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अध्ययन लेख 44

परमेश्‍वर के वचन की लंबाई, चौड़ाई, ऊँचाई और गहराई जानिए!

परमेश्‍वर के वचन की लंबाई, चौड़ाई, ऊँचाई और गहराई जानिए!

‘चौड़ाई, लंबाई, ऊँचाई और गहराई को अच्छी तरह समझो।’​—इफि. 3:18.

गीत 95 बढ़ती है रौशनी सच्चाई की

एक झलक a

1-2. बाइबल पढ़ने और इसका अध्ययन करने का सबसे अच्छा तरीका क्या है? एक उदाहरण दीजिए।

 सोचिए, आप एक घर खरीदना चाहते हैं। तो उसे खरीदने से पहले आप क्या करना चाहेंगे? क्या आप बस उसकी एक फोटो देखकर उसे खरीद लेंगे? बिलकुल नहीं। आप खुद जाकर उसे देखेंगे। उसके अंदर जाएँगे, सभी कमरे ध्यान से देखेंगे, उसकी लंबाई, चौड़ाई, ऊँचाई, हर चीज़ पर ध्यान देंगे। कुछ लोग तो शायद मकान मालिक से भी बात करना चाहें या उस घर का नक्शा देखना चाहें, ताकि उसके बारे में और अच्छे-से जान पाएँ। सबकुछ अच्छी तरह देखने के बाद ही शायद आप उसे खरीदने का फैसला करें।

2 जब हम बाइबल पढ़ते हैं और उसका अध्ययन करते हैं, तब हम भी कुछ ऐसा ही कर सकते हैं। एक विद्वान ने कहा कि बाइबल “एक बड़ी इमारत की तरह है जो बहुत ऊँची है और जिसकी नींव बहुत गहरी है।” तो बाइबल में लिखी बातें अच्छी तरह जानने के लिए हम क्या कर सकते हैं? अगर आप इसे जल्दी-जल्दी पढ़ें, तो इसकी कुछ ही बातें जान पाएँगे, यानी सिर्फ “परमेश्‍वर के पवित्र वचनों की बुनियादी बातें।” (इब्रा. 5:12) लेकिन हम ऐसा नहीं करना चाहते। हम मानो इस इमारत के “अंदर” जाना चाहते हैं, यानी इसकी बारीकियाँ समझना चाहते हैं। ऐसा करने के लिए सबसे पहले तो हमें यह सोचना होगा कि हम कौन-सी  सच्चाइयाँ मानते हैं और उन्हें अच्छी तरह समझना होगा। फिर हमें यह जानने की कोशिश करनी होगी कि हम इन्हें क्यों  मानते हैं। इसके अलावा हमें यह समझना होगा कि बाइबल के अलग-अलग हिस्सों में लिखी बातें कैसे  एक-दूसरे से जुड़ी हैं।

3. प्रेषित पौलुस ने मसीहियों से क्या करने की गुज़ारिश की और क्यों? (इफिसियों 3:14-19)

3 परमेश्‍वर के वचन को अच्छी तरह समझने के लिए हमें इसमें लिखी गहरी बातों और सच्चाइयों को जानना होगा। प्रेषित पौलुस ने मसीही भाई-बहनों से गुज़ारिश की कि वे परमेश्‍वर के वचन का अच्छी तरह अध्ययन करें ताकि वे उसकी “चौड़ाई, लंबाई, ऊँचाई  और गहराई  को अच्छी तरह समझ” सकें। ऐसा करने से उनका विश्‍वास और भी ‘गहराई तक जड़ पकड़ता’ और वे ‘मज़बूती से टिके रहते।’ (इफिसियों 3:14-19 पढ़िए।) हमें भी ऐसा ही करना है। आइए देखें कि हम परमेश्‍वर के वचन का कैसे अच्छी तरह अध्ययन कर सकते हैं, ताकि इसकी बारीकियाँ जान पाएँ, इसके हर कोने में देख पाएँ।

