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अध्ययन लेख 26

गीत 8 यहोवा हमारा गढ़ है

क्या यहोवा आपकी चट्टान है?

क्या यहोवा आपकी चट्टान है?

“हमारे परमेश्‍वर जैसी चट्टान और कोई नहीं।”​—1 शमू. 2:2.

क्या सीखेंगे?

यहोवा में ऐसी कौन-सी खूबियाँ हैं जिस वजह से उसे चट्टान कहा गया है और हम कैसे उसकी तरह बन सकते हैं?

1. जैसा भजन 18:46 में लिखा है, दाविद ने जीवित परमेश्‍वर को क्या कहा?

 आज हम ऐसे समय में जी रहे हैं जब हमें अचानक मुश्‍किलों का सामना करना पड़ सकता है। एक ही झटके में हमारी पूरी ज़िंदगी उलट-पुलट हो सकती है। ऐसे में हमें कहाँ से मदद मिल सकती है? हम यहोवा पर भरोसा रख सकते हैं। पिछले लेख में हमने सीखा था कि यहोवा जीवित परमेश्‍वर है और वह हमारी मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहता है। जब हम देखते हैं कि वह हमारे साथ है और हमारी मदद कर रहा है, तो हमारा यकीन बढ़ जाता है कि वह सच में एक “जीवित परमेश्‍वर है।” (भजन 18:46 पढ़िए।) इस आयत में दाविद ने यह भी कहा कि यहोवा “मेरी चट्टान” है। मगर यहोवा तो एक जीवित परमेश्‍वर है, तो दाविद ने उसे चट्टान क्यों कहा?

2. इस लेख में हम क्या जानेंगे?

2 इस लेख में हम जानेंगे कि यहोवा को चट्टान क्यों कहा गया है और हम इससे क्या सीख सकते हैं। हम यह भी जानेंगे कि हम यहोवा को अपनी  चट्टान कैसे बना सकते हैं। और आखिर में हम देखेंगे कि हम यहोवा की तरह कैसे बन सकते हैं।

यहोवा को चट्टान क्यों कहा गया है?

3. बाइबल में अकसर यहोवा को “चट्टान” क्यों कहा गया है? (तसवीर देखें।)

3 बाइबल में यहोवा को “चट्टान” इसलिए कहा गया है ताकि हम उसे और अच्छी तरह जान सकें। बाइबल में अकसर यहोवा के सेवकों ने उसकी तारीफ में कहा कि यहोवा चट्टान है, उसके जैसा कोई नहीं। व्यवस्थाविवरण 32:4 में पहली बार यहोवा को “चट्टान” कहा गया। फिर हन्‍ना ने अपनी प्रार्थना में कहा, “हमारे परमेश्‍वर जैसी चट्टान और कोई नहीं।” (1 शमू. 2:2) हबक्कूक ने लिखा, यहोवा “मेरी चट्टान” है। (हब. 1:12) और भजन 73 के लिखनेवाले ने कहा, “परमेश्‍वर वह चट्टान है जो मेरे दिल को मज़बूती देता है।” (भज. 73:26) यहोवा ने खुद भी कहा कि वह एक चट्टान है। (यशा. 44:8) अब आइए यहोवा की तीन खूबियों के बारे में जानें जिस वजह से उसे चट्टान कहा गया है और यह भी कि हम कैसे उसे ‘अपनी  चट्टान’ बना सकते हैं।​—व्यव. 32:31.

यहोवा अपने लोगों के लिए एक चट्टान है (पैराग्राफ 3)


4. यहोवा कैसे हमें पनाह देता है? (भजन 94:22)

4 यहोवा पनाह देता है।  ठीक जैसे तूफान आने पर एक चट्टान की आड़ में या उसकी गुफा में एक इंसान को पनाह मिलती है, उसी तरह मुसीबतों के तूफान में यहोवा हमें पनाह देता है, हमारी हिफाज़त करता है। (भजन 94:22 पढ़िए।) हमारा उसके साथ जो रिश्‍ता है, वह उस पर कोई आँच नहीं आने देता। वह हमें यकीन दिलाता है कि आज हम जो भी मुश्‍किलें सह रहे हैं, वे हमेशा नहीं रहेंगी। इतना ही नहीं, वह वादा करता है कि आगे चलकर वह ऐसी हर चीज़ को मिटा देगा जिससे हमें दुख पहुँचता है और हमारे मन की शांति छिन जाती है।​—यहे. 34:25, 26.

