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पुनरुत्थान की आशा की ताकत

पुनरुत्थान की आशा की ताकत

नौवाँ अध्याय

पुनरुत्थान की आशा की ताकत

1. अगर पुनरुत्थान की आशा न होती, तो मरे हुओं का भविष्य कैसा होता?

क्या आपने कभी अपने किसी अज़ीज़ की मौत का दर्द सहा है? अगर पुनरुत्थान की आशा न होती, तो हम उनको दोबारा देखने की कभी उम्मीद नहीं कर सकते थे। वे हमेशा के लिए उसी हाल में रहते, जिसके बारे में बाइबल बताती है: “मरे हुए कुछ भी नहीं जानते, . . . क्योंकि अधोलोक में जहां तू जानेवाला है, न काम न युक्‍ति न ज्ञान और न बुद्धि है।”—सभोपदेशक 9:5,10.

2. पुनरुत्थान के इंतज़ाम से कौन-सी बढ़िया आशा मिलती है?

2 यह यहोवा की दया है कि उसने पुनरुत्थान के ज़रिए मरे हुए अनगिनत लोगों के लिए दोबारा ज़िंदा होने और हमेशा की ज़िंदगी पाने का अनमोल अवसर दिया है। इस इंतज़ाम की बदौलत आप इस आशा से सांत्वना पा सकते हैं कि परमेश्‍वर की नयी दुनिया में एक दिन ज़रूर आप अपने उन अज़ीज़ों से दोबारा मिल सकेंगे जो मौत की नींद सो गए हैं।—मरकुस 5:35,41,42; प्रेरितों 9:36-41.

3. (क) यहोवा का मकसद पूरा होने में पुनरुत्थान का इंतज़ाम किन तरीकों से अहम साबित हुआ है? (ख) हमें पुनरुत्थान की आशा से खासकर कब शक्‍ति मिलती है?

3 पुनरुत्थान की आशा होने की वजह से हमें मौत से खौफ खाने की ज़रूरत नहीं है। शैतान ने यह दावा किया था कि “प्राण के बदले मनुष्य अपना सब कुछ दे देता है।” (अय्यूब 2:4) पुनरुत्थान के इंतज़ाम की वजह से यहोवा ने शैतान को इजाज़त दी है कि वह अपना यह घिनौना दावा साबित करने के लिए यहोवा के वफादार सेवकों के साथ जो चाहे कर ले। यहोवा जानता है कि शैतान, उसके सेवकों का हमेशा के लिए नुकसान नहीं कर सकता। यीशु अपनी मौत तक परमेश्‍वर का वफादार रहा, इसलिए परमेश्‍वर ने उसका पुनरुत्थान करके उसे स्वर्ग में जीवन दिया। इसी वजह से यीशु अपने सिद्ध मानव जीवन के बलिदान की कीमत अपने पिता के स्वर्गीय सिंहासन के सामने पेश कर सका, ताकि हम सभी का उद्धार हो। मसीह के संगी वारिस बननेवाले “छोटे झुण्ड” के लोग भी पुनरुत्थान के ज़रिए ही, मसीह के साथ स्वर्गीय राज्य में एक होने की आशा रख सकते हैं। (लूका 12:32) और जो इस समूह के नहीं हैं, वे पुनरुत्थान के ज़रिए धरती पर फिरदौस में हमेशा की ज़िंदगी पाने की आशा रखते हैं। (भजन 37:11,29) और जब मसीहियों पर, फिर चाहे वे किसी भी समूह के हों, ऐसी परीक्षाएँ आती हैं, जिनमें उनका आमना-सामना मौत से होता है, तो पुनरुत्थान की आशा उन्हें “असीम” सामर्थ देती है जिससे वे परीक्षाओं का डटकर सामना कर पाते हैं।—2 कुरिन्थियों 4:7.

पुनरुत्थान, क्यों एक बुनियादी मसीही शिक्षा है

4. पुनरुत्थान की शिक्षा को एक “प्रारम्भिक शिक्षा” क्यों कहा जा सकता है? (ख) संसार के लोग पुनरुत्थान की शिक्षा के बारे में कैसा महसूस करते हैं?

