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अध्ययन लेख 1

गीत 38 वह तुम्हें मज़बूत करेगा

यहोवा पर भरोसा रखें, डर पर काबू पाएँ

यहोवा पर भरोसा रखें, डर पर काबू पाएँ

2024 का सालाना वचन: “जब मुझे डर लगता है तो मैं तुझ पर भरोसा रखता हूँ।”​—भज. 56:3.

क्या सीखेंगे?

हम यहोवा पर अपना भरोसा कैसे बढ़ा सकते हैं और कैसे अपने डर पर काबू पा सकते हैं?

1. कई बार शायद हमें क्यों डर लगे?

 हम सभी को कभी-न-कभी डर लगता है। यह तो है कि हम मरे हुओं से या दुष्ट स्वर्गदूतों से नहीं डरते और ना ही यह सोचकर घबराते हैं कि आगे चलकर दुनिया का क्या होगा, क्योंकि हमने इस बारे में सच्चाई जानी है। लेकिन आज हम एक ऐसे वक्‍त में जी रहे हैं जब “खौफनाक नज़ारे” दिखायी देते हैं: युद्ध हो रहे हैं, अपराध बढ़ता जा रहा है, बीमारियाँ फैल रही हैं। इस सबकी वजह से कई बार हम डर जाते हैं। (लूका 21:11) या फिर शायद हमें लोगों से डर लगे, जैसे उन अधिकारियों से जो हमें सताते हैं या परिवारवालों से जो हमारा विरोध करते हैं। कुछ लोगों को शायद यह सोचकर चिंता हो कि वे अपनी परेशानियों का सामना कैसे करेंगे या कल को अगर कुछ हो गया, तो क्या करेंगे।

2. जब दाविद गत में था, तब क्या हुआ?

2 कभी-कभी दाविद भी बहुत डर जाता था। एक बार जब वह राजा शाऊल से अपनी जान बचाकर भाग रहा था, तो भागते-भागते वह पलिश्‍तियों के शहर गत पहुँच गया। कुछ ही समय बाद गत के राजा आकीश को पता चला कि दाविद एक वीर योद्धा है और उसी की शान में यह गीत गाया गया था कि उसने ‘लाखों पलिश्‍तियों को मारा।’ तब दाविद बहुत डर गया। (1 शमू. 21:10-12) उसे चिंता होने लगी कि अब पता नहीं आकीश उसके साथ क्या करेगा। तब दाविद ने अपने डर पर कैसे काबू पाया?

3. भजन 56:1-3, 11 के मुताबिक दाविद ने अपने डर पर कैसे काबू पाया?

3 भजन 56 में हम पढ़ते हैं कि जब दाविद गत में था, तो उसे कैसा लग रहा था। उस भजन में उसने बताया कि उसे क्यों इतना डर लग रहा था और फिर उसने कैसे अपने डर पर काबू पाया। जब दाविद बहुत डर गया था, तो उसने यहोवा पर भरोसा किया। (भजन 56:1-3, 11 पढ़िए।) और यहोवा ने उसका भरोसा तोड़ा नहीं। यहोवा की मदद से दाविद ने एक तरकीब सोची। वह थोड़ी अजीब-सी तो थी, पर वह काम कर गयी: उसने पागल होने का ढोंग किया। इस वजह से अब आकीश उसे मारने के बजाय उससे किसी तरह पीछा छुड़ाने की सोचने लगा। और दाविद की जान बच गयी।​—1 शमू. 21:13–22:1.

