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अध्याय 24

“हिम्मत रख!”

“हिम्मत रख!”

पौलुस एक साज़िश का शिकार होने से बच जाता है और फेलिक्स के सामने अपनी सफाई पेश करता है

प्रेषितों 23:11–24:27 पर आधारित

1, 2. यरूशलेम में जब पौलुस पर ज़ुल्म किए जाते हैं तो उसे हैरानी क्यों नहीं होती?

 यरूशलेम में लोगों की भीड़ पौलुस पर टूट पड़ती है। ऐसा लग रहा है कि वे उसकी जान लेकर ही मानेंगे। लेकिन तभी पौलुस को बचा लिया जाता है और एक बार फिर वह हिरासत में है। उसे ज़रा भी हैरानी नहीं होती, क्योंकि उसे पता था कि यरूशलेम में “कैद और मुसीबतें” उसकी राह देख रही हैं। (प्रेषि. 20:22, 23) पौलुस ठीक-ठीक नहीं जानता कि आगे उसके साथ क्या होगा, मगर उसे इतना ज़रूर पता है कि यीशु के नाम की खातिर उसे कई दुख सहने होंगे।​—प्रेषि. 9:16.

2 यही नहीं, मसीही मंडली में कुछ भविष्यवक्‍ताओं ने भी उसे खबरदार किया था कि विरोधी उसे पकड़ लेंगे और “दूसरे राष्ट्रों के लोगों के हवाले कर देंगे।” (प्रेषि. 21:4, 10, 11) कुछ वक्‍त पहले ही यहूदियों की एक भीड़ ने उसे जान से मारने की कोशिश की थी। फिर यहूदी महासभा के सदस्य पौलुस को लेकर आपस में झगड़ने लगे। झगड़ा इतना बढ़ गया कि ऐसा लगा वे पौलुस की “बोटी-बोटी” कर देंगे। अब पौलुस कैद में है और रोमी सैनिक उस पर सख्त पहरा दे रहे हैं। जल्द ही उस पर और भी मुसीबतें आनेवाली हैं और उस पर कई इलज़ाम लगाए जाएँगे। (प्रेषि. 21:31; 23:10) इस मुश्‍किल दौर से गुज़रने के लिए पौलुस को हौसले की बहुत ज़रूरत होगी!

3. प्रचार काम में लगे रहने के लिए हमें कहाँ से हौसला मिलता है?

3 बाइबल बताती है कि इन आखिरी दिनों में “जितने भी मसीह यीशु में परमेश्‍वर की भक्‍ति के साथ जीवन बिताना चाहते हैं उन सब पर इसी तरह ज़ुल्म ढाए जाएँगे।” (2 तीमु. 3:12) प्रचार काम में लगे रहने के लिए हमें भी समय-समय पर हौसले की ज़रूरत होती है। “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” किताबों-पत्रिकाओं और सभाओं के ज़रिए सही वक्‍त पर हमारा हौसला बढ़ाता है और हमें हिम्मत देता है। (मत्ती 24:45) हम इस बात के लिए उसके कितने एहसानमंद हैं! यहोवा ने हमें यकीन दिलाया है कि हमारे दुश्‍मन कभी कामयाब नहीं होंगे। वे ना तो परमेश्‍वर के सभी सेवकों को मिटा पाएँगे, ना ही उनका प्रचार काम पूरी तरह बंद करवा पाएँगे। (यशा. 54:17; यिर्म. 1:19) लेकिन प्रेषित पौलुस के बारे में क्या? क्या उसका हौसला बढ़ाया गया? अगर हाँ, तो कैसे? और हौसला मिलने पर उसने क्या किया? आइए जानें।

‘कसम खाकर की गयी साज़िश’ नाकाम हो जाती है (प्रेषि. 23:11-34)

4, 5. पौलुस की हिम्मत कैसे बँधायी जाती है? यह क्यों कहा जा सकता है कि उसे यह मदद सही समय पर मिली?

