अध्याय 7
फिलिप्पुस ने “यीशु के बारे में खुशखबरी” सुनायी
फिलिप्पुस एक प्रचारक के नाते अच्छी मिसाल रखता है
प्रेषितों 8:4-40 पर आधारित
1, 2. पहली सदी में प्रचार काम बंद होने के बजाय कैसे फैलता गया?
ज़ुल्मों की आँधी तेज़ होने लगती है। शाऊल मंडली को “तबाह करने” लगता है यानी मसीहियों पर बड़ी बेरहमी से ज़ुल्म करने लगता है। (प्रेषि. 8:3) चेले यरूशलेम से भागकर दूर-दूर के इलाकों में तितर-बितर हो जाते हैं। ऐसा लगता है कि शाऊल प्रचार का काम बंद करने में कामयाब हो जाएगा। लेकिन फिर कुछ ऐसा होता है जिसकी किसी ने उम्मीद नहीं की होगी।
2 चेले भागकर जहाँ कहीं जाते हैं, वहाँ “वचन की खुशखबरी सुनाते” जाते हैं। (प्रेषि. 8:4) इस तरह प्रचार काम बंद होने के बजाय फैलता जाता है। जिन दुश्मनों ने चेलों को घरों से भगा दिया उन्होंने अनजाने में ही राज का संदेश दूर-दूर के इलाकों तक पहुँचाने में मदद की। आज के ज़माने में भी कुछ ऐसा ही हुआ है, जिसके बारे में हम आगे बात करेंगे।
‘जो चेले तितर-बितर हो जाते हैं’ (प्रेषि. 8:4-8)
3. (क) फिलिप्पुस कौन है? (ख) सामरिया के ज़्यादातर लोगों ने अब तक खुशखबरी क्यों नहीं सुनी? यीशु ने स्वर्ग लौटने से पहले सामरिया के बारे में क्या कहा?
3 फिलिप्पुस a उन चेलों में से एक है, जो “तितर-बितर” हो जाते हैं। (प्रेषि. 8:4; यह बक्स देखें, “ फिलिप्पुस—एक जोशीला ‘प्रचारक।’”) फिलिप्पुस यरूशलेम छोड़कर सामरिया शहर चला जाता है। सामरिया के ज़्यादातर लोगों ने अब तक खुशखबरी नहीं सुनी है, क्योंकि यीशु ने धरती पर रहते वक्त अपने प्रेषितों से कहा था, “सामरिया के किसी शहर में मत जाना। इसके बजाय, सिर्फ इसराएल के घराने की खोयी हुई भेड़ों के पास जाना।” (मत्ती 10:5, 6) पर यीशु जानता था कि वक्त आने पर पूरे सामरिया में भी अच्छी तरह गवाही दी जाएगी। इसलिए स्वर्ग लौटने से पहले उसने चेलों से कहा, “तुम . . . यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, यहाँ तक कि दुनिया के सबसे दूर के इलाकों में मेरे बारे में गवाही दोगे।”—प्रेषि. 1:8.
4. जब फिलिप्पुस सामरिया के लोगों को खुशखबरी सुनाता है तो वे क्या करते हैं और क्यों?
4 सामरिया में फिलिप्पुस देखता है कि खेत “कटाई के लिए पक चुके हैं।” (यूह. 4:35) उसका संदेश सामरिया के लोगों के लिए सुबह की ताज़ी हवा की तरह है जो तन-मन को तरो-ताज़ा कर देती है। वजह साफ है। दरअसल यहूदी, सामरियों के साथ कोई नाता नहीं रखते थे, कुछ तो सामरियों से नफरत करते थे। लेकिन फिलिप्पुस जो खुशखबरी सुनाता है उससे सामरी साफ देख पाते हैं कि यह संदेश सब लोगों के लिए है। और यह फरीसियों की शिक्षाओं से बिलकुल अलग है। फरीसी भी सामरियों के साथ भेदभाव करते थे। लेकिन फिलिप्पुस उन्हें जोश से गवाही देकर दिखाता है कि उसके मन में कोई भेदभाव नहीं है। इसलिए ताज्जुब नहीं कि बहुत-से सामरी फिलिप्पुस की बातें “मन लगाकर” सुनते हैं।—प्रेषि. 8:6.
