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यहोवा के सिंहासन के सामने खड़ी एक बड़ी भीड़

यहोवा के सिंहासन के सामने खड़ी एक बड़ी भीड़

तेरहवाँ अध्याय

यहोवा के सिंहासन के सामने खड़ी एक बड़ी भीड़

1. (क) परमेश्‍वर के प्राचीन समय के सेवक हों या 1,44,000 जन, अपना इनाम पाने से पहले उन सबको क्या सहना था या क्या सहना पड़ेगा? (ख) हमारे वक्‍त में जी रही “बड़ी भीड़” के सामने क्या भविष्य है?

हाबिल से लेकर यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले तक, परमेश्‍वर के सभी वफादार सेवकों ने हमेशा उसकी मरज़ी पूरी की। फिर भी, उन्हें मरना पड़ा और आज वे परमेश्‍वर की नयी दुनिया में धरती पर पुनरुत्थान पाने की बाट जोह रहे हैं। परमेश्‍वर के राज्य में मसीह के साथ शासन करनेवाले 1,44,000 जनों को भी, अपना इनाम पाने के लिए पहले मरना पड़ेगा। लेकिन प्रकाशितवाक्य 7:9 बताता है कि इन अंतिम दिनों में सभी जातियों में से एक ऐसी “बड़ी भीड़” निकलेगी जिसे कभी मरना नहीं पड़ेगा। इसके बजाय इस भीड़ के लोग धरती पर हमेशा-हमेशा ज़िंदा रहेंगे। क्या आप उनमें से एक हैं?

बड़ी भीड़ की पहचान

2. प्रकाशितवाक्य 7:9 में बतायी गयी बड़ी भीड़ की सही पहचान से पहले क्या-क्या समझ हासिल हुई?

2 बड़ी भीड़ की पहचान धीरे-धीरे साफ हुई। सन्‌ 1923 में यहोवा के सेवकों को समझ मिली कि मत्ती 25:31-46 में अपने दृष्टांत में यीशु ने जिन ‘भेड़’ समान लोगों का ज़िक्र किया और यूहन्‍ना 10:16 (NW) में उसने जिन्हें ‘अन्य भेड़ें’ कहा, ये वे लोग हैं जो धरती पर हमेशा की ज़िंदगी जीने का मौका पाएँगे। इसके बाद सन्‌ 1931 में यह बात और भी पक्की हुई जब यहेजकेल 9:1-11 से समझा गया कि जिनके माथे पर चिन्ह लगाया जाता है, वे धरती पर जीवन पाएँगे। फिर सन्‌ 1935 में साफ तौर पर समझ लिया गया कि बड़ी भीड़ के लोग उस अन्य भेड़ के वर्ग में आते हैं जिसका यीशु ने ज़िक्र किया था। आज इस बड़ी भीड़ की गिनती लाखों तक पहुँच गयी है और इस पर परमेश्‍वर की आशीष है।

3. ‘सिंहासन के साम्हने खड़ी है,’ इन शब्दों का मतलब यह क्यों नहीं हो सकता कि बड़ी भीड़ स्वर्ग जाएगी?

3 प्रकाशितवाक्य 7:9 में बताए दर्शन में बड़ी भीड़ को स्वर्ग में नहीं देखा गया। परमेश्‍वर के ‘सिंहासन के साम्हने खड़े’ होने के लिए उन्हें स्वर्ग में मौजूद होने की ज़रूरत नहीं है। सिंहासन के सामने खड़े होने का मतलब है कि वे परमेश्‍वर की नज़रों के सामने हैं। (भजन 11:4) प्रकाशितवाक्य 7:4-8 बताता है कि स्वर्ग जाने के लिए धरती से सिर्फ 1,44,000 जनों को लिया गया है जबकि प्रकाशितवाक्य 14:1-4 में बड़ी भीड़ के बारे में बताया गया है कि उसे “कोई गिन नहीं सकता” यानी उसकी संख्या तय नहीं है। बाइबल के इन दोनों हवालों की तुलना करने से यह साबित होता है कि बड़ी भीड़ स्वर्ग नहीं जाएगी बल्कि इस धरती पर रहेगी।

4. (क) ‘बड़ा क्लेश’ क्या है, जिससे बड़ी भीड़ ज़िंदा बचकर निकलेगी? (ख) प्रकाशितवाक्य 7:11,12 के मुताबिक, कौन बड़ी भीड़ को देखता और उसके साथ मिलकर उपासना करता है?

