परमेश्वर के वचन को दृढ़ता से थामे रहो
तीसरा अध्याय
परमेश्वर के वचन को दृढ़ता से थामे रहो
1. (क) प्राचीन समय के इस्राएलियों ने यह कैसे तजुर्बे से जाना कि परमेश्वर का वचन पूरी तरह भरोसे के लायक है? (ख) इस किस्से पर गौर करने से हमें क्या फायदा होगा?
जब इस्राएली वादा किए हुए देश में बस चुके थे, तब उनके पुरनियों को यहोशू ने याद दिलाया था: “तुम जानते हो कि [यहोवा] अपने दिये वचनों में से किसी को पूरा करने में असफल नहीं रहा है। यहोवा ने उन सभी वचनों को पूरा किया है, जो उसने हमें दिये है।” (यहोशू 23:14-16, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) जी हाँ, यहोवा ने साबित कर दिखाया था कि उसका हर वादा पूरी तरह भरोसे के लायक है। इस किस्से के साथ-साथ बाकी पूरी बाइबल भी हमारे वक्त तक इसलिए बरकरार रखी गयी है ताकि इसे पढ़कर हम ‘आशा रख सकें।’—रोमियों 15:4.
2. (क) यह कैसे कहा जा सकता है कि बाइबल को “परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है”? (ख) अगर हमें यकीन है कि बाइबल, परमेश्वर की प्रेरणा से लिखी गयी है, तो हमें क्या करना चाहिए?
2 बाइबल को करीब 40 इंसानों ने लिखा था, मगर इसका असली रचनाकार या लेखक यहोवा है। तो क्या इसका मतलब यह है कि बाइबल में क्या-क्या लिखा जाना चाहिए, यह यहोवा ने तय किया और उसे लिखवाने में उसी का हाथ था? बिलकुल। यहोवा ने अपनी शक्तिशाली पवित्र आत्मा यानी अपनी सक्रिय शक्ति के ज़रिए बाइबल लिखवायी। यही सच्चाई प्रेरित पौलुस ने बयान की: “हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है . . . ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्पर हो जाए।” जिन लोगों को यकीन हो जाता है कि बाइबल, परमेश्वर की प्रेरणा से लिखा वचन है, वे उस पर ध्यान देते हैं और उसकी शिक्षाओं को अपनी ज़िंदगी में लागू करते हैं।—2 तीमुथियुस 3:16,17; 1 थिस्सलुनीकियों 2:13.
बाइबल को समझने और इसकी कदर करने में दूसरों की मदद करें
3. जो लोग बाइबल को परमेश्वर का वचन नहीं मानते, उन्हें यकीन दिलाने का सबसे बेहतरीन तरीका क्या है?
3 हम जिनसे बात करते हैं, उनमें से बहुत-से लोग यह विश्वास नहीं करते कि बाइबल परमेश्वर का वचन है। ऐसे लोगों की हम कैसे मदद कर सकते हैं? ज़्यादातर लोगों के मामले में सबसे बेहतरीन तरीका है, सीधे-सीधे बाइबल खोलकर दिखाना कि उसमें क्या लिखा है। “परमेश्वर का वचन जीवित, और प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत चोखा है, . . . और मन की भावनाओं और विचारों को जांचता है।” (इब्रानियों 4:12) ‘परमेश्वर के वचन’ में दर्ज़ घटनाएँ किसी किताब के पन्नों में दफन, कोरा इतिहास नहीं है जिसका हमारी ज़िंदगियों से कोई लेना-देना ना हो, बल्कि यह जीवित वचन है! इसमें दिया गया हर वादा बहुत जल्द पूरा होगा और उसे पूरा होने से कोई रोक नहीं सकता। बाइबल का संदेश एक इंसान के दिल पर जिस कदर असर कर सकता है, वैसा असर शायद ही हमारी बातों से हो।
4. बाइबल में पायी जानेवाली किन सच्चाइयों को जानकर इसके बारे में कुछ लोगों का नज़रिया बदला है, और क्यों?