4 जैसा कि इब्रानियों 6:1,2 (NHT) में बताया गया है, पुनरुत्थान की शिक्षा, एक “प्रारम्भिक शिक्षा” है। यह उस मसीही विश्‍वास की बुनियाद का एक हिस्सा है, जिसके बिना हम कभी-भी प्रौढ़ मसीही नहीं बन सकते। (1 कुरिन्थियों 15:16-19) लेकिन संसार के ज़्यादातर लोगों को बाइबल में दी गयी पुनरुत्थान की शिक्षा अजीबो-गरीब लगती है। आध्यात्मिक बातों की कोई कदर न होने के कारण, वे समझते हैं कि आज उनकी जो ज़िंदगी है, बस वही है और इसके आगे कुछ नहीं। इसलिए वे सुख-विलास के पीछे बावले होते हैं। दूसरी तरफ, ईसाई और गैर-ईसाई रूढ़िवादी धर्मों के लोग मानते हैं कि इंसान में एक आत्मा होती है, जो उसके मरने के बाद भी ज़िंदा रहती है। लेकिन उनकी यह धारणा बाइबल की पुनरुत्थान की शिक्षा से मेल नहीं खाती। वह इसलिए कि अगर इंसान में वाकई अमर आत्मा है तो उसे पुनरुत्थान की कोई ज़रूरत ही नहीं होगी। इन दोनों शिक्षाओं का मेल बिठाने की कोशिश करने से लोगों को भविष्य के लिए आशा मिलना तो दूर, वे उलझन में पड़ जाते हैं। जो नेकदिल लोग इस बारे में सच्चाई जानना चाहते हैं, उन्हें हम कैसे समझा सकते हैं?

5. (क) पुनरुत्थान की आशा की कदर करने से पहले, एक इंसान को क्या जानने की ज़रूरत है? (ख) मरे हुओं की हालत के बारे में समझाने के लिए आप किन आयतों का इस्तेमाल करेंगे? (ग) अगर कोई व्यक्‍ति बाइबल का ऐसा अनुवाद इस्तेमाल करता है, जिसमें सच्चाई पर परदा डालने की कोशिश की गयी है, तो उसे समझाने के लिए क्या किया जा सकता है?

5 ऐसे लोगों को यह समझाने से पहले कि पुनरुत्थान का इंतज़ाम कितना शानदार है, उन्हें यह सच्चाई समझानी होगी कि मरे हुए किस हाल में हैं। इस बारे में बाइबल की सच्चाई तलाशनेवालों को साफ-साफ समझाने के लिए चंद आयतें दिखाना काफी है। (भजन 146:3,4; सभोपदेशक 9:5,10) लेकिन बाइबल के कुछ नए अनुवादों और भावानुवादों में सच्चाई पर परदा डाल दिया गया है और ऐसा दिखाया गया है कि इंसान के अंदर अमर आत्मा होती है। इसलिए शायद हमें बाइबल की मूल भाषाओं में इस्तेमाल किए जानेवाले शब्दों की जाँच करने की ज़रूरत होगी।

6. नेफेश और प्सीकी क्या है, यह समझने में आप दूसरों की कैसे मदद कर सकते हैं?

6 इस सिलसिले में न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन बाइबल खासकर मददगार है, क्योंकि इसमें इब्रानी शब्द नेफेश और यूनानी शब्द प्सीकी का अनुवाद अँग्रेज़ी में हर बार एक ही शब्द “सोल” किया गया है। दूसरे कई बाइबल अनुवादों में, जैसे कि हिंदी बाइबल में, मूल भाषाओं के इन शब्दों का अनुवाद अलग-अलग शब्दों से किया गया है जैसे कि “प्राण” “जीव,” “मन,” और “मनुष्य।” “मेरे नेफेश” का अनुवाद “मैं” और “तेरे नेफेश” का अनुवाद “तू” किया गया है। इब्रानी और यूनानी भाषा के इन शब्दों का बाइबल में किस तरह इस्तेमाल किया गया है, इसका अच्छी तरह अध्ययन करने से एक नेकदिल विद्यार्थी यह समझ पाएगा कि ये शब्द इंसानों और जानवरों, दोनों के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं। मगर, बाइबल की किसी भी आयत में इन शब्दों से यह ज़ाहिर नहीं होता कि जीवित प्राणियों में अदृश्‍य और अमर “आत्मा” वास करती है जो उनके मरने के बाद शरीर से निकलकर, किसी और जगह ज़िंदा रहती है।

