अध्याय 10
“यहोवा का वचन फैलता गया”
पतरस जेल से छुड़ाया जाता है और ज़ुल्मों के बावजूद खुशखबरी सुनाने का काम नहीं रुकता
प्रेषितों 12:1-25 पर आधारित
1-4. पतरस किस मुश्किल घड़ी का सामना करता है? आप उसकी जगह होते तो आपको कैसा लगता?
लोहे का भारी-भरकम फाटक धड़ाम से बंद होता है और ज़ंजीरों से बँधा हुआ पतरस दो रोमी सैनिकों के साथ जेल के अंदर आता है। वे उसे सीधे एक कोठरी की तरफ ले जाते हैं और बंद कर देते हैं। अब उसके साथ क्या होगा? यह जानने के लिए उसे शायद घंटों तक या कई दिनों तक इंतज़ार करना है। कोठरी की चारदीवारी में पड़े-पड़े उसके लिए सलाखों, ज़ंजीरों और सिपाहियों को देखने के सिवा कुछ नहीं है।
2 आखिरकार कोई आता है और पतरस को बुरी खबर सुनाता है। राजा हेरोदेस अग्रिप्पा प्रथम ने उसे मार डालने की ठान ली है। a फसह के त्योहार के बाद पतरस को लोगों के सामने लाया जाएगा और हेरोदेस सरेआम उसे मौत की सज़ा सुनाएगा। यह हेरोदेस की तरफ से लोगों के लिए एक भेंट होगी। हेरोदेस ने पतरस को सिर्फ डराने के लिए यह खबर नहीं भेजी है। वह सचमुच ऐसा करेगा, क्योंकि कुछ वक्त पहले उसने पतरस के दोस्त प्रेषित याकूब को भी मरवा डाला था।
3 शाम का वक्त है, पतरस जेल की कोठरी में बैठा गहरी सोच में है। वह क्या सोच रहा होगा? शायद उसे यीशु की वह बात याद आ रही है कि एक दिन कोई आएगा और उसे ज़बरदस्ती बाँधकर ले जाएगा और मार डालेगा। (यूह. 21:18, 19) हो सकता है, पतरस को लग रहा हो कि वह घड़ी आ चुकी है।
4 उस दिन पतरस की जगह अगर आप होते, तो आपको कैसा लगता? कई लोग यह सोचकर निराश हो जाते हैं कि उनके लिए कोई उम्मीद नहीं बची है। लेकिन यीशु के सच्चे चेले ऐसा नहीं सोचते। अब आइए देखें कि पतरस और दूसरे मसीहियों ने इस मुश्किल दौर में क्या किया और इससे हम क्या सीख सकते हैं।
‘मंडली दिलो-जान से प्रार्थना’ करती है (प्रेषि. 12:1-5)
5, 6. (क) हेरोदेस अग्रिप्पा प्रथम क्यों और किस तरह मसीही मंडली पर ज़ुल्म करने लगता है? (ख) याकूब की मौत से मसीही मंडली को क्यों धक्का लगता है?
5 जैसा हमने इस किताब के पिछले अध्याय में पढ़ा था, जब गैर-यहूदी कुरनेलियुस और उसका परिवार मसीही बना तो यह मसीही मंडली के लिए एक रोमांचक घटना थी। मगर जो यहूदी यीशु के चेले नहीं थे उन्हें यह देखकर बहुत गुस्सा आया होगा। वे सोच भी नहीं सकते थे कि यहूदी मसीही कैसे गैर-यहूदियों के साथ मिलकर उपासना कर रहे हैं।
6 चालाक हेरोदेस इस मौके का फायदा उठाता है। वह जानता है कि अगर उसने यहूदियों को अपनी तरफ कर लिया तो उसकी सत्ता मज़बूत हो जाएगी। इसलिए वह मसीहियों पर ज़ुल्म करने लगता है। उसे मालूम पड़ता है कि ‘यूहन्ना का भाई याकूब’ यीशु मसीह का करीबी था इसलिए वह उसे ‘तलवार से मरवा डालता है।’ (प्रेषि. 12:2) याकूब की मौत से मसीही मंडली को बहुत धक्का लगता है! याकूब उन तीन प्रेषितों में से एक था जिन्होंने यीशु की महिमा का दर्शन और ऐसे कई चमत्कार देखे थे जो बाकी प्रेषितों ने नहीं देखे। (मत्ती 17:1, 2; मर. 5:37-42) यही नहीं, याकूब और उसका भाई यूहन्ना परमेश्वर की सेवा में बहुत जोशीले थे जिस वजह से यीशु ने उन्हें “गरजन के बेटे” नाम दिया था। (मर. 3:17) याकूब सच में एक निडर और वफादार सेवक था। इसलिए मंडली को बहुत दुख हुआ कि उन्होंने उस प्यारे भाई को खो दिया।
7, 8. जब पतरस को जेल में डाला जाता है, तो मसीही भाई-बहन क्या करते हैं?