5-7. जब मसीहियों को जेल में डाला गया या मजबूरन दूसरे देश भागना पड़ा, तो इससे खुशखबरी कैसे फैली? कुछ मिसालें देकर समझाइए।
5 पहली सदी की तरह, आज भी ज़ुल्म और अत्याचार परमेश्वर के लोगों का मुँह बंद नहीं कर पाए। कभी उन्हें जेल में डाला गया, तो कभी मजबूरन दूसरे देश भागना पड़ा। लेकिन इससे उन्हें और भी मौके मिले कि वे इन जगहों में लोगों को खुशखबरी सुना सकें। मिसाल के लिए, दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जब साक्षियों को नाज़ियों के यातना शिविरों में डाला गया, तो वहाँ भी वे खुशखबरी सुनाते रहे। इन्हीं शिविरों में एक यहूदी आदमी की मुलाकात साक्षियों से हुई। वह कहता है, “साक्षियों का विश्वास देखकर, उनकी हिम्मत देखकर मुझे यकीन हो गया कि वे जो भी विश्वास करते हैं वह बाइबल से है। फिर मैं भी एक साक्षी बन गया।”
6 साक्षियों ने कई बार उन लोगों को भी गवाही दी जो उन पर अत्याचार करते थे और उन्होंने राज का संदेश कबूल किया। फ्रांज़ डेश नाम के एक भाई का उदाहरण लीजिए। जब उन्हें ऑस्ट्रिया में एक यातना शिविर से निकालकर दूसरे यातना शिविर भेज दिया गया, तो वहाँ उन्होंने एक अफसर के साथ बाइबल अध्ययन शुरू किया। फिर सालों बाद एक अधिवेशन में उन दोनों की मुलाकात हुई। वह अफसर अब एक साक्षी बन चुका था। ज़रा सोचिए, उन दोनों को एक-दूसरे से मिलकर कितनी खुशी हुई होगी!
7 जब मसीहियों को ज़ुल्मों की वजह से मजबूरन दूसरे देश भागना पड़ा, तब भी उन्होंने खुशखबरी सुनाना नहीं छोड़ा। जैसे, 1970 के दशक में मलावी के साक्षियों को भागकर मोज़ांबीक देश में पनाह लेनी पड़ी पर वहाँ भी वे प्रचार करते रहे। बाद में जब मोज़ांबीक में उनका विरोध किया गया तब भी उन्होंने प्रचार करना नहीं छोड़ा। फ्रांसीस्को कोआना नाम का एक साक्षी कहता है, “हमें कई बार गिरफ्तार किया गया। फिर भी हम प्रचार में लगे रहे और बहुत-से लोगों ने खुशखबरी कबूल की। यह देखकर हमें यकीन हो गया कि परमेश्वर हमारी मदद कर रहा है, ठीक जैसे उसने पहली सदी के मसीहियों की मदद की थी।”
8. राजनैतिक उथल-पुथल और आर्थिक तंगी की वजह से प्रचार काम में कैसे तेज़ी आयी है?
8 दूसरे कारणों से भी प्रचार काम में तेज़ी आयी है और ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों को खुशखबरी सुनने का मौका मिला है। हाल के दशकों में राजनैतिक उथल-पुथल, आर्थिक तंगी और युद्ध की वजह से कई लोग अपना देश छोड़कर दूसरे देशों में जा बसे हैं। वहाँ उन्होंने खुशखबरी सुनी और बाइबल अध्ययन करना शुरू किया। आम तौर पर ये लोग दूसरी भाषाएँ बोलते हैं इसलिए इन्हें इनकी भाषा में खुशखबरी सुनाने की ज़रूरत है। क्या आप अपने इलाके में “सब राष्ट्रों और गोत्रों और जातियों और भाषाओं” के लोगों को गवाही देने की पूरी कोशिश करते हैं?—प्रका. 7:9.
“मुझे भी यह अधिकार दो” (प्रेषि. 8:9-25)
9. शमौन कौन है? वह फिलिप्पुस के किस काम से दंग रह जाता है?