4 जब पौलुस को महासभा से बचाया जाता है, तो उसी रात ‘प्रभु उसके पास आ खड़ा होता है और कहता है, “हिम्मत रख! क्योंकि जैसे तू यरूशलेम में मेरे बारे में अच्छी तरह गवाही देता आया है, उसी तरह रोम में भी तुझे गवाही देनी है।”’ (प्रेषि. 23:11) यीशु के शब्दों से पौलुस को बहुत हौसला मिलता है और उसे यकीन हो जाता है कि विरोधी उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएँगे। वह सही-सलामत रोम जाएगा और वहाँ यीशु के बारे में गवाही देगा।

“उनके 40 से ज़्यादा आदमी पौलुस को छिपकर मार डालने की साज़िश कर रहे हैं।”​—प्रेषितों 23:21

5 यीशु ने सही समय पर पौलुस की हिम्मत बँधायी। अगले ही दिन 40 से ज़्यादा यहूदी आदमी ‘एक साज़िश रचते हैं और कसम खाते हैं कि जब तक हम पौलुस को मार न डालें तब तक अगर हमने कुछ खाया या पीया, तो हम पर शाप पड़े।’ गौर कीजिए, इन यहूदियों ने “एक साज़िश रची” और उसे पूरा करने की “कसम खायी।” इससे पता चलता है कि वे हर हाल में पौलुस को मार डालना चाहते हैं। उनका मानना है कि अगर वे अपनी साज़िश में नाकाम हो गए तो उन पर शाप पड़ेगा। (प्रेषि. 23:12-15) उन्होंने क्या साज़िश रची? वे ऐसा दिखाएँगे कि वे मामले की और अच्छे-से जाँच करना चाहते हैं। इसलिए पौलुस को महासभा के सामने लाने की माँग करेंगे। लेकिन वे रास्ते में ही छिपकर बैठेंगे और पौलुस पर हमला करके उसका काम तमाम कर देंगे। उनकी योजना को महायाजक और मुखिया भी मंज़ूरी दे देते हैं।

6. पौलुस को यहूदियों की साज़िश का पता कैसे चलता है? पौलुस के भाँजे से जवान भाई-बहन क्या सीख सकते हैं?

6 लेकिन पौलुस के भाँजे को इस साज़िश का पता चल जाता है और वह जाकर पौलुस को बता देता है। पौलुस उससे कहता है कि वह रोमी सेनापति क्लौदियुस लूसियास के पास जाए और उसे सारी बात बता दे। (प्रेषि. 23:16-22) पौलुस के इस भाँजे का नाम बाइबल में नहीं दिया गया है। पर हम पूरा यकीन रख सकते हैं कि परमेश्‍वर ऐसे नौजवानों से बहुत प्यार करता है जो अपनी जान की बाज़ी लगा देते हैं ताकि परमेश्‍वर के लोगों की हिफाज़त हो और राज का काम बिना रुके आगे बढ़ता रहे।

7, 8. क्लौदियुस लूसियास ने पौलुस की सलामती के लिए क्या इंतज़ाम किए?

7 क्लौदियुस लूसियास 1,000 आदमियों की टुकड़ी का सेनापति था। जैसे ही उसे साज़िश के बारे में बताया जाता है, वह हुक्म देता है कि 470 आदमियों का एक फौजी दल तैयार किया जाए जिसमें सैनिक, भाला चलानेवाले और घुड़सवार हों। इस फौजी दल को बताया जाता है कि वे रातों-रात पौलुस को यरूशलेम से कैसरिया ले जाएँ और वहाँ उसे राज्यपाल फेलिक्स के हवाले कर दें। a कैसरिया, रोमी प्रांत यहूदिया की राजधानी था। हालाँकि इस शहर में बहुत-से यहूदी रहते थे मगर ज़्यादातर आबादी गैर-यहूदियों से बनी थी। कैसरिया, यरूशलेम से बिलकुल अलग शहर था। कैसरिया में शांति और व्यवस्था थी, जबकि यरूशलेम के लोग अकसर दूसरे धर्म के लोगों से नफरत करते थे और बात-बात पर दंगा करते थे। कैसरिया रोमी सेना का मुख्यालय भी था।

8 रोमी कानून का पालन करते हुए लूसियास, फेलिक्स को एक चिट्ठी भेजता है। चिट्ठी में वह उसे मामले की पूरी जानकारी देता है। वह लिखता है कि यहूदी लोग पौलुस को “मार डालनेवाले थे” लेकिन जब उसे पता चला कि पौलुस एक रोमी नागरिक है, तो उसने पौलुस को बचा लिया। लूसियास यह भी बताता है कि उसके मुताबिक पौलुस ने ऐसा कोई काम नहीं किया जिस वजह से वह “मौत की सज़ा पाने या जेल जाने के लायक ठहरे।” दरअसल पौलुस के खिलाफ एक साज़िश रची गयी है इसीलिए वह उसे राज्यपाल फेलिक्स के हवाले कर रहा है। अब फेलिक्स पौलुस पर इलज़ाम लगानेवालों की बात सुने और फिर अपना फैसला बताए।​—प्रेषि. 23:25-30.

