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मत्ती अध्याय 5-7

मत्ती अध्याय 5-7

5 जब यीशु ने भीड़ को देखा, तो वह पहाड़ पर गया और वहाँ बैठ गया और उसके चेले उसके पास आए। 2 तब वह उन्हें ये बातें सिखाने लगा:

3 “सुखी हैं वे जिनमें परमेश्‍वर से मार्गदर्शन पाने की भूख है क्योंकि स्वर्ग का राज उन्हीं का है।

4 सुखी हैं वे जो मातम मनाते हैं क्योंकि उन्हें दिलासा दिया जाएगा।

5 सुखी हैं वे जो कोमल स्वभाव के हैं क्योंकि वे धरती के वारिस होंगे।

6 सुखी हैं वे जो नेकी के भूखे-प्यासे हैं a क्योंकि वे तृप्त किए जाएँगे।

7 सुखी हैं वे जो दयालु हैं क्योंकि उन पर दया की जाएगी।

8 सुखी हैं वे जिनका दिल शुद्ध है क्योंकि वे परमेश्‍वर को देखेंगे।

9 सुखी हैं वे जो शांति कायम करते हैं क्योंकि वे परमेश्‍वर के बेटे कहलाएँगे।

10 सुखी हैं वे जो सही काम करने की वजह से ज़ुल्म सहते हैं क्योंकि स्वर्ग का राज उन्हीं का है।

11 सुखी हो तुम जब लोग तुम्हें मेरे चेले होने की वजह से बदनाम करें, तुम पर ज़ुल्म ढाएँ और तुम्हारे बारे में तरह-तरह की झूठी और बुरी बातें कहें। 12 तब तुम मगन होना और खुशियाँ मनाना इसलिए कि स्वर्ग में तुम्हारे लिए बड़ा इनाम है। उन्होंने तुमसे पहले के भविष्यवक्‍ताओं पर भी इसी तरह ज़ुल्म ढाए थे।

13 तुम पृथ्वी के नमक हो। लेकिन अगर नमक अपना स्वाद खो दे, तो क्या उसे दोबारा नमकीन किया जा सकता है? नहीं! फिर वह किसी काम का नहीं रहता। उसे सड़कों पर फेंक दिया जाता है और वह लोगों के पैरों तले रौंदा जाता है।

14 तुम दुनिया की रौशनी हो। जो शहर पहाड़ पर बसा हो, वह छिप नहीं सकता। 15 लोग दीपक जलाकर उसे टोकरी से ढककर नहीं रखते, बल्कि दीवट पर रखते हैं। इससे घर के सब लोगों को रौशनी मिलती है। 16 उसी तरह तुम्हारी रौशनी लोगों के सामने चमके ताकि वे तुम्हारे भले काम देखकर स्वर्ग में रहनेवाले तुम्हारे पिता की महिमा करें।

17 यह मत सोचो कि मैं कानून या भविष्यवक्‍ताओं के वचनों को रद्द करने आया हूँ। मैं उन्हें रद्द करने नहीं बल्कि पूरा करने आया हूँ। 18 मैं तुमसे सच कहता हूँ कि जैसे आकाश और पृथ्वी कभी नहीं मिटेंगे, वैसे ही कानून में लिखा छोटे-से-छोटा अक्षर या बिंदु भी बिना पूरा हुए नहीं मिटेगा, उसमें लिखी एक-एक बात पूरी होगी। 19 इसलिए अगर कोई इसकी छोटी आज्ञाओं में से किसी एक को भी तोड़ता है और दूसरों को भी ऐसा करना सिखाता है, तो वह स्वर्ग के राज में दाखिल होने के लायक नहीं होगा। मगर जो इन्हें मानता है और दूसरों को भी ऐसा करना सिखाता है, वह स्वर्ग के राज में दाखिल होने के लायक होगा। 20 क्योंकि मैं तुमसे कहता हूँ कि अगर तुम्हारे नेक काम शास्त्रियों और फरीसियों b के नेक कामों से बढ़कर न हों, तो तुम स्वर्ग के राज में हरगिज़ दाखिल न होगे।