4 प्रकाशितवाक्य 7:14, बड़ी भीड़ के बारे में कहता है: ‘ये वे हैं, जो बड़े क्लेश में से निकलकर आए हैं।’ बड़ा क्लेश ऐसा भयानक दौर होगा, जो दुनिया पर आज तक नहीं आया। लेकिन बड़ी भीड़ के लोग उसमें से ज़िंदा बचकर निकल सकेंगे। (मत्ती 24:21) उस वक्‍त वे जान जाएँगे कि उनका छुटकारा, परमेश्‍वर और उसके मसीह की तरफ से हुआ है। जब वे दिल से उनका एहसान मानते हुए, उन्हें लाख-लाख धन्यवाद देंगे, तब उन्हें देखनेवाले स्वर्ग के सारे वफादार प्राणी भी उनके साथ मिलकर कहेंगे: “आमीन। हमारे परमेश्‍वर की स्तुति, और महिमा, और ज्ञान, और धन्यवाद, और आदर, और सामर्थ, और शक्‍ति युगानुयुग बनी रहें। आमीन।”—प्रकाशितवाक्य 7:11,12.

खुद को उद्धार पाने के योग्य साबित करना है

5. हम यह कैसे जान सकते हैं कि बड़ी भीड़ का भाग होने के लिए हमें कौन-सी माँगें पूरी करनी हैं?

5 बड़े क्लेश से बचने के लिए बड़ी भीड़ को यहोवा के धर्मी स्तरों की कसौटी पर खरा उतरना होगा। बचाए जाने के लिए उनमें क्या-क्या गुण होने ज़रूरी हैं, इसके बारे में बाइबल में साफ-साफ और खुलकर चर्चा की गयी है। इसलिए धार्मिकता से प्रेम करनेवाले सभी इंसानों के लिए अभी वक्‍त रहते यह मौका है कि वे खुद को उद्धार के योग्य साबित करने के लिए ज़रूरी कदम उठाएँ। उन्हें क्या करना होगा?

6. यह कहना क्यों सही होगा कि बड़ी भीड़ के लोग वाकई भेड़ समान हैं?

6 सबसे पहली बात तो यह है कि भेड़ें बहुत भोली, सीधी और अधीन रहनेवाली होती हैं। इसलिए जब यीशु, धरती पर जीवन पानेवाली अन्य भेड़ों का ज़िक्र कर रहा था, तो वह ऐसे लोगों की तरफ इशारा कर रहा था जो सिर्फ अनंत जीवन की उम्मीद ही नहीं करते बल्कि यीशु की शिक्षाओं को मानते भी हैं। उसने बताया था: “मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं, और मैं उन्हें जानता हूं, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं।” (यूहन्‍ना 10:16,27) ये ऐसे लोग हैं जो सचमुच ध्यान से यीशु की बात सुनते हैं, फिर दिल से उसके मुताबिक काम करते हैं और इस तरह उसके चेले बनते हैं।

7. यीशु के चेले बननेवालों को अपने अंदर कौन-से गुण पैदा करने की ज़रूरत है?

7 यीशु के चेले बननेवालों को अपने अंदर और कौन-से गुण पैदा करने की ज़रूरत है? परमेश्‍वर का वचन इसका जवाब देता है: “तुम अगले चालचलन के पुराने मनुष्यत्व को जो भरमानेवाली अभिलाषाओं के अनुसार भ्रष्ट होता जाता है, उतार डालो। . . . नये मनुष्यत्व को पहिन लो, जो परमेश्‍वर के अनुसार सत्य की धार्मिकता, और पवित्रता में सृजा गया है।” (इफिसियों 4:22-24) वे अपने अंदर ऐसे गुण पैदा करते हैं जिनसे परमेश्‍वर के सेवकों की एकता और भी मज़बूत होती है। ये गुण हैं—“प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज, कृपा, भलाई, विश्‍वास, नम्रता, और संयम।”—गलतियों 5:22,23.

