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अध्ययन लेख 35

हमेशा सब्र से काम लें!

हमेशा सब्र से काम लें!

“सब्र का पहनावा पहन लो।”​—कुलु. 3:12.

गीत 114 “सब्र रखो”

एक झलक a

1. हमें ऐसे लोग क्यों अच्छे लगते हैं जो सब्र रखते हैं?

 हम सबको ऐसे लोग अच्छे लगते हैं जो सब्र रखते हैं। वह क्यों? क्योंकि अगर उन्हें किसी बात का इंतज़ार करना पड़े, तो वे परेशान नहीं हो जाते। या अगर हमसे कोई गलती हो जाए, तो वे भड़क नहीं उठते। अगर हमें कोई बात समझने में वक्‍त लगे, तो भी वे सब्र रखते हैं। जैसे हममें से कुछ को बाइबल की कोई सच्चाई समझने में, उसे मानने या उसके हिसाब से चलने में वक्‍त लगा था, पर जो भाई या बहन हमें सिखा रहे थे, उन्होंने हार नहीं मानी। और सबसे बढ़कर, हम यहोवा के शुक्रगुज़ार हैं कि वह हमारे साथ सब्र रखता है।​—रोमि. 2:4.

2. हमें सब्र रखना शायद कब मुश्‍किल लगे?

2 जब दूसरे लोग सब्र रखते हैं तो हमें बहुत अच्छा लगता है, लेकिन जब खुद की बात आती है, तो शायद कभी-कभी हमें सब्र रखना मुश्‍किल लगे। जैसे अगर हम ट्रैफिक जाम में फँसे हों, ऊपर से हमें देर भी हो रही हो, तो शायद हम शांत ना रह पाएँ। या जब कोई हमें परेशान कर रहा हो, तो शायद हम अपना आपा खो बैठें। और कई बार शायद हमें नयी दुनिया का इंतज़ार करते रहना भी मुश्‍किल लगे। तो क्या आप और भी सब्र से काम लेना चाहते हैं? इस लेख में हम जानेंगे कि सब्र रखने का मतलब क्या है और सब्र रखना क्यों इतना ज़रूरी है। फिर हम कुछ तरीकों पर चर्चा करेंगे, जिन्हें ध्यान में रखने से हम और भी सब्र रख पाएँगे।

सब्र रखने का क्या मतलब है?

3. जो व्यक्‍ति सब्र रखता है, उसे अगर कोई गुस्सा दिलाए, तो वह क्या करता है?

3 आइए ध्यान दें कि जो व्यक्‍ति सब्र से काम लेता है, उसमें कौन-सी चार खास बातें होती हैं। पहली बात, जो व्यक्‍ति सब्र रखता है, वह “क्रोध करने में धीमा” होता है, वह जल्दी गुस्सा नहीं करता। जब कोई उसे गुस्सा दिलाता है या वह तनाव में होता है, तो वह शांत रहता है और बदला लेने की कोशिश नहीं करता। जानते हैं, “क्रोध करने में धीमा” होने की बात बाइबल में पहली बार तब लिखी गयी, जब यहोवा के बारे में कहा गया कि वह “दयालु और करुणा से भरा है, क्रोध करने में धीमा और अटल प्यार और सच्चाई से भरपूर है।”​—निर्ग. 34:6.

4. जो व्यक्‍ति सब्र रखता है, उसे अगर इंतज़ार करना पड़े, तो वह क्या करता है?

4 दूसरी बात, जो व्यक्‍ति सब्र रखता है, अगर कभी उसे इंतज़ार करना पड़े, तो भी वह शांत रहता है। अगर किसी चीज़ में उसने जितना सोचा था, उससे ज़्यादा समय लगता है, तो वह बेसब्र नहीं होने लगता या चिढ़ नहीं जाता। (मत्ती 18:26, 27) ऐसे कई हालात हो सकते हैं जब हमें शांत रहकर इंतज़ार करने की ज़रूरत होती है। जैसे अगर कोई हमसे बात कर रहा हो, तो हमें ध्यान से उसकी सुननी चाहिए और बीच में टोकना नहीं चाहिए। (अय्यू. 36:2) या अगर हम बाइबल की कोई शिक्षा समझने में या कोई बुरी आदत छोड़ने में अपने विद्यार्थी की मदद कर रहे हैं, तब भी शायद हमें सब्र रखना पड़े।

5. जो व्यक्‍ति सब्र रखता है, वह और क्या करता है?