4. यहोवा पर अपना भरोसा बढ़ाने के लिए हमें क्या करना होगा? उदाहरण देकर समझाइए।

4 हम भी यहोवा पर भरोसा करके अपने डर पर काबू पा सकते हैं। लेकिन जब हम डरे हुए होते हैं, तो शायद उस पर भरोसा करना हमें मुश्‍किल लगे। ऐसे में हम यहोवा पर भरोसा कैसे  बढ़ा सकते हैं? ज़रा इस उदाहरण पर ध्यान दीजिए। मान लीजिए आपको पता चलता है कि आपको एक बीमारी है। शुरू-शुरू में शायद आप बहुत डर जाएँ। लेकिन अगर आपको अपने डॉक्टर पर भरोसा हो, तो आपका डर कम हो जाएगा। वह इसलिए कि शायद उस डॉक्टर ने ऐसे बहुत-से लोगों को ठीक किया है जिन्हें वही बीमारी थी। वह आपकी बात ध्यान से सुनता है और आपको यकीन दिलाता है कि वह आपकी परेशानी समझता है। वह शायद आपको ऐसे इलाज के बारे में भी बताए जिससे कई लोगों को फायदा हुआ है। अब आप शायद राहत की साँस लें। उसी तरह जब हम यह सोचेंगे कि यहोवा ने अब तक क्या-क्या किया है, वह आज क्या कर रहा है और आगे चलकर क्या-क्या करेगा, तो उस पर हमारा भरोसा बढ़ जाएगा। दाविद ने कुछ ऐसा ही किया था। तो जब हम भजन 56 में लिखी उसकी बातों पर गौर करेंगे, तो सोचिए कि आप यहोवा पर अपना भरोसा कैसे बढ़ा सकते हैं और अपने डर पर काबू पा सकते हैं।

यहोवा ने अब तक क्या-क्या किया?

5. अपने डर पर काबू पाने के लिए दाविद ने किस बारे में सोचा? (भजन 56:12, 13)

5 जब दाविद की जान खतरे में थी तब उसने इस बात पर ध्यान दिया कि यहोवा ने अब तक क्या-क्या भले काम किए हैं।  (भजन 56:12, 13 पढ़िए।) वह हमेशा ऐसा करता था। जैसे, कई बार वह यहोवा की बनायी हुई चीज़ों पर  मनन करता था। इससे उसे एहसास होता था कि यहोवा कितना ताकतवर है और उसे इंसानों से कितना प्यार है। (भज. 65:6-9) दाविद इस बारे में भी सोचता था कि यहोवा ने दूसरों के लिए  क्या-क्या किया है। (भज. 31:19; 37:25, 26) और वह खासकर इस बात पर मनन करता था कि यहोवा ने उसके लिए  अब तक क्या-क्या किया है। जब वह अपनी माँ की कोख में था, तभी से यहोवा ने उसे सँभाला और उसकी हिफाज़त की। (भज. 22:9, 10) सोचिए जब दाविद इन सब बातों के बारे में मनन करता होगा, तो यहोवा पर उसका भरोसा कितना बढ़ जाता होगा!

दाविद ने इस बारे में सोचा कि यहोवा ने अब तक क्या-क्या किया है, आज क्या कर रहा है और आगे चलकर क्या करेगा, इसलिए यहोवा पर उसका भरोसा बढ़ गया (पैराग्राफ 5, 8, 12) d


6. जब हमें डर लगे, तो हम कैसे यहोवा पर अपना भरोसा बढ़ा सकते हैं?

6 जब आपको डर लगता है तो खुद से पूछिए, ‘यहोवा ने अब तक क्या-क्या किया है?’ आप उसकी बनायी हुई चीज़ों के बारे में सोच सकते हैं। जैसे पंछियों और फूलों को “ध्यान से” देखिए। वे परमेश्‍वर के जैसे गुण ज़ाहिर नहीं करते और ना ही उसकी उपासना करते हैं, फिर भी वह उनका खयाल रखता है। तो क्या यहोवा आपका और भी ज़्यादा खयाल नहीं रखेगा? इस तरह सृष्टि की चीज़ों पर मनन करने से परमेश्‍वर पर आपका भरोसा बढ़ सकता है। (मत्ती 6:25-32) यह भी सोचिए कि यहोवा ने अपने सेवकों के लिए अब तक क्या-क्या किया है। आप बाइबल में बताए किसी ऐसे व्यक्‍ति के बारे में भी पढ़ सकते हैं, जिसे परमेश्‍वर पर अटूट विश्‍वास था या आज के ज़माने के किसी भाई या बहन का अनुभव पढ़ सकते हैं। a इसके अलावा आप यह भी सोच सकते हैं कि यहोवा ने आपके लिए क्या-क्या किया है। जैसे, उसने किस तरह आपको अपनी तरफ खींचा? (यूह. 6:44) उसने कैसे आपकी प्रार्थनाओं का जवाब दिया? (1 यूह. 5:14) और उसने अपने बेटे का जो बलिदान दिया, उससे आपको हर दिन कैसे फायदा हो रहा है?​—इफि. 1:7; इब्रा. 4:14-16.