7 जैसा अग्रिप्पा ने सोचा था वैसा ही हुआ। याकूब की मौत से यहूदी बड़े खुश होते हैं। इससे अग्रिप्पा की हिम्मत बढ़ जाती है और वह पतरस को अपना अगला निशाना बनाता है। जैसा इस अध्याय की शुरूआत में बताया गया है, वह पतरस को गिरफ्तार करवाता है। लेकिन अग्रिप्पा शायद जानता है कि कुछ समय पहले जब प्रेषितों को सलाखों के पीछे डाला गया था, तो वे चमत्कार से छूट गए थे। इस बारे में हमने अध्याय 5 में पढ़ा था। हेरोदेस नहीं चाहता कि पतरस किसी भी सूरत में बच निकले। इसलिए वह चार सिपाहियों के चार दल ठहराता है कि वे बारी-बारी से उस पर पहरा दें। और पतरस के दोनों हाथ ज़ंजीरों से बँधवाता है जो दो सिपाहियों के हाथों से जुड़ी होती हैं। वह सिपाहियों को खबरदार करता है कि अगर पतरस बच निकला तो उन्हें जान से मार डाला जाएगा! पतरस को इन मुश्किल हालात में देखकर मसीही भाई-बहन क्या कर सकते हैं?
8 वे अच्छी तरह जानते हैं कि उन्हें क्या करना है। प्रेषितों 12:5 में हम पढ़ते हैं, “जब पतरस जेल में था तो मंडली उसके लिए परमेश्वर से दिलो-जान से प्रार्थना कर रही थी।” जी हाँ, वे अपने प्यारे भाई पतरस के लिए दिल से दुआएँ करते हैं। वे याकूब की मौत से मायूस होकर हिम्मत नहीं हारते। उन्हें अब भी विश्वास है कि यहोवा उनकी प्रार्थनाएँ सुनता है। सच में, हमारी प्रार्थनाएँ यहोवा के लिए बहुत अहमियत रखती हैं। अगर हमारी प्रार्थनाएँ उसकी मरज़ी के मुताबिक हों तो वह हमारी ज़रूर सुनेगा। (इब्रा. 13:18, 19; याकू. 5:16) आज हम मसीहियों को यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए।
9. हम उन भाई-बहनों से क्या सीख सकते हैं जिन्होंने पतरस के लिए प्रार्थना की?
9 क्या आप ऐसे भाई-बहनों को जानते हैं जो तरह-तरह की परीक्षाओं से गुज़र रहे हैं? हो सकता है, सच्चाई की वजह से वे तकलीफें सह रहे हों या वे किसी ऐसे देश में रहते हों जहाँ सरकार ने हमारे काम पर रोक लगायी है या फिर किसी कुदरती आफत में उनका भारी नुकसान हुआ हो। क्यों ना आप उन भाई-बहनों के लिए पूरे दिल से प्रार्थना करें? आप शायद ऐसे मसीहियों को भी जानते हों जिनकी मुश्किलें इतनी खुलकर नज़र नहीं आतीं। हो सकता है, उनके परिवार में कोई समस्या हो, वे मायूस हों या कोई और मुश्किल का सामना कर रहे हों। प्रार्थना करने से पहले कुछ देर के लिए सोचिए कि आप किन-किन लोगों को अपनी प्रार्थना में याद करना चाहेंगे। तब आप “प्रार्थना के सुननेवाले” यहोवा से उन भाई-बहनों के लिए बिनती कर सकेंगे। (भज. 65:2) फिर जब हम किसी तकलीफ में होंगे तो हमारे भाई-बहन भी हमारे लिए प्रार्थना करेंगे।
“मेरे पीछे चला आ” (प्रेषि. 12:6-11)
10, 11. स्वर्गदूत पतरस को किस तरह जेल से आज़ाद करता है?