5. हम कैसे यहोवा को अपनी चट्टान बना सकते हैं और उसकी पनाह ले सकते हैं?

5 यहोवा को अपनी चट्टान बनाने और उसकी पनाह लेने का एक तरीका है कि हम उससे प्रार्थना करें। जब हम प्रार्थना करते हैं, तो हमें “परमेश्‍वर की वह शांति” मिलती है जिससे हमारे दिल और दिमाग की हिफाज़त होती है। (फिलि. 4:6, 7) भाई आर्टम के उदाहरण पर ध्यान दीजिए, जिन्हें परमेश्‍वर पर विश्‍वास करने की वजह से जेल हुई थी। जेल में एक अफसर बार-बार पूछताछ के लिए उन्हें बुलाता था, उन्हें डराता-धमकाता था और उनकी बेइज़्ज़ती करता था। भाई बताते हैं, ‘जब भी वह अफसर मुझे बुलाता था, मुझे चिंता होने लगती थी। तब मैं यहोवा से प्रार्थना करता था कि मेरे मन को शांत कीजिए और मुझे सही तरह सोचने में मदद दीजिए। उस अफसर ने लाख कोशिश की, लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मैंने महसूस किया कि यहोवा एक दीवार की तरह मेरे आगे खड़ा है और मेरी हिफाज़त कर रहा है।’

6. हम क्यों यहोवा पर भरोसा रख सकते हैं? (यशायाह 26:3, 4)

6 यहोवा भरोसे के लायक है।  ठीक जैसे एक चट्टान हमेशा अपनी जगह पर बनी रहती है, उसी तरह यहोवा भी हमेशा बना रहेगा। वह हमारा साथ देगा और हमें कभी नहीं छोड़ेगा। बाइबल में बताया गया है कि “यहोवा सदा कायम रहनेवाली चट्टान है,” इसलिए हम उस पर पूरी तरह भरोसा कर सकते हैं। (यशायाह 26:3, 4 पढ़िए।) यहोवा जीवित परमेश्‍वर है, इसलिए हम यकीन रख सकते हैं कि वह अपना हर वादा पूरा करेगा, हमेशा हमारी प्रार्थनाएँ सुनेगा और ज़रूरत की घड़ी में हमें सँभालेगा। हम इसलिए भी यहोवा पर भरोसा रख सकते हैं, क्योंकि जो उसके वफादार रहते हैं, वह उनके साथ वफादारी निभाता है। (2 शमू. 22:26) हमने उसकी खातिर जो कुछ किया है, वह उसे कभी नहीं भूलेगा और हमें उसका इनाम भी देगा।​—इब्रा. 6:10; 11:6.

7. अगर हम यहोवा पर भरोसा रखें, तो हम क्या देख पाएँगे? (तसवीर भी देखें।)

7 यहोवा को अपनी चट्टान बनाने का एक और तरीका है, उस पर पूरा भरोसा रखना। हमें भरोसा है कि मुश्‍किलों में भी अगर हम उसकी बात मानें, तो हमारा भला होगा। (यशा. 48:17, 18) और जब हम देखते हैं कि मुसीबत की घड़ी में यहोवा कैसे हमें सँभाले हुए है, तो उस पर हमारा भरोसा और बढ़ जाता है। फिर अगर हम पर कोई ऐसी मुसीबत आती है, जब कोई हमारी मदद नहीं कर सकता, सिर्फ यहोवा ही हमारा सहारा बन सकता है, तो उस मुसीबत का भी हम अच्छी तरह सामना कर पाते हैं। हम साफ-साफ देख पाते हैं कि यहोवा हमारे साथ है और हम उस पर पूरा भरोसा रख सकते हैं। भाई व्लादिमीर का भी यही अनुभव रहा। वे बताते हैं, “जब मैं जेल में था, तो मैंने यहोवा को अपने और भी करीब महसूस किया। वह मेरी ज़िंदगी का सबसे अच्छा वक्‍त था। जेल में मैं बिलकुल अकेला था, हालात भी मेरे बस में नहीं थे। उस वक्‍त मैंने यहोवा पर और भी भरोसा रखना सीखा।”

जब हम यहोवा पर पूरा भरोसा रखते हैं, तो वह हमारी चट्टान बनता है (पैराग्राफ 7)


8. (क) हम क्यों कह सकते हैं कि यहोवा चट्टान की तरह स्थिर है? (ख) यहोवा हमारी चट्टान है, इसलिए हम किस बात का यकीन रख सकते हैं? (भजन 62:6, 7)

