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यहोवा के जैसे बनें, बहनों के साथ अच्छे से पेश आएँ

यहोवा के जैसे बनें, बहनों के साथ अच्छे से पेश आएँ

हम भाइयों के लिए कितनी खुशी की बात है कि हम कई वफादार बहनों के साथ मिलकर काम कर पाते हैं। ये बहनें यहोवा की सेवा करने के लिए कड़ी मेहनत करती हैं, इसलिए हम इनसे बहुत प्यार करते हैं और इन्हें अनमोल समझते हैं! a तो भाइयो, कभी बहनों के साथ भेदभाव मत कीजिए, उनके साथ प्यार से पेश आइए और उनकी इज़्ज़त कीजिए। लेकिन अपरिपूर्ण होने की वजह से कई बार शायद ऐसा करना हमारे लिए मुश्‍किल हो जाए। और कई भाइयों के लिए कुछ और कारणों से भी ऐसा करना मुश्‍किल होता है।

हमारे कुछ भाइयों की परवरिश ऐसी संस्कृति में हुई है, जहाँ औरतों को आदमियों से कमतर समझा जाता है। उदाहरण के लिए, बोलिविया के एक सर्किट निगरान भाई हान्ज़ बताते हैं कि कुछ आदमियों की परवरिश ऐसे माहौल में हुई है, जहाँ लोगों का मानना है कि आदमियों का दर्जा औरतों से कहीं ज़्यादा ऊँचा है। इसलिए वे खुद को कुछ ज़्यादा ही समझते हैं और अकसर औरतों के साथ बुरा व्यवहार करते हैं। ताइवान के एक प्राचीन, भाई शिंगशियांग कहते हैं, “मैं जहाँ रहता हूँ, वहाँ ज़्यादातर लोगों का मानना है कि औरतों को आदमियों के बीच नहीं बोलना चाहिए। और अगर एक आदमी किसी मुद्दे के बारे में एक औरत की राय बताए, तो कभी-कभी उसके साथवाले उसे नीचा समझने लगते हैं।” वहीं कुछ और आदमी भले ही सीधे-सीधे औरतों के साथ भेदभाव ना करें, पर वे शायद दूसरे तरीकों से यह ज़ाहिर करें कि वे उन्हें नीचा समझते हैं। जैसे वे शायद उनका मज़ाक बनाएँ।

लेकिन खुशी की बात है कि एक आदमी चाहे जैसे भी माहौल में पला-बढ़ा हो, वह बदल सकता है। वह यह सोच अपना सकता है कि आदमी और औरत दोनों बराबर हैं। (इफि. 4:22-24) ऐसा करने के लिए ज़रूरी है कि वह यहोवा के जैसा बनने की कोशिश करे। इस लेख में हम जानेंगे कि यहोवा कैसे औरतों के साथ पेश आता है, भाई कैसे यहोवा के जैसी सोच अपना सकते हैं और बहनों का आदर करने के मामले में प्राचीन कैसे एक अच्छी मिसाल हो सकते हैं।

यहोवा औरतों के साथ कैसे पेश आता है?

औरतों के साथ किस तरह व्यवहार करना चाहिए, इस मामले में यहोवा ने हमारे लिए सबसे बढ़िया मिसाल रखी है। यहोवा धरती पर अपने सभी बच्चों की बहुत परवाह करता है, उनसे बहुत प्यार करता है। (यूह. 3:16) और जो औरतें वफादारी से उसकी सेवा करती हैं, वे उसकी प्यारी बेटियों जैसी हैं। आइए गौर करें कि यहोवा ने किन तरीकों से औरतों की इज़्ज़त की।

यहोवा उनके साथ भेदभाव नहीं करता। उसने आदमी-औरत दोनों को अपनी छवि में बनाया है। (उत्प. 1:27) और ऐसा नहीं है कि वह आदमियों को औरतों से ज़्यादा पसंद करता है या उसने आदमियों को औरतों से ज़्यादा बुद्धिमान और काबिल बनाया है। (2 इति. 19:7) यहोवा ने आदमी-औरत दोनों को ऐसी काबिलीयत दी है कि वे बाइबल की सच्चाइयाँ समझ सकते हैं और उसके जैसे बढ़िया गुण ज़ाहिर कर सकते हैं। यहोवा को ऐसे हर व्यक्‍ति से प्यार है, जो उस पर विश्‍वास करता है, फिर चाहे वह आदमी हो या औरत। और उसने धरती पर फिरदौस में हमेशा जीने और स्वर्ग में राजाओं और याजकों के तौर पर सेवा करने की आशा, आदमी-औरत दोनों को दी है। (2 पत. 1:1) इससे साफ पता चलता है कि यहोवा औरतों के साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करता।