बाइबल की गहराइयों में झाँकिए

4. यहोवा के और भी करीब आने के लिए हम क्या कर सकते हैं? कुछ उदाहरण दीजिए।

4 हम मसीही बाइबल का सिर्फ ऊपरी तौर पर ज्ञान लेकर ही संतुष्ट नहीं हो जाते। हम पवित्र शक्‍ति की मदद से ‘परमेश्‍वर की गहरी बातें’ भी जानना चाहते हैं। (1 कुरिं. 2:9, 10) तो क्यों ना अपने निजी अध्ययन के दौरान ऐसे विषयों पर अध्ययन करें जिससे आप यहोवा के और करीब आ सकें? जैसे आप चाहें तो इस बारे में खोजबीन कर सकते हैं कि यहोवा ने पुराने ज़माने में अपने सेवकों के लिए कैसे अपना प्यार ज़ाहिर किया और इससे यह कैसे साबित होता है कि वह आपसे भी प्यार करता है। या आप इस बारे में अध्ययन कर सकते हैं कि पुराने ज़माने में यहोवा ने इसराएलियों को उपासना करने का जो तरीका बताया था और आज उसने मसीहियों से जिस तरह उपासना करने को कहा है, उसमें कौन-सी बातें एक जैसी हैं। या फिर आप उन भविष्यवाणियों का गहराई से अध्ययन कर सकते हैं, जिन्हें यीशु ने धरती पर सेवा करते वक्‍त पूरा किया था।

5. आप किस विषय पर निजी अध्ययन के दौरान खोजबीन करना चाहते हैं?

5 बाइबल का अच्छी तरह अध्ययन करनेवाले कुछ भाई-बहनों से पूछा गया कि वे बाइबल के किन विषयों पर गहराई से खोजबीन करना चाहते हैं। उन्होंने जो बातें बतायीं उनमें से कुछ “ निजी अध्ययन के लिए कुछ विषय” नाम के बक्स में बतायी गयी हैं। आप इन विषयों पर खोजबीन करने के लिए यहोवा के साक्षियों के लिए खोजबीन गाइड  का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस तरह अध्ययन करने से आपको बहुत खुशी होगी। जब आप बाइबल का गहराई से अध्ययन करेंगे, तो आपका विश्‍वास मज़बूत होगा और आपको “परमेश्‍वर का ज्ञान हासिल होगा।” (नीति. 2:4, 5) अब आइए बाइबल की कुछ गहरी बातों पर ध्यान दें, जिनका हम और अच्छी तरह अध्ययन कर सकते हैं।

परमेश्‍वर के मकसद के बारे में गहराई से सोचिए

6. (क) उदाहरण देकर बताइए कि यहोवा का मकसद क्यों हमेशा पूरा होता है। (ख) हम ऐसा क्यों कह सकते हैं कि धरती और इंसानों के लिए यहोवा का मकसद “युग-युग” के लिए है?

6 आइए इस विषय पर ध्यान दें कि बाइबल में परमेश्‍वर के मकसद के बारे में क्या बताया गया है। मान लीजिए, आप कहीं जाना चाहते हैं। तो शायद आप एक प्लान बनाएँ, हर चीज़ सोचकर रखें कि आप कैसे जाएँगे, कौन-सा रास्ता लेंगे। पर हो सकता है, रास्ते में कोई रुकावट आ जाए और आपका प्लान कामयाब ना हो पाए। लेकिन जब यहोवा कुछ करना चाहता है, तो वह इस तरह नहीं सोचता। वह बस एक मंज़िल तय कर लेता है, एक मकसद ठहराता है। और वह उस तक पहुँचने के लिए कोई भी रास्ता ले सकता है। बाइबल में उसने हमें थोड़ा-थोड़ा करके बताया है कि उसका ‘युग-युग का मकसद’ क्या है। (इफि. 3:11) यहोवा अपना मकसद पूरा करने के लिए कोई भी तरीका अपना सकता है और वह हमेशा कामयाब होता है, क्योंकि वह “हर काम इस तरह करता है कि उसका मकसद पूरा हो।” (नीति. 16:4) उसका मकसद “युग-युग” के लिए है, क्योंकि अपना मकसद पूरा करने के लिए वह जो भी करता है, उससे हमेशा फायदे होते रहेंगे। तो आइए जानें कि असल में यहोवा का मकसद क्या है और उसे पूरा करने के लिए उसने क्या-क्या फेरबदल किए हैं।