10 क्या पतरस यह सोचकर डर रहा है कि उसे जल्द ही मार डाला जाएगा? हम पक्के तौर पर नहीं कह सकते। वचन से सिर्फ इतना पता चलता है कि अपनी आखिरी रात पतरस दो सिपाहियों के बीच गहरी नींद सो रहा था। पतरस को पूरा विश्वास है कि कल उसके साथ चाहे जो भी हो, वह यहोवा की याद में हमेशा महफूज़ रहेगा। (रोमि. 14:7, 8) लेकिन अब जो होनेवाला है उसके बारे में उसने सपने में भी नहीं सोचा होगा! अचानक जेल की कोठरी रौशनी से जगमगा उठती है। एक स्वर्गदूत जल्दी से पतरस को जगाता है। ताज्जुब की बात है कि यह सब सिपाहियों की आँखों के सामने हो रहा है मगर उन्हें कुछ दिखायी नहीं दे रहा। इसके बाद पतरस के हाथों में बँधी मज़बूत ज़ंजीरें खुलकर गिर पड़ती हैं।
11 फिर स्वर्गदूत पतरस को एक-के-बाद-एक कई निर्देश देता है। वह कहता है, “उठ, जल्दी कर! . . . कमर कस ले और अपनी जूतियाँ पहन ले। . . . अपना चोगा पहन ले।” पतरस तुरंत उसकी बात मानता है। इसके बाद, स्वर्गदूत उससे कहता है, “मेरे पीछे चला आ” और पतरस उसके पीछे हो लेता है। वे दोनों कोठरी से निकलते हैं और बाहर तैनात पहरेदारों के सामने से चुपचाप चलते हुए लोहे के बड़े फाटक पर आ पहुँचते हैं। अब वे इस फाटक से कैसे बाहर निकलेंगे? इससे पहले कि यह सवाल पतरस के मन में उठे, “वह फाटक उनके लिए अपने आप खुल” जाता है और वे जेल से बाहर निकल जाते हैं। देखते-ही-देखते वे एक गली में आ जाते हैं और यहाँ स्वर्गदूत उसे छोड़कर चला जाता है। अब तक पतरस सोच रहा था कि वह कोई दर्शन देख रहा है लेकिन गली में पहुँचने पर उसे एहसास होता है कि यह कोई दर्शन नहीं है। वह सच में आज़ाद हो गया है!—प्रेषि. 12:7-11.
12. यहोवा ने जिस तरह पतरस को छुड़ाया, उस पर मनन करने से हमें क्यों हिम्मत मिलती है?
12 क्या इस बात से हमें दिलासा नहीं मिलता कि यहोवा के पास बहुत ताकत है और वह अपने सेवकों को हर मुश्किल से निकाल सकता है? पतरस को एक ऐसे राजा ने कैद किया था जिसे उस ज़माने के सबसे शक्तिशाली साम्राज्य ने ताकत और अधिकार दिया था। फिर भी वह पतरस का बाल भी बाँका नहीं कर सका और पतरस बड़ी आसानी से जेल से बाहर निकल गया। यह सच है कि यहोवा अपने हर सेवक को बचाने के लिए इस तरह के चमत्कार नहीं करता। मिसाल के लिए, उसने प्रेषित याकूब को मौत से नहीं बचाया था। और बाद में उसने पतरस को भी नहीं बचाया जब उसे मार डाला गया और यीशु की भविष्यवाणी सच में पूरी हुई। आज हम मसीही यह नहीं सोचते कि यहोवा चमत्कार करके हमें हर मुश्किल से बचा लेगा। लेकिन हम यह बात हमेशा याद रखते हैं कि यहोवा बदला नहीं है। (मला. 3:6) जल्द ही वह समय आनेवाला है जब वह अपने बेटे के ज़रिए लाखों लोगों को उस कैद से छुड़ाएगा जिससे आज तक कोई इंसान नहीं निकल पाया है और वह है मौत की कैद। (यूह. 5:28, 29) जब हम परीक्षाओं से गुज़रते हैं तो बाइबल के इन वादों से हमें बहुत हिम्मत मिलती है।
‘वे उसे देखकर दंग रह जाते हैं’ (प्रेषि. 12:12-17)
13-15. (क) पतरस के आने की खबर सुनकर मंडली के भाई-बहन क्या करते हैं? (ख) पतरस के बाद प्रेषितों की किताब में किसकी कहानी शुरू होती है? हम पतरस के बारे में क्या यकीन रख सकते हैं?