4 कुछ लोगों ने जब बाइबल में परमेश्वर का नाम देखा तो इसमें और भी गहरी दिलचस्पी ली। जब औरों को बाइबल से ऐसे सवालों के जवाब दिखाए गए जैसे ज़िंदगी का मकसद क्या है, परमेश्वर ने दुष्टता को क्यों रहने दिया है, आज हो रही घटनाओं के क्या मायने हैं और हमें एक नयी दुनिया में हमेशा जीने की आशा है, तो उन्होंने बाइबल अध्ययन करने का फैसला किया। कुछ देशों में झूठे धर्म की प्रथाओं ने लोगों को दुष्टात्माओं के चंगुल में जकड़ रखा है। जब उन्हें बाइबल से दिखाया गया कि दुष्टात्माएँ क्यों हमला करती हैं और इनके चंगुल से छूटने के लिए क्या किया जा सकता है, तो बाइबल में उनकी दिलचस्पी जागी। आखिर बाइबल के जवाबों से लोगों पर इतना गहरा असर क्यों होता है? क्योंकि सिर्फ बाइबल ही वह किताब है जिसमें उन तमाम अहम सवालों के सही और भरोसेमंद जवाब पाए जाते हैं, जिनके बारे में नेकदिल लोग जानना चाहते हैं।—भजन 119:130.
5. (क) जब लोग कहते हैं कि वे बाइबल को नहीं मानते, तो उसके पीछे क्या वजह हो सकती हैं? (ख) हम इन लोगों की कैसे मदद कर सकते हैं?
मीका 3:11,12; मत्ती 15:7-9; याकूब 4:4.
5 लेकिन तब क्या जब लोग हमसे साफ कह दें कि वे बाइबल को नहीं मानते? क्या इसका मतलब है कि हमारी बातचीत वहीं खत्म हो गयी? ज़रूरी नहीं। अगर वे खुले-विचारोंवाले हैं और हमारी बात सुनने को तैयार हैं, तो बातचीत जारी रखी जा सकती है। हो सकता है, उनके बाइबल को ना मानने की वजह ईसाईजगत की करतूतें हों। ईसाईजगत का कपट, उसके सियासी खेल और हमेशा चंदा माँगने की आदत देखकर शायद वे बाइबल से भी नफरत करने लगे हैं। क्यों ना उनसे पूछें कि क्या ईसाईजगत की इन करतूतों की वजह से वे बाइबल पर विश्वास नहीं करते? अगर हम उन्हें बाइबल से दिखा पाएँ कि इसमें दुनिया के जैसा रवैया रखनेवाले ईसाईजगत की साफ-साफ निंदा की गयी है और ईसाईजगत में और सच्ची मसीहियत में ज़मीन-आसमान का फर्क है, तो वे शायद हमारी बात सुनने को तैयार हों।—6. (क) किस सबूत से आपको यकीन होता है कि बाइबल, परमेश्वर का वचन है? (ख) और किन सबूतों की मदद से हम दूसरों को यकीन दिला सकते हैं कि बाइबल सचमुच परमेश्वर की देन है?
6 कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनकी मदद करने के लिए हम सीधे उन सबूतों पर चर्चा कर सकते हैं जिनसे साबित हो जाता है कि बाइबल वाकई परमेश्वर का प्रेरित वचन है। किस सबूत ने आपको यकीन दिलाया कि बाइबल वाकई यहोवा परमेश्वर की देन है? क्या उसकी रचना के बारे में बाइबल की अपनी गवाही ने? या फिर बाइबल में दी गयी ढेरों भविष्यवाणियों ने, जो भविष्य के बारे में बारीकी से जानकारी देती हैं और जिन्हें कोई इंसान नहीं बल्कि सिर्फ परमेश्वर बता सकता है? (2 पतरस 1:20,21) या इस सबूत ने कि बाइबल को करीब 1,600 सालों के दौरान 40 लोगों ने लिखा था, मगर इसके बावजूद इसमें कमाल का ताल-मेल पाया जाता है? या यह कि उस ज़माने के बाकी लेखों में से बाइबल ही ऐसी किताब है जिसमें विज्ञान से जुड़े विषयों के बारे में एकदम सही जानकारी है? या यह कि बाइबल के लेखक ईमानदार थे और उन्होंने कुछ भी छिपाने की कोशिश नहीं की? या यह कि बाइबल को मिटाने की लाख कोशिशों के बावजूद यह आज तक मौजूद है? आपको जिस सबूत ने यकीन दिलाया, मुमकिन है वही सबूत दूसरों को भी यकीन दिला सके। *
निजी तौर पर बाइबल पढ़ना
7, 8. (क) दूसरों को बाइबल पर यकीन दिलाने के अलावा हमें खुद क्या करना चाहिए? (ख) खुद बाइबल पढ़ने के साथ-साथ हमें और किस मदद की ज़रूरत है? (ख) आपने यहोवा के उद्देश्यों की समझ कैसे हासिल की है?