7. जब आदम और हव्वा ने यहोवा की बात नहीं मानी, तो अपना मकसद पूरा करने के लिए उसने क्या फेरबदल किए? (मत्ती 25:34)

7 यहोवा ने आदम और हव्वा को बताया था कि इंसानों के लिए उसका क्या मकसद है। उसने उनसे कहा, “फूलो-फलो और गिनती में बढ़ जाओ, धरती को आबाद करो और . . . सब जीव-जंतुओं पर अधिकार रखो।” (उत्प. 1:28) लेकिन जब आदम और हव्वा ने यहोवा की आज्ञा नहीं मानी, तो सब इंसानों में पाप आ गया। मगर इस वजह से यहोवा का मकसद अधूरा नहीं रह गया। यहोवा ने कुछ फेरबदल किए ताकि उसका मकसद पूरा हो सके। उसने तभी तय कर दिया था कि वह स्वर्ग में एक राज शुरू करेगा जिसके ज़रिए वह धरती और इंसानों के लिए अपना मकसद पूरा करेगा। (मत्ती 25:34 पढ़िए।) फिर अपने ठहराए समय पर यहोवा ने अपने पहलौठे बेटे को धरती पर भेजा ताकि वह हमें इस राज के बारे में सिखाए और हमें पाप और मौत से छुड़ाने के लिए अपनी जान दे। फिर यहोवा ने यीशु को ज़िंदा किया और उसे स्वर्ग में अपने राज का राजा बनाया। लेकिन यहोवा का सिर्फ यही मकसद नहीं था, इसमें और भी कुछ बातें हैं जिन पर हम ध्यान दे सकते हैं।

उस वक्‍त के बारे में सोचिए जब स्वर्ग और धरती पर यहोवा के सभी सेवक एक होकर वफादारी से उसकी सेवा करेंगे (पैराग्राफ 8)

8. (क) बाइबल का मुख्य विषय क्या है? (ख) जैसे इफिसियों 1:8-11 में बताया गया है, आखिरकार यहोवा क्या करेगा? (बाहर दी तसवीर देखें।)

8 बाइबल का मुख्य विषय है, यहोवा के नाम का पवित्र किया जाना और यह तब होगा जब वह अपने राज के ज़रिए जिसका राजा यीशु मसीह है, धरती के लिए अपना मकसद पूरा करेगा। यहोवा का मकसद कभी नहीं बदल सकता। उसने गारंटी दी है कि उसका मकसद हर हाल में पूरा होगा। (यशा. 46:10, 11, फु.; इब्रा. 6:17, 18) आगे चलकर धरती एक खूबसूरत फिरदौस बन जाएगी और इस पर आदम और हव्वा के नेक और परिपूर्ण बच्चे “हमेशा की ज़िंदगी” जीएँगे। (भज. 22:26) लेकिन उसका मकसद बस इतना ही नहीं है। आखिरकार वह सभी स्वर्गदूतों और इंसानों को एक करेगा। तब वे सभी यहोवा को अपना राजा मानकर वफादारी से उसकी सेवा करेंगे। (इफिसियों 1:8-11 पढ़िए।) क्या आपको नहीं लगता कि यहोवा जिस तरीके से अपना मकसद पूरा करता है, वह वाकई लाजवाब है?