5 तीसरी बात, जो व्यक्‍ति सब्र रखता है, वह हड़बड़ी में काम नहीं करता। यह तो है कि हमें कुछ काम जल्द-से-जल्द निपटाने होते हैं। लेकिन जो व्यक्‍ति सब्र रखता है, उसे अगर कोई ज़रूरी काम करना हो, तो वह उसे शुरू करने में जल्दबाज़ी नहीं करता और ना ही हड़बड़ी में उसे पूरा करता है। इसके बजाय वह थोड़ा वक्‍त लेकर पहले सोचता है कि उस काम को अच्छी तरह पूरा करने में कितना समय लगेगा और फिर उसे पूरा करने के लिए उतना वक्‍त देता है।

6. जो व्यक्‍ति सब्र रखता है, वह मुश्‍किलों के दौरान क्या करता है?

6 चौथी बात, जो व्यक्‍ति सब्र रखता है, वह मुश्‍किलों के दौरान शिकायत नहीं करता। चाहे हालात जैसे भी हों, वह धीरज रखता है और सबकुछ खुशी-खुशी सह लेता है। जब हम किसी मुश्‍किल से गुज़र रहे होते हैं, तो शायद हम अपने किसी दोस्त को बताना चाहें कि हम कैसा महसूस कर रहे हैं। और ऐसा करना गलत नहीं है। लेकिन अगर हममें सब्र हो, तो हम सिर्फ मुश्‍किल के बारे में नहीं सोचते रहेंगे, बल्कि अच्छी बातों पर ध्यान देंगे और खुशी से यहोवा की सेवा करने की पूरी कोशिश करेंगे। (कुलु. 1:11) तो अभी हमने जिन बातों पर चर्चा की उन सभी को ध्यान में रखते हुए हम मसीहियों को सब्र रखना चाहिए। पर सब्र रखना इतना ज़रूरी क्यों है? आइए कुछ कारणों पर ध्यान दें।

सब्र रखना इतना ज़रूरी क्यों है?

एक किसान सब्र रखता है और उसे भरोसा होता है कि वक्‍त आने पर वह ज़रूर फसल काटेगा। उसी तरह हम भी सब्र रखते हैं और हमें भरोसा है कि यहोवा सही समय पर अपने सारे वादे पूरे करेगा (पैराग्राफ 7)

7. याकूब 5:7, 8 के मुताबिक सब्र रखना क्यों इतना ज़रूरी है? (तसवीर भी देखें।)

7 सब्र रखने से ही हमें हमेशा की ज़िंदगी मिल पाएगी। बीते समय में परमेश्‍वर के सेवकों ने उसके वादे पूरे होने का इंतज़ार किया। उनकी तरह हमें भी सब्र रखना है। (इब्रा. 6:11, 12) बाइबल में बताया गया है कि हम एक किसान की तरह हैं। (याकूब 5:7, 8 पढ़िए।) एक किसान बीज बोने के लिए बहुत मेहनत करता है और उसे पानी भी देता है। लेकिन उसे यह नहीं पता होता कि वह बीज ठीक कब उगेगा। इसलिए वह सब्र रखता है। उसे यकीन होता है कि एक दिन उसकी मेहनत रंग लाएगी। उसी तरह आज हम भी परमेश्‍वर की सेवा में लगे रहते हैं, भले ही हम “नहीं जानते कि [हमारा] प्रभु किस दिन आ रहा है।” (मत्ती 24:42) हम सब्र रखते हैं और हमें यकीन है कि यहोवा बिलकुल ठीक समय पर अपने सभी वादे पूरे करेगा। अगर हम बेसब्र हो जाएँ, तो शायद हमें इंतज़ार करना मुश्‍किल लगने लगे और हम धीरे-धीरे यहोवा से दूर जाने लगें। हो सकता है, हम ऐसी चीज़ों के पीछे भागने लगें जिनसे हमें लगे कि हमें अभी-के-अभी सारी खुशियाँ मिल जाएँगी। लेकिन अगर हम सब्र रखें, तो हम अंत तक धीरज धर पाएँगे और हमारा उद्धार हो पाएगा।​—मीका 7:7; मत्ती 24:13.