7. शीओल, हेडिज़ और गेहन्‍ना में रहनेवालों की हालत के बारे में आप बाइबल से कैसे समझाएँगे?

7 न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन बाइबल में इब्रानी शब्द शऑल के लिए हर बार “शीओल,” यूनानी शब्द आदीस के लिए “हेडिज़,” साथ ही यूनानी शब्द यएना के लिए “गेहन्‍ना” इस्तेमाल किया गया है। शीओल और हेडिज़, इन दोनों का अर्थ एक ही है और हिंदी बाइबल में ज़्यादातर इनका अनुवाद “अधोलोक” किया गया है। (भजन 16:10; प्रेरितों 2:27) बाइबल साफ-साफ बताती है कि अधोलोक (इब्रानी में शीओल और यूनानी में हेडिज़) का मतलब वह आम कब्र है, जहाँ मरने के बाद सभी इंसान जाते हैं। इन शब्दों का ताल्लुक मौत से है, ज़िंदगी से नहीं। (भजन 89:48; प्रकाशितवाक्य 20:13) बाइबल यह भी बताती है कि जो इस आम कब्र में जाते हैं, उनके लिए पुनरुत्थान के ज़रिए फिर से जी उठने की आशा है। (अय्यूब 14:13; प्रेरितों 2:31) दूसरी तरफ, जो गेहन्‍ना में जाते हैं, उनके लिए दोबारा ज़िंदगी पाने की कोई उम्मीद नहीं है और बाइबल में ऐसा कहीं नहीं लिखा है कि गेहन्‍ना में जानेवाले वहाँ सचेत रहते हैं। वहाँ जानेवाले हमेशा के लिए नाश हो जाते हैं।—मत्ती 10:28.

8. पुनरुत्थान के बारे में सही समझ हासिल करने पर एक व्यक्‍ति के सोच-विचार और उसके कामों में कैसा फर्क आ सकता है?

8 जब आप एक व्यक्‍ति को पहले ये बातें सही-सही समझा देंगे तो फिर आप उसे समझा सकते हैं कि पुनरुत्थान उसके लिए क्या मायने रखता है। तब वह इस बात की कदर कर पाएगा कि यहोवा ने पुनरुत्थान का यह बढ़िया इंतज़ाम करके कितना गहरा प्यार दिखाया है। जिन लोगों ने अपने अज़ीज़ों की मौत का गम सहा है, उनका दुःख इस बात से ज़रा कम हो सकता है कि परमेश्‍वर की नयी दुनिया में वे उनसे दोबारा मिल सकेंगे। इन बातों को समझना, यह जानने के लिए भी ज़रूरी है कि मसीह की मौत क्या मायने रखती है। पहली सदी के मसीहियों ने जाना कि यीशु मसीह का पुनरुत्थान, मसीही विश्‍वास की बुनियाद है और उसके जी उठने से दूसरों के लिए भी पुनरुत्थान का रास्ता खुल गया है। उन मसीहियों ने यीशु के पुनरुत्थान और उससे मिलनेवाली आशा के बारे में दूसरों को पूरे जोश से प्रचार किया। आज भी जो लोग पुनरुत्थान के इंतज़ाम को समझते हैं और इसके लिए एहसानमंद हैं, वे बड़े उत्साह और उमंग से दूसरों को यह अनमोल सच्चाई बताते हैं।—प्रेरितों 5:30-32; 10:42,43.