9 सामरिया में फिलिप्पुस कई चमत्कार करता है। जैसे, वह उन लोगों को ठीक करता है जो हाथ-पैर से लाचार हैं। यहाँ तक कि लोगों में समाए दुष्ट स्वर्गदूतों को भी बाहर निकालता है। (प्रेषि. 8:6-8) उसी शहर में शमौन नाम का एक जादूगर रहता है। उसे लोग इतना मानते हैं कि उसके बारे में कहते हैं, “इस आदमी में परमेश्वर की शक्ति है।” लेकिन जब वह फिलिप्पुस को चमत्कार करते देखता है, तो दंग रह जाता है और उसे पता चलता है कि परमेश्वर की शक्ति असल में क्या होती है। इसलिए वह विश्वासी बन जाता है। (प्रेषि. 8:9-13) लेकिन आगे चलकर उसके इरादों की परख होती है। वह कैसे?
10. (क) सामरिया में पतरस और यूहन्ना क्या करते हैं? (ख) यह देखकर शमौन क्या करता है?
10 जब प्रेषितों को खबर मिलती है कि सामरिया में बहुत-से लोग मसीही बन रहे हैं तो वे पतरस और यूहन्ना को वहाँ भेजते हैं। (यह बक्स देखें, “ पतरस ‘राज की चाबियाँ’ इस्तेमाल करता है।”) सामरिया आने पर पतरस और यूहन्ना नए चेलों पर हाथ रखते हैं और उनमें से हर कोई पवित्र शक्ति पाता है। b शमौन को यह बात बिलकुल अनोखी लगती है। वह प्रेषितों से कहता है, “मुझे भी यह अधिकार दो कि जिस किसी पर मैं अपने हाथ रखूँ वह पवित्र शक्ति पाए।” यहाँ तक कि वह प्रेषितों को पैसे देकर यह वरदान खरीदने की कोशिश करता है।—प्रेषि. 8:14-19.
11. पतरस, शमौन से साफ-साफ क्या कहता है? फिर शमौन क्या करता है?
11 शमौन की बात सुनकर पतरस उसे फटकारता है, “तेरी चाँदी तेरे संग नाश हो, क्योंकि तूने सोचा कि तू परमेश्वर के मुफ्त वरदान को पैसों से खरीद सकता है। लेकिन इस सेवा में न तेरा कोई साझा है, न हिस्सा क्योंकि परमेश्वर की नज़र में तेरा दिल सीधा नहीं है।” फिर पतरस, शमौन से कहता है कि वह पश्चाताप करे और प्रार्थना करके यहोवा से माफी माँगे। पतरस कहता है, “यहोवा से मिन्नत कर कि हो सके तो तेरे दिल का यह दुष्ट विचार माफ किया जाए।” ज़ाहिर है शमौन बुरा इंसान नहीं है। वह सही काम करना चाहता है, लेकिन कुछ पल के लिए उसकी सोच बिगड़ गयी थी। इसलिए वह प्रेषितों के सामने गिड़गिड़ाता है, “मेहरबानी करके मेरे लिए यहोवा से मिन्नत करो कि जो बातें तुमने कही हैं, उनमें से कोई भी मुझ पर न आ पड़े।”—प्रेषि. 8:20-24.
12. ईसाईजगत में क्या बात बहुत आम है?
12 पतरस ने शमौन को जो फटकार लगायी, वह आज सभी मसीहियों के लिए भी एक चेतावनी है। मंडली में ज़िम्मेदारी पाने के लिए पैसे देना या पैसे लेना गलत होगा। लेकिन ईसाईजगत में ऐसा करना बहुत आम बात है। मिसाल के लिए, 1878 की एक किताब बताती है कि जब-जब पोप का चुनाव होता था तो उस पद को पाने के लिए लोग पैसे देते थे। कई लोगों को ऐसा करने में कोई शर्म महसूस नहीं होती थी और वे खुलेआम ऐसा करते थे।
13. मसीहियों के लिए क्या करना सही नहीं होगा?
13 मसीहियों को ध्यान रखना चाहिए कि वे मंडली में ज़िम्मेदारी पाने के लिए ना तो कुछ दें और ना ही कुछ लें। हम शायद सीधे-सीधे पैसे ना दें लेकिन हो सकता है, मंडली में कोई ज़िम्मेदारी या सेवा का खास मौका पाने के लिए हम ज़िम्मेदार भाइयों को तोहफे दें या उनकी बहुत तारीफ करें। या हो सकता है, ज़िम्मेदार भाई अमीर भाई-बहनों से कुछ पाने के इरादे से उनकी तरफदारी करें। ऐसा करना सही नहीं होगा। इसके बजाय हमें खुद को ‘छोटा समझना’ चाहिए। हमें याद रखना चाहिए कि जब यहोवा हमें काबिल समझेगा तब वह अपनी पवित्र शक्ति के ज़रिए हमें ज़िम्मेदारी देगा। (लूका 9:48) परमेश्वर के संगठन में ऐसे लोगों के लिए कोई जगह नहीं जो “अपनी वाह-वाही करवाना” चाहते हैं।—नीति. 25:27.