भविष्य के बारे में मनन कीजिए

9. बाइबल पढ़ने से हम भविष्य में कितनी दूर तक देख सकते हैं?

9 अब ज़रा उस भविष्यवाणी पर ध्यान दीजिए जो यहोवा ने अदन बाग में की थी। इसे हम उत्पत्ति 3:15 में पढ़ सकते हैं। b इस भविष्यवाणी में ऐसी कई बातों के बारे में बताया गया है जिनसे यहोवा का मकसद पूरा होता। लेकिन यह सब हज़ारों साल बाद जाकर होता। जैसे वादा किया गया वंश या मसीहा अब्राहम के खानदान से आता। (उत्प. 22:15-18) और इसमें बताया था कि वंश या मसीहा की एड़ी को घायल किया जाता। यह ईसवी सन्‌ 33 में हुआ जब यीशु की मौत हुई। (प्रेषि. 3:13-15) इसके अलावा भविष्यवाणी में यह भी बताया गया था कि आखिर में शैतान का सिर कुचल दिया जाएगा। यह बात भविष्य में 1,000 साल से भी ज़्यादा समय बाद पूरी होगी। (प्रका. 20:7-10) बाइबल में इस बारे में भी बहुत कुछ बताया गया है कि जब शैतान की दुनिया और यहोवा के संगठन के बीच दुश्‍मनी खत्म होनेवाली होगी, तो कौन-कौन-सी घटनाएँ घटेंगी।

10. (क) जल्द ही भविष्य में कौन-सी घटनाएँ होनेवाली हैं? (ख) इन घटनाओं का सामना करने के लिए हम पहले से खुद को कैसे तैयार कर सकते हैं? (फुटनोट देखें।)

10 ज़रा बाइबल में बतायी इन घटनाओं पर ध्यान दीजिए जो दुनिया को हिलाकर रख देंगी। सबसे पहले, दुनिया के राष्ट्र “शांति और सुरक्षा” का ऐलान करेंगे। (1 थिस्स. 5:2, 3) “उसी वक्‍त” दुनिया के राष्ट्र सभी झूठे धर्मों पर हमला कर देंगे और महा-संकट शुरू हो जाएगा। (प्रका. 17:16) इसके बाद शायद बड़े ही अनोखे तरीके से ‘इंसान का बेटा शक्‍ति और बड़ी महिमा के साथ आकाश के बादलों पर आता’ दिखायी देगा। (मत्ती 24:30) यीशु सभी इंसानों का न्याय करेगा यानी भेड़ समान लोगों को बकरी समान लोगों से अलग करेगा। (मत्ती 25:31-33, 46) लेकिन इस दौरान शैतान चुप नहीं बैठेगा। वह गुस्से में आकर मागोग देश के गोग (राष्ट्रों के गठबंधन या समूह) को भड़काएगा कि वह यहोवा के लोगों पर हमला करे। (यहे. 38:2, 10, 11) इसी बीच बचे हुए अभिषिक्‍त मसीही स्वर्ग चले जाएँगे और महा-संकट के आखिर में मसीह और उसकी स्वर्ग की सेना के साथ मिलकर हर-मगिदोन का युद्ध करेंगे। c (मत्ती 24:31; प्रका. 16:14, 16) इसके बाद धरती पर मसीह का 1,000 साल का राज शुरू होगा।​—प्रका. 20:6.

आपको क्या लगता है, अरबों साल तक यहोवा के बारे में जानने के बाद उसके साथ आपका रिश्‍ता कैसा होगा? (पैराग्राफ 11)

11. आपके पास हमेशा जीने की जो आशा है, उससे आपके लिए क्या-क्या मुमकिन हो पाएगा? (तसवीर भी देखें।)