  21 तुम सुन चुके हो कि गुज़रे ज़माने के लोगों से कहा गया था, ‘तुम खून न करना। जो कोई खून करता है उसे अदालत के सामने जवाब देना पड़ेगा।’ 22 मगर मैं तुमसे कहता हूँ कि हर वह इंसान जिसके दिल में अपने भाई के खिलाफ गुस्से की आग सुलगती रहती है, उसे अदालत के सामने जवाब देना पड़ेगा। और हर वह इंसान जो अपने भाई का अपमान करने के लिए ऐसे शब्द कहता है जिन्हें ज़बान पर भी नहीं लाना चाहिए, उसे सबसे बड़ी अदालत के सामने जवाब देना पड़ेगा। और हर वह इंसान जो अपने भाई से कहता है, ‘अरे चरित्रहीन मूर्ख!’ वह गेहन्‍ना c की आग में जाने के लायक ठहरेगा।

23 इसलिए अगर तू मंदिर में वेदी के पास अपनी भेंट ला रहा हो और वहाँ तुझे याद आए कि तेरे भाई को तुझसे कुछ शिकायत है, 24 तो अपनी भेंट वहीं वेदी के सामने छोड़ दे और जाकर पहले अपने भाई के साथ सुलह कर और फिर आकर अपनी भेंट चढ़ा।

25 अगर कोई तुझ पर मुकदमा दायर करने जा रहा है, तो रास्ते में ही जल्द-से-जल्द उसके साथ सुलह कर ले। कहीं ऐसा न हो कि वह तुझे न्यायी के हवाले कर दे और न्यायी तुझे पहरेदार के हवाले कर दे और तुझे कैदखाने में डाल दिया जाए। 26 मैं तुझसे सच कहता हूँ, जब तक तू एक-एक पाई न चुका दे, तब तक तू वहाँ से किसी भी हाल में न छूट सकेगा।

27 तुम सुन चुके हो कि कहा गया था, ‘तुम व्यभिचार न करना।’ 28 मगर मैं तुमसे कहता हूँ कि हर वह आदमी जो किसी औरत को ऐसी नज़र से देखता रहता है जिससे उसके मन में उसके लिए वासना पैदा हो, वह अपने दिल में उस औरत के साथ व्यभिचार कर चुका है। 29 अगर तेरी दायीं आँख तुझसे पाप करवा रही है, तो उसे नोंचकर निकाल दे और दूर फेंक दे। अच्छा यही होगा कि तू अपना एक अंग गँवा दे, बजाय इसके कि तेरा पूरा शरीर गेहन्‍ना d में फेंक दिया जाए। 30 और अगर तेरा दायाँ हाथ तुझसे पाप करवा रहा है, तो उसे काटकर दूर फेंक दे। अच्छा यही होगा कि तू अपना एक अंग गँवा दे, बजाय इसके कि तेरा पूरा शरीर गेहन्‍ना e में डाल दिया जाए।

31 यह भी कहा गया था, ‘जो कोई अपनी पत्नी को तलाक देता है, वह उसे एक तलाकनामा दे।’ 32 लेकिन मैं तुमसे कहता हूँ कि हर वह आदमी जो अपनी पत्नी को नाजायज़ यौन-संबंध f के अलावा किसी और वजह से तलाक देता है, वह उसे व्यभिचार करने के खतरे में डालता है। और जो कोई ऐसी तलाकशुदा औरत से शादी करता है, वह व्यभिचार करने का दोषी है।

33 तुमने यह भी सुना है कि गुज़रे ज़माने के लोगों से कहा गया था, ‘तुम ऐसी शपथ न खाना जिसे तुम पूरा न करो, मगर तुम यहोवा g के सामने अपनी मन्‍नतें पूरी करना।’ 34 लेकिन मैं तुमसे कहता हूँ, तुम कभी कसम न खाना, न स्वर्ग की क्योंकि वह परमेश्‍वर की राजगद्दी है, 35 न ही पृथ्वी की क्योंकि यह उसके पाँवों की चौकी है, न यरूशलेम की क्योंकि यह उस महाराजा का नगर है। 36 न ही तुम अपने सिर की कसम खाना क्योंकि तुम एक बाल भी सफेद या काला नहीं कर सकते। 37 बस तुम्हारी ‘हाँ’ का मतलब हाँ हो और ‘न’ का मतलब न, इसलिए कि इससे बढ़कर जो कुछ कहा जाता है वह शैतान से होता है।