13 पतरस देर रात को वहीं गली में खड़े-खड़े सोचता है कि अब उसे कहाँ जाना चाहिए। तभी उसे याद आता है कि पास ही में मरियम नाम की एक मसीही बहन रहती है। ऐसा मालूम पड़ता है कि वह एक विधवा है और काफी अमीर है। उसका अपना एक घर है और वह इतना बड़ा है कि एक मंडली वहाँ सभाओं के लिए इकट्ठा हो सकती है। वह यूहन्ना मरकुस की माँ है। प्रेषितों की किताब में पहली बार इस वाकये में मरकुस का ज़िक्र मिलता है और वह आगे चलकर पतरस के लिए बेटा जैसा बन जाता है। (1 पत. 5:13) पतरस मरियम के घर की तरफ चल पड़ता है। वहाँ मंडली के बहुत-से भाई-बहन इकट्ठा हैं और देर रात तक पतरस के लिए दिलो-जान से प्रार्थना कर रहे हैं। वे ज़रूर पतरस की रिहाई के लिए बिनती कर रहे होंगे। लेकिन उन्हें ज़रा भी अंदाज़ा नहीं कि यहोवा किस तरह उनकी प्रार्थनाओं का जवाब देनेवाला है।
14 मरियम के घर पहुँचते ही पतरस बाहर का दरवाज़ा खटखटाता है। रुदे नाम की एक दासी दरवाज़ा खोलने के लिए आँगन से होकर जाती है। रुदे एक यूनानी नाम है जिसका मतलब “गुलाब” है। पतरस की आवाज़ सुनकर रुदे को अपने कानों पर यकीन नहीं होता। खुशी के मारे वह दरवाज़ा खोलना भूल जाती है और दौड़कर अंदर जाती है और सबको बताने लगती है कि पतरस बाहर दरवाज़े पर खड़ा है। वे उसका यकीन नहीं करते और कहते हैं कि वह पागल हो गयी है। मगर वह कहती रहती है कि पतरस सच में बाहर खड़ा है। फिर कुछ भाई-बहन कहते हैं कि रुदे ने शायद किसी स्वर्गदूत को देखा होगा जिसने पतरस की तरफ से उससे बात की होगी। (प्रेषि. 12:12-15) पतरस अभी-भी घर के बाहर खड़ा है और दरवाज़ा खटखटा रहा है।
15 जब चेले आकर दरवाज़ा खोलते हैं तो ‘पतरस को देखकर दंग रह जाते हैं।’ (प्रेषि. 12:16) उनके बीच हलचल मच जाती है। पतरस उन्हें शांत होने के लिए कहता है ताकि वह इत्मीनान से पूरा किस्सा सुना सके। सारा किस्सा सुनाने के बाद वह उनसे कहता है कि वे चेले याकूब और दूसरे भाइयों को इस बात की खबर दें। फिर वह फौरन वहाँ से निकल जाता है ताकि हेरोदेस के सिपाही उसे ढूँढ़ते-ढूँढ़ते वहाँ ना पहुँच जाएँ। इसके बाद पतरस ऐसी जगह जाकर सेवा करता है जहाँ उसे कोई खतरा ना हो। यहाँ से प्रेषितों की किताब में पौलुस के प्रचार और उसके सफर की कहानी शुरू होती है। पतरस का ज़िक्र एक बार और प्रेषितों अध्याय 15 में आता है, जहाँ वह खतने के मसले को सुलझाने में शामिल होता है। इसके अलावा उसका ज़िक्र और कहीं नहीं मिलता। पर हम यकीन रख सकते हैं कि पतरस जहाँ कहीं गया होगा, उसने मसीही भाई-बहनों का हौसला ज़रूर बढ़ाया होगा। उस रात जब वह मरियम के घर में जमा भाई-बहनों से मिला तो ज़रूर उसकी संगति से उन सबको बहुत खुशी हुई होगी।
16. हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि भविष्य में हमें बहुत-सी खुशियाँ मिलेंगी?