8. सब्र रखने से हम दूसरों के साथ कैसा व्यवहार कर पाएँगे? (कुलुस्सियों 3:12, 13)

8 सब्र रखने से दूसरों के साथ हमारे रिश्‍ते अच्छे रहते हैं। सब्र होने से हम दूसरों की बात ध्यान से सुनेंगे। (याकू. 1:19) हमारे बीच शांति भी बनी रहेगी। जब हम तनाव में होंगे, तो हम बिना सोचे-समझे कुछ नहीं करेंगे, ना ही किसी को बुरा-भला कहेंगे। इसके अलावा अगर कोई हमें चोट पहुँचाए, तो हम जल्दी गुस्सा नहीं करेंगे या बदला लेने की कोशिश नहीं करेंगे। इसके बजाय हम ‘एक-दूसरे की सहते रहेंगे और एक-दूसरे को दिल खोलकर माफ करते रहेंगे।’​कुलुस्सियों 3:12, 13 पढ़िए।

9. सब्र रखने से हम किस तरह सही फैसले कर पाएँगे? (नीतिवचन 21:5)

9 सब्र रखने से हम अच्छे फैसले भी कर पाते हैं। हम बिना सोचे-समझे या जल्दबाज़ी में कुछ नहीं करते। इसके बजाय हम वक्‍त लेकर थोड़ी खोजबीन करते हैं और सोचते हैं कि क्या करना सबसे सही होगा। (नीतिवचन 21:5 पढ़िए।) उदाहरण के लिए, अगर हम किसी नौकरी की तलाश में हैं, तो शायद हमारा मन करे कि हमें जो भी नौकरी मिल रही है वह ले लें, फिर चाहे उसकी वजह से सभाओं और प्रचार के लिए हमारे पास समय ही ना बचे। लेकिन अगर हम सब्र रखें, तो हम वक्‍त निकालकर थोड़ा सोचेंगे कि उस नौकरी के लिए हमें कितनी दूर जाना पड़ेगा, उसमें कितना वक्‍त देना होगा और उस नौकरी का हमारे परिवार और यहोवा के साथ हमारे रिश्‍ते पर क्या असर पड़ेगा। सौ बात की एक बात, अगर हम सब्र रखें तो शायद हम ऐसा कोई फैसला नहीं लेंगे कि बाद में हमें पछताना पड़े।

हम कैसे और भी सब्र से काम ले सकते हैं?

10. एक मसीही क्या कर सकता है, ताकि वह सब्र रख पाए और ऐसा करना उसकी आदत बन जाए?

10 प्रार्थना कीजिए कि आप और भी सब्र से काम ले पाएँ। सब्र पवित्र शक्‍ति के फल का एक पहलू है। (गला. 5:22, 23) इसलिए यहोवा से पवित्र शक्‍ति माँगिए और उससे बिनती कीजिए कि आप सब्र रख पाएँ। अगर कभी आपके सामने ऐसे हालात आएँ, जब आपको सब्र रखना मुश्‍किल लगे, तो पवित्र शक्‍ति ‘माँगते रहिए।’ (लूका 11:9, 13) हम यह भी बिनती कर सकते हैं कि हम हालात को उसी नज़र से देख पाएँ जैसे यहोवा देखता है। फिर प्रार्थना करने के बाद हमें हर दिन सब्र रखने की पूरी कोशिश करनी चाहिए। हम सब्र रखने के लिए जितना ज़्यादा प्रार्थना करेंगे और ऐसा करने की जितनी कोशिश करेंगे, उतना ही ज़्यादा हम सब्र रख पाएँगे और फिर यह हमारी आदत बन जाएगी।

11-12. यहोवा ने किस तरह सब्र रखा है?

11 बाइबल में दिए उदाहरणों पर मनन कीजिए। बाइबल में ऐसे कई लोगों के बारे में बताया गया है जिन्होंने सब्र से काम लिया। उन लोगों के किस्से पढ़कर और उन पर मनन करके हम जान सकते हैं कि हम कैसे अलग-अलग हालात में सब्र से काम ले सकते हैं। आइए उनमें से कुछ लोगों के उदाहरणों पर ध्यान दें। लेकिन सबसे पहले, हम यहोवा के उदाहरण पर ध्यान देंगे, जो सब्र रखने के मामले में सबसे बढ़िया मिसाल है।