11 अब थोड़ा और दूर देखने की कोशिश कीजिए, यह कि 1,000 साल के बाद क्या-क्या होगा। बाइबल में लिखा है कि हमारे सृष्टिकर्ता ने हमारे मन में ‘हमेशा तक जीने का विचार डाला है।’ (सभो. 3:11) तो सोचिए उस वक्‍त आपकी ज़िंदगी कैसी होगी और यहोवा के साथ आपका रिश्‍ता कितना गहरा होगा। यहोवा के करीब आओ  किताब के पेज 319 पर इस बारे में बड़ी दिलचस्प बात लिखी है, “अब से सैकड़ों, हज़ारों, लाखों यहाँ तक कि अरबों साल जीने के बाद हम यहोवा के बारे में अब से कहीं ज़्यादा जान सकेंगे। लेकिन फिर हमें महसूस होगा कि अभी-भी ऐसी अनगिनत बातें हैं जिन्हें जानना बाकी है। . . . अनंत जीवन कितना शानदार होगा इसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। हम जो कुछ कर पाएँगे उसका हम अंदाज़ा नहीं लगा सकते। लेकिन यहोवा के और करीब आते रहना, उस जीवन का सबसे बेहतरीन पहलू होगा।” लेकिन तब तक परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन करते वक्‍त हम और क्या-क्या जान सकते हैं?

ऊपर स्वर्ग में गौर से देखिए

12. एक उदाहरण देकर बताइए कि हम स्वर्ग में कैसे देख सकते हैं।

12 बाइबल में बताया गया है कि यहोवा “ऊँचे पर विराजमान है।” और इसमें इस बात की भी एक झलक मिलती है कि उसके आस-पास का नज़ारा कितना शानदार है। (यशा. 33:5) यहोवा और उसके संगठन का जो हिस्सा स्वर्ग में है, उसके बारे में बहुत-सी लाजवाब बातें बतायी गयी हैं। (यशा. 6:1-4; दानि. 7:9, 10; प्रका. 4:1-6) जैसे, हम बाइबल में उन हैरतअंगेज़ बातों के बारे में पढ़ सकते हैं जो यहेजकेल ने तब देखीं, जब “आकाश खुल गया और परमेश्‍वर की तरफ से [उसे] दर्शन मिले।”​—यहे. 1:1.

13. जैसे इब्रानियों 4:14-16 में बताया गया है, आज यीशु स्वर्ग से जो कर रहा है, उसमें क्या बात आपको अच्छी लगती है?

13 अब ज़रा यीशु पर ध्यान दीजिए। सोचिए कि वह किस तरह एक महायाजक के नाते हमसे हमदर्दी रखता है और स्वर्ग में राज कर रहा है। यीशु के नाम से प्रार्थना करके हम परमेश्‍वर की “महाकृपा की राजगद्दी के सामने” जा पाते हैं और यहोवा से बिनती कर पाते हैं कि वह हम पर दया करे और “सही वक्‍त पर” हमारी मदद करे। (इब्रानियों 4:14-16 पढ़िए।) कोशिश कीजिए कि ऐसा एक भी दिन ना बीते जब आप इस बारे में ना सोचें कि यहोवा और यीशु ने आपके लिए क्या किया है और आज स्वर्ग से क्या कर रहे हैं। उन्होंने जिस तरह हमसे प्यार किया है, क्या वह हमारे दिल को नहीं छू जाता? क्या हमारा मन नहीं करता कि हम और भी जोश से सेवा करें?​—2 कुरिं. 5:14, 15.

सोचिए, नयी दुनिया में आपको इस बात से कितनी खुशी मिलेगी कि आपने लोगों की यहोवा के साक्षी और यीशु के शिष्य बनने में मदद की थी! (पैराग्राफ 14)

14. यहोवा और यीशु के लिए अपनी कदर ज़ाहिर करने का एक बढ़िया तरीका क्या है? (तसवीरें भी देखें।)