यहोवा उनकी सुनता है। वह इस बात पर ध्यान देता है कि औरतें कैसा महसूस कर रही हैं और उनकी क्या चिंताएँ और परेशानियाँ हैं। उदाहरण के लिए, जब राहेल और हन्‍ना ने खुलकर यहोवा को बताया कि वे कैसा महसूस कर रही हैं, तो उसने उनकी सुनी और उनकी प्रार्थनाओं का जवाब दिया। (उत्प. 30:22; 1 शमू. 1:10, 11, 19, 20) यहोवा ने बाइबल में ऐसे किस्से भी लिखवाए हैं जिनमें बताया गया है कि आदमियों ने औरतों की सुनी। जैसे बाइबल में हम पढ़ते हैं कि अब्राहम ने यहोवा की हिदायत मानकर अपनी पत्नी सारा की बात सुनी। (उत्प. 21:12-14) राजा दाविद ने अबीगैल की बात मानी। उसने तो यह भी कहा कि यहोवा ने ही अबीगैल को उससे बात करने के लिए भेजा है। (1 शमू. 25:32-35) और यीशु ने भी, जो हू-ब-हू अपने पिता के जैसा है, अपनी माँ मरियम की बात सुनी। (यूह. 2:3-10) इन उदाहरणों से साफ पता चलता है कि यहोवा औरतों की इज़्ज़त करता है।

यहोवा उन पर भरोसा करता है। यहोवा को हव्वा पर भरोसा था, इसलिए उसने पूरी धरती की देखभाल करने में आदम के साथ-साथ उसे भी ज़िम्मेदारी दी थी। (उत्प. 1:28) ऐसा करके उसने दिखाया कि वह हव्वा को उसके पति आदम से किसी तरह कम नहीं समझता, बल्कि एक ऐसा साथी मानता है जो उसका पूरा साथ देगी। यहोवा को दबोरा और हुल्दा पर भी भरोसा था। तभी उसने उन्हें भविष्यवक्‍तिन ठहराया, ताकि वे उसके लोगों को सलाह दे सकें, यहाँ तक कि एक न्यायी और राजा को भी। (न्यायि. 4:4-9; 2 राजा 22:14-20) आज भी यहोवा को मसीही बहनों पर पूरा भरोसा है, इसलिए वह उन्हें अलग-अलग काम सौंपता है। बहुत-सी वफादार बहनें प्रचारक, पायनियर और मिशनरी के तौर पर सेवा करती हैं। वे राज-घरों और शाखा-दफ्तरों का डिज़ाइन तैयार करने, उनका निर्माण करने और मरम्मत करने में भी हाथ बँटाती हैं। और कुछ बहनें बेथेल और अनुवाद दफ्तरों में भी सेवा करती हैं। ये बहनें एक बड़ी सेना की तरह हैं, जिनके ज़रिए यहोवा अपनी मरज़ी पूरी करता है। (भज. 68:11) इससे पता चलता है कि यहोवा किसी भी तरीके से औरतों को कमज़ोर या नाकाबिल नहीं समझता।

भाई कैसे यहोवा की तरह बहनों के साथ पेश आ सकते हैं?

भाइयो, क्या आप बहनों के साथ वैसे ही व्यवहार करते हैं, जैसे यहोवा करता है? यह जानने के लिए आपको अच्छी तरह सोचना होगा कि औरतों के बारे में आपकी क्या राय है और आप उनके साथ कैसे पेश आते हैं। इसके लिए शायद आपको किसी की मदद लेनी पड़े। जैसे एक डॉक्टर कुछ मशीनों की मदद से पता लगाता है कि एक इंसान के दिल की हालत कैसी है, उसी तरह एक अच्छे दोस्त और परमेश्‍वर के वचन की मदद से आप जान सकते हैं कि आप औरतों के बारे में क्या सोचते हैं, आपकी सोच यहोवा के जैसी है या नहीं।