38 तुम सुन चुके हो कि कहा गया था, ‘आँख के बदले आँख और दाँत के बदले दाँत।’ 39 लेकिन मैं तुमसे कहता हूँ, जो दुष्ट है उसका मुकाबला मत करो। इसके बजाय, अगर कोई तुम्हारे दाएँ गाल पर थप्पड़ मारे, तो उसकी तरफ दूसरा गाल भी कर देना। 40 और अगर कोई तुम पर अदालत में मुकदमा करके तुम्हारा कुरता लेना चाहे, तो उसे अपना ओढ़ना भी दे देना। 41 और अगर कोई अधिकारी तुमसे कहे कि मेरा बोझ उठाकर एक मील चल, तो तुम उसके साथ दो मील चले जाना। 42 जो कोई तुमसे माँगता है, उसे देना और जो तुमसे उधार माँगे h उसे देने से इनकार मत करना।

43 तुम सुन चुके हो कि कहा गया था, ‘तुम अपने पड़ोसी से प्यार करना और दुश्‍मन से नफरत।’ 44 लेकिन मैं तुमसे कहता हूँ: अपने दुश्‍मनों से प्यार करते रहो और जो तुम्हें सताते हैं, उनके लिए प्रार्थना करते रहो। 45 इस तरह तुम साबित करो कि तुम स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता के बेटे हो क्योंकि वह अच्छे और बुरे दोनों पर अपना सूरज चमकाता है और नेक और दुष्ट दोनों पर बारिश बरसाता है। 46 क्योंकि अगर तुम उन्हीं से प्यार करो जो तुमसे प्यार करते हैं, तो तुम्हें इसका क्या इनाम मिलेगा? क्या कर-वसूलनेवाले भी ऐसा ही नहीं करते? 47 और अगर तुम सिर्फ अपने भाइयों को ही नमस्कार करो, तो कौन-सा अनोखा काम करते हो? क्या गैर-यहूदी भी ऐसा ही नहीं करते? 48 इसलिए तुम्हें परिपूर्ण i होना चाहिए ठीक जैसे स्वर्ग में रहनेवाला तुम्हारा पिता परिपूर्ण है।

6 खबरदार रहो कि तुम लोगों को दिखाने के लिए उनके सामने नेक काम न करो, नहीं तो तुम अपने पिता से जो स्वर्ग में है, कोई फल नहीं पाओगे। 2 इसलिए जब तू दान दे, तो अपने आगे-आगे तुरही न बजवा, जैसे कपटी सभा-घरों और गलियों में बजवाते हैं ताकि लोग उनकी वाह-वाही करें। मैं तुमसे सच कहता हूँ, वे अपना पूरा फल पा चुके हैं। 3 मगर जब तू दान दे, तो तेरे बाएँ हाथ को भी मालूम न पड़े कि तेरा दायाँ हाथ क्या दे रहा है, 4 जिससे तेरा दान गुप्त रहे। तब तेरा पिता जो तेरा हर काम देख रहा है, तुझे इसका फल देगा।

5 जब तुम प्रार्थना करो, तो कपटियों की तरह मत करो क्योंकि उन्हें सभा-घरों और सड़कों के चौराहे पर खड़े होकर प्रार्थना करना अच्छा लगता है ताकि लोग उन्हें देख सकें। मैं तुमसे सच कहता हूँ, वे अपना पूरा फल पा चुके हैं। 6 लेकिन जब तू प्रार्थना करे, तो अकेले अपने घर के कमरे में जा और दरवाज़ा बंद कर और अपने पिता से जिसे कोई नहीं देख सकता, प्रार्थना कर। तब तेरा पिता जो तेरा हर काम देख रहा है, तुझे इसका फल देगा। 7 प्रार्थना करते वक्‍त, दुनिया के लोगों की तरह एक ही बात बार-बार मत दोहराओ क्योंकि वे सोचते हैं कि उनके बहुत ज़्यादा बोलने से परमेश्‍वर उनकी सुनेगा। 8 इसलिए तुम उनके जैसे मत बनो क्योंकि तुम्हारा पिता तुम्हारे माँगने से पहले ही जानता है कि तुम्हें किन चीज़ों की ज़रूरत है।

9 इसलिए, तुम इस तरह प्रार्थना करना:

‘हे हमारे पिता तू जो स्वर्ग में है, तेरा नाम पवित्र किया जाए। j 10 तेरा राज आए। तेरी मरज़ी जैसे स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे धरती पर भी पूरी हो। 11 आज के दिन की रोटी हमें दे। 12 जैसे हमने अपने खिलाफ पाप करनेवालों को माफ किया है, वैसे ही तू भी हमारे पाप माफ कर। 13 जब हम पर परीक्षा आए तो हमें गिरने न दे, मगर हमें शैतान से बचा।’

