” सोचिए हम कितनी गलतियाँ करते हैं, फिर भी यहोवा सब्र रखता है। इसलिए अगर हमारे भाई-बहन कुछ ऐसा करें जिससे हमें बुरा लगे या गुस्सा आए, तो हमें भी सब्र रखना चाहिए। और आयत 5 में लिखा है, ‘प्यार भड़क नहीं उठता। यह चोट का हिसाब नहीं रखता।’ इसलिए अगर हमारे भाई-बहन कोई गलती कर दें या कुछ ऐसा कह दें जिससे हमें बुरा लगे, तो हमें उनकी गलतियों का ‘हिसाब नहीं रखना’ चाहिए। सभोपदेशक 7:9 में भी लिखा है कि हमें ‘किसी बात का जल्दी बुरा नहीं मानना चाहिए।’ इसके बजाय हमें इफिसियों 4:26 में लिखी बात याद रखनी चाहिए जहाँ लिखा है, “सूरज ढलने तक तुम्हारा गुस्सा न रहे।”

7. मत्ती 7:1-5 में दिए सिद्धांतों को ध्यान में रखने से हम भाई-बहनों पर कैसे भरोसा कर पाएँगे?

7 भाई-बहनों पर भरोसा करने के लिए यह भी ज़रूरी है कि हम उनकी उन बातों पर ध्यान दें जिन पर यहोवा ध्यान देता है। यहोवा उनसे बहुत प्यार करता है और उनकी गलतियों का हिसाब नहीं रखता। हमें भी ऐसा ही करना चाहिए। (भज. 130:3) उनकी गलतियों पर ध्यान देने के बजाय हमें उनकी अच्छाइयों पर ध्यान देना चाहिए और सोचना चाहिए कि वे क्या-क्या अच्छे काम कर सकते हैं। (मत्ती 7:1-5 पढ़िए।) प्यार “सब बातों पर यकीन करता है,” इसलिए हमें ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि उन्होंने जानबूझकर हमारा बुरा किया होगा। (1 कुरिं. 13:7) पर ‘सब बातों पर यकीन करने’ का यह मतलब भी नहीं है कि हम आँख-मूँदकर भाई-बहनों पर भरोसा कर लें। यहोवा चाहता है कि हम उनके दूसरे कामों पर भी ध्यान दें और फिर उन पर भरोसा करें। b

8. भाई-बहनों पर भरोसा करने के लिए आप क्या कर सकते हैं?

8 जब हम किसी के साथ वक्‍त बिताते हैं, उसे जानने लगते हैं तो हम उसका और भी आदर करने लगते हैं। भाई-बहनों पर भरोसा करने के लिए भी हमें कुछ ऐसा ही करना होगा। हमें उन्हें अच्छी तरह जानना होगा। तो क्यों ना जब आप सभाओं में जाएँ, तो भाई-बहनों से बात करें और उनके साथ प्रचार करें। याद रखिए कि आपको उन पर भरोसा करने में वक्‍त लगेगा, इसलिए सब्र रखिए। हो सकता है, शुरू-शुरू में आप उन्हें अपनी हर बात ना बताएँ, लेकिन जैसे-जैसे आप उन्हें जानने लगेंगे, आप उन पर और भरोसा करने लगेंगे और तब शायद आप उन्हें और भी बातें बता पाएँ। (लूका 16:10) लेकिन अगर कोई भाई या बहन आपका भरोसा तोड़ दे, तब आप क्या करेंगे? ऐसा मत सोचिए कि अब आप उस पर कभी भरोसा नहीं कर सकते। शायद कुछ वक्‍त बाद आप उस पर दोबारा भरोसा कर पाएँ। और अगर किसी एक भाई या बहन ने आपका भरोसा तोड़ दिया है, तो इसका यह मतलब नहीं कि आप किसी पर भी भरोसा ना करें। बीते ज़माने में भी कुछ लोगों ने परमेश्‍वर के कुछ सेवकों का भरोसा तोड़ दिया था। पर इस वजह से उन्होंने दूसरों पर भरोसा करना नहीं छोड़ा। आइए उनमें से कुछ के बारे में चर्चा करें।