16 कभी-कभी यहोवा अपने सेवकों को उम्मीद से बढ़कर आशीषें देता है, इतनी कि उन्हें एक पल के लिए यकीन नहीं होता और वे खुशी के मारे रो पड़ते हैं। पतरस की रिहाई की रात उन मसीही भाई-बहनों को ऐसी ही खुशी हुई होगी। आज जब यहोवा हम पर आशीषों की बौछार करता है तो हम भी शायद ऐसा महसूस करें। (नीति. 10:22) तो फिर सोचिए, भविष्य में हमें और कितनी खुशियाँ मिलेंगी! तब यहोवा पूरी धरती पर अपने सभी वादे पूरे करेगा। उस वक्त हमें यहोवा से कई लाजवाब आशीषें मिलेंगी! ये आशीषें हमारी कल्पना से कहीं बढ़कर होंगी। अगर हम उसके वफादार बने रहें, तो हम वह वक्त ज़रूर देख सकेंगे।
“यहोवा के स्वर्गदूत ने हेरोदेस को मारा” (प्रेषि. 12:18-25)
17, 18. लोग क्या देखकर हेरोदेस की चापलूसी करने लगते हैं?
17 जब हेरोदेस को खबर मिलती है कि पतरस जेल से भाग गया है तो उसके होश उड़ जाते हैं। वह फौरन हुक्म देता है कि पतरस को ढूँढ़ निकाला जाए। फिर वह पहरेदारों से पूछताछ करता है और आदेश देता है, “इन्हें ले जाओ और सज़ा दो।” शायद उन्हें मार डाला जाता है। (प्रेषि. 12:19) हेरोदेस कितना पत्थरदिल है, उसमें रहम नाम की कोई चीज़ नहीं है। क्या इस जल्लाद को कभी उसकी करतूतों की सज़ा मिलती?
18 हेरोदेस के अहंकार को बहुत ठेस पहुँची है क्योंकि वह पतरस को मार डालने में नाकाम हो गया। उसे लगता है कि लोगों के सामने उसकी कोई इज़्ज़त नहीं रही। लेकिन अब ध्यान दीजिए कि आगे क्या होता है। हेरोदेस के कुछ दुश्मन उससे सुलह करने आते हैं। हेरोदेस को लगता है कि लोगों की नज़रों में छाने का यह अच्छा मौका है। एक बड़ा समारोह रखा जाता है, जिसमें हेरोदेस को भाषण देना होता है। लूका बताता है कि इस मौके पर “हेरोदेस शाही लिबास” में आता है। यहूदी इतिहासकार जोसीफस लिखता है कि हेरोदेस का लिबास चाँदी का बना हुआ था, इसलिए जब रौशनी उसके कपड़ों पर पड़ती है तो वह महिमा और तेज से जगमगा उठता है। फिर यह मगरूर राजा बड़ी ठाठ के साथ अपना भाषण शुरू करता है। यह सब देखकर लोग उसकी चापलूसी करने लगते हैं और ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगते हैं, “यह किसी इंसान की नहीं, बल्कि देवता की आवाज़ है!”—प्रेषि. 12:20-22.
19, 20. (क) यहोवा ने हेरोदेस को सज़ा क्यों दी? (ख) हेरोदेस के वाकये से हमें क्या यकीन होता है?