8. शेष जनों की मदद करने की वजह से बड़ी भीड़ क्या-क्या सहेगी?

8 बड़ी भीड़, स्वर्गीय आशा रखनेवाले उन बचे हुए सदस्यों का पूरा-पूरा साथ देती है, जो आज प्रचार के काम में अगुवाई कर रहे हैं। (मत्ती 24:14; 25:40) बड़ी भीड़ जानती है कि उन शेष जनों का साथ देने से उन्हें ज़ुल्म का निशाना बनाया जाएगा। यह इसलिए क्योंकि इन अंतिम दिनों की शुरूआत में मसीह यीशु और उसके स्वर्गदूतों ने शैतान और उसके पिशाचों को स्वर्ग से गिरा दिया है। शैतान और उसके पिशाचों का पृथ्वी पर फेंके जाने का मतलब है, “पृथ्वी पर हाय! . . . क्योंकि शैतान बड़े क्रोध के साथ तुम्हारे पास उतर आया है; क्योंकि जानता है, कि उसका थोड़ा ही समय और बाकी है।” (प्रकाशितवाक्य 12:7-12) यही वजह है कि इस दुनिया का अंत जितना नज़दीक आता जा रहा है, शैतान परमेश्‍वर के सेवकों पर उतने ज़ुल्म बढ़ाता जा रहा है।

9. परमेश्‍वर के सेवक सुसमाचार का प्रचार करने में किस हद तक कामयाब रहे हैं और इसकी वजह क्या है?

9 प्रचार काम का कड़ा विरोध होने के बावजूद, यह आगे बढ़ता ही जा रहा है। पहले विश्‍व-युद्ध के आखिर में, राज्य का प्रचार करनेवालों की गिनती बस कुछ हज़ारों में थी, लेकिन अब ये बढ़कर लाखों में पहुँच चुकी है क्योंकि यहोवा ने वादा किया है: “जितने हथियार तेरी हानि के लिये बनाए जाएं, उन में से कोई सफल न होगा।” (यशायाह 54:17) यह बात यहूदी महासभा के एक सदस्य ने भी मानी थी कि परमेश्‍वर के काम को पूरा होने से कोई रोक नहीं सकता। उसने यीशु के शिष्यों का ज़िक्र करते हुए पहली सदी के फरीसियों से कहा था: “इन मनुष्यों से दूर ही रहो . . . क्योंकि यदि यह धर्म या काम मनुष्यों की ओर से हो तब तो मिट जाएगा। परन्तु यदि परमेश्‍वर की ओर से है, तो तुम उन्हें कदापि मिटा न सकोगे; कहीं ऐसा न हो, कि तुम परमेश्‍वर से भी लड़नेवाले ठहरो।”—प्रेरितों 5:38,39.

10. (क) बड़ी भीड़ के लोगों पर जो “चिन्ह” लगाया गया है, वह किस बात का सबूत है? (ख) परमेश्‍वर के सेवक ‘स्वर्ग से आनेवाले शब्द’ के मुताबिक क्या कदम उठाते हैं?

10 दर्शन में दिखाया गया है कि बड़ी भीड़ के लोगों पर छुटकारे के लिए चिन्ह लगाया जाता है। (यहेजकेल 9:4-6) यह “चिन्ह” इस बात का सबूत है कि ये लोग यहोवा को समर्पित हैं, बपतिस्मा पाकर यीशु के चेले बन चुके हैं और मसीह जैसा व्यक्‍तित्व धारण करने की कोशिश कर रहे हैं। वे ‘स्वर्ग से आनेवाले इस शब्द’ को सुनते और उसका पालन करते हैं, जो दुनिया भर में फैले शैतान के झूठे धर्मों के बारे में कहता है: “हे मेरे लोगो, उस में से निकल आओ; कि तुम उसके पापों में भागी न हो, और उस की विपत्तियों में से कोई तुम पर आ न पड़े।”—प्रकाशितवाक्य 18:1-5.

11. बड़ी भीड़ के लोग किस खास तरीके से दिखाते हैं कि वे यहोवा के सेवक हैं?