7 दूसरों को बाइबल पर विश्वास करने में मदद देने के अलावा, हमें भी चाहिए कि रोज़ाना बाइबल पढ़ने के लिए वक्त निकालें। क्या आप ऐसा कर रहे हैं? दुनिया में आज तक जितनी भी किताबें बनी हैं, उनमें सबसे श्रेष्ठ और सबसे खास किताब बाइबल है। मगर हम शायद सोचें कि बाइबल पढ़कर और खुद खोजबीन करके हम उसमें दी गयी सारी बातों की समझ हासिल कर सकते हैं और इसके लिए हमें किसी की मदद की ज़रूरत नहीं। मगर ऐसा सोचना सही नहीं है, क्योंकि बाइबल हमें खबरदार करती है कि हमें खुद को औरों से अलग नहीं करना चाहिए। इसके बजाय हमें निजी अध्ययन करने के साथ-साथ परमेश्वर के लोगों के संग, बिना नागा सभाओं में हाज़िर होना चाहिए। तभी हम एक अनुभवी और सुलझे हुए मसीही बनेंगे।—नीतिवचन 18:1; इब्रानियों 10:24,25.
8 इस सिलसिले में, बाइबल एक कूशी अफसर का ज़िक्र करती है जो यशायाह की भविष्यवाणी पढ़ रहा था। तब एक स्वर्गदूत ने मसीही प्रचारक, फिलिप्पुस को उसके पास भेजा जिसने उससे पूछा: “तू जो पढ़ रहा है क्या उसे समझता भी है?” उस कूशी ने नम्रता से जवाब दिया: “जब तक कोई मुझे न समझाए तो मैं क्योंकर समझूं?” फिर उसने फिलिप्पुस से बिनती की कि वह उसे शास्त्र का वह भाग समझाए। फिलिप्पुस ने खुद-ब-खुद बाइबल पढ़कर उसकी समझ हासिल नहीं की थी, ना ही उसने कूशी अफसर को अपनी समझ के मुताबिक बाइबल का वह भाग समझाया। इसके बजाय वह परमेश्वर के संगठन के साथ करीब से जुड़ा था। इसीलिए वह उस कूशी अफसर की भी मदद कर पाया और उसे वह सारी हिदायतें दे पाया जो यहोवा अपने संगठन प्रेरितों 6:5,6; 8:5,26-35) आज भी यह सच है। कोई भी इंसान अपनी समझ के बलबूते पर यहोवा के उद्देश्यों की सही-सही समझ हासिल नहीं कर सकता। इसके लिए हम सभी को यहोवा की मदद की ज़रूरत है और वह बड़े प्यार से यह मदद इस धरती पर अपने संगठन के ज़रिए दे रहा है।
के ज़रिए दे रहा था। (9. हम सब बाइबल पढ़ने के किन इंतज़ामों से फायदा उठा सकते हैं?