14 अगर तुम दूसरों के अपराध माफ करोगे, तो स्वर्ग में रहनेवाला तुम्हारा पिता भी तुम्हें माफ करेगा। 15 लेकिन अगर तुम दूसरों के अपराध माफ नहीं करोगे, तो तुम्हारा पिता भी तुम्हारे अपराध माफ नहीं करेगा।

16 जब तुम उपवास करते हो, तो पाखंडियों की तरह मुँह लटकाए रहना बंद करो, क्योंकि वे अपना चेहरा गंदा कर लेते हैं ताकि लोग उन्हें देखकर जानें कि वे उपवास कर रहे हैं। मैं तुमसे सच कहता हूँ, वे अपना पूरा फल पा चुके हैं। 17 लेकिन जब तू उपवास करे, तो अपने सिर पर तेल लगा और मुँह धो 18 ताकि लोग नहीं बल्कि तेरा पिता, जिसे कोई नहीं देख सकता, जाने कि तू उपवास कर रहा है। तब तेरा पिता जो तेरा हर काम देख रहा है, तुझे इसका फल देगा।

19 अपने लिए पृथ्वी पर धन जमा करना बंद करो, जहाँ कीड़ा और ज़ंग उसे खा जाते हैं और चोर सेंध लगाकर चुरा लेते हैं। 20 इसके बजाय, अपने लिए स्वर्ग में धन जमा करो, जहाँ न तो कीड़ा, न ही ज़ंग उसे खाते हैं और न चोर सेंध लगाकर चुराते हैं। 21 क्योंकि जहाँ तेरा धन होगा, वहीं तेरा मन होगा।

22 आँख, शरीर का दीपक है। इसलिए अगर तेरी आँख एक ही चीज़ पर टिकी है, तो तेरा सारा शरीर रौशन रहेगा। 23 लेकिन अगर तेरी आँखों में ईर्ष्या भरी है, k तो तेरा सारा शरीर अंधकार से भर जाएगा। अगर शरीर को रौशन करनेवाली तेरी आँख ही अँधेरे में हो, तो तू कितने गहरे अंधकार में होगा!

24 कोई भी दास दो मालिकों की सेवा नहीं कर सकता। क्योंकि या तो वह एक से नफरत करेगा और दूसरे से प्यार या वह एक से जुड़ा रहेगा और दूसरे को तुच्छ समझेगा। तुम परमेश्‍वर के दास होने के साथ-साथ धन-दौलत की गुलामी नहीं कर सकते।

25 इसलिए मैं तुमसे कहता हूँ, अपने जीवन के लिए चिंता करना छोड़ दो कि तुम क्या खाओगे या क्या पीओगे, न ही अपने शरीर के लिए चिंता करो कि तुम क्या पहनोगे। क्या जीवन भोजन से और शरीर कपड़े से अनमोल नहीं? 26 आकाश में उड़नेवाले पंछियों को ध्यान से देखो। वे न तो बीज बोते, न कटाई करते, न ही गोदामों में भरकर रखते हैं, फिर भी स्वर्ग में रहनेवाला तुम्हारा पिता उन्हें खिलाता है। क्या तुम्हारा मोल उनसे बढ़कर नहीं? 27 तुममें ऐसा कौन है जो चिंता करके एक पल के लिए भी अपनी ज़िंदगी बढ़ा सके? 28 तुम यह चिंता क्यों करते हो कि तुम्हारे पास पहनने के लिए कपड़े कहाँ से आएँगे? मैदान में उगनेवाले सोसन l के फूलों से सबक सीखो, वे कैसे बढ़ते हैं; वे न तो कड़ी मज़दूरी करते हैं न ही सूत कातते हैं। 29 मगर मैं तुमसे कहता हूँ कि सुलैमान भी जब अपने पूरे वैभव में था, तो इनमें से किसी एक की तरह भी सज-धज न सका। 30 इसलिए अगर परमेश्‍वर मैदान में उगनेवाले इन पौधों को, जो आज हैं और कल आग में झोंक दिए जाएँगे, ऐसे शानदार कपड़े पहनाता है, तो अरे कम विश्‍वास रखनेवालो! क्या वह तुम्हें नहीं पहनाएगा? 31 इसलिए कभी-भी चिंता करके यह मत कहना कि हम क्या खाएँगे? या हम क्या पीएँगे? या हम क्या पहनेंगे? 32 क्योंकि इन्हीं सब चीज़ों के पीछे दुनिया के लोग दिन-रात भाग रहे हैं। मगर स्वर्ग में रहनेवाला तुम्हारा पिता जानता है कि तुम्हें इन सब चीज़ों की ज़रूरत है।