एक अच्छे दोस्त से पूछिए। (नीति. 18:17) हमें एक ऐसे दोस्त से बात करनी चाहिए जिस पर हमें भरोसा है और जो हमसे प्यार करता है, मगर हमें हमारे बारे में सच-सच बता सकता है। उससे पूछिए, “तुम्हें क्या लगता है, मैं बहनों के साथ कैसा व्यवहार करता हूँ? क्या मेरे व्यवहार से बहनों को लगता है कि मैं उनकी इज़्ज़त करता हूँ? इस मामले में मुझे कहाँ सुधार करने की ज़रूरत है?” अगर आपका दोस्त आपको बताता है कि आप कहाँ सुधार कर सकते हैं, तो सफाई देने की कोशिश मत कीजिए। इसके बजाय खुशी-खुशी बदलाव कीजिए।

परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन कीजिए। बहनों के बारे में हमारा रवैया कैसा है और हम उनके साथ कैसे पेश आते हैं, यह जानने का सबसे अच्छा तरीका है, परमेश्‍वर के वचन में झाँककर देखना। (इब्रा. 4:12) जब हम बाइबल का अध्ययन करेंगे, तो हम ऐसे आदमियों के बारे में जानेंगे जिन्होंने औरतों के साथ अच्छा व्यवहार किया और ऐसे आदमियों के बारे में भी जिन्होंने ऐसा नहीं किया। फिर हम उनके साथ अपनी तुलना करके देख सकते हैं। इससे हम जान पाएँगे कि हमारा व्यवहार अच्छा है या नहीं। इसके अलावा हमें बाइबल की एक ही आयत को पकड़कर नहीं बैठ जाना चाहिए, क्योंकि इससे हम बातों का गलत मतलब निकाल सकते हैं। इसके बजाय हमें और भी आयतों पर ध्यान देना चाहिए। उदाहरण के लिए, 1 पतरस 3:7 में पत्नियों को एक “नाज़ुक पात्र” कहा गया है। b तो क्या इसका यह मतलब है कि पत्नियाँ पतियों से किसी मायने में कम हैं या वे कम बुद्धिमान हैं? बिलकुल नहीं, क्योंकि अगर हम गलातियों 3:26-29 पढ़ें, तो वहाँ बताया गया है कि यहोवा ने आदमियों के साथ-साथ औरतों को भी यीशु के साथ स्वर्ग में राज करने के लिए चुना है। इस तरह जब हम परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन करेंगे और किसी अच्छे दोस्त से पूछेंगे कि औरतों के साथ हमारा व्यवहार कैसा है, तो हम बहनों की इज़्ज़त कर पाएँगे।

बहनों का आदर करने में प्राचीन क्यों एक अच्छी मिसाल हैं?

मंडली के भाई, बहनों का आदर करने के मामले में प्राचीनों से भी बहुत कुछ सीख सकते हैं। इस मामले में प्राचीन हम सब के लिए बहुत अच्छी मिसाल हैं। वे किन तरीकों से ऐसा करते हैं? आइए कुछ बातों पर ध्यान दें।

वे बहनों की तारीफ करते हैं। इस मामले में प्रेषित पौलुस ने प्राचीनों के लिए एक अच्छी मिसाल रखी। जब उसने रोम की मंडली को खत लिखा, तो उसने कई बहनों का नाम लेकर उनकी तारीफ की। (रोमि. 16:12) सोचिए, जब पौलुस का खत उस मंडली में पढ़ा गया होगा, तो उन बहनों को कितनी खुशी हुई होगी! उसी तरह से आज जब प्राचीन बहनों के अच्छे गुणों पर ध्यान देते हैं और देखते हैं कि वे यहोवा के लिए कितना कुछ करती हैं, तो वे खुलकर उनकी तारीफ करते हैं। इससे बहनों को एहसास होता है कि भाई उनकी इज़्ज़त करते हैं और उनकी बहुत कदर करते हैं। कई बार जब एक प्राचीन हौसला बढ़ानेवाली कोई बात कहता है, तो शायद इससे एक बहन को बहुत हिम्मत मिले। शायद उस वक्‍त उसे उसी हौसले की ज़रूरत थी, ताकि वह वफादारी से यहोवा की सेवा करती रहे।​—नीति. 15:23.