‘अधोलोक की कुंजी’ इस्तेमाल करना

9. यीशु सबसे पहले “अधोलोक की कुंजियां” कैसे इस्तेमाल करता है?

9 जिन लोगों को मसीह के साथ स्वर्गीय राज्य में शासन करने की आशा है, उन सभी को आखिरकार मरना होगा। लेकिन वे जानते हैं कि यीशु ने उन्हें भरोसा दिलाते हुए कहा था: “मैं मर गया था, और अब देख; मैं युगानुयुग जीवता हूं; और मृत्यु और अधोलोक [यूनानी में “हेडिज़”] की कुंजियां मेरे ही पास हैं।” (प्रकाशितवाक्य 1:18) यीशु के कहने का क्या मतलब था? दरअसल, वह अपनी आपबीती बता रहा था। उसकी भी मौत हुई थी। लेकिन परमेश्‍वर ने उसे अधोलोक या हेडिज़ में नहीं छोड़ दिया। उसके मरने के तीसरे दिन, यहोवा ने खुद उसे जिलाकर आत्मिक जीवन और अमरता दी। (प्रेरितों 2:32,33; 10:40) इसके अलावा, परमेश्‍वर ने उसे “मृत्यु और अधोलोक की कुंजियां” भी दी ताकि वह दूसरों को इंसानों की आम कब्र से छुड़ाए और उन्हें आदम के पाप के अंजामों से छुटकारा दिलाए। यीशु के हाथ में वह कुंजियाँ होने की वजह से, वह अपने वफादार चेलों को मरे हुओं में से जिला सकता है। वह सबसे पहले अपनी कलीसिया के आत्मा से अभिषिक्‍त सदस्यों का पुनरुत्थान करता है और ठीक जैसे उसके पिता ने उसे स्वर्ग में अमर जीवन दिया था, वैसे ही वह भी उनको स्वर्ग में अमर जीवन का अनमोल वरदान देता है।—रोमियों 6:5; फिलिप्पियों 3:20,21.

10. वफादार अभिषिक्‍त मसीहियों का पुनरुत्थान कब होता है?

10 वफादार अभिषिक्‍त मसीहियों को स्वर्गीय पुनरुत्थान कब मिलेगा? बाइबल बताती है कि यह पुनरुत्थान शुरू हो चुका है। प्रेरित पौलुस ने समझाया कि उन्हें ‘मसीह की उपस्थिति’ के दौरान उठाया जाएगा। मसीह की उपस्थिति सन्‌ 1914 में शुरू हुई। (1 कुरिन्थियों 15:23, NW) आज मसीह की उपस्थिति के दौरान जो वफादार अभिषिक्‍त जन धरती पर अपना जीवन खत्म करते हैं, उन्हें अपने प्रभु के लौटने के समय तक मृत्यु की दशा में रहकर इंतज़ार करने की ज़रूरत नहीं है। वे मरते ही फौरन आत्मिक शरीर में जिलाए जाते हैं, यानी ‘क्षण भर में, पलक मारते ही बदल जाते हैं।’ यह उनके लिए कितने आनंद की बात है कि उनके नेक काम “उन के साथ हो लेते हैं!”—1 कुरिन्थियों 15:51,52; प्रकाशितवाक्य 14:13.

11. ज़्यादातर लोगों को कौन-सा पुनरुत्थान मिलेगा, और यह कब शुरू होगा?