33 इसलिए परमेश्‍वर के राज और उसके नेक स्तरों को पहली जगह देते रहो a और ये बाकी सारी चीज़ें भी तुम्हें दे दी जाएँगी। 34 इसलिए अगले दिन की चिंता कभी न करना क्योंकि अगले दिन की अपनी ही चिंताएँ होंगी। आज के लिए आज की परेशानियाँ काफी हैं।

7 दोष लगाना बंद करो ताकि तुम पर भी दोष न लगाया जाए। 2 इसलिए कि जैसे तुम दोष लगाते हो, वैसे ही तुम पर भी दोष लगाया जाएगा। जिस नाप से तुम नापते हो, वे भी उसी नाप से तुम्हारे लिए नापेंगे। 3 तो फिर तू क्यों अपने भाई की आँख में पड़ा तिनका देखता है, मगर अपनी आँख के लट्ठे पर ध्यान नहीं देता? 4 या तू अपने भाई से कैसे कह सकता है, ‘आ मैं तेरी आँख का तिनका निकाल दूँ,’ जबकि देख! तेरी अपनी ही आँख में एक लट्ठा है? 5 अरे कपटी! पहले अपनी आँख से लट्ठा निकाल, तब तू साफ-साफ देख सकेगा कि अपने भाई की आँख से तिनका कैसे निकालना है।

6 पवित्र चीज़ें कुत्तों को मत दो, न ही अपने मोती सूअरों के आगे फेंको। ऐसा न हो कि वे अपने पैरों से उन्हें रौंद दें और पलटकर तुम्हें फाड़ डालें।

7 माँगते रहो तो तुम्हें दिया जाएगा, ढूँढ़ते रहो तो तुम पाओगे, खटखटाते रहो तो तुम्हारे लिए खोला जाएगा। 8 क्योंकि हर कोई जो माँगता है, उसे मिलता है और जो ढूँढ़ता है, वह पाता है और हर कोई जो खटखटाता है, उसके लिए खोला जाएगा। 9 आखिर तुममें ऐसा कौन है जिसका बेटा अगर उससे रोटी माँगे, तो वह उसे एक पत्थर पकड़ा दे? 10 या मछली माँगे तो उसे एक साँप पकड़ा दे? 11 इसलिए जब तुम दुष्ट होकर भी अपने बच्चों को अच्छे तोहफे देना जानते हो तो तुम्हारा पिता, जो स्वर्ग में है, और भी बढ़कर अपने माँगनेवालों को अच्छी चीज़ें क्यों न देगा!

12 इसलिए जो कुछ तुम चाहते हो कि लोग तुम्हारे साथ करें, तुम भी उनके साथ वैसा ही करो। दरअसल कानून और भविष्यवक्‍ताओं की किताबों का निचोड़ यही है।

13 सँकरे b फाटक से अंदर जाओ क्योंकि चौड़ा है वह फाटक और खुला है वह रास्ता, जो विनाश की तरफ ले जाता है और उस पर जानेवाले बहुत हैं। 14 जबकि सँकरा है वह फाटक और तंग है वह रास्ता, जो जीवन की तरफ ले जाता है और उसे पानेवाले थोड़े हैं।

15 झूठे भविष्यवक्‍ताओं से खबरदार रहो जो भेड़ों के भेस में तुम्हारे पास आते हैं, मगर अंदर से भूखे भेड़िए हैं। 16 उनके फलों c से तुम उन्हें पहचान लोगे। क्या लोग कभी कँटीली झाड़ियों से अंगूर या जंगली पौधों से अंजीर तोड़ते हैं? 17 उसी तरह, हरेक अच्छा पेड़ बढ़िया फल देता है, मगर सड़ा हुआ पेड़ खराब फल देता है। 18 अच्छा पेड़ खराब फल नहीं दे सकता, न ही सड़ा हुआ पेड़ बढ़िया फल दे सकता है। 19 हर वह पेड़ जो बढ़िया फल नहीं देता, काटा और आग में झोंक दिया जाता है। 20 इसलिए तुम उन लोगों को उनके फलों से पहचान लोगे।