9 बाइबल को समझने में हमारी मदद करने के लिए, यहोवा के संगठन ने अलग-अलग किताबें तैयार की हैं जिनमें बेहतरीन आध्यात्मिक जानकारी का भंडार पाया जाता है। इसके अलावा, दुनिया-भर में यहोवा के साक्षियों की कलीसियाओं में परमेश्वर की सेवा स्कूल चलाया जाता है, जिसमें हर हफ्ते बाइबल पढ़ाई का एक शेड्यूल दिया जाता है। अगर आप खुद बाइबल की जाँच करने में समय लगाएँगे, तो आपको ढेरों आशीषें मिल सकती हैं। (भजन 1:1-3; 19:7,8) इसलिए बाइबल को नियमित रूप से पढ़ने की खास कोशिश कीजिए। मिसाल के लिए, अगर आप हर दिन बाइबल के चार-पाँच पेज पढ़ेंगे तो साल-भर में आप पूरी बाइबल पढ़ सकते हैं। यह ज़रूरी नहीं कि आपको बाइबल में लिखी हर बात समझ आएगी, मगर मोटे तौर पर बाइबल की समझ आपके लिए बहुत ही अनमोल साबित हो सकती है।
10. (क) आप, बाइबल कब पढ़ते हैं? (ख) बाइबल पढ़ने में और किसे शामिल किया जाना चाहिए और बिना नागा यह पढ़ाई करना क्यों ज़रूरी है?
10 आप कब बाइबल पढ़ सकते हैं? अगर आप रोज़ाना बाइबल पढ़ने के लिए सिर्फ 10 से 15 मिनट भी निकालें तो आप बहुत कुछ हासिल कर पाएँगे। अगर यह आपके लिए मुमकिन नहीं, तो कम-से-कम हफ्ते के कुछ दिन बाइबल पढ़ाई के लिए तय कीजिए और फिर इस बात का ध्यान रखें कि आप उस दौरान सिर्फ बाइबल पढ़ाई करें, कुछ और नहीं। अगर आप शादी-शुदा हैं तो आप एक-दूसरे को बाइबल पढ़कर सुनाने का आनंद ले सकते हैं। अगर आपके बच्चे हैं और पढ़ने लायक हैं, तो वे बारी-बारी करके ज़ोर से बाइबल पढ़कर सुना सकते हैं। जिस तरह हम खाना खाना कभी बंद नहीं करते, उसी तरह हमें बाइबल पढ़ाई करना भी कभी बंद नहीं करना चाहिए। जैसे एक इंसान ठीक से खाना न खाने पर कमज़ोर हो जाता है, उसी तरह जो मत्ती 4:4.
इंसान आध्यात्मिक भोजन नहीं लेता वह भी आध्यात्मिक रूप से कमज़ोर हो जाएगा। हमारी आध्यात्मिक ज़िंदगी और हमारी हमेशा की ज़िंदगी इसी बात पर टिकी है कि हम ‘परमेश्वर के मुख से निकलनेवाले हर एक वचन’ से लगातार ताकत हासिल करते रहें।—हमारा मकसद
11. बाइबल पढ़ने का हमारा मकसद क्या होना चाहिए?
11 बाइबल पढ़ने का हमारा मकसद क्या होना चाहिए? हमारा लक्ष्य सिर्फ बाइबल के कुछ पन्ने पढ़ना नहीं है। बल्कि हमें इस इरादे से बाइबल पढ़नी चाहिए कि हम परमेश्वर को और अच्छी तरह जान पाएँ ताकि उसे और भी ज़्यादा प्यार करें और वह उपासना दें जो उसे मंज़ूर है। (यूहन्ना 5:39-42) हमारा रवैया बाइबल के उस लेखक की तरह होना चाहिए जिसने लिखा: “हे यहोवा अपने मार्ग मुझे दिखा, और अपने पथ मुझे सिखा दे।”—भजन 25:4, NHT.