11 लेकिन पुनरुत्थान सिर्फ उन लोगों का ही नहीं होता, जो राज्य के वारिस बनने के लिए स्वर्ग में जीवन पाते हैं। गौर कीजिए कि उनके पुनरुत्थान को प्रकाशितवाक्य 20:6 में ‘पहिला पुनरुत्थान’ कहा गया है। तो ज़ाहिर है कि इस पुनरुत्थान के बाद एक और पुनरुत्थान होगा। जो लोग यह दूसरा पुनरुत्थान पाएँगे, वे धरती पर फिरदौस में हमेशा की ज़िंदगी का लुत्फ उठाएँगे। यह दूसरा पुनरुत्थान कब होगा? प्रकाशितवाक्य की किताब दिखाती है कि “पृथ्वी और आकाश” यानी आज का यह दुष्ट संसार और उसके शासकों के मिट जाने के बाद यह पुनरुत्थान होगा। इस पुरानी दुनिया का अंत बहुत जल्द होनेवाला है। इसके बाद, परमेश्‍वर के ठहराए हुए समय में धरती पर पुनरुत्थान शुरू होगा। —प्रकाशितवाक्य 20:11,12.

12. धरती पर पुनरुत्थान पानेवाले वफादार लोगों में कौन-कौन होंगे, और उनके जी उठने की आशा से हम क्यों हर्षित होते हैं?

12 धरती पर किन-किन लोगों का पुनरुत्थान होगा? धरती पर जिलाए जानेवालों में प्राचीन समय के यहोवा के वफादार सेवक होंगे। ये ऐसे स्त्री-पुरुष हैं जिनका पुनरुत्थान पर इतना मज़बूत विश्‍वास था कि उन्होंने “छुटकारा न चाहा।” दूसरे शब्दों में कहें तो उन्हें किसी भी हाल में परमेश्‍वर को ठुकराना मंज़ूर नहीं था, चाहे उन्हें बड़े ही खौफनाक तरीके से और वक्‍त से पहले ही मौत का शिकार होना पड़ा। जब हम इनमें से एक-एक जन से खुद मिलेंगे और उनकी ज़ुबान से उन घटनाओं का पूरा ब्यौरा जानेंगे जिनका बाइबल में सिर्फ थोड़े शब्दों में वर्णन किया गया है, तो वह क्या ही खुशी का मौका होगा! धरती पर पुनरुत्थान पानेवालों में यहोवा का सबसे पहला वफादार साक्षी, हाबिल भी होगा; हनोक और नूह होंगे, जिन्होंने जलप्रलय से पहले निडर होकर परमेश्‍वर की तरफ से चेतावनी सुनायी थी; इब्राहीम और सारा भी आएँगे, जिन्होंने स्वर्गदूतों की खातिरदारी की थी; मूसा आएगा, जिसके ज़रिए सीनै पर्वत के पास व्यवस्था दी गयी थी; बहुत-से दिलेर नबी भी ज़िंदा होंगे, जैसे कि यिर्मयाह जिसने सा.यु.पू. 607 में यरूशलेम का नाश देखा था; और बपतिस्मा देनेवाला यूहन्‍ना, जिसने परमेश्‍वर की आवाज़ सुनी थी कि यीशु उसका बेटा है। इन सबके अलावा, इस दुष्ट संसार के अंतिम दिनों के दौरान मर चुके बहुत-से वफादार स्त्री और पुरुष भी ज़िंदा होंगे।—इब्रानियों 11:4-38; मत्ती 11:11.

13, 14. (क) अधोलोक और उसमें दफनाए गए मरे हुओं का क्या होगा? (ख) किन-किन लोगों का पुनरुत्थान होगा, और क्यों?

13 कुछ वक्‍त के बाद, परमेश्‍वर के वफादार सेवकों के अलावा और भी कई लोगों का पुनरुत्थान होगा। इस तरह इंसानों की आम कब्र पूरी तरह खाली हो जाएगी। यह आम कब्र किस कदर खाली की जाएगी, यह इस बात से देखा जा सकता है कि यीशु, इंसानों की तरफ से ‘अधोलोक की कुंजियों’ का क्या करेगा। यह हम प्रेरित यूहन्‍ना को मिले एक दर्शन से जान सकते हैं जिसमें उसने देखा कि अधोलोक या हेडिज़ को “आग की झील में” फेंका जाता है। (प्रकाशितवाक्य 20:14) इसका मतलब क्या है? इसका मतलब यह है कि अधोलोक, जो कि सभी इंसानों की आम कब्र है, पूरी तरह नाश की जाएगी। अधोलोक का नामोनिशान तक मिट जाएगा और उसमें एक भी मुरदा नहीं होगा, क्योंकि यहोवा अपने सभी वफादार उपासकों को ज़िंदा करने के अलावा, अपनी बड़ी दया के कारण, मरे हुए अधर्मी लोगों को भी ज़िंदा करेगा। परमेश्‍वर का वचन हमें यकीन दिलाता है: “धर्मी और अधर्मी दोनों का जी उठना होगा।”—प्रेरितों 24:15.