जिन्होंने दूसरों पर भरोसा किया उनसे सीखें

एली ने बिना सोचे-समझे हन्‍ना को डाँट दिया, फिर भी हन्‍ना ने यहोवा और यहोवा के ठहराए लोगों पर भरोसा रखा (पैराग्राफ 9)

9. (क) एली और उसके बेटों की गलतियों के बावजूद हन्‍ना ने क्या किया? (ख) आप हन्‍ना से क्या सीख सकते हैं? (तसवीर देखें।)

9 क्या ज़िम्मेदारी सँभालनेवाले किसी भाई ने कभी कुछ ऐसा किया है, जिसकी आपने बिलकुल उम्मीद नहीं की थी? हन्‍ना  के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था। उस वक्‍त एली इसराएल का महायाजक था और उसके बेटे भी पवित्र डेरे में सेवा करते थे। एली के बेटे बहुत गंदे काम करते थे, पर एली ने उन्हें नहीं सुधारा। यहोवा यह सब देख रहा था, फिर भी उसने कुछ वक्‍त के लिए एली को महायाजक के तौर पर सेवा करने दी। हन्‍ना सोच सकती थी कि जब तक एली महायाजक है, वह यहोवा की उपासना करने के लिए पवित्र डेरे में नहीं जाएगी। लेकिन हन्‍ना ने ऐसा नहीं किया। एक बार वह बहुत परेशान थी और पवित्र डेरे में प्रार्थना कर रही थी। जब एली ने उसे देखा, तो उसे लगा कि वह नशे में है और उसने बिना सोचे-समझे उसे डाँट दिया। (1 शमू. 1:12-16) हन्‍ना ने मन्‍नत मानी थी कि अगर उसके एक बेटा होगा, तो वह उसे पवित्र डेरे में सेवा करने के लिए भेज देगी। वह जानती थी कि वहाँ एली ही उसके बच्चे की देखभाल करेगा, फिर भी वह ऐसा करने को तैयार थी। (1 शमू. 1:11) और ऐसा नहीं था कि पवित्र डेरे में जो कुछ हो रहा था, उसे यहोवा नज़रअंदाज़ कर रहा था। वक्‍त आने पर उसने एली के बेटों को सज़ा दी। (1 शमू. 4:17) लेकिन तब तक हन्‍ना ने यहोवा पर और यहोवा के ठहराए लोगों पर भरोसा रखा। और यहोवा ने उसे इनाम दिया। आगे चलकर उसके एक बेटा हुआ, जिसका नाम उसने शमूएल रखा।​—1 शमू. 1:17-20.

10. कुछ लोगों ने दाविद का भरोसा तोड़ दिया, फिर भी उसने क्या करना नहीं छोड़ा?

10 क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आपके एक बहुत अच्छे दोस्त ने आपको धोखा दिया? ध्यान दीजिए कि राजा दाविद  के साथ क्या हुआ। दाविद का एक बहुत अच्छा दोस्त था, जिसका नाम था अहीतोपेल। जब दाविद के बेटे अबशालोम ने दाविद की राजगद्दी हथियाने की कोशिश की, तो अहीतोपेल ने भी उसका साथ दिया। ज़रा सोचिए, उस वक्‍त दाविद पर क्या बीती होगी। उसके बेटे और उसके दोस्त, दोनों ने उसे धोखा दिया। लेकिन इस वजह से दाविद ने दूसरों पर भरोसा करना नहीं छोड़ा। उसने अपने दोस्त हूशै पर भरोसा रखा। और हूशै सच में एक अच्छा दोस्त निकला। उसने अबशालोम का साथ नहीं दिया, बल्कि दाविद का वफादार रहा। उसने दाविद के लिए अपनी जान की बाज़ी तक लगा दी।​—2 शमू. 17:1-16.

11. नाबाल के एक सेवक ने किस तरह अबीगैल पर भरोसा किया?