9. (क) पौलुस के अधिकारों का कैसे उल्लंघन किया गया? (ख) हम कानून का सहारा लेकर अपने अधिकारों की रक्षा क्यों करते हैं?

9 लूसियास ने चिट्ठी में जो लिखा क्या वे सारी बातें सच थीं? नहीं। शायद वह राज्यपाल के सामने खुद को एक ज़िम्मेदार और काबिल अफसर दिखाना चाहता था। उसकी यह बात झूठ थी कि उसने पौलुस को इसलिए बचाया क्योंकि उसे पता चला कि वह एक रोमी नागरिक है। उसने चिट्ठी में यह भी नहीं बताया कि उसने पौलुस को ‘दो ज़ंजीरों से बँधवाया था’ और एक मौके पर हुक्म दिया था कि उसे “कोड़े लगाकर पूछताछ की जाए।” (प्रेषि. 21:30-34; 22:24-29) ऐसा करके लूसियास ने पौलुस के रोमी नागरिक होने के अधिकारों का उल्लंघन किया था। आज भी शैतान हम पर ज़ुल्म करने के लिए धर्म के कट्टरपंथियों को अपना मोहरा बनाता है। हो सकता है, ये विरोधी हमें उपासना करने से रोकें, जबकि देश का कानून हमें उपासना करने का अधिकार देता है। ऐसे में हम वही कर सकते हैं जो पौलुस ने किया था। हम कानून का सहारा लेकर अपने अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं।

“मुझे तेरे सामने अपनी सफाई पेश करने में बड़ी खुशी हो रही है” (प्रेषि. 23:35–24:21)

10. पौलुस पर कौन-से गंभीर आरोप लगाए जाते हैं?

10 कैसरिया में पौलुस को तब तक “हेरोदेस के महल में पहरे में रखा” जाता है जब तक कि यरूशलेम से उस पर इलज़ाम लगानेवाले नहीं आते। (प्रेषि. 23:35) पाँच दिन बाद महायाजक हनन्याह, तिरतुल्लुस नाम का एक वकील और कुछ मुखिया कैसरिया पहुँचते हैं। वे फेलिक्स के सामने हाज़िर होते हैं और तिरतुल्लुस सबसे पहले फेलिक्स की तारीफ करता है कि वह यहूदियों के लिए बहुत-से भले काम कर रहा है। वह फेलिक्स की चापलूसी करने के लिए ऐसा कहता है। b इसके बाद वह असली मुद्दे पर आता है। वह पौलुस के बारे में कहता है, “यह आदमी फसाद की जड़ है और पूरी दुनिया में यहूदियों को बगावत करने के लिए भड़काता है और नासरियों के गुट का एक मुखिया है। इसने मंदिर को अपवित्र करने की भी कोशिश की इसलिए हमने इसे पकड़ लिया।” तब दूसरे यहूदी भी ‘पौलुस के खिलाफ बोलने लगते हैं और दावे के साथ कहने लगते हैं कि ये बातें सही हैं।’ (प्रेषि. 24:5, 6, 9) सरकार के खिलाफ बगावत करना, एक खतरनाक गुट का मुखिया होना और मंदिर को अपवित्र करना, ये ऐसे गंभीर आरोप हैं जिनकी सज़ा मौत हो सकती है।

11, 12. पौलुस अपने ऊपर लगे इलज़ामों को कैसे झूठा साबित करता है?