14 इन अधर्मी लोगों में से किसी का भी पुनरुत्थान इसलिए नहीं किया जाएगा कि उसे दोबारा मौत की सज़ा सुनायी जाए। उस वक्‍त परमेश्‍वर के राज्य में सारी धरती पर धार्मिकता का माहौल होगा, इसलिए उन अधर्मियों की मदद की जाएगी ताकि वे अपनी ज़िंदगी यहोवा के मार्गों के मुताबिक जीएँ। यूहन्‍ना को मिले दर्शन में देखा गया कि “जीवन की पुस्तक” खोली जाएगी। इसलिए उन अधर्मियों को अपने नाम उस पुस्तक में दर्ज़ करवाने का मौका मिलेगा। पुनरुत्थान के बाद ‘उन के कामों के अनुसार उनका न्याय किया जाएगा।’ (प्रकाशितवाक्य 20:12,13) इस तरह आखिर में उन्हें जो अंजाम मिलता है, उसके हिसाब से उनका पुनरुत्थान ‘जीवन का पुनरुत्थान’ साबित हो सकता है और वे अपने कामों से ‘दंड का पुनरुत्थान’ पाने से बच सकते हैं।—यूहन्‍ना 5:28,29.

15. (क) किन लोगों का पुनरुत्थान नहीं होगा? (ख) पुनरुत्थान के बारे में सच्चाई जानने पर हमें अपनी ज़िंदगी कैसे बितानी चाहिए?

15 लेकिन, आज तक जितने लोग मरे हैं, उन सभी का पुनरुत्थान नहीं होगा। कुछ लोगों ने ऐसे पाप किए हैं, जो माफ नहीं किए जा सकते। ऐसे लोग अधोलोक में नहीं बल्कि गेहन्‍ना में हैं और वहाँ उन्हें हमेशा के लिए नाश किया जाता है। उनमें वे लोग भी होंगे, जिन्हें बहुत जल्द आनेवाले “भारी क्लेश” में नाश किया जाएगा। (मत्ती 12:31,32; 23:33; 24:21,22; 25:41,46; 2 थिस्सलुनीकियों 1:6-9) यह दिखाता है कि हालाँकि यहोवा ने अपनी बड़ी दया के कारण, मरे हुओं को अधोलोक से छुड़ाने के लिए पुनरुत्थान की आशा दी है, मगर इसका मतलब यह नहीं कि आज हम अपनी मन-मरज़ी से ज़िंदगी गुज़ार सकते हैं। जो लोग जानबूझकर, यहोवा की हुकूमत के खिलाफ काम करते हैं, उनका पुनरुत्थान हरगिज़ नहीं होगा। इस बात को ध्यान में रखते हुए हमें अपनी ज़िंदगी, परमेश्‍वर की मरज़ी के मुताबिक जीनी चाहिए और इस तरह दिखाना चाहिए कि हम उसकी अपार दया की दिल से कदर करते हैं।

पुनरुत्थान की आशा हिम्मत देती है

16. पुनरुत्थान की आशा कैसे हमें बहुत हिम्मत दे सकती है?