19 सिर्फ यहोवा परमेश्वर की ही इस तरह तारीफ की जानी चाहिए। जब हेरोदेस लोगों की वाह-वाही लूट रहा था, तो परमेश्वर यह सब देख रहा था। हेरोदेस चाहता तो भीड़ को ऐसा करने से रोक सकता था। मगर वह ना तो उन्हें रोकता है, ना मना करता है। उसकी इस गुस्ताखी को परमेश्वर अनदेखा नहीं करता। आयत बताती है, “उसी घड़ी यहोवा के स्वर्गदूत ने हेरोदेस को मारा” और “उसके शरीर में कीड़े पड़ गए और वह मर गया।” उस खुदगर्ज़ और घमंडी इंसान का क्या ही दर्दनाक और घिनौना अंत हुआ। (प्रेषि. 12:23) इससे बाइबल की यह कहावत पूरी होती है, ‘विनाश से पहले घमंड होता है।’ (नीति. 16:18) जोसीफस बताता है कि राजा अग्रिप्पा अचानक बीमार पड़ गया और उसने अपनी मौत से पहले कबूल किया कि लोगों की वाह-वाही लूटने की वजह से ही उस पर यह नौबत आयी। जोसीफस ने लिखा कि हेरोदेस पाँच दिन तक तड़पता रहा और फिर मर गया। b
20 कभी-कभी शायद ऐसा लगे कि दुष्ट लोग इतने बुरे-बुरे काम करते हैं फिर भी उन्हें कोई सज़ा नहीं मिलती। परमेश्वर के वफादार सेवकों को पता है कि “सारी दुनिया शैतान के कब्ज़े में पड़ी हुई है।” (1 यूह. 5:19) फिर भी जब वे देखते हैं कि दुष्ट लोग सज़ा से बच जाते हैं तो उन्हें बहुत दुख होता है। हेरोदेस जैसे आदमियों का वाकया दिखाता है कि परमेश्वर दुष्ट लोगों को सज़ा ज़रूर देगा। इससे हमें यकीन होता है कि परमेश्वर न्याय से प्यार करता है। (भज. 33:5) आज नहीं तो कल, उसके इंसाफ की ही जीत होगी।
21. प्रेषितों अध्याय 12 से हमें क्या अहम सीख मिलती है? इससे हमें क्यों हिम्मत मिलती है?
21 प्रेषितों अध्याय 12 के आखिर में हम एक ऐसी बात पढ़ते हैं जिससे हमारा हौसला और भी बढ़ता है। वहाँ लिखा है, “यहोवा का वचन फैलता गया और बहुत-से लोगों ने विश्वास किया।” (प्रेषि. 12:24) प्रचार काम की बढ़ोतरी की यह रिपोर्ट हमें याद दिलाती है कि आज भी यहोवा इस काम पर आशीष दे रहा है। तो ज़ाहिर है कि प्रेषितों अध्याय 12 सिर्फ एक प्रेषित की मौत और दूसरे प्रेषित के छुटकारे की कहानी नहीं है। तो फिर इस अध्याय की अहम सीख क्या है? यह कि यहोवा ने कैसे शैतान की सारी कोशिशें नाकाम कर दीं जिससे वह मसीही मंडली को कुचल नहीं पाया और प्रचार काम को रोक नहीं पाया। शैतान की कोशिशें तब भी नाकाम हुई थीं और आज भी नाकाम होंगी। (यशा. 54:17) लेकिन अगर हम यहोवा और यीशु का साथ दें तो हम प्रचार काम में ज़रूर कामयाब होंगे। इस बात से हमें कितनी हिम्मत मिलती है! वाकई हमें “यहोवा का वचन” फैलाने का क्या ही बड़ा सम्मान मिला है!
a यह बक्स देखें, “ राजा हेरोदेस अग्रिप्पा प्रथम।”
b ध्यान दीजिए कि इस बारे में एक लेखक ने, जो एक डॉक्टर भी था क्या लिखा। उसका कहना है कि जोसीफस और लूका ने हेरोदेस की बीमारी के जो लक्षण बताए, उससे पता चलता है कि शायद हेरोदेस की अंतड़ियों में केंचुए जैसे कीड़े पड़ गए थे। इनकी वजह से उसकी अंतड़ियों में रुकावट पैदा हो गयी और उसकी मौत हो गयी। कभी-कभी कीड़े उस बीमार व्यक्ति के मुँह से निकल आते हैं या फिर जब वह मर जाता है तो कीड़े उसके शरीर से रेंगते हुए बाहर आते हैं। एक किताब बताती है कि “एक वैद्य होने के नाते लूका ने इस बीमारी की इतनी सटीक जानकारी दी कि हम कल्पना कर पाते हैं कि [हेरोदेस] कैसी भयानक मौत मरा होगा।”