21 जो मुझे ‘हे प्रभु, हे प्रभु’ कहते हैं, उनमें से हर कोई स्वर्ग के राज में दाखिल नहीं होगा, मगर सिर्फ वही दाखिल होगा जो स्वर्ग में रहनेवाले मेरे पिता की मरज़ी पूरी करता है। 22 उस दिन बहुत-से लोग मुझसे कहेंगे, ‘हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हमने तेरे नाम से भविष्यवाणी नहीं की और तेरे नाम से, लोगों में समाए दुष्ट स्वर्गदूतों को नहीं निकाला और तेरे नाम से बहुत-से शक्‍तिशाली काम नहीं किए?’ 23 तब मैं उनसे साफ-साफ कह दूँगा: मैं तुम्हें नहीं जानता। अरे दुष्टो, दूर हो जाओ मेरे सामने से!

24 इसलिए हर कोई जो मेरी ये बातें सुनता है और इन पर चलता है, वह उस समझदार आदमी जैसा होगा जिसने अपना घर चट्टान पर बनाया। 25 फिर ज़बरदस्त बरसात हुई, बाढ़-पर-बाढ़ आयी, आँधियाँ चलीं और उस घर से टकरायीं, फिर भी वह नहीं गिरा क्योंकि उसकी नींव चट्टान पर बनायी गयी थी। 26 लेकिन हर कोई जो मेरी ये बातें सुनता है मगर इन पर नहीं चलता, वह उस मूर्ख जैसा होगा जिसने अपना घर रेत पर बनाया। 27 और ज़बरदस्त बरसात हुई, बाढ़-पर-बाढ़ आयी, आँधियाँ चलीं और उस घर से टकरायीं और वह ढह गया और तहस-नहस हो गया।”

28 जब यीशु ये बातें कह चुका, तो भीड़ उसके सिखाने का तरीका देखकर दंग रह गयी, 29 क्योंकि वह उनके शास्त्रियों की तरह नहीं बल्कि ऐसे इंसान की तरह सिखा रहा था जिसके पास बड़ा अधिकार हो।

a या “जिनमें नेक स्तरों के मुताबिक जीने की ज़बरदस्त इच्छा है।”

b शास्त्री, शास्त्रों के जानकार थे और फरीसी, यहूदी धर्म गुरु थे।

c यरूशलेम के बाहर कूड़ा-करकट जलाने की जगह। गेहन्‍ना हिन्‍नोम घाटी का यूनानी नाम था। यह घाटी प्राचीन यरूशलेम के दक्षिण-पश्‍चिम की तरफ थी। इस बात का कोई सबूत नहीं कि गेहन्‍ना में जानवरों और इंसानों को फेंका जाता था ताकि उन्हें ज़िंदा जलाया या तड़पाया जाए। इसलिए गेहन्‍ना ऐसी अनदेखी जगह नहीं हो सकता, जहाँ इंसानों को मरने के बाद हमेशा-हमेशा के लिए सचमुच की आग में तड़पाया जाता है। इसके बजाय, जब यीशु और उसके चेलों ने गेहन्‍ना की बात की तो उनका मतलब था, हमेशा का विनाश।

d  5:22 का फुटनोट देखें।

e  5:22 का फुटनोट देखें।

f इसके यूनानी शब्द पोर्निया का शास्त्र में मतलब है हर तरह का यौन-संबंध जो परमेश्‍वर के नियम के खिलाफ है। जैसे, व्यभिचार, वेश्‍या के काम, दो कुँवारे लोगों के बीच यौन-संबंध जिनकी एक-दूसरे से शादी नहीं हुई, समलैंगिकता और जानवरों के साथ यौन-संबंध।

g पवित्र शास्त्र के मुताबिक “यहोवा” सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर का नाम है।

h यानी बिना ब्याज के उधार माँगे।

i यानी पूरे दिल से प्यार करना चाहिए।

j या “पवित्र माना जाए; समझा जाए।”

k शा., “आँख बुरी; दुष्ट है।”

l या “लिली।”

a या “की खोज में लगे रहो।”

b यानी छोटे और तंग।

c या “कामों।”