11 हम नाबाल के एक सेवक  से भी सीख सकते हैं। नाबाल एक इसराएली था और बहुत अमीर था। दाविद और उसके आदमियों ने नाबाल के सेवकों की हिफाज़त की थी। लेकिन कुछ समय बाद जब दाविद ने उससे पूछा कि क्या वह उसके आदमियों के लिए थोड़ा खाना दे सकता है, तो उसने साफ इनकार कर दिया। यह सुनकर दाविद को बहुत गुस्सा आया। उसने सोच लिया कि वह नाबाल के घराने के एक भी आदमी को ज़िंदा नहीं छोड़ेगा। इस बीच नाबाल के एक सेवक ने उसकी पत्नी अबीगैल को जाकर सबकुछ बता दिया। उसकी जान को खतरा था, इसलिए वह चाहता तो अपनी जान बचाकर वहाँ से भाग सकता था। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। वह जानता था कि अबीगैल एक समझदार औरत है और वह सब सँभाल लेगी। उसे भरोसा था कि वह उसकी जान बचा सकती है और ऐसा ही हुआ। अबीगैल हिम्मत करके दाविद के पास गयी और उसे एक बहुत बड़ी गलती करने से रोक लिया। (1 शमू. 25:2-35) उसे भी दाविद पर भरोसा था कि वह उसकी बात सुनेगा और कुछ गलत नहीं करेगा।

12. यीशु के चेलों से कई गलतियाँ हुईं, फिर भी उसने क्या किया? समझाइए।

12 यीशु  के चेलों ने कई गलतियाँ कीं, पर उसने उन पर भरोसा करना नहीं छोड़ा। (यूह. 15:15, 16) एक बार याकूब और यूहन्‍ना ने यीशु से कहा कि वे उसके राज में उसकी दायीं और बायीं तरफ बैठना चाहते हैं। वे जो माँग रहे थे वह सही नहीं था, लेकिन यीशु ने उनके इरादों पर शक नहीं किया और उन्हें प्रेषित रहने दिया। (मर. 10:35-40) बाद में जिस रात यीशु को गिरफ्तार किया गया, उसके सारे चेले उसे छोड़कर भाग गए। (मत्ती 26:56) लेकिन यीशु ने उन पर भरोसा करना नहीं छोड़ा। वह अच्छी तरह जानता था कि उनमें कमज़ोरियाँ हैं, फिर भी वह “उनसे आखिर तक प्यार करता रहा।” (यूह. 13:1) ज़िंदा किए जाने के बाद यीशु ने अपने 11 वफादार प्रेषितों को एक बड़ी ज़िम्मेदारी दी। उसने उनसे कहा कि वे चेला बनाने के काम में अगुवाई करें और उसकी भेड़ों की देखभाल करें। (मत्ती 28:19, 20; यूह. 21:15-17) और वे भरोसे के लायक निकले। मरते दम तक वे यहोवा और यीशु के वफादार रहे। तो जैसा हमने देखा, हन्‍ना, दाविद, नाबाल के सेवक, अबीगैल और यीशु ने अपरिपूर्ण लोगों पर भरोसा किया। हम भी ऐसा कर सकते हैं।

जब कोई आपका भरोसा तोड़ दे

13. कुछ लोग क्यों दूसरों पर भरोसा नहीं कर पाते?

13 क्या आपने कभी किसी को कुछ ऐसा बताया है जो आप चाहते थे कि वह अपने तक ही रखे, लेकिन बाद में आपको पता चला कि उसने वह बात दूसरों को भी बता दी? जब इस तरह कोई हमारा भरोसा तोड़ देता है, तो बहुत बुरा लगता है। एक बार एक बहन ने भरोसा करके एक प्राचीन को अपनी कोई बात बतायी। लेकिन उस प्राचीन ने वह बात अपनी पत्नी को बता दी। अगले दिन जब उस प्राचीन की पत्नी ने बहन का हौसला बढ़ाने के लिए उसे फोन किया, तो बहन को बड़ा धक्का लगा। वह सोचने लगी, ‘इसे मेरी बात कैसे पता चली?’ बहन का उस प्राचीन पर से भरोसा उठ गया, लेकिन उसने यह नहीं सोचा कि अब वह किसी पर भरोसा नहीं कर सकती। उसने दूसरे प्राचीन से इस बारे में बात की और उसकी मदद से वह फिर से प्राचीनों पर भरोसा करने लगी।

14. एक भाई कैसे प्राचीनों पर दोबारा भरोसा कर पाया?