तारीफ करें

प्राचीन बहनों की दिल से तारीफ करते हैं और खुलकर बताते हैं कि उन्हें उनकी कौन-सी बात अच्छी लगी। ऐसा करना क्यों अच्छा है? बहन जैसिका बताती हैं, “जब भाई किसी बहन से यह कहते हैं कि उन्होंने ‘बहुत अच्छा काम किया,’ तो यह सुनकर अच्छा लगता है। लेकिन जब भाई खुलकर यह बताते हैं कि उन्हें कौन-सी बात अच्छी लगी, तो हमें और भी खुशी होती है। जैसे वे शायद कहें कि हम अपने बच्चों को सभा में शांत बैठना सिखाते हैं या वक्‍त निकालकर अपने बाइबल विद्यार्थी को सभाओं के लिए लेने जाते हैं। ऐसी बातें सुनकर हमें और भी अच्छा लगता है।” तो जब प्राचीन खुलकर बहनों को बताते हैं कि उन्हें उनकी कौन-सी बात अच्छी लगी, तो बहनों को एहसास होता है कि वे मंडली के लिए बहुत मायने रखती हैं और सब उनकी बहुत कदर करते हैं।

वे बहनों की सुनते हैं। प्राचीन नम्र रहते हैं और ऐसा नहीं सोचते कि सिर्फ उन्हीं के पास सबसे अच्छे सुझाव होते हैं। वे बहनों से भी सुझाव लेते हैं और जब वे बात करती हैं, तो ध्यान से सुनते हैं। ऐसा करके प्राचीन बहनों का हौसला बढ़ाते हैं और इससे उन्हें भी फायदा होता है। वह कैसे? भाई हेरारडो जो बेथेल में सेवा करते हैं और एक प्राचीन हैं, कहते हैं, “मैं अकसर बहनों से सुझाव लेता हूँ और इससे मैं अपना काम और अच्छी तरह कर पाता हूँ। कई ऐसे काम हैं जिन्हें करने का बहनों को भाइयों से ज़्यादा तजुरबा है।” मंडलियों में बहुत-सी बहनें पायनियर सेवा करती हैं, इसलिए वे अपने इलाके के लोगों के बारे में बहुत कुछ जानती हैं। एक प्राचीन, भाई ब्रायन कहते हैं, “हमारी बहनों में ऐसे बहुत-से अच्छे गुण और हुनर हैं, जिनसे संगठन को बहुत फायदा होता है। तो बहनों के तजुरबे से सीखिए।”

सुनें

अनुभवी प्राचीन, बहनों के सुझावों को तुरंत अनसुना नहीं कर देते। क्यों? इस बारे में एक प्राचीन, भाई एडवर्ड कहते हैं, “कई बार हो सकता है किसी बहन के सुझाव और उसके अनुभव से एक भाई किसी मामले को और अच्छी तरह समझ पाए और दूसरों से और ज़्यादा हमदर्दी रखना सीख पाए।” (नीति. 1:5) अगर एक प्राचीन को लगे कि किसी बहन का सुझाव मानना सही नहीं होगा, तब भी वह उस बहन को इस बात के लिए शुक्रिया कह सकता है कि उसने इतना सोचा और अपनी राय दी।

वे बहनों को ट्रेनिंग देते हैं। प्राचीन आगे की सोचते हैं, इसलिए वे बहनों को अलग-अलग काम सिखाते हैं। जैसे, शायद वे बहनों को प्रचार की सभा चलाना सिखाएँ ताकि जब कोई बपतिस्मा पाया हुआ भाई ना हो, तो वे सभा चला सकें। इसके अलावा संगठन की इमारतों के निर्माण और उनके रख-रखाव में हाथ बँटाने के लिए वे शायद बहनों को कुछ औज़ार और मशीनें चलाना भी सिखाएँ। बेथेल में भी बहनों को अलग-अलग विभागों में काम करने की ट्रेनिंग दी जाती है, जैसे रख-रखाव विभाग, खरीदारी विभाग, अकाउंट्‌स, कंप्यूटर प्रोग्रामिंग और ऐसे ही दूसरे विभागों में। जब प्राचीन बहनों को किसी काम की ट्रेनिंग देते हैं, तो वे दिखाते हैं कि उन्हें बहनों पर भरोसा है कि वे यह काम अच्छे से कर पाएँगी।