8 यहोवा स्थिर रहता है।  यहोवा एक चट्टान की तरह मज़बूत और स्थिर है। उसका स्वभाव कभी नहीं बदलता, ना ही उसका मकसद बदलता है। (मला. 3:6) जैसे अदन के बाग में जब आदम और हव्वा ने यहोवा से बगावत की, तो उसने धरती और इंसानों के लिए अपना मकसद नहीं बदला। वह जो करने की ठान लेता है, उसे हर हाल में पूरा करता है। प्रेषित पौलुस ने भी यहोवा के बारे में कहा, “वह खुद से इनकार नहीं कर सकता।” (2 तीमु. 2:13) इसका मतलब, चाहे जो हो जाए या दूसरे चाहे जो भी करें, यहोवा का स्वभाव, उसका मकसद और उसके स्तर हमेशा एक जैसे रहते हैं। इसलिए हम यकीन रख सकते हैं कि यहोवा कभी नहीं बदलेगा, वह हमेशा स्थिर रहेगा। मुश्‍किल घड़ी में वह हमें सँभालेगा और अपना हर वादा पूरा करेगा।​—भजन 62:6, 7 पढ़िए।

9. आपने बहन तात्याना से क्या सीखा?

9 यहोवा को अपनी चट्टान बनाने का एक और तरीका है, इस बारे में सोचना कि वह कैसा परमेश्‍वर है और उसने हमारे लिए और धरती के लिए कितना बढ़िया मकसद ठहराया है। ऐसा करने से उस पर हमारा भरोसा बढ़ेगा और मुश्‍किलों में हम शांत रह पाएँगे और उसके वफादार रह पाएँगे। (भज. 16:8) बहन तात्याना के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। उन्हें अपने विश्‍वास की वजह से घर में कैद कर दिया गया था। वे बताती हैं, “अकेले घर की चारदीवारी में रहना मेरे लिए बहुत मुश्‍किल था। मैं अकसर निराश हो जाती थी।” पर फिर बहन ने सोचा कि उनके लिए वफादार रहना कितना ज़रूरी है और यह यहोवा और उसके मकसद से कैसे जुड़ा हुआ है। तब वे शांत रह पायीं और अपनी मुश्‍किल का सामना कर पायीं। वे बताती हैं, “जब मैंने यह समझा कि मेरे साथ यह सब इसलिए हो रहा है, क्योंकि मैं यहोवा से प्यार करती हूँ और उसे खुश करना चाहती हूँ, तो मैंने अपने बारे में और अपनी मुश्‍किलों के बारे में सोचना बंद कर दिया।”

10. हम आज यहोवा को अपनी  चट्टान कैसे बना सकते हैं?

10 आगे हमें और भी मुश्‍किलों का सामना करना पड़ेगा और तब हमें यहोवा पर पहले से कहीं ज़्यादा भरोसा करना होगा। इसलिए आज हमें उस पर अपना भरोसा बढ़ाने की ज़रूरत है कि चाहे जो हो जाए, वह वफादार रहने में हमारी मदद करेगा। हम उस पर भरोसा कैसे बढ़ा सकते हैं? बाइबल में जिन वफादार सेवकों के किस्से दिए गए हैं और आज जिन सेवकों के अनुभव प्रकाशित किए जाते हैं, उन्हें पढ़िए और उन पर मनन कीजिए। ध्यान दीजिए कि यहोवा कैसे उनके लिए एक चट्टान साबित हुआ, कैसे उसने उनकी मदद की और उन्हें सँभाला। इस तरह आप यहोवा को अपनी  चट्टान बना पाएँगे।

अपनी चट्टान यहोवा की तरह बनिए

11. हमें क्यों यहोवा की तरह बनना चाहिए? (“ नौजवान भाइयों के लिए लक्ष्य” नाम का बक्स भी देखें।)