11 इन सब बातों के अलावा, यीशु ने अपने चेलों से यह भी कहा था: “यदि आपस में प्रेम रखोगे तो इसी से सब जानेंगे, कि तुम मेरे चेले हो।” (यूहन्‍ना 13:35) इनसे बिलकुल उल्टे संसार के धर्मों के माननेवाले, युद्धों में अपने ही धर्म के लोगों का कत्ल करते हैं, और वह भी सिर्फ इसलिए क्योंकि वे दूसरे देशों के नागरिक हैं! ध्यान दीजिए, परमेश्‍वर का वचन कहता है: “इसी से परमेश्‍वर की सन्तान, और शैतान की सन्तान जाने जाते हैं; जो कोई धर्म के काम नहीं करता, वह परमेश्‍वर से नहीं, और न वह, जो अपने भाई से प्रेम नहीं रखता। . . . हम एक दूसरे से प्रेम रखें। और कैन के समान न बनें, जो उस दुष्ट से था, और जिस ने अपने भाई को घात किया।”—1 यूहन्‍ना 3:10-12.

12. बड़े क्लेश में यहोवा उन ‘पेड़ों’ यानी धर्मों का क्या करेगा जो अच्छे फल नहीं लाते?

12 यीशु ने साफ-साफ कहा था: “हर एक अच्छा पेड़ अच्छा फल लाता है और निकम्मा पेड़ बुरा फल लाता है। अच्छा पेड़ बुरा फल नहीं ला सकता, और न निकम्मा पेड़ अच्छा फल ला सकता है। जो जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में डाला जाता है। सो उन के फलों से तुम उन्हें पहचान लोगे।” (मत्ती 7:17-20) इस संसार के धर्मों ने जो फल पैदा किए हैं, उनसे साफ नज़र आ रहा है कि वे निकम्मे “पेड़” हैं और बहुत जल्द बड़े क्लेश में नाश होनेवाले हैं।—प्रकाशितवाक्य 17:16.

13. बड़ी भीड़ कैसे दिखाती है कि वह एकता में रहकर यहोवा के “सिंहासन के साम्हने” खड़ी है?

13 बड़ी भीड़ को क्यों बचाया जाता है, प्रकाशितवाक्य 7:9-15 में इसकी वजह बतायी गयी हैं। वहाँ दिखाया गया है कि वे एकता में रहकर यहोवा के “सिंहासन के साम्हने” खड़े हैं और यह कबूल करते हैं कि यहोवा ही पूरे विश्‍व का महाराजा और मालिक है। उन्होंने “अपने अपने वस्त्र मेम्ने के लोहू में धोकर श्‍वेत किए हैं” जो दिखाता है कि उन्हें विश्‍वास है कि यीशु का बलिदान ही उन्हें पापों से प्रायश्‍चित दिला सकता है। (यूहन्‍ना 1:29) उन्होंने अपना जीवन यहोवा को समर्पित किया है और उसकी निशानी के तौर पर पानी में बपतिस्मा लिया है। इसलिए वे श्‍वेत वस्त्र पहने हुए हैं यानी परमेश्‍वर की नज़रों में शुद्ध हैं और “दिन रात उस की सेवा करते हैं।” क्या आपको अपनी ज़िंदगी में कुछ ऐसे बदलाव करने की ज़रूरत है ताकि आप यहाँ बतायी गयी शर्तों को पूरा कर सकें?

अभी मिलनेवाली आशीषें

14. यहोवा के सेवकों को आज भी जो अनोखी आशीषें मिलती हैं, उनमें से कुछ क्या हैं?

14 शायद आपने भी उन अनोखी आशीषों को देखा है जो यहोवा की सेवा करनेवालों को अभी हासिल हो रही हैं। मिसाल के तौर पर, जब आपने यहोवा के धर्मी उद्देश्‍यों के बारे में सीखा, तो आपको समझ आया कि भविष्य अंधकार भरा नहीं बल्कि एक उज्ज्वल आशा देता है। इसलिए अब आपकी ज़िंदगी को सच्चा मकसद मिल चुका है और वह है, फिरदौस में हमेशा की ज़िंदगी की उम्मीद के साथ अभी सच्चे परमेश्‍वर की सेवा करना। जी हाँ, राजा यीशु मसीह बड़ी भीड़ को “जीवन रूपी जल के सोतों के पास” ले जाएगा।—प्रकाशितवाक्य 7:17.