12. (क) “सत्य ज्ञान” पाना क्यों ज़रूरी है, और यह ज्ञान हासिल करने के लिए हमें बाइबल पढ़ते वक्त कैसा प्रयास करना होगा? (ख) किन चार मुद्दों पर सोचने से हम बाइबल की आयतों की अच्छी जाँच कर सकते हैं? (पेज 30 पर दिया गया बक्स देखिए।) (ग) इस पैराग्राफ में दिए सवालों के जवाब देकर समझाइए कि ये चार मुद्दे ऐसी जाँच करने में कैसे हमारी मदद कर सकते हैं। उन आयतों को पढ़िए जिनका सिर्फ ज़िक्र किया गया है।
12 जब यहोवा हमें सिखाता है, तो हमारी तमन्ना होनी चाहिए कि हम उसके बारे में सही या “सत्य ज्ञान” हासिल करें। इस ज्ञान के बगैर भला हम परमेश्वर का वचन अपनी ज़िंदगी में कैसे लागू कर सकते हैं या दूसरों को ठीक तरह से उसका वचन कैसे समझा सकते हैं? (कुलुस्सियों 3:10, NHT; 2 तीमुथियुस 2:15) सत्य ज्ञान हासिल करने के लिए ज़रूरी है कि हम ध्यान से बाइबल पढ़ें और अगर कोई भाग समझने में मुश्किल है, तो उसे शायद एक-से-ज़्यादा बार पढ़ना ज़रूरी हो। इसके अलावा, बाइबल में हमने जो पढ़ा है, वक्त निकालकर उसके अलग-अलग पहलुओं पर मनन करने से हमें काफी लाभ हो सकता है। पेज 30 पर ऐसे चार बढ़िया मुद्दे दिए गए हैं जिनकी मदद से हम आयतों की जाँच कर सकते हैं। इनमें से एक या उससे ज़्यादा मुद्दों पर सोचने से, हम बाइबल की ज़्यादातर आयतों से काफी कुछ सीख सकते हैं। यह कैसे किया जा सकता है, आगे के पन्नों पर दिए सवालों के जवाब देने से आप जान सकेंगे।
भजन 139:13,14 से हमें पता चलता है कि यहोवा, गर्भ में पल रहे बच्चे का भी कितना ख्याल रखता है: “तू ने मुझे माता के गर्भ में रचा। मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं।” यहोवा की सृष्टि के काम वाकई लाजवाब हैं! जिस तरह उसने इंसानों को बनाया है, वह इस बात का सबूत है कि वह हमसे बेइंतिहा प्यार करता है।
(1) बाइबल के तकरीबन हर भाग को पढ़ने से आप, यहोवा की शख्सियत के बारे में कुछ-न-कुछ सीख सकते हैं। उदाहरण के लिए,यूहन्ना 14:9,10 के मुताबिक, जब हम यीशु के बारे में पढ़ते हैं कि वह दूसरों के साथ कैसे पेश आया, तो दरअसल हमें इस बात की झलक मिलती है कि इन हालात में यहोवा कैसे पेश आता। इस बात को ध्यान में रखते हुए हम लूका 5:12,13 और लूका 7:11-15 में दर्ज़ घटनाओं से यहोवा के बारे में क्या सीखते हैं?
(2) बाइबल की कोई घटना पढ़ते वक्त गौर कीजिए कि उसका, पूरी बाइबल के इस खास विषय से क्या ताल्लुक है: वादा किए गए वंश, यीशु मसीह के राज्य के ज़रिए यहोवा की हुकूमत को बुलंद और उसके नाम का पवित्र किया जाना।
यहेजकेल और दानिय्येल ने कैसे बाइबल के मुख्य विषय पर ज़ोर दिया? (यहेजकेल 38:21-23; दानिय्येल 2:44; 4:17; 7:9-14)
बाइबल कैसे साफ-साफ पहचान कराती है कि वादा किया हुआ वंश, यीशु है? (गलतियों 3:16)
पूरी बाइबल में बताया गया विषय, परमेश्वर का राज्य, कैसे प्रकाशितवाक्य की किताब में बड़े शानदार ढंग से अपनी आखिरी मंज़िल तक पहुँचता है? (प्रकाशितवाक्य 11:15; 12:7-10; 17:16-18; 19:11-16; 20:1-3; 21:1-5)
(3) खुद से पूछिए कि आप जो पढ़ रहे हैं, उस पर आप कैसे अमल कर सकते हैं। मिसाल के लिए, निर्गमन से लेकर व्यवस्थाविवरण तक हम पढ़ते हैं कि इस्राएलियों ने कैसे अनैतिक काम किए और बगावत की। हम यह भी 1 कुरिन्थियों 10:11.