12 अदन के बाग में शैतान ने यहोवा को बदनाम किया और उस पर यह इलज़ाम लगाया कि वह अच्छा राजा नहीं है और इंसानों से प्यार नहीं करता। यहोवा चाहता तो उसी वक्‍त शैतान को मिटा सकता था। लेकिन यहोवा ने खुद पर संयम रखा और सब्र से काम लिया, क्योंकि वह जानता था कि यह साबित करने में वक्‍त लगेगा कि उसकी हुकूमत ही सबसे अच्छी है। और सोचिए यहोवा इतने सालों से धीरज धर रहा है और उसके नाम पर जो कलंक लगा है, उसे सह रहा है। यहोवा इसलिए भी सब्र रख रहा है, ताकि ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को हमेशा की ज़िंदगी जीने का मौका मिले। (2 पत. 3:9, 15) इसी वजह से लाखों लोग उसे जान पाए हैं। अगर हम यह ध्यान दें कि यहोवा के सब्र रखने के कितने फायदे हैं, तो हमारे लिए उस वक्‍त तक इंतज़ार करना और भी आसान हो जाएगा जब वह इस दुष्ट दुनिया का नाश करेगा।

अगर हममें सब्र हो, तो भड़काए जाने पर हम गुस्सा नहीं करेंगे (पैराग्राफ 13)

13. यीशु ने किस तरह बिलकुल अपने पिता की तरह सब्र रखा? (तसवीर भी देखें।)

13 यीशु बिलकुल अपने पिता की तरह सब्र रखता है और जब वह धरती पर था, तो उसने कई बार यह साबित किया। लेकिन उसके लिए सब्र से काम लेना हमेशा आसान नहीं रहा होगा, खासकर शास्त्रियों और फरीसियों के साथ पेश आते वक्‍त। (यूह. 8:25-27) फिर भी यीशु अपने पिता की तरह जल्दी गुस्सा नहीं होता था। जब उसके विरोधियों ने उसकी बेइज़्ज़ती की या उसे गुस्सा दिलाया, तो उसने बदला नहीं लिया। (1 पत. 2:23) और जब यीशु पर मुश्‍किलें आयीं, तो वह कुड़कुड़ाया नहीं। उसने धीरज से सबकुछ सह लिया। इसलिए बाइबल में हमसे कहा गया है, “उस पर अच्छी तरह ध्यान दो जिसने पापियों के मुँह से बुरी-बुरी बातें सहीं।” (इब्रा. 12:2, 3) यहोवा की मदद से हम भी सब्र रख पाएँगे और हम पर चाहे जो भी मुश्‍किल आए, उसे धीरज से सह लेंगे।

अगर अब्राहम की तरह हममें सब्र हो, तो हम यकीन रख सकते हैं कि यहोवा आज हमें इनाम देगा और नयी दुनिया में भी ढेरों आशीषें देगा (पैराग्राफ 14)

14. जिस तरह अब्राहम ने सब्र रखा उससे हम क्या सीख सकते हैं? (इब्रानियों 6:15) (तसवीर भी देखें।)

14 हो सकता है, हममें से कई लोग लंबे समय से अंत का इंतज़ार कर रहे हों और अब हमें लग रहा हो कि हमारे जीते-जी अंत नहीं आएगा। ऐसे में सब्र से काम लेने में क्या बात हमारी मदद कर सकती है? ज़रा अब्राहम के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। यह उस वक्‍त की बात है जब वह 75 साल का था। अब्राहम के कोई बच्चा नहीं था, पर यहोवा ने उससे वादा किया, “मैं तुझसे एक बड़ा राष्ट्र बनाऊँगा।” (उत्प. 12:1-4) क्या अब्राहम ने यह वादा पूरा होते हुए देखा? पूरी तरह से नहीं। फरात नदी पार करके उसने 25 साल इंतज़ार किया। फिर यहोवा ने चमत्कार किया और अब्राहम का बेटा इसहाक पैदा हुआ। फिर 60 साल बाद, उसके दो पोते एसाव और याकूब पैदा हुए। (इब्रानियों 6:15 पढ़िए।) अब्राहम ने अपने वंशजों को एक बड़ा राष्ट्र बनते हुए नहीं देखा और ना ही उसके जीते-जी वे वादा किए गए देश में बस पाए। लेकिन अब्राहम यहोवा का वफादार रहा और इस वजह से यहोवा के साथ उसकी अच्छी दोस्ती थी। (याकू. 2:23) सोचिए, जब अब्राहम ज़िंदा होगा, तो उसे यह जानकर कितनी खुशी होगी कि उसके विश्‍वास और सब्र रखने की वजह से सभी राष्ट्रों को आशीषें मिलीं। (उत्प. 22:18) इससे हम क्या सीखते हैं? हो सकता है, हम अभी-के-अभी यहोवा के सारे वादे पूरे होते हुए ना देख पाएँ। लेकिन अगर हम अब्राहम की तरह सब्र रखें, तो हम यकीन रख सकते हैं कि यहोवा ना सिर्फ आज हमें इसका इनाम देगा, बल्कि आनेवाली नयी दुनिया में भी हमें ढेरों आशीषें देगा।​—मर. 10:29, 30.