जब हम यह सोचेंगे कि यहोवा ने अब तक क्या-क्या किया है, आज क्या कर रहा है और आगे चलकर क्या करेगा, तो उस पर हमारा भरोसा बढ़ जाएगा (पैराग्राफ 6, 9-10, 13-14) e


7. भविष्यवक्‍ता दानियेल के बारे में सोचने से बहन वनेसा कैसे अपने डर पर काबू कर पायीं?

7 हैती में रहनेवाली बहन वनेसा b के साथ एक बार कुछ ऐसा हुआ जिससे वे बहुत डर गयीं। उनके इलाके में रहनेवाला एक आदमी हर दिन उन्हें फोन करने लगा और मैसेज भेजने लगा। वह उनके साथ संबंध रखना चाहता था। लेकिन बहन वनेसा ने साफ मना कर दिया। इसके बाद वह आदमी उन्हें और भी ज़्यादा परेशान करने लगा, यहाँ तक कि उन्हें धमकी देने लगा। बहन वनेसा बताती हैं, “मैं बहुत डर गयी थी।” वे अपने डर पर कैसे काबू कर पायीं? उन्होंने अपने बचाव के लिए कुछ कदम उठाए। एक प्राचीन की मदद से उन्होंने इस बारे में पुलिस को बताया। इसके अलावा उन्होंने इस बारे में भी सोचा कि यहोवा ने बीते समय में अपने सेवकों को कैसे बचाया था। वे कहती हैं, “सबसे पहले मेरे मन में भविष्यवक्‍ता दानियेल का खयाल आया। उसे भूखे शेरों की माँद में फेंक दिया गया था, जबकि उसका कोई कसूर नहीं था। लेकिन यहोवा ने उसे बचा लिया। मैंने भी सबकुछ यहोवा के हाथ में छोड़ दिया और उससे कहा कि वह मामले को सँभाले। इसके बाद मुझे बिलकुल डर नहीं लगा।”​—दानि. 6:12-22.

यहोवा आज क्या कर रहा है?

8. दाविद को किस बात का यकीन था? (भजन 56:8)

8 जब दाविद गत में था, तो उसकी जान को खतरा था, फिर भी उसने डर को खुद पर हावी नहीं होने दिया। इसके बजाय उसने इस बारे में सोचा कि यहोवा उस वक्‍त  उसके लिए क्या कर रहा है। दाविद समझ गया कि यहोवा उसकी हिफाज़त कर रहा है और उसे सही राह दिखा रहा है और वह जानता है कि उस पर क्या बीत रही है। (भजन 56:8 पढ़िए।) दाविद के कुछ वफादार दोस्त भी थे, जैसे योनातान और महायाजक अहीमेलेक, जिन्होंने उसका हौसला बढ़ाया और उसकी मदद की। (1 शमू. 20:41, 42; 21:6, 8, 9) और यहोवा ने राजा शाऊल से भी उसे बचाया जो उसकी जान के पीछे पड़ा था। दाविद को पूरा यकीन था कि यहोवा अच्छी तरह जानता है कि वह किन मुश्‍किलों से गुज़र रहा है और उस पर क्या बीत रही है।

9. जब आपको डर लगता है, तो यहोवा किस बात पर ध्यान देता है?