सीखते हैं कि उन्हें ऐसे गलत रवैए और बुरे कामों का बहुत दर्दनाक अंजाम भुगतना पड़ा। इससे हमें सबक मिलता है कि अगर हम यहोवा को खुश करना चाहते हैं तो हमें इस्राएलियों के बुरे उदाहरण पर नहीं चलना चाहिए। “ये सब बातें, जो उन पर पड़ीं, दृष्टान्त की रीति पर थीं: और वे हमारी चितावनी के लिये जो जगत के अन्तिम समय में रहते हैं लिखी गईं हैं।”—कैन के हाथों हाबिल के मारे जाने की घटना, हमें क्या सबक सिखाती है? (उत्पत्ति 4:3-12; इब्रानियों 11:4; 1 यूहन्ना 3:10-15; 4:20,21)
स्वर्ग जाने की आशा रखनेवाले मसीहियों के लिए बाइबल में दी गयी सलाह, क्या उन मसीहियों पर भी लागू होती है जो धरती पर हमेशा जीने की आशा रखते हैं? (गिनती 15:16; यूहन्ना 10:16)
मसीही कलीसिया में एक अच्छा नाम होने पर भी, क्यों हमें इस बात पर गौर करना चाहिए कि बाइबल की जो सलाह हमें पता है, उस पर कैसे हम और अच्छी तरह अमल कर सकते हैं? (2 कुरिन्थियों 13:5; 1 थिस्सलुनीकियों 4:1)
(4) सोचिए कि आप जो पढ़ते हैं, उस जानकारी से आप दूसरों की मदद कैसे कर सकते हैं। आज हर कोई अपने स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है। इसलिए हम उन्हें बाइबल से पढ़कर सुना सकते हैं कि यीशु ने धरती पर रहते वक्त कैसे काम किए और उनके ज़रिए यह साबित किया कि भविष्य में वह शक्तिशाली राजा की हैसियत से और भी बड़े पैमाने पर क्या करेगा: “भीड़ पर भीड़ लंगड़ों, अन्धों, गूंगों, टुंडों और बहुत औरों को लेकर उसके पास आए; . . . और उस ने उन्हें चंगा किया।”—याईर की बेटी के जी उठने की घटना बताकर किन लोगों की मदद की जा सकती है? (लूका 8:41,42,49-56)
13. यहोवा के संगठन की मदद से लगातार बाइबल पढ़ने और उसका अध्ययन करने से हम क्या पाने की उम्मीद कर सकते हैं?
13 ऊपर बताए गए चार मुद्दों को ध्यान में रखकर बाइबल पढ़ना कितना फायदेमंद होगा! माना कि बाइबल पढ़ना एक मुश्किल काम है, मगर इसका फायदा हमें ज़िंदगी-भर मिलता रहेगा क्योंकि बाइबल पढ़ने से हम आध्यात्मिक रूप से मज़बूत होते जाएँगे। नियमित रूप से बाइबल पढ़ने से अपने प्यारे पिता, यहोवा और मसीही भाई-बहनों के साथ हमारा रिश्ता और भी गहरा होगा। इसकी मदद से हम “जीवन के वचन को दृढ़ता से थामे” रहेंगे।—फिलिप्पियों 2:16, NHT.
[फुटनोट]
^ पैरा. 6 बाइबल पढ़ने लायक किताब क्यों है, इसके बारे में जानने के लिए ब्रोशर, सब लोगों के लिए एक किताब देखिए, जिसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।
आइए याद करें
• बाइबल क्यों लिखी गयी और आज तक इसे क्यों बरकरार रखा गया है?
• बाइबल को समझने और इसकी कदर करने में हम दूसरों की मदद कैसे कर सकते हैं?
• बिना नागा बाइबल पढ़ना क्यों फायदेमंद है? किन चार मुद्दों की मदद से, हम जो पढ़ते हैं उसकी जाँच करके लाभ पा सकते हैं?
[अध्ययन के लिए सवाल]
[पेज 30 पर बक्स/तसवीर]
जब आप बाइबल का कोई भाग पढ़ते हैं, तो सोचिए कि
इससे आपको यहोवा की शख्सियत के बारे में क्या पता चलता है
यह भाग, पूरी बाइबल के खास विषय के साथ क्या ताल्लुक रखता है
इसका आपकी ज़िंदगी पर कैसा असर होना चाहिए
इससे आप दूसरों की मदद कैसे कर सकते हैं