11 हमने यहोवा की कुछ खूबियों पर ध्यान दिया जिस वजह से उसे चट्टान कहा गया है। अब आइए देखें कि हम कैसे अपने अंदर उन खूबियों को बढ़ा सकते हैं और यहोवा की तरह बन सकते हैं। हम जितना ज़्यादा उन खूबियों को बढ़ाएँगे, उतना ज़्यादा मंडली के भाई-बहनों को मज़बूत कर पाएँगे। यीशु ने अपने एक चेले शमौन को कैफा नाम दिया था (यूनानी भाषा में “पतरस”) जिसका मतलब है, “चट्टान का टुकड़ा।” (यूह. 1:42) यीशु ने यह नाम उसे इसलिए दिया था क्योंकि आगे चलकर पतरस मंडली में दूसरों को दिलासा देता और उन्हें मज़बूत करता। बाइबल में प्राचीनों के बारे में भी कहा गया है कि वे “बड़ी चट्टान की छाया” होंगे, यानी वे मंडली के भाई-बहनों की हिफाज़त करेंगे। (यशा. 32:2) प्राचीनों के अलावा हम सब भी ऐसा कर सकते हैं और अपनी चट्टान यहोवा की तरह बन सकते हैं। (इफि. 5:1) आइए देखें कैसे?

12. हम कैसे दूसरों को पनाह दे सकते हैं?

12 दूसरों को पनाह दीजिए।  जब कुदरती आफतें आती हैं या दंगे-फसाद या युद्ध होते हैं, तो हम अपने भाई-बहनों को अपने घर में पनाह दे सकते हैं। इन “आखिरी दिनों में” हालात और भी खराब होंगे और हमें अपने भाई-बहनों की मदद करने के और भी मौके मिलेंगे। (2 तीमु. 3:1) हम एक और तरीके से अपने भाई-बहनों को पनाह दे सकते हैं। हम उनका हौसला बढ़ा सकते हैं और उन्हें प्यार और अपनापन दिखा सकते हैं। राज-घर में हम भाई-बहनों से मिल सकते हैं, उनसे बात कर सकते हैं और उनकी हिम्मत बँधा सकते हैं। आज हम एक ऐसी दुनिया में जी रहे हैं जो मतलबी होती जा रही है, कोई किसी की परवाह नहीं करता। इसलिए जब भाई-बहन सभाओं में आते हैं, तो हमें उन्हें एहसास दिलाना चाहिए कि हम उनसे प्यार करते हैं और उनकी परवाह करते हैं। तब उन्हें बहुत राहत मिलेगी और वे सुरक्षित महसूस करेंगे।

13. प्राचीन भाई-बहनों को कैसे पनाह दे सकते हैं? (तसवीर भी देखें।)

13 प्राचीन भी दूसरों को पनाह दे सकते हैं। कैसे? जब कोई कुदरती आफत आती है या जब अचानक किसी भाई या बहन की तबियत खराब हो जाती है, तो वे उनकी मदद करने के लिए कुछ इंतज़ाम कर सकते हैं। या जब भाई-बहन अपनी ज़िंदगी में तूफान जैसी किसी मुश्‍किल का सामना करते हैं, तो वे उनका हौसला बढ़ा सकते हैं। लेकिन भाई-बहन कब बेझिझक एक प्राचीन के पास मदद के लिए जाएँगे? जब उन्हें यकीन होगा कि वह उनसे प्यार से बात करेगा, ध्यान से उनकी सुनेगा और उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश करेगा। जब एक प्राचीन ऐसा करेगा, तो भाई-बहन उसका प्यार महसूस कर पाएँगे। और फिर वह बाइबल से उन्हें जो सलाह देगा, वह उसे आसानी से मान पाएँगे।​—1 थिस्स. 2:7, 8, 11.

जब कोई कुदरती आफत आती है या कोई बड़ी मुश्‍किल आती है, तो प्राचीन भाई-बहनों को पनाह देते हैं (पैराग्राफ 13) a


14. हम भरोसेमंद इंसान कैसे बन सकते हैं?

14 भरोसेमंद बनिए।  भाई-बहनों को भरोसा होना चाहिए कि हम उनकी मदद करने के लिए हमेशा तैयार हैं, खासकर मुश्‍किल वक्‍त में। (नीति. 17:17) पर हम दूसरों की नज़र में भरोसेमंद इंसान कैसे बन सकते हैं? हममें परमेश्‍वर जैसी खूबियाँ होनी चाहिए। जैसे, हमें अपने वादे पूरे करने चाहिए और सबकुछ समय पर करना चाहिए। (मत्ती 5:37) जब हम देखते हैं कि किसी को मदद की ज़रूरत है, तो हमें तुरंत उसकी मदद करनी चाहिए। इसके अलावा, हमें जो भी ज़िम्मेदारी मिलती है, हमें उसे पूरा करना चाहिए और जो हिदायत दी जाती है, उसके हिसाब से काम करना चाहिए। जब हम ऐसा करेंगे, तो दूसरे हम पर भरोसा कर पाएँगे।

15. जब प्राचीन भरोसेमंद होते हैं, तो भाई-बहनों को क्या फायदा होता है?