15. हम किस बारे में निजी अध्ययन कर सकते हैं?

15 बाइबल में ऐसे और भी कई लोगों के उदाहरण दिए गए हैं जिन्होंने सब्र से काम लिया। (याकू. 5:10) तो क्यों ना निजी अध्ययन के दौरान ऐसे लोगों के बारे में खोजबीन करें और उनसे सीखें? b जैसे आप दाविद के बारे में अध्ययन कर सकते हैं। जब वह छोटा था, तभी इसराएल का राजा बनने के लिए उसका अभिषेक किया गया था। लेकिन राजा बनने के लिए उसे कई साल इंतज़ार करना पड़ा। शिमोन और हन्‍ना ने सालों तक मसीहा को देखने के लिए इंतज़ार किया और इस दौरान वे वफादारी से यहोवा की सेवा करते रहे। (लूका 2:25, 36-38) जब आप इन किस्सों को पढ़ते हैं, तो इन सवालों के बारे में सोचिए: ‘यह व्यक्‍ति क्यों सब्र से काम ले पाया? सब्र रखने की वजह से इसे क्या फायदा हुआ? मैं इसकी तरह कैसे बन सकता हूँ?’ आप उन लोगों के बारे में भी पढ़ सकते हैं जिन्होंने सब्र से काम नहीं लिया। (1 शमू. 13:8-14) उनके बारे में अध्ययन करते वक्‍त सोचिए: ‘यह व्यक्‍ति क्यों सब्र नहीं रख पाया? इस वजह से उसे कौन-से अंजाम भुगतने पड़े?’

16. सब्र रखने के कुछ फायदे बताइए।

16 सोचिए कि सब्र रखने के कितने फायदे होते हैं। जब हम सब्र रखते हैं, तो हम ज़्यादा खुश रह पाते हैं और शांत रहते हैं। इससे काफी हद तक हमारी सेहत अच्छी रहती है और हमें बेवजह तनाव नहीं होता। सब्र रखने से दूसरों के साथ भी हमारे रिश्‍ते अच्छे हो जाते हैं। मंडली में एकता का बंधन और भी मज़बूत होता है। और अगर कोई हमें भड़काने की कोशिश करे, तो हम जल्दी गुस्सा नहीं होते और इससे बात और नहीं बिगड़ती। (भज. 37:8, फु.; नीति. 14:29) सबसे बढ़कर, सब्र रखने से हम अपने पिता यहोवा की तरह बन रहे होते हैं और उसके और भी करीब आ जाते हैं।

17. हमें क्या ठान लेना चाहिए?

17 सच में, सब्र कितना बढ़िया गुण है और इसके कितने फायदे होते हैं! सब्र रखना हमेशा आसान तो नहीं होता, लेकिन यहोवा की मदद से हम और भी सब्र से काम ले सकते हैं। और जब तक हम ‘सब्र रख रहे हैं’ और नयी दुनिया का “इंतज़ार”  कर रहे हैं, हम यकीन रख सकते हैं कि यहोवा हमारी मदद करेगा और हमारी हिफाज़त करेगा। (मीका 7:7, फु.) तो आइए ठान लें कि हम हमेशा “सब्र का पहनावा” पहने रहेंगे!

गीत 41 मेरी दुआ सुन!

a आज शैतान की इस दुनिया में ज़्यादातर लोग सब्र नहीं रखते। लेकिन बाइबल में लिखा है कि हमें “सब्र का पहनावा” पहनना है। इस लेख में हम जानेंगे कि सब्र रखना क्यों इतना ज़रूरी है और हम कैसे और भी सब्र से काम ले सकते हैं।

b सब्र रखने के बारे में बाइबल में दिए किस्से ढूँढ़ने के लिए यहोवा के साक्षियों के लिए खोजबीन गाइड  में “भावनाएँ, गुण और व्यवहार” विषय के नीचे दिया उपशीर्षक “सब्र” देखें।