“तू जो पढ़ रहा है, क्या उसे समझता भी है?” (प्रेषि. 8:26-40)
14, 15. (क) ‘इथियोपिया का खोजा’ कौन है? फिलिप्पुस से उसकी मुलाकात कैसे होती है? (ख) संदेश सुनकर खोजा क्या समझ जाता है? हम क्यों कह सकते हैं कि खोजे ने जल्दबाज़ी में बपतिस्मा नहीं लिया था? (फुटनोट देखें।)
14 यहोवा का स्वर्गदूत अब फिलिप्पुस से कहता है कि वह उस रास्ते पर जाए जो यरूशलेम से गाज़ा जाता है। फिलिप्पुस शायद सोच में पड़ गया होगा कि उसे वहाँ क्यों जाना है। मगर जल्द ही उसे जवाब मिल जाता है क्योंकि वहाँ उसे इथियोपिया का एक खोजा मिलता है। वह अपने रथ पर बैठा “ऊँची आवाज़ में यशायाह भविष्यवक्ता की किताब पढ़” रहा है। (यह बक्स देखें, “ वह किस मायने में एक ‘खोजा’ था?”) ज़ाहिर है, यहोवा की पवित्र शक्ति ने ही फिलिप्पुस को उस आदमी के रथ के पास जाने के लिए उभारा होगा। फिलिप्पुस रथ के साथ-साथ दौड़ने लगता है और उस खोजे से पूछता है, “तू जो पढ़ रहा है, क्या उसे समझता भी है?” खोजा कहता है, “जब तक कोई मुझे न समझाए, मैं भला कैसे समझ सकता हूँ?”—प्रेषि. 8:26-31.
15 फिर खोजा फिलिप्पुस को रथ पर चढ़ने के लिए कहता है। ज़रा सोचिए, उन दोनों के बीच कितनी बढ़िया बातचीत हुई होगी! कई लोगों की तरह यह खोजा भी नहीं जानता था कि यशायाह की भविष्यवाणी में जिस “भेड़” और “सेवक” के बारे में बताया गया है वह कौन है। (यशा. 53:1-12) मगर अब फिलिप्पुस खोजे को समझाता है कि भविष्यवाणी में बतायी गयी भेड़ और सेवक दोनों यीशु मसीह है। यह खोजा एक गैर-यहूदी है जिसने यहूदी धर्म अपनाया था, इसलिए ईसवी सन् 33 के पिन्तेकुस्त के दिन बपतिस्मा लेनेवालों की तरह वह भी फौरन समझ जाता है कि उसे क्या कदम उठाना है। वह फिलिप्पुस से कहता है, “देख! यहाँ पानी है, अब मुझे बपतिस्मा लेने में क्या रुकावट है?” फिलिप्पुस बिना देर किए उसे बपतिस्मा देता है। c (यह बक्स देखें, “ बपतिस्मा लेने का सही तरीका।”) इसके बाद, फिलिप्पुस पवित्र शक्ति से मार्गदर्शन पाकर एक नयी जगह अशदोद जाता है और वहाँ प्रचार का काम जारी रखता है।—प्रेषि. 8:32-40.
16, 17. आज प्रचार के काम में स्वर्गदूत कैसे मदद कर रहे हैं?