9 जब आप पर कोई मुश्‍किल आए और आप बहुत डर जाएँ, तो याद रखिए, यहोवा ध्यान देता है कि आप किस मुश्‍किल से गुज़र रहे हैं और वह समझता है कि आपको कैसा लग रहा है।  जैसे, बीते समय में जब इसराएली मिस्र में गुलाम थे, तो यहोवा ने ना सिर्फ यह देखा कि उन पर किस तरह ज़ुल्म किए जा रहे हैं, बल्कि उसने उनका “दुख” भी देखा। (निर्ग. 3:7) दाविद ने भी एक गीत में गाया कि यहोवा उसकी तकलीफों के साथ-साथ उसके “मन की पीड़ा” भी जानता है। (भज. 31:7) और कई बार जब यहोवा के लोगों पर उनकी अपनी गलतियों की वजह से मुसीबतें आयीं, तो उन्हें तकलीफ में देखकर “उसे भी तकलीफ हुई।” (यशा. 63:9) तो जब कभी आपको डर लगे, तो याद रखिए कि यहोवा समझता है कि आप पर क्या बीत रही है और वह डर पर काबू पाने में आपकी मदद करने के लिए बेताब है।

10. आपको क्यों यकीन है कि यहोवा आप पर ध्यान देता है और वह किसी भी मुश्‍किल का सामना करने में आपकी मदद करेगा?

10 अगर आप किसी मुश्‍किल से गुज़र रहे हैं और आपको डर लग रहा है, तो शायद आप यह देख ना पाएँ कि यहोवा कैसे आपकी मदद कर रहा है। ऐसे में आप क्या कर सकते हैं? यहोवा से बिनती कीजिए कि आप यह देख पाएँ कि वह कैसे आपका साथ दे रहा है। (2 राजा 6:15-17) फिर सोचिए: क्या किसी सभा में कोई भाषण सुनकर या किसी का जवाब सुनकर आपका हौसला बढ़ा है? क्या कोई प्रकाशन पढ़कर, कोई वीडियो देखकर या ब्रॉडकास्टिंग का कोई गाना सुनकर आपको हिम्मत मिली है? क्या किसी भाई या बहन ने आपसे कोई ऐसी बात कही या कोई आयत दिखायी जिससे आपको बहुत अच्छा लगा? भाई-बहन हमसे जिस तरह प्यार करते हैं और बाइबल से हमें जो हिम्मत मिलती है, उसे शायद कई बार हम हलके में लें, लेकिन यह सब यहोवा से मिले किसी तोहफे से कम नहीं हैं। (यशा. 65:13; मर. 10:29, 30) इनसे साबित होता है कि उसे आपकी परवाह है। (यशा. 49:14-16) और इनसे यह भी साबित होता है कि आप उस पर पूरा भरोसा कर सकते हैं।

11. बहन आइडा अपने डर पर कैसे काबू कर पायीं?