14 एक भाई किसी बात को लेकर दो प्राचीनों से लंबे समय से नाराज़ था। उसे लगता था कि वे भरोसे के लायक नहीं हैं। लेकिन फिर उसे एक बात याद आयी। यह बात एक भाई ने कही थी जिनकी वह बहुत इज़्ज़त करता था। उन्होंने कहा था, “शैतान हमारा दुश्‍मन है, हमारे भाई नहीं।” भाई ने इस बारे में काफी सोचा और प्रार्थना भी की। आखिरकार उसने दोनों प्राचीनों से सुलह कर ली।

15. किसी पर दोबारा भरोसा करने में क्यों वक्‍त लग सकता है? एक उदाहरण देकर समझाइए।

15 क्या कभी ऐसा हुआ है कि आपको कोई ज़िम्मेदारी दी गयी, मगर फिर वह आपसे ले ली गयी? जब ऐसा होता है, तो बहुत दुख होता है। ग्रेटा के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था। यह दूसरे विश्‍व युद्ध से पहले की बात है जब जर्मनी में नाज़ी सरकार हुकूमत कर रही थी और हमारे काम पर पाबंदी लगी थी। भाइयों ने ग्रेटा से कहा था कि वह दूसरे भाई-बहनों के लिए प्रहरीदुर्ग  पत्रिका के लेख टाइप करे। लेकिन जब भाइयों को पता चला कि उसके पिता यहोवा के साक्षियों का विरोध करते हैं, तो उन्होंने ग्रेटा को प्रहरीदुर्ग  के लेख टाइप करने से मना कर दिया। उन्हें डर था कि कहीं ग्रेटा के पिता नाज़ी सरकार को हमारे काम के बारे में ना बता दें। सोचिए, जब ग्रेटा से वह ज़िम्मेदारी ले ली गयी, तो उसे कितना दुख हुआ होगा! यही नहीं, जब तक दूसरा विश्‍व युद्ध चला, भाइयों ने ग्रेटा और उसकी माँ को उनके अपने पढ़ने के लिए भी पत्रिकाएँ नहीं दीं। और अगर वे कभी सड़क पर उन्हें दिख जाते, तो वे भाई उनसे बात तक नहीं करते थे। भाइयों का यह व्यवहार देखकर ग्रेटा को बहुत चोट पहुँची। इसलिए भाइयों को माफ करने और उन पर दोबारा भरोसा करने में ग्रेटा को बहुत वक्‍त लगा। लेकिन आखिरकार ग्रेटा ने उन्हें माफ कर दिया। उसने सोचा, यहोवा ने तो उन्हें ज़रूर माफ कर दिया होगा, इसलिए उसे भी उन्हें माफ कर देना चाहिए। c

“शैतान हमारा दुश्‍मन है, हमारे भाई नहीं”

16. अगर हमारा भरोसा टूट जाए, तब भी हमें भाई-बहनों पर भरोसा करने की कोशिश क्यों करनी चाहिए?