11 अब पौलुस को बोलने की इजाज़त दी जाती है। वह सबसे पहले कहता है, “मुझे तेरे सामने अपनी सफाई पेश करने में बड़ी खुशी हो रही है।” फिर वह साफ-साफ बताता है कि उस पर जितने भी इलज़ाम लगे हैं, वे सब झूठे हैं। उसने ना तो मंदिर को अपवित्र किया है, ना ही यहूदियों को बगावत करने के लिए भड़काया है। वह बताता है कि असल में वह “कई सालों” से यरूशलेम में था ही नहीं। वह तो “दान” लेकर अभी यरूशलेम आया है क्योंकि यहाँ के मसीही अकाल और ज़ुल्मों की वजह से बड़ी तंगी में हैं। वह ज़ोर देकर बताता है कि मंदिर में कदम रखने से पहले उसने खुद को “मूसा के कानून के मुताबिक शुद्ध” किया था। और उसकी हमेशा यही कोशिश रहती है कि वह ‘परमेश्‍वर और इंसानों की नज़र में कोई अपराध न करे ताकि उसका ज़मीर साफ रहे।’​—प्रेषि. 24:10-13, 16-18.

12 पौलुस इस बात को स्वीकार करता है कि ‘जिस राह को ये लोग एक गुट कह रहे हैं,’ वह उसको मानता ज़रूर है। लेकिन वह और उसके विरोधी जो मानते हैं उसमें ज़्यादा फर्क नहीं है। उनकी तरह वह भी परमेश्‍वर की उपासना करता है, “कानून और भविष्यवक्‍ताओं की लिखी सारी बातों पर” विश्‍वास करता है और मानता है कि “अच्छे और बुरे, दोनों तरह के लोगों को मरे हुओं में से ज़िंदा किया जाएगा।” इसके बाद पौलुस माँग करता है कि अगर उस पर लगे इलज़ाम सच हैं तो वे सबूत भी पेश करें। वह कहता है, “ये लोग बताएँ कि जब मैं महासभा के सामने खड़ा था तो इन्होंने मुझमें क्या दोष पाया। वे मुझ पर सिर्फ एक बात का दोष लगा सकते हैं, जो मैंने इनके बीच खड़े होकर बुलंद आवाज़ में कही थी, ‘मरे हुओं के ज़िंदा होने की बात को लेकर आज तुम्हारे सामने मुझ पर मुकदमा चलाया जा रहा है!’”​—प्रेषि. 24:14, 15, 20, 21.

13-15. अधिकारियों के सामने गवाही देने के बारे में हम पौलुस से क्या सीख सकते हैं?

13 आज भी शायद विरोधी हम पर झूठे इलज़ाम लगाएँ कि हम देशद्रोही हैं, लोगों को भड़काते हैं या एक खतरनाक पंथ से हैं। हो सकता है, वे हमें अधिकारियों के सामने भी ले जाएँ। ऐसे में हम पौलुस से बहुत कुछ सीख सकते हैं। उसने राज्यपाल से मीठी-मीठी बातें कहकर उसकी चापलूसी नहीं की, जैसे तिरतुल्लुस ने की थी। जब उस पर झूठे इलज़ाम लगाए जा रहे थे तो वह शांत रहा और आदर से पेश आया। जब पौलुस के बोलने की बारी आयी तो उसने सोच-समझकर मगर साफ-साफ अपनी बात कही। जैसे, उसने कहा कि ‘एशिया प्रांत के जिन यहूदियों’ ने उस पर मंदिर को दूषित करने का इलज़ाम लगाया, उन्हें कानून के हिसाब से यहाँ मौजूद होना चाहिए था।​—प्रेषि. 24:18, 19.

14 पौलुस की एक बात सबसे ज़्यादा गौर करनेवाली है। वह अपने विश्‍वास के बारे में गवाही देने से पीछे नहीं हटा। इस मौके पर उसने एक बार फिर मरे हुओं के ज़िंदा होने के बारे में बात की। वह यह सोचकर नहीं डरा कि इसी शिक्षा को लेकर महासभा में हाहाकार मचा था। (प्रेषि. 23:6-10) लेकिन पौलुस ने अपनी सफाई में इस शिक्षा का ज़िक्र क्यों किया? क्योंकि पौलुस यीशु के बारे में प्रचार कर रहा था और सिखा रहा था कि उसे मरे हुओं में से ज़िंदा किया गया है। मगर उसके विरोधी इस शिक्षा पर यकीन नहीं करते थे। (प्रेषि. 26:6-8, 22, 23) जी हाँ, सारा बखेड़ा इसी शिक्षा को लेकर खड़ा हुआ था।