16 फिलिप्पुस की तरह आज मसीहियों को भी खुशखबरी सुनाने का एक अनोखा सम्मान मिला है। वे अकसर मौके ढूँढ़कर लोगों को राज का संदेश सुनाते हैं जैसे जब वे कहीं सफर कर रहे होते हैं। कई बार उनकी मुलाकात ऐसे लोगों से होती है जो सच्चाई की तलाश कर रहे हैं। यह कोई इत्तफाक नहीं है क्योंकि बाइबल बताती है कि स्वर्गदूत प्रचार काम में हमारी मदद करते हैं ताकि “हर राष्ट्र, गोत्र, भाषा और जाति के लोगों” तक राज का संदेश पहुँच सके। (प्रका. 14:6) यीशु ने भी भविष्यवाणी की थी कि स्वर्गदूत इस काम में हमारा साथ देंगे। उसने गेहूँ और जंगली पौधे की मिसाल में कहा था कि कटाई के वक्त यानी दुनिया की व्यवस्था के आखिरी वक्त में ‘कटाई का काम स्वर्गदूत’ करेंगे। फिर उसने कहा कि स्वर्गदूत “उसके राज से उन सब लोगों को इकट्ठा करेंगे, जो दूसरों को पाप की तरफ ले जाते हैं और उन्हें भी जो दुष्ट काम करते हैं।” (मत्ती 13:37-41) स्वर्गदूत उन लोगों को भी इकट्ठा करेंगे जिन्हें यहोवा अपने संगठन में लाना चाहता है यानी अभिषिक्त मसीही और ‘दूसरी भेड़ों’ से बनी एक बड़ी भीड़।—प्रका. 7:9; यूह. 6:44, 65; 10:16.
17 एक अनुभव पर गौर कीजिए जिससे पता चलता है कि आज स्वर्गदूत सच में प्रचार काम में हमारी मदद करते हैं। दो साक्षी एक छोटे बच्चे के साथ घर-घर का प्रचार कर रहे थे। प्रचार करते-करते दोपहर हो गयी। उन्होंने सोचा कि आज के लिए इतना काफी है। मगर बच्चा अगले घर में भी प्रचार करना चाहता था। वह इतना उतावला हो उठा कि उसने अकेले जाकर उस घर का दरवाज़ा खटखटाया। एक औरत ने दरवाज़ा खोला और साक्षियों ने उससे बात की। उस औरत ने बताया कि कुछ ही देर पहले वह प्रार्थना कर रही थी कि कोई आकर उसे बाइबल समझाए। यह सुनकर साक्षियों को बड़ा ताज्जुब हुआ और उन्होंने उस औरत के साथ बाइबल अध्ययन शुरू किया।
18. हमें क्यों खुशखबरी सुनाने के काम को कम नहीं समझना चाहिए?
18 आज खुशखबरी का प्रचार इतने बड़े पैमाने पर हो रहा है जितना पहले कभी नहीं हुआ था। मसीही मंडली का हिस्सा होने के नाते आपको स्वर्गदूतों के साथ मिलकर यह काम करने का सम्मान मिला है। इस सम्मान को कभी कम मत समझिए। अगर आप “यीशु के बारे में खुशखबरी” सुनाने में लगातार मेहनत करेंगे, तो आपको ढेरों खुशियाँ मिलेंगी।—प्रेषि. 8:35.
a यह चेला, प्रेषित फिलिप्पुस नहीं था। वह उन ‘सात आदमियों’ में से एक था ‘जिनका अच्छा नाम था’ और जिनका ज़िक्र इस किताब के अध्याय 5 में किया गया था। उन सात भाइयों से कहा गया था कि वे यरूशलेम में यूनानी और इब्रानी बोलनेवाली विधवाओं में रोज़ खाना बाँटने का काम देखें।—प्रेषि. 6:1-6.
b उस ज़माने में आम तौर पर नए चेलों को उनके बपतिस्मे के वक्त ही पवित्र शक्ति मिलती थी। इस तरह उन्हें भविष्य में यीशु के साथ स्वर्ग में याजकों और राजाओं के नाते राज करने की आशा मिलती। (2 कुरिं. 1:21, 22; प्रका. 5:9, 10; 20:6) लेकिन सामरिया के इन नए चेलों को पवित्र शक्ति बपतिस्मे के बाद मिली यानी जब पतरस और यूहन्ना ने उन पर अपने हाथ रखे। इसके बाद, उन्होंने चमत्कार करने के वरदान भी पाए जो पवित्र शक्ति से मिलते थे।
c इथियोपिया के खोजे ने बपतिस्मे का फैसला जल्दबाज़ी में नहीं किया था। हम ऐसा क्यों कह सकते हैं? क्योंकि वह पहले ही यहूदी धर्म अपना चुका था, उसे शास्त्र का अच्छा ज्ञान था और उसे मसीहा के बारे में भविष्यवाणियाँ भी मालूम थीं। अब जब उसने सीखा कि परमेश्वर के मकसद में यीशु की क्या भूमिका है, तो वह बपतिस्मा लेने के योग्य बन गया।