16 अगर किसी भाई या बहन ने आपका भी भरोसा तोड़ा है, तो हो सकता है कि दूसरे भाई-बहनों पर से भी आपका भरोसा उठ जाए। लेकिन ऐसा मत होने दीजिए। भाई-बहनों पर दोबारा भरोसा करने की कोशिश कीजिए। इसमें वक्‍त ज़रूर लगेगा, पर यकीन मानिए ऐसा करने में ही भलाई है। इसे समझने के लिए एक उदाहरण पर ध्यान दीजिए। मान लीजिए आप कुछ ऐसा खा लेते हैं जिससे आपका पेट खराब हो जाता है। तो क्या आप यह सोचेंगे कि अब मैं कभी कुछ नहीं खाऊँगा? उसी तरह अगर किसी भाई या बहन ने एक बार हमारा भरोसा तोड़ा हो, तो इसका यह मतलब नहीं कि हम कभी किसी भाई या बहन पर भरोसा नहीं कर सकते। हम सब अपरिपूर्ण हैं और जाने-अनजाने में कई बार गलतियाँ कर देते हैं। इसलिए हमें एक-दूसरे को माफ कर देना चाहिए और एक-दूसरे पर दोबारा भरोसा करने की कोशिश करनी चाहिए। अगर हम ऐसा करें, तो हम ज़्यादा खुश रहेंगे। इतना ही नहीं, हम इस बात पर भी ध्यान दे पाएँगे कि हमारी बातों और कामों से मंडली का माहौल ऐसा रहे कि सब एक-दूसरे पर भरोसा करें।

17. (क) भाई-बहनों पर भरोसा करना क्यों ज़रूरी है? (ख) अगले लेख में हम क्या जानेंगे?

17 शैतान की इस दुनिया में लोगों को दूसरों पर भरोसा करना मुश्‍किल लगता है। लेकिन हम अपने भाई-बहनों पर भरोसा कर सकते हैं, क्योंकि हम उनसे प्यार करते हैं और वे भी हमसे प्यार करते हैं। एक-दूसरे पर भरोसा करने से हमारे बीच एकता होगी और हम खुश रहेंगे। और आनेवाले समय में जब मुश्‍किलें आएँगी, तब हमारी हिफाज़त होगी। पर अगर किसी ने आपका भरोसा तोड़ा है, तो आप क्या कर सकते हैं? यहोवा की तरह उस भाई या बहन की अच्छाइयों पर ध्यान दीजिए। बाइबल के सिद्धांतों को मानिए। भाई-बहनों से और भी प्यार कीजिए। और बाइबल में दी वफादार लोगों की मिसालों से सीखिए। जब कोई हमारा भरोसा तोड़ देता है, तो हमें बहुत दुख होता है। पर हम उस बात को भुला सकते हैं और दूसरों पर दोबारा भरोसा करना सीख सकते हैं। तब हमारे बहुत सारे दोस्त होंगे, ऐसे दोस्त ‘जो भाई से बढ़कर वफा निभाते हैं।’ (नीति. 18:24) इस लेख में हमने सीखा कि हम दूसरों पर भरोसा कैसे कर सकते हैं। लेकिन हमें भी एक ऐसा इंसान बनना होगा जिस पर दूसरे भरोसा कर पाएँ। अगले लेख में हम चर्चा करेंगे कि हम ऐसे इंसान कैसे बन सकते हैं।

गीत 99 लाखों हज़ारों भाई

a यह बहुत ज़रूरी है कि हम अपने भाई-बहनों पर भरोसा करें। लेकिन कई बार वे कुछ ऐसा कर देते हैं जिस वजह से हम उन पर भरोसा नहीं कर पाते। इस लेख में हम बाइबल के कुछ सिद्धांतों पर ध्यान देंगे और पुराने ज़माने के कुछ लोगों की मिसालों पर चर्चा करेंगे जिन्होंने दूसरों पर भरोसा किया था। इससे हम सीखेंगे कि हमें क्यों अपने भाई-बहनों पर भरोसा करना चाहिए और अगर कोई हमारा भरोसा तोड़ दे, तो हम फिर से उस पर भरोसा कैसे कर सकते हैं।

b बाइबल में बताया गया है कि मंडली में कुछ ऐसे लोग भी हो सकते हैं, जिन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। (यहू. 4) हो सकता है, वे “टेढ़ी-मेढ़ी बातें” कहकर भाई-बहनों को गुमराह करने की कोशिश करें। (प्रेषि. 20:30) हमें ऐसे लोगों की बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए, ना ही उन पर भरोसा करना चाहिए।

c ग्रेटा के अनुभव के बारे में और ज़्यादा जानने के लिए 1974 यहोवा के साक्षियों की सालाना किताब (अँग्रेज़ी) के पेज 129-131 पढ़ें।