एक नयी ज़िंदगी की शुरूआत
सरगे बचपन से खुद को बेकार समझता था। उसने परमेश्वर से प्रार्थना की कि वह उसे जीने का मकसद ढूँढ़ने में मदद दे। ठीक दो घंटे बाद उसे अपनी प्रार्थना का जवाब मिला।
सरगे बचपन से खुद को बेकार समझता था। उसने परमेश्वर से प्रार्थना की कि वह उसे जीने का मकसद ढूँढ़ने में मदद दे। ठीक दो घंटे बाद उसे अपनी प्रार्थना का जवाब मिला।