14 परमेश्‍वर और उसके बेटे के लिए अपनी कदर ज़ाहिर करने का एक तरीका क्या है? यह कि हम यहोवा के साक्षी और यीशु के चेले बनने में लोगों की मदद करें। (मत्ती 28:19, 20) प्रेषित पौलुस ने भी परमेश्‍वर और मसीह के लिए अपनी कदर ज़ाहिर करने के लिए ऐसा ही किया। वह जानता था कि यहोवा की मरज़ी है कि “सब किस्म के लोगों का उद्धार हो और वे सच्चाई का सही ज्ञान पाएँ।” (1 तीमु. 2:3, 4) इसलिए उसने प्रचार करने में कड़ी मेहनत की और ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को खुशखबरी सुनाने की कोशिश की, ताकि वह “हर मुमकिन तरीके से कुछ लोगों का उद्धार करा” सके।​—1 कुरिं. 9:22, 23.

हर दिशा में देखिए, परमेश्‍वर के वचन से खुशी पाइए

15. भजन 1:2 के मुताबिक क्या करने से हमें खुशी मिलेगी?

15 भजन के एक लेखक ने बताया कि जो इंसान “यहोवा के कानून से खुशी पाता है” और “दिन-रात उसके कानून पर मनन करता है,” वही सच में सुखी है और अपनी ज़िंदगी में कामयाब होता है। (भज. 1:1-3; फु.) बाइबल के एक अनुवादक जोसफ रॉदरहैम ने इस भजन के बारे में अपनी एक किताब में लिखा कि एक व्यक्‍ति में “परमेश्‍वर से मार्गदर्शन पाने की इतनी ज़बरदस्त इच्छा होनी चाहिए कि वह इसके लिए खोजबीन करे, अध्ययन करे और काफी देर तक उस बारे में सोचे।” उसने यह भी लिखा कि “अगर कोई किसी दिन बाइबल ना पढ़े, तो यह ऐसा होगा मानो उसका वह दिन बेकार चला गया।” तो क्यों ना बाइबल का अध्ययन करते वक्‍त उसकी बारीकियों पर ध्यान दें और यह समझने की कोशिश करें कि इसके अलग-अलग हिस्सों में लिखी बातें कैसे एक-दूसरे से जुड़ी हैं? इस तरह जब आप परमेश्‍वर के वचन की लंबाई, चौड़ाई, ऊँचाई और गहराई को अच्छी तरह समझने की कोशिश करेंगे, तो आपको बहुत खुशी मिलेगी!

16. अगले लेख में हम क्या चर्चा करेंगे?

16 यहोवा ने अपने वचन में जो गहरी बातें लिखवायी हैं, वे इतनी मुश्‍किल नहीं हैं कि हम उन्हें समझ ना सकें। अगले लेख में हम ऐसी ही एक अहम सच्चाई पर चर्चा करेंगे। वह है यहोवा का महान लाक्षणिक मंदिर, जिसके बारे में पौलुस ने इब्रानी मसीहियों को लिखी अपनी चिट्ठी में बताया था। उम्मीद है कि इस विषय पर अध्ययन करने से आपको बहुत खुशी मिलेगी।

गीत 94 यहोवा के वचन के लिए एहसानमंद

a बाइबल का अध्ययन करने से हमें पूरी ज़िंदगी खुशी मिल सकती है। इससे हमें बहुत-से फायदे हो सकते हैं और हम यहोवा के और भी करीब आ सकते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि हम परमेश्‍वर के वचन की ‘लंबाई, चौड़ाई, ऊँचाई और गहराई’ कैसे जान सकते हैं।

b जुलाई 2022 की प्रहरीदुर्ग  में दिया लेख, “सदियों पुरानी एक भविष्यवाणी आपके लिए क्या मायने रखती है?” पढ़ें।

c भविष्य में दुनिया को हिलाकर रख देनेवाली जो घटनाएँ घटेंगी, उनके लिए आप खुद को कैसे तैयार कर सकते हैं, यह जानने के लिए परमेश्‍वर का राज हुकूमत कर रहा है!  किताब का पेज 230 पढ़ें।