एक पादरी को अपने सवालों के जवाब मिले
एलिसा एक यहोवा की साक्षी है। एक दिन वह एक औरत का बाइबल अध्ययन करा रही थी कि तभी अचानक उस औरत के घर कुछ मेहमान आए। दरवाज़े पर पादरी और उसकी पत्नी थी। एलिसा जानती थी कि कुछ समय पहले उनके बेटे की मौत हुई थी। वह उनका इकलौता बेटा था।
जब एलिसा ने उनसे कहा कि उनके बेटे के बारे में सुनकर उसे दुख हुआ, तो वे ज़ोर-ज़ोर से रोने लगे। फिर पादरी ने गुस्से में कहा, “परमेश्वर ने यह सब क्यों होने दिया! उसने मुझसे मेरा बेटा क्यों छीन लिया? मैं 28 सालों से उसकी सेवा कर रहा हूँ, मैंने उसके लिए क्या-कुछ नहीं किया और उसने मुझे यह सिला दिया! परमेश्वर ने मेरे बेटे को क्यों मारा?”
एलिसा ने समझाया कि परमेश्वर ने उसके बेटे को उनसे नहीं छीना। फिर उसने उन्हें फिरौती के बारे में बताया और बताया कि हमारे अपने जो अब नहीं रहे, वे दोबारा ज़िंदा होंगे। उसने यह भी समझाया कि परमेश्वर बुराइयों को क्यों होने दे रहा है। पादरी और उसकी पत्नी ने बताया कि एलिसा ने उनके उन सवालों के जवाब दिए, जिनके बारे में वे प्रार्थना कर रहे थे।
फिर अगले हफ्ते पादरी और उसकी पत्नी दोबारा उस औरत के घर आए। उस वक्त एलिसा उस औरत के साथ बाइबल असल में क्या सिखाती है? किताब से “मौत की नींद सो रहे आपके अपनों के लिए सच्ची आशा” अध्याय से चर्चा कर रही थी। पादरी और उसकी पत्नी भी अध्ययन के दौरान बैठे रहे। वे भी जवाब दे रहे थे।
कुछ समय बाद वे यहोवा के साक्षियों के खास अधिवेशन में गए। यह जॉर्जिया के तिब्लिसी शहर में हुआ था। वहाँ साक्षियों के बीच प्यार और एकता देखकर उन्हें बहुत अच्छा लगा, क्योंकि वे सालों से यही कोशिश कर रहे थे कि अपने चर्च के लोगों के बीच प्यार और एकता बढ़ा सकें, लेकिन वे नाकाम रहे।