भाग 6 • प्रेषितों 15:36–18:22
‘चलो, हम उन शहरों में दोबारा जाएँ और भाइयों को देख आएँ’
मंडली में सर्किट निगरान की क्या अहम भूमिका है? यहोवा का संगठन जब कोई ज़िम्मेदारी या काम देता है, तो उसे खुशी-खुशी कबूल करने से क्या आशीषें मिलती हैं? हम शास्त्र से कैसे तर्क कर सकते हैं? और हमें क्यों सुननेवालों के हालात के मुताबिक बातचीत में फेरबदल करना चाहिए? इस भाग में जब हम प्रेषित पौलुस के साथ उसके दूसरे मिशनरी दौरे पर चलेंगे तो हमें इन सवालों के साथ-साथ दूसरे कई सवालों के भी जवाब मिलेंगे।