11 ज़रा बहन आइडा के उदाहरण पर ध्यान दीजिए जो सेनेगल देश में रहती हैं। उन्होंने ध्यान दिया कि यहोवा ने कैसे एक मुश्‍किल का सामना करने में उनकी मदद की। वे अपने भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं, इसलिए उनके मम्मी-पापा चाहते थे कि वे पैसा कमाएँ और घर की ज़िम्मेदारी उठाएँ। लेकिन जब बहन ने पायनियर सेवा करने के लिए अपना जीवन सादा किया, तो बहन को पैसों की दिक्कत होने लगी। इस वजह से उनके परिवारवाले उनसे नाराज़ हो गए और उन्हें बुरा-भला कहने लगे। बहन आइडा बताती हैं, “मुझे डर लगने लगा कि मैं मम्मी-पापा की मदद नहीं कर पाऊँगी और हर कोई मुझ पर ताने कसेगा। मैं तो यहोवा को भी दोष देने लगी कि उसने मेरे साथ ऐसा क्यों होने दिया।” लेकिन फिर एक सभा में बहन ने एक भाषण सुना। वे बताती हैं, “भाई ने भाषण में कहा कि हमारे दिल पर जो भी ज़ख्म लगे हैं, उनके बारे में यहोवा अच्छी तरह जानता है। मुझे प्राचीनों और दूसरे भाई-बहनों ने भी बहुत अच्छी सलाह दी। धीरे-धीरे मुझे फिर से यकीन होने लगा कि यहोवा मुझसे प्यार करता है। इसके बाद जब भी मैं प्रार्थना करती, तो मुझे पूरा भरोसा होता था कि यहोवा मेरी मदद करेगा। और फिर जब मैंने देखा कि यहोवा ने कैसे मेरी प्रार्थनाओं का जवाब दिया है, तो मुझे बहुत सुकून मिला।” कुछ समय बाद बहन आइडा को एक ऐसी नौकरी मिल गयी जिससे वे ना सिर्फ आराम से पायनियर सेवा कर पायीं, बल्कि अपने मम्मी-पापा और दूसरों की मदद भी कर पायीं। बहन कहती हैं, “मैंने यहोवा पर पूरा भरोसा करना सीखा है। अब अकसर ऐसा होता है कि जब मैं प्रार्थना करती हूँ, तो मेरा डर दूर हो जाता है।”

यहोवा आगे चलकर क्या करेगा?

12. भजन 56:9 के मुताबिक दाविद को किस बात का यकीन था?

12 भजन 56:9 पढ़िए। इस आयत में एक और तरीका बताया गया है जिससे दाविद अपने डर पर काबू कर पाया। जब उसकी जान खतरे में थी, तब उसने इस बात पर भी मनन किया कि यहोवा आगे चलकर उसके लिए क्या करेगा।  दाविद जानता था कि यहोवा सही वक्‍त पर उसे ज़रूर बचाएगा, क्योंकि यहोवा ने ही तो कहा था कि इसराएल का अगला राजा दाविद होगा। (1 शमू. 16:1, 13) और दाविद को यकीन था कि एक बार यहोवा ने जो कह दिया, वह पूरा होकर ही रहेगा।

13. हम किस बात का यकीन रख सकते हैं?

13 यहोवा ने आपके लिए क्या करने का वादा किया है? हम यह उम्मीद तो नहीं करते कि वह हम पर कोई मुसीबत नहीं आने देगा, लेकिन उसने वादा किया है कि नयी दुनिया में वह हमारी हर परेशानी खत्म कर देगा। c ऐसी कोई समस्या नहीं जिसे यहोवा दूर ना कर सके। (यशा. 25:7-9) परमेश्‍वर यहोवा में इतनी ताकत है कि वह हमें पूरी तरह तंदुरुस्त कर सकता है और हमारे दिल पर जो भी ज़ख्म लगे हैं, उन्हें भर सकता है। उस वक्‍त कोई हमारा विरोध नहीं करेगा, यहाँ तक कि जो मौत की नींद सो गए हैं, उन्हें भी यहोवा ज़िंदा कर देगा।​—1 यूह. 4:4.

14. हम किस बारे में सोच सकते हैं?