15 पौलुस की तरह हम भी निडर होकर गवाही दे सकते हैं और यीशु के इन शब्दों से हिम्मत पा सकते हैं, “मेरे नाम की वजह से सब लोग तुमसे नफरत करेंगे। मगर जो अंत तक धीरज धरेगा, वही उद्धार पाएगा।” क्या हमें चिंता करनी चाहिए कि बड़े-बड़े अधिकारियों के सामने हम कैसे बात करेंगे? जी नहीं। यीशु ने यकीन दिलाया, “जब वे तुम्हें अदालत के हवाले करने ले जा रहे होंगे, तो पहले से चिंता मत करना कि हम क्या कहेंगे। पर जो कुछ तुम्हें उस घड़ी बताया जाए, वही कहना क्योंकि बोलनेवाले तुम नहीं बल्कि पवित्र शक्‍ति होगी।”​—मर. 13:9-13.

‘फेलिक्स घबरा उठता है’ (प्रेषि. 24:22-27)

16, 17. (क) पौलुस के मामले में फेलिक्स क्या करता है? (ख) फेलिक्स शायद किस वजह से घबरा उठता है? फिर भी वह क्यों पौलुस को बार-बार बुलवाता है?

16 राज्यपाल फेलिक्स ने इससे पहले भी मसीही शिक्षाओं के बारे में सुना था। बाइबल बताती है, “फेलिक्स ‘प्रभु की राह’ [यानी शुरू के मसीही धर्म] के बारे में अच्छी तरह जानता था कि सच क्या है, फिर भी उसने यह कहकर मामला टाल दिया, ‘जब सेनापति लूसियास यहाँ आएगा तब मैं तुम्हारे इस मामले का फैसला करूँगा।’ फिर उसने सेना-अफसर को हुक्म दिया कि इस आदमी को हिरासत में रखा जाए मगर थोड़ी आज़ादी दी जाए और उसके लोगों को उसकी सेवा करने से न रोका जाए।”​—प्रेषि. 24:22, 23.

17 कुछ दिन बाद फेलिक्स और उसकी पत्नी द्रुसिल्ला, जो एक यहूदी है, पौलुस को बुलवाते हैं। और उससे सुनते हैं कि “मसीह यीशु में विश्‍वास करने के बारे में” वह क्या बता रहा है। (प्रेषि. 24:24) लेकिन जब पौलुस ‘नेकी, संयम और आनेवाले न्याय के बारे में बात करने लगता है, तो फेलिक्स घबरा उठता है।’ शायद उसका ज़मीर उसे कचोटने लगता है क्योंकि उसने अपनी ज़िंदगी में बुरे-बुरे काम किए थे। इसलिए वह यह कहकर पौलुस को भेज देता है, “फिलहाल तू जा। फिर कभी मौका मिला तो मैं तुझे बुला लूँगा।” इसके बाद फेलिक्स कई बार पौलुस को बुलवाता है। पर उसे सच्चाई में कोई दिलचस्पी नहीं थी, वह तो बस रिश्‍वत पाने की उम्मीद में बार-बार उससे मिल रहा था।​—प्रेषि. 24:25, 26.

18. फेलिक्स और उसकी पत्नी से पौलुस “नेकी, संयम और आनेवाले न्याय के बारे में” क्यों बात करता है?

18 पौलुस “नेकी, संयम और आनेवाले न्याय के बारे में” क्यों बात करता है? याद कीजिए, फेलिक्स और उसकी पत्नी खुद जानना चाहते थे कि “मसीह यीशु में विश्‍वास करने” में क्या शामिल है। और पौलुस को पता था कि वे कैसे लोग हैं। वे बदचलन थे, बेरहम थे और दूसरों के साथ अन्याय करते थे। इसलिए वह उन्हें खुलकर बताता है कि यीशु का चेला बनने में क्या शामिल है। पौलुस की बातों से साफ पता चलता है कि फेलिक्स और उसकी पत्नी, परमेश्‍वर के स्तरों के मुताबिक नहीं जी रहे। वे भी समझ गए होंगे कि उन्हें परमेश्‍वर को अपनी बातों, अपनी सोच और अपने कामों का लेखा देना होगा। अगर फेलिक्स पौलुस का न्याय करने बैठा है, तो फेलिक्स का न्याय करने भी कोई बैठा है और वह है परमेश्‍वर। इसलिए ताज्जुब नहीं कि पौलुस की बातें सुनकर फेलिक्स ‘घबरा उठता है’!

