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बायीं तरफ: पोलैंड से आयी राहत सामग्री को यूक्रेन के भाई-बहन एक गाड़ी में रखवा रहे हैं ताकि इसे भाई-बहनों में बाँटा जा सके। दायीं तरफ: होस्टोमेल शहर में एक भाई का घर बम से तहस-नहस

13 अप्रैल, 2022
यूक्रेन

रिपोर्ट #6 | यूक्रेन पर आए संकट के दौरान भाई-बहनों का प्यार साफ नज़र आया

रिपोर्ट #6 | यूक्रेन पर आए संकट के दौरान भाई-बहनों का प्यार साफ नज़र आया

हमें बताते हुए बहुत दुख हो रहा है कि यूक्रेन में चल रहे युद्ध की वजह से हमारे और भी भाई-बहन मारे गए हैं। कुल मिलाकर 28 भाई-बहनों की जान जा चुकी है।

जैसा कि अंतर्राष्ट्रीय खबरों से पता चला है, युद्ध के शुरूआती हफ्तों में कीव के आस-पास के शहरों में ज़बरदस्त लड़ाई हो रही थी। इस इलाके में करीब 4,900 प्रचारक रहते हैं। इनमें से 3,500 से ज़्यादा प्रचारकों ने भागकर सुरक्षित इलाकों में पनाह ली है।

इन मुश्‍किल-से-मुश्‍किल हालात में भी यहोवा पर हमारे भाई-बहनों का विश्‍वास मज़बूती से टिका हुआ है। आगे कुछ अनुभव बताए गए हैं जो इस बात को सच साबित करते हैं।

ओलेक्सांद्रे नाम का एक प्राचीन माकारीव शहर से है। युद्ध के दौरान वह मध्य यूक्रेन के एक सुरक्षित इलाके में चला गया। लेकिन उसके प्रचार समूह में ऐसे चार प्रचारक थे जिनसे वह संपर्क नहीं कर पा रहा था। उसे उनकी चिंता होने लगी, वह उन्हें ढूँढ़ने वापस युद्ध के इलाके में गया। वह बताता है, “मैं जानता हूँ कि यहोवा के लिए उसके सेवक अनमोल हैं। . . . जब मैं उनमें से एक प्रचारक के घर पहुँचा, तो देखा कि उस घर के सामने बम गिराए गए थे। बेसमेंट का दरवाज़ा बंद था और बार-बार आवाज़ देने पर भी कोई जवाब नहीं दे रहा था। मैं बहुत घबरा गया।” ओलेक्सांद्रे ने फिर बेसमेंट का दरवाज़ा तोड़ा। अंदर घुसते ही उसने देखा कि कुछ लोग बैठे हैं और उसी की तरफ देख रहे हैं। चारों प्रचारक सुरक्षित थे। वे और उनके कुछ पड़ोसी जो साक्षी नहीं थे, उस बेसमेंट में पनाह ले रहे थे।

यारोस्लाव और उसकी पत्नी (बीच में) और ओलेक्सांद्रे और उसकी पत्नी एक सुरक्षित जगह में पहुँचने के बाद साथ में खाना खाते हुए

उनमें से एक प्रचारक, यारोस्लाव ने बताया कि वे आठ दिनों से बेसमेंट में पनाह ले रहे थे। वह बताता है, “हमारे पास खाने-पीने की सिर्फ इतनी चीज़ें थीं कि हर व्यक्‍ति दिन में सिर्फ कुछ बिस्कुट खा सकता था और एक गिलास पानी पी सकता था। लेकिन हमने बाइबल और हमारे प्रकाशन पढ़े, साथ मिलकर प्रार्थना की और एक-दूसरे की हिम्मत बढ़ायी। जब मैंने ओलेक्सांद्रे को मेरा नाम लेते सुना, तो मुझे लगा कि सैनिक मुझे पकड़ने आए हैं। मैंने मन-ही-मन सोचा कि आज तो मैं मरनेवाला हूँ। . . . [लेकिन] ओलेक्सांद्रे ने हम सबको बचा लिया। हम यहोवा का एहसान मानते हैं कि उसने हमें ऐसे भाई-बहन दिए हैं जो हमसे बहुत प्यार करते हैं, हमारे लिए प्रार्थना करते हैं और हमें बचाने के लिए अपनी जान तक दाँव पर लगा देते हैं।”