14 जब आपको डर लगे, तो सोचिए कि आगे चलकर यहोवा क्या-क्या करेगा। सोचिए, उस वक्‍त आपको कैसा लगेगा जब शैतान का नामो-निशान मिट जाएगा, दुष्ट लोगों की जगह नेक लोग होंगे और हम दिन-ब-दिन परिपूर्ण होते चले जाएँगे। हम भविष्य में मिलनेवाली आशीषों के बारे में किस तरह सोच सकते हैं, इस बारे में 2014 के क्षेत्रीय अधिवेशन में एक प्रदर्शन में दिखाया गया था। उस प्रदर्शन में एक पिता ने अपने परिवार के साथ चर्चा की कि अगर 2 तीमुथियुस 3:1-5 में फिरदौस के बारे में बताया गया होता, तो शायद उसमें यूँ लिखा होता, “नयी दुनिया में खुशियों से भरा वक्‍त होगा। इसलिए कि लोग दूसरों से प्यार करनेवाले, सच्चाई से प्यार करनेवाले, खुद के बारे में डींगें न मारनेवाले, नम्र, परमेश्‍वर की महिमा करनेवाले, माता-पिता की आज्ञा माननेवाले, एहसान माननेवाले, वफादार, अपने परिवार से बहुत लगाव रखनेवाले, हर बात पर राज़ी होनेवाले, दूसरों के बारे में हमेशा अच्छा बोलनेवाले, संयम रखनेवाले, कोमल, भलाई से प्यार करनेवाले, भरोसेमंद, लिहाज़ करनेवाले, मन के दीन, मौज-मस्ती के बजाय परमेश्‍वर से प्यार करनेवाले होंगे, वे भक्‍ति का दिखावा नहीं करेंगे, बल्कि उसके मुताबिक जीएँगे। ऐसों के करीब बने रहना।” क्या आप अपने परिवारवालों या भाई-बहनों के साथ इस बारे में चर्चा करते हैं कि नयी दुनिया में ज़िंदगी कैसी होगी?

15. बहन तान्या अपने डर पर कैसे काबू कर पायीं?

15 ज़रा उत्तरी मेसिडोनिया में रहनेवाली बहन तान्या के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। जब बहन तान्या ने बाइबल का अध्ययन करना शुरू किया, तो उनके मम्मी-पापा ने उनका बहुत विरोध किया। लेकिन फिर बहन ने इस बारे में सोचा कि यहोवा भविष्य में उनके लिए क्या-क्या करेगा। इस तरह वे अपने डर पर काबू कर पायीं और यहोवा की वफादार रह पायीं। बहन तान्या बताती हैं, “मुझे जिस बात का डर था, वही हुआ। हर सभा के बाद मम्मी मुझे मारती थीं। मम्मी-पापा ने यह भी धमकी दी कि अगर मैं यहोवा की साक्षी बन गयी, तो वे मुझे जान से मार डालेंगे।” फिर एक दिन उन्होंने बहन तान्या को घर से निकाल दिया। तब बहन तान्या ने क्या किया? वे बताती हैं, “मैंने इस बारे में सोचा कि अगर मैं यहोवा की वफादार बनी रही, तो मुझे इतनी खुशी मिलेगी कि मैं सोच भी नहीं सकती। और मेरी खुशी हमेशा बनी रहेगी। मैंने यह भी सोचा कि आज मुझे चाहे कोई भी त्याग करना पड़े, यहोवा नयी दुनिया में उससे कहीं बढ़कर मुझे इनाम देगा और तब मुझे कोई कड़वी याद नहीं सताएगी।” बहन तान्या यहोवा की वफादार बनी रहीं और उसकी मदद से उन्हें रहने की एक जगह भी मिल गयी। अब बहन तान्या की एक ऐसे भाई से शादी हो गयी है जो बहुत अच्छा है और वे दोनों खुशी-खुशी पूरे समय की सेवा कर रहे हैं।

आज से ही यहोवा पर अपना भरोसा बढ़ाइए

16. जब हम लूका 21:26-28 में बतायी बातें पूरी होते देखेंगे, तब हम क्यों हिम्मत से काम ले पाएँगे?