15 भरोसेमंद प्राचीन मंडली के लिए आशीष होते हैं। वह कैसे? जब भाई-बहनों को पता होता है कि वे प्राचीनों को, जैसे समूह निगरान को कभी-भी मदद के लिए बुला सकते हैं, तब उन्हें चिंता नहीं होती। इसके अलावा, जब प्राचीन मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, तो भाई-बहन देख पाते हैं कि वे उनकी परवाह करते हैं। और जब प्राचीन बाइबल और हमारे प्रकाशनों से सलाह देते हैं, ना कि अपने मन से, तो भाई-बहन उन पर और भी भरोसा करने लगते हैं। इतना ही नहीं, जब प्राचीन भाई-बहनों की बातें अपने तक रखते हैं, दूसरों को नहीं बताते और अपना हर वादा पूरा करते हैं, तब भी भाई-बहनों का उन पर भरोसा बढ़ता है।

16. अगर हम सच्चाई में मज़बूती से खड़े रहें, तो हमें और दूसरों को क्या फायदा होगा?

16 मज़बूती से खड़े रहिए।  जब भाई-बहन देखेंगे कि हम हमेशा यहोवा की आज्ञा मानते हैं और बाइबल सिद्धांतों के हिसाब से फैसले लेते हैं, तो वे भी ऐसा करना सीखेंगे। जब हम परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन करते हैं, तो हमारा विश्‍वास बढ़ता है और हम सच्चाई में मज़बूती से खड़े रह पाते हैं। इसके अलावा, हम झूठी शिक्षाओं के बहकावे में नहीं आते, ना ही दुनिया की सोच को खुद पर हावी होने देते हैं। (इफि. 4:14; याकू. 1:6-8) हमें यहोवा पर और उसके वादों पर पूरा भरोसा रहता है, इसलिए बुरी खबरें सुनने पर हम हिल नहीं जाते, बल्कि शांत रहते हैं। (भज. 112:7, 8) इतना ही नहीं, हम उनकी भी मदद कर पाते हैं जो मुश्‍किल हालात से गुज़र रहे हैं।​—1 थिस्स. 3:2, 3.

17. प्राचीन कैसे भाई-बहनों को मज़बूत करते हैं?

17 प्राचीन हर बात में संयम बरतते हैं, सही सोच रखते हैं, कायदे से चलते हैं और लिहाज़ करनेवाले होते हैं। वे “विश्‍वासयोग्य वचन को मज़बूती से थामे” रहते हैं, इसलिए वे भाई-बहनों को मज़बूत कर पाते हैं और यहोवा पर उनका विश्‍वास बढ़ा पाते हैं। (तीतु. 1:9; 1 तीमु. 3:1-3) प्राचीन लगातार सभाओं में आते हैं, प्रचार में जाते हैं और निजी अध्ययन करते हैं। इस तरह वे दूसरों के लिए एक अच्छी मिसाल रखते हैं। और जब वे भाई-बहनों की रखवाली भेंट करते हैं, तो वे उन्हें भी इन कामों में लगे रहना का बढ़ावा देते हैं। मुश्‍किलें आने पर जब भाई-बहन चिंता करने लगते हैं, तो प्राचीन उन्हें याद दिलाते हैं कि वे यहोवा पर भरोसा रखें और उसके वादों के बारे में सोचें।

18. हम क्यों यहोवा की तारीफ करना चाहते हैं और उसके और करीब आना चाहते हैं? (“ यहोवा के करीब आने का एक तरीका” नाम का बक्स देखें।)

18 यहोवा की इन खूबियों पर चर्चा करने के बाद, हम भी राजा दाविद की तरह यह कहने से खुद को रोक नहीं पाते, “मेरी चट्टान यहोवा की तारीफ हो।” (भज. 144:1) हम यहोवा पर पूरा भरोसा रख सकते हैं। वह हमेशा हमारा साथ देगा और हमारे करीब रहेगा, फिर चाहे हम बूढ़े क्यों ना हो जाएँ। इसलिए हम पूरे यकीन के साथ कह सकते हैं कि यहोवा “मेरी  चट्टान” है!​—भज. 92:14, 15.

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a तसवीर के बारे में: राज-घर में एक बहन बिना हिचकिचाए प्राचीनों से बात कर रही है।