पीलिप

एक और अनुभव पर ध्यान दीजिए। पीलिप और एक भाई ने तय किया कि वे बोरोडियानका शहर में रहनेवाले भाई-बहनों को खाना पहुँचाने जाएँगे। जब वे 17 मार्च को शहर की तरफ जा रहे थे, तो सैनिकों ने पीलिप की गाड़ी रोककर खाना ले लिया। फिर उन्होंने दोनों भाइयों को गिरफ्तार कर लिया। हथकड़ियाँ पहनाकर और आँखों पर पट्टियाँ बाँधकर उन्हें नीचे बेसमेंट में एक छोटे-से कमरे में लाया गया जहाँ सात और लोग कैद थे। दो दिन बाद, कुछ गार्ड उन भाइयों को जेल की एक कोठरी में ले गए और उन्हें रात को खूब मारा-पीटा। पीलिप बताता है, “मुझे पता नहीं था कि मैं ज़िंदा बचूँगा या नहीं। मैं यहोवा से प्रार्थना करता रहा कि मैं उसका वफादार रहूँ।”

एक बार की बात है, जब पीलिप को मारा-पीटा जा रहा था, तो वह ज़ोर-ज़ोर से प्रार्थना करने लगा। वह उन बुज़ुर्ग बहनों को याद करने लगा जिनके पास खाने को कुछ नहीं था और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करने लगा। उसने यहोवा का धन्यवाद भी किया कि वह कई सालों तक खुशी-खुशी उसकी सेवा कर पाया। फिर गार्ड उसे वापस कमरे में ले गए। वहाँ पीलिप उन गार्ड के लिए प्रार्थना करता रहा ताकि वे समझ पाएँ कि उन्हें भाइयों से कोई खतरा नहीं है। दोनों भाई गार्ड को गवाही देने लगे। अगले दो दिन तक, वे ड्‌यूटी पर आनेवाले अलग-अलग गार्ड को गवाही देते रहे। कमरे में कैद आदमियों में से एक आदमी ने बाइबल के संदेश में दिलचस्पी दिखायी और भाइयों को शुक्रिया कहा। सत्ताईस मार्च को ये दो भाई और वह आदमी कैद से रिहा हो गए।

स्विटलाना नाम की एक अविवाहित बहन बूका शहर में रहती थी जहाँ युद्ध ज़ोरों पर चल रहा था। इस वजह से वह वहाँ दो हफ्तों से फँसी थी। वह बताती है, “उस दौरान मैं और भी अच्छी तरह समझ पायी कि जो शांति यहोवा देता है, वह क्या होती है। इस शांति का यह मतलब नहीं है कि हमें हमेशा पता हो कि हमें क्या करना है। अगर हमें कोई रास्ता नज़र ना भी आ रहा हो, तब भी हम शांत रह पाते हैं क्योंकि हमें यहोवा पर पूरा भरोसा होता है।”

फिर जब स्विटलाना यूक्रेन में ही किसी सुरक्षित जगह जाने के लिए सफर कर रही थी, तो रास्ते में उसने एक औरत और उसके भतीजे को गवाही दी। जब वे एक महफूज़ जगह पहुँचे, तो एक साक्षी परिवार ने उनका स्वागत किया। उस परिवार ने स्विटलाना के साथ-साथ उस औरत और उसके भतीजे को एक रात के लिए अपने घर ठहराया। अगले दिन उस औरत ने कहा कि वह हमारी सभा में आना चाहती है और उसे एक बाइबल और कुछ पत्रिकाएँ चाहिए। स्विटलाना की अब भी उस औरत से बातचीत होती रहती है।

12 अप्रैल, 2022 तक यूक्रेन से आगे बतायी खबर मिली है। स्थानीय भाइयों के मुताबिक यह खबर पक्की है। लेकिन आँकड़े इससे भी ज़्यादा हो सकते हैं, क्योंकि देश के हर इलाके के भाई-बहनों से संपर्क बनाए रखना मुश्‍किल है:

हमारे भाई-बहनों पर क्या असर हुआ है?

  • 28 प्रचारकों की मौत हो गयी है

  • 48 प्रचारक घायल हुए हैं

  • 40,778 प्रचारकों को अपना घर छोड़कर भागना पड़ा और उन्हें यूक्रेन में ही किसी दूसरी जगह पनाह लेनी पड़ी

  • 278 घर तहस-नहस हो गए

  • 268 घरों को बहुत नुकसान हुआ

  • 746 घरों को थोड़ा-बहुत नुकसान हुआ

  • 1 राज-घर तहस-नहस हो गया

  • 9 राज-घरों को बहुत नुकसान हुआ

  • 26 राज-घरों को थोड़ा-बहुत नुकसान हुआ

राहत काम

  • यूक्रेन में 27 विपत्ति राहत-समितियाँ भाई-बहनों की मदद कर रही हैं

  • इन समितियों ने 41,974 प्रचारकों को सुरक्षित जगहों में ठहराने का इंतज़ाम किया

  • 18,097 प्रचारकों को दूसरे देशों में भागना पड़ा और वहाँ के भाई-बहन उनकी मदद कर रहे हैं