ट्रेनिंग दें

जिन बहनों को प्राचीनों ने ट्रेनिंग दी है, उनमें से कई दूसरों की भी मदद कर पाती हैं। जैसे जिन बहनों को निर्माण काम की ट्रेनिंग दी गयी है, वे किसी प्राकृतिक विपत्ति के बाद दूसरों को अपना घर बनाने में मदद कर पाती हैं। और जिन बहनों को अच्छी तरह सरेआम गवाही देना सिखाया गया है, वे यह हुनर बढ़ाने में और भी बहनों की मदद कर पाती हैं। तो जिन बहनों को प्राचीन समय निकालकर ट्रेनिंग देते हैं, उन्हें कैसा लगता है? बहन जेनिफर बताती हैं, “जब मैं एक राज-घर के निर्माण काम में हाथ बँटा रही थी, तो हमारे एक ओवरसियर ने समय निकालकर मुझे ट्रेनिंग दी। जब मैं कोई काम करती थी, तो वे उस पर ध्यान देते थे और मेरी तारीफ करते थे। वे मुझ पर भरोसा करते थे, इसलिए मुझे लगता था कि मैं भी यहोवा के काम आ सकती हूँ। मुझे उनके साथ काम करके बहुत अच्छा लगा।”

बहनों से करें अपनों-सा व्यवहार

हम अपनी वफादार बहनों से बहुत प्यार करते हैं, ठीक जैसे यहोवा उनसे प्यार करता है। वे हमारे परिवार का हिस्सा हैं। (1 तीमु. 5:1, 2) हमें अपनी बहनों पर नाज़ है और उनके साथ काम करके हमें बहुत खुशी होती है! हमें यह जानकर भी बहुत अच्छा लगता है कि हमारी बहनें यह महसूस कर पाती हैं कि हम उनसे प्यार करते हैं और उनका साथ देते हैं। बहन वनेसा कहती हैं, “मैं यहोवा की बहुत शुक्रगुज़ार हूँ कि उसने मुझे अपने संगठन का हिस्सा होने का मौका दिया है। उसके संगठन में ऐसे बहुत से भाई हैं, जो मेरा हौसला बढ़ाते हैं।” ताइवान में रहनेवाली एक बहन ने कहा, “मैं इस बात के लिए बहुत एहसानमंद हूँ कि यहोवा और उसका संगठन औरतों की बहुत इज़्ज़त करता है और हमारी भावनाएँ समझता है। इससे परमेश्‍वर पर मेरा विश्‍वास और बढ़ जाता है और मुझे इस बात से और भी ज़्यादा खुशी होती है कि मैं यहोवा के संगठन का हिस्सा हूँ।”

जब यहोवा देखता होगा कि भाई उसी तरह बहनों के साथ पेश आते हैं, जैसे वह पेश आता है तो उसे कितनी खुशी होती होगी! (नीति. 27:11) स्कॉटलैंड के एक प्राचीन, भाई बैंजमिन ने कहा, “आज दुनिया में बहुत-से आदमी औरतों की बिलकुल इज़्ज़त नहीं करते। इसलिए हम चाहते हैं कि जब हमारी बहनें राज-घर में आएँ, तो उन्हें यह महसूस हो कि हम उनसे प्यार करते हैं और उनकी इज़्ज़त करते हैं।” तो आइए हम सब यहोवा की तरह बनने की कोशिश करें और अपनी प्यारी बहनों को वह प्यार और इज़्ज़त दें, जो उन्हें मिलनी चाहिए।​—रोमि. 12:10.

a इस लेख में शब्द “बहनें” मसीही बहनों के लिए इस्तेमाल हुआ है ना कि किसी की सगी बहन के लिए।

b शब्द “नाज़ुक पात्र” का मतलब और अच्छी तरह समझने के लिए, 15 मई, 2006 की प्रहरीदुर्ग  में दिया लेख, “‘निर्बल पात्र’ का मोल” और 1 मार्च, 2005 की प्रहरीदुर्ग  में दिया लेख “शादीशुदा जोड़ों के लिए बुद्धि-भरी हिदायतें” पढ़ें।