16 महा-संकट के दौरान “डर के मारे लोगों के जी में जी न रहेगा।” लेकिन परमेश्‍वर के लोग हिम्मत नहीं हारेंगे, वे डटे रहेंगे। (लूका 21:26-28 पढ़िए।) हम क्यों हिम्मत से काम ले पाएँगे? क्योंकि हमने पहले से ही यहोवा पर भरोसा करना सीखा होगा। पिछले पैराग्राफ में बतायी बहन तान्या ने कहा कि बीते समय में उन्होंने जिन मुश्‍किलों का सामना किया, उस वजह से वे दूसरी मुश्‍किलों का भी सामना कर पा रही हैं। वे कहती हैं, “मैंने देखा है कि यहोवा बुरे-से-बुरे हालात में भी हमारे लिए कुछ अच्छा कर सकता है। कभी-कभी शायद हमें लगे कि लोग हमारे साथ कुछ भी कर सकते हैं। पर सच तो यह है कि यहोवा उनसे कहीं ज़्यादा ताकतवर है। और हमारी मुश्‍किल चाहे कितनी ही बड़ी क्यों ना हो, एक दिन वह ज़रूर खत्म हो जाएगी।”

17. 2024 के सालाना वचन से हमें कैसे मदद मिलेगी? (बाहर दी तसवीर देखें।)

17 आज हम सबको किसी-न-किसी बात का डर लगा रहता है। लेकिन दाविद की तरह हम अपने डर पर काबू कर सकते हैं। दाविद ने यहोवा से प्रार्थना की थी, “जब मुझे डर लगता है तो मैं तुझ पर भरोसा रखता हूँ।” उसकी यही प्रार्थना 2024 का सालाना वचन है। (भज. 56:3) बाइबल की आयतों की समझ देनेवाली एक किताब में इस आयत के बारे में लिखा है: “दाविद उन बातों के बारे में नहीं सोचता रहा जिनसे वह डर जाए, ना ही उसने अपना ध्यान मुश्‍किलों पर लगाए रखा, बल्कि अपनी नज़रें उस पर टिकाए रखीं जो उसे बचाता।” तो आनेवाले महीनों में हमारे सालाना वचन के बारे में सोचिए, खासकर जब आपको बहुत डर लग रहा हो। थोड़ा वक्‍त निकालकर इस बारे में सोचिए कि अब तक यहोवा ने क्या-क्या किया है, वह आज क्या कर रहा है और आगे चलकर क्या-क्या करेगा। तब दाविद की तरह आप भी कह पाएँगे, “मुझे परमेश्‍वर पर भरोसा है, मैं नहीं डरता।”​—भज. 56:4.

एक प्राकृतिक विपत्ति आयी है और एक बहन सालाना वचन के बारे में सोच रही है (पैराग्राफ 17)

इस बारे में सोचने से आप डर पर कैसे काबू कर पाएँगे:

  • यहोवा ने अब तक क्या-क्या किया है?

  • यहोवा आज क्या कर रहा है?

  • यहोवा आगे चलकर क्या करेगा?

गीत 33 अपना बोझ यहोवा पर डाल दे!

a अगर आप jw.org पर खोजिए बक्स में “उनके विश्‍वास की मिसाल पर चलिए” या “अनुभव” टाइप करें, तो आपको ऐसी बहुत-सी जानकारी मिलेगी जिससे आपका विश्‍वास बढ़ेगा। आप JW लाइब्रेरी  ऐप पर “कुछ और लेख” भाग में “उनके विश्‍वास की मिसाल पर चलिए” या “यहोवा के साक्षियों की जीवन कहानियाँ” शृंखला में दिए लेख भी पढ़ सकते हैं।

b इस लेख में कुछ लोगों के नाम उनके असली नाम नहीं हैं।

d तसवीर के बारे में: दाविद ने इस बारे में सोचा कि यहोवा ने उसे भालू को मार गिराने की ताकत दी थी, वह अहीमेलेक के ज़रिए उसकी मदद कर रहा है और आगे चलकर वह उसे राजा बनाएगा।

e तसवीर के बारे में: जेल में कैद एक भाई सोच रहा है कि यहोवा ने सिगरेट की लत छोड़ने में उसकी मदद की थी, आज वह उसके परिवारवालों और दोस्तों के खतों के ज़रिए उसका हौसला बढ़ा रहा है और आगे चलकर फिरदौस में वह उसे हमेशा की ज़िंदगी देगा।