19, 20. (क) प्रचार में शायद हमें कैसे लोग मिलें? हमें उनके साथ कैसे पेश आना चाहिए? (ख) हम कैसे जानते हैं कि फेलिक्स को पौलुस से कोई हमदर्दी नहीं थी?

19 हमें भी शायद प्रचार में फेलिक्स जैसे लोग मिलें। शुरू-शुरू में हमें लगे कि उन्हें सच्चाई में दिलचस्पी है लेकिन बाद में पता चलता है कि वे परमेश्‍वर के स्तरों के मुताबिक खुद को बदलना नहीं चाहते। हमें ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए क्योंकि हमें नहीं पता कि उनकी नीयत क्या है। पर हम प्यार से उन्हें समझा सकते हैं कि परमेश्‍वर के स्तर क्या हैं, ठीक जैसे पौलुस ने किया था। क्या पता, सच्चाई उनके दिल को छू जाए और वे बदल जाएँ! लेकिन अगर वे बुरे काम छोड़कर खुद को नहीं बदलना चाहते, तो हम उन्हें उनके हाल पर छोड़ देंगे और ऐसे लोगों को ढूँढ़ेंगे जो वाकई सच्चाई जानना चाहते हैं।

20 जहाँ तक फेलिक्स की बात है, कुछ समय बाद उसकी असली नीयत सामने आ जाती है। आयत बताती है, “इस तरह दो साल बीत गए और फेलिक्स की जगह पुरकियुस फेस्तुस ने ले ली। फेलिक्स यहूदियों को खुश करना चाहता था, इसलिए वह पौलुस को कैद में ही छोड़ गया।” (प्रेषि. 24:27) फेलिक्स अच्छी तरह जानता था कि “प्रभु की राह” पर चलनेवाले लोग ना तो देशद्रोही हैं और ना ही सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ते हैं। (प्रेषि. 19:23) वह यह भी जानता था कि पौलुस ने रोमी सरकार का कोई कानून नहीं तोड़ा है। फिर भी वह पौलुस को कैद में ही छोड़ देता है क्योंकि वह “यहूदियों को खुश करना चाहता” है। इससे साफ हो जाता है कि फेलिक्स को पौलुस से कोई हमदर्दी नहीं थी।

21. जब पुरकियुस फेस्तुस राज्यपाल बनता है, तो पौलुस के साथ क्या होता है? क्या बात पौलुस को हर घड़ी मज़बूत करती है?

21 हमने प्रेषितों अध्याय 24 की आखिरी आयत में देखा कि जब फेलिक्स की जगह पुरकियुस फेस्तुस राज्यपाल बनता है, तब भी पौलुस कैद में होता है। फिर पौलुस को एक-के-बाद-एक कई अधिकारियों के पास ले जाया जाता है और उसके मुकदमे की सुनवाई होती है। इस तरह इस दिलेर प्रेषित को “राजाओं और राज्यपालों के सामने पेश किया” जाता है। (लूका 21:12) जैसा हम आगे देखेंगे, वह सम्राट को भी गवाही देता है जो उसके दिनों का सबसे ताकतवर अधिकारी था। इस दौरान पौलुस कभी अपने विश्‍वास से नहीं डगमगाया। यीशु के ये शब्द हर घड़ी उसे अंदर से मज़बूत करते रहे, “हिम्मत रख!”

b तिरतुल्लुस, फेलिक्स का धन्यवाद करता है कि उसकी बदौलत देश के लोग “बड़े अमन-चैन से हैं।” लेकिन यह तारीफ झूठी थी। असल में फेलिक्स की हुकूमत में सबसे ज़्यादा अशांति थी। तिरतुल्लुस की यह बात भी बिलकुल झूठी थी कि फेलिक्स ने यहूदिया में सुधार लाने के लिए बहुत-से काम किए थे और यहूदी उसके “बहुत एहसानमंद” थे। सच तो यह था कि ज़्यादातर यहूदी, फेलिक्स से नफरत करते थे क्योंकि उसने उनका जीना मुश्‍किल कर दिया था और उनकी बगावत कुचलने के लिए उनके साथ बेरहमी से पेश आया था।​—प्रेषि. 24:2, 3.