‘परमेश्‍वर के राज के बारे में अच्छी तरह गवाही दो’

इस किताब में बताया है कि पहली सदी में मसीही मंडली कैसे बनी और आज हमारे लिए इसके क्या मायने हैं।

नक्शे

नक्शों में इसराएल देश और उसके आस-पास का इलाका दिखाया गया है और यह भी कि पौलुस अपने मिशनरी दौरों में कहाँ-कहाँ गया।

शासी निकाय का खत

हम क्यों भरोसा रख सकते हैं कि परमेश्‍वर के राज के बारे में “अच्छी तरह गवाही” देने में परमेश्‍वर यहोवा हमारी मदद करेगा?

अध्याय 1

‘जाओ और लोगों को मेरा चेला बनना सिखाओ’

यीशु ने भविष्यवाणी की थी कि परमेश्‍वर के राज की खुशखबरी सब राष्ट्रों में सुनायी जाएगी। यह काम कैसे पूरा हो रहा है?

अध्याय 2

‘तुम मेरे बारे में गवाही दोगे’

यीशु अपने प्रेषितों को तैयार करता है ताकि वे प्रचार काम की अगुवाई कर सकें।

अध्याय 3

‘वे पवित्र शक्‍ति से भर गए’

मसीही मंडली को शुरू करने में परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति की क्या भूमिका थी?

अध्याय 4

“कम पढ़े-लिखे, मामूली आदमी”

प्रेषित हिम्मत से काम लेते हैं और यहोवा उनकी सेवा पर आशीष देता है।

अध्याय 5

“परमेश्‍वर को अपना राजा जानकर उसकी आज्ञा मानना ही हमारा फर्ज़ है”

प्रेषित सभी सच्चे मसीहियों के लिए एक मिसाल कायम करते हैं।

अध्याय 6

“स्तिफनुस पर परमेश्‍वर की बड़ी कृपा थी और वह उसकी शक्‍ति से भरपूर था”

महासभा के सामने स्तिफनुस जिस तरह निडर होकर गवाही देता है, उससे हम बहुत कुछ सीखते हैं।

अध्याय 7

फिलिप्पुस ने “यीशु के बारे में खुशखबरी” सुनायी

फिलिप्पुस एक प्रचारक के नाते अच्छी मिसाल रखता है।

अध्याय 8

मंडली के लिए “शांति का दौर शुरू” होता है

ज़ुल्म ढानेवाला शाऊल एक जोशीला प्रचारक बन जाता है।

अध्याय 9

“परमेश्‍वर भेदभाव नहीं करता”

खतनारहित गैर-यहूदियों को खुशखबरी सुनने का मौका मिलता है।

अध्याय 10

“यहोवा का वचन फैलता गया”

पतरस जेल से छुड़ाया जाता है और ज़ुल्मों के बावजूद खुशखबरी सुनाने का काम रुकता नहीं।

अध्याय 11

“आनंद और पवित्र शक्‍ति से भरपूर”

विरोधियों के साथ सही तरह से पेश आने में पौलुस एक अच्छी मिसाल रखता है।

अध्याय 12

‘यहोवा से मिले अधिकार की वजह से वे निडर होकर वचन सुनाते रहे’

पौलुस और बरनबास नम्र और निडर रहते हैं और अपने काम में डटे रहते हैं।

अध्याय 13

‘उनके बीच लंबी चर्चा होती है’

शासी निकाय के सामने खतने का मसला पेश किया जाता है।

अध्याय 14

“हम सबने एकमत होकर तय किया”

शासी निकाय सही फैसले पर पहुँचता है और इससे मंडलियों की एकता बनी रहती है। आइए जानें कैसे।

अध्याय 15

‘वे मंडलियों को मज़बूत करते गए’

सफरी निगरानों की मदद से मंडलियों का विश्‍वास मज़बूत होता है।

अध्याय 16

‘इस पार मकिदुनिया आ’

यहोवा जो भी काम देता है उसे करने से और ज़ुल्मों के बावजूद खुश रहने से आशीषें मिलती हैं।

अध्याय 17

‘वह पवित्र शास्त्र से उनके साथ तर्क-वितर्क करता है’

पौलुस थिस्सलुनीके और बिरीया के यहूदियों को अच्छी तरह गवाही देता है।

अध्याय 18

‘परमेश्‍वर को ढूँढ़ो और वाकई तुम उसे पा लोगे’

पौलुस ने ऐसे विषय पर लोगों से बात की जिसमें उन्हें रुचि है। इससे उसके सामने क्या मौका खुला?

अध्याय 19

“प्रचार किए जा, चुप मत रह”

हम परमेश्‍वर के राज के बारे में अच्छी तरह गवाही देना चाहते हैं। आइए देखें कि पौलुस ने कुरिंथ में जिस तरह गवाही दी, उससे हम क्या सीख सकते हैं।

अध्याय 20

विरोध के बावजूद “यहोवा का वचन फैलता गया”

जानिए कि खुशखबरी फैलाने में पौलुस और अपुल्लोस दोनों ने क्या मेहनत की।

अध्याय 21

“मैं सब लोगों के खून से निर्दोष हूँ”

पौलुस जोश से प्रचार करता है और प्राचीनों को सलाह देता है।

अध्याय 22

“यहोवा की मरज़ी पूरी हो”

पौलुस हर हाल में परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी करना चाहता है, इसलिए वह यरूशलेम जाता है।

अध्याय 23

“मैं अपनी सफाई में जो कहने जा रहा हूँ, वह सुनो”

गुस्से से भड़की हुई भीड़ और महासभा के सामने पौलुस अपने विश्‍वास की पैरवी करता है।

अध्याय 24

“हिम्मत रख!”

पौलुस एक साज़िश का शिकार होने से बच जाता है और राज्यपाल फेलिक्स के सामने अपनी सफाई पेश करता है।

अध्याय 25

“मैं सम्राट से फरियाद करता हूँ!”

खुशखबरी की पैरवी करने में पौलुस ने एक मिसाल कायम की।

अध्याय 26

“तुममें से एक की भी जान नहीं जाएगी”

जहाज़ टूटने पर भी पौलुस दिखाता है कि उसका विश्‍वास मज़बूत है और वह लोगों से प्यार करता है।

अध्याय 27

उसने “अच्छी तरह गवाही दी”

पौलुस रोम में कैद है फिर भी प्रचार करता रहता है।

अध्याय 28

“दुनिया के सबसे दूर के इलाकों में”

पहली सदी में यीशु के चेलों ने जो काम शुरू किया था, वही काम आज यहोवा के साक्षी कर रहे हैं।

तसवीरों की सूची

इस प्रकाशन की मुख्य तसवीरों की सूची।