16 हम में से जो लोग पुनरुत्थान की आशा पर सच्चे दिल से विश्‍वास करते हैं, उन्हें इससे बहुत हिम्मत मिलती है। आज, जब हमारी उम्र ढल जाती है तो हम जानते हैं कि चाहे हम कैसा भी इलाज क्यों न कराएँ, हम मौत को हमेशा के लिए तो नहीं टाल सकते। (सभोपदेशक 8:8) लेकिन अगर हमने यहोवा के संगठन के साथ रहकर वफादारी से उसकी सेवा की है, तो हम भविष्य के बारे में पक्का यकीन रख सकते हैं। हम जानते हैं कि पुनरुत्थान के ज़रिए हम परमेश्‍वर के ठहराए हुए वक्‍त पर दोबारा जी उठेंगे और खुशहाल ज़िंदगी जीएँगे। कल्पना कीजिए कि वह ज़िंदगी कितनी निराली होगी! जैसा कि प्रेरित पौलुस ने कहा, वह वाकई “सच्ची ज़िन्दगी” होगी।—1 तीमुथियुस 6:19, हिन्दुस्तानी बाइबल; इब्रानियों 6:10-12.

17. यहोवा के वफादार बने रहने में क्या बात हमारी मदद कर सकती है?

17 यह जानने पर कि मरे हुओं का पुनरुत्थान होगा और जिसने इसका इंतज़ाम किया है, उसके बारे में भी जानने पर हमारा विश्‍वास मज़बूत होता है। इससे हमें हर वक्‍त परमेश्‍वर का वफादार बने रहने की हिम्मत मिलती है, फिर चाहे हमें बेरहमी से सतानेवाले मौत की धमकियाँ ही क्यों न दें। शैतान जानता है कि इंसान बेवक्‍त मरने से डरता है, इसलिए उसने एक लंबे अरसे से इस डर को हथियार की तरह इस्तेमाल करके लोगों को अपने कब्ज़े में रखा है। लेकिन यीशु के दिल में ऐसा डर नहीं था। इसलिए वह अपनी आखिरी सांस तक यहोवा का वफादार रहा। अपने छुड़ौती बलिदान के ज़रिए, यीशु ने दूसरों को भी मौत के डर से आज़ाद होने का रास्ता खोल दिया है।—इब्रानियों 2:14,15.

18. यहोवा के सेवकों को वफादारी का एक बढ़िया रिकॉर्ड कायम करने में किस बात से हिम्मत मिली है?

18 यहोवा के सेवकों को मसीह के बलिदान, साथ ही पुनरुत्थान की आशा पर विश्‍वास है, इसलिए उन्होंने खराई बनाए रखने में एक बढ़िया रिकॉर्ड कायम किया है। जब उन पर यहोवा को छोड़ने का दबाव डाला गया, तो उन्होंने यह साबित कर दिखाया कि वे यहोवा को जितना प्यार करते हैं, उतना ‘अपने प्राणों को भी प्रिय नहीं जानते।’ (प्रकाशितवाक्य 12:11) वे समझ से काम लेते हैं और अपनी मौजूदा ज़िंदगी बचाने के लिए मसीही उसूलों से नहीं मुकरते। (लूका 9:24,25) वे जानते हैं कि यहोवा की हुकूमत के पक्ष में रहने की वजह से आज भले ही उन्हें अपनी जान गँवानी पड़े, लेकिन यहोवा उन्हें पुनरुत्थान के ज़रिए ज़रूर प्रतिफल देगा। क्या आपका विश्‍वास उतना मज़बूत है? अगर आप यहोवा से सच्चे दिल से प्यार करेंगे और पुनरुत्थान की आशा को दिल से संजोए रखेंगे, तो आपमें ज़रूर ऐसा मज़बूत विश्‍वास पैदा होगा।

आइए याद करें

• पुनरुत्थान की आशा के बारे में समझने से पहले, एक व्यक्‍ति के लिए मरे हुओं की हालत के बारे में जानना क्यों ज़रूरी है?

• मरे हुओं में से किन लोगों का पुनरुत्थान होगा और इस बारे में जानने पर हमें अपनी ज़िंदगी कैसे बितानी चाहिए?

• पुनरुत्थान की आशा हमें कैसे हिम्मत देती है?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 85 पर तसवीर]

यहोवा वादा करता है कि धर्मी और अधर्मी, दोनों का पुनरुत्थान होगा