15. यहोवा के साक्षियों को राजनीति और चालचलन के मामले में बाइबल के सिद्धांतों पर चलने की वजह से क्या फायदा हो रहा है?

15 बड़ी भीड़ को मिलनेवाली एक अनोखी आशीष यह है कि संसार भर में रहनेवाले यहोवा के इन सेवकों के बीच प्यार, एकता और शांति है। हम सभी एक ही तरह का आध्यात्मिक भोजन लेते हैं, इसलिए हम सभी उन्हीं नियमों और सिद्धांतों को मानते हैं जो परमेश्‍वर के वचन में बताए गए हैं। इसीलिए राजनीति या अपने-अपने देश की विचारधाराओं पर अड़े रहनेवालों की तरह हममें फूट नहीं है। साथ ही, हम चालचलन के उन ऊँचे स्तरों का सख्ती से पालन करते हैं जिन पर चलने की यहोवा हमसे माँग करता है। (1 कुरिन्थियों 6:9-11) इसलिए संसार की तरह झगड़े, फूट और अनैतिकता होने के बजाय यहोवा के लोगों के बीच जो खुशनुमा माहौल है उसे आध्यात्मिक फिरदौस कहा जा सकता है। ज़रा गौर कीजिए कि यशायाह 65:13,14 में इसके बारे में कैसा ब्यौरा दिया गया है।

16. दूसरे लोगों की तरह ज़िंदगी की समस्याएँ झेलने के बावजूद, बड़ी भीड़ को क्या आशा है?

16 यह सच है कि यहोवा की सेवा करनेवाले ये लोग सिद्ध नहीं हैं। उन्हें भी संसार के बाकी लोगों की तरह समस्याएँ झेलनी पड़ती हैं। उन्हें भी कई बार मुसीबतों के दौर से गुज़रना पड़ता है, वे भी दुनिया के देशों के बीच होनेवाले युद्धों का शिकार होते हैं। उन्हें बीमारी, दुःख और मौत का भी सामना करना पड़ता है। लेकिन उन्हें यह विश्‍वास है कि नयी दुनिया में परमेश्‍वर ‘उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहेंगी।’—प्रकाशितवाक्य 21:4.

17. सच्चे परमेश्‍वर की उपासना करनेवालों को आज चाहे जो भी हो जाए, मगर उन्हें भविष्य में कैसी बढ़िया ज़िंदगी मिलनेवाली है?

17 तो चाहे आपको अभी बुढ़ापे, बीमारी, दुर्घटना या ज़ुल्मों की वजह से अपनी ज़िंदगी गँवानी पड़े, मगर यहोवा, फिरदौस में आपको दोबारा ज़िंदगी देगा। (प्रेरितों 24:15) फिर आप मसीह के हज़ार साल के राज के दौरान लगातार आध्यात्मिक दावत का आनंद उठाते रहेंगे। फिर जब आप यहोवा के उद्देश्‍यों को शानदार तरीके से पूरा होते देखेंगे, तो उसके लिए आपका प्यार और भी बढ़ेगा। और उस वक्‍त यह देखकर कि यहोवा ने धरती पर रहनेवालों की चंगाई के लिए अपनी आशीषों के झरोखे खोल दिए, उसके लिए आपका प्यार और भी गहरा होता जाएगा। (यशायाह 25:6-9) परमेश्‍वर के लोगों के सामने क्या ही सुनहरे कल की आशा है!

आइए याद करें

• बाइबल के मुताबिक बड़ी भीड़ किस अनोखी घटना को सच होते देखेगी?

• अगर हम सचमुच, परमेश्‍वर का अनुग्रह पानेवाली बड़ी भीड़ का एक सदस्य होना चाहते हैं, तो आज हमें क्या करने की ज़रूरत है?

• बड़ी भीड़ आज जिन आशीषों का आनंद उठा रही है और परमेश्‍वर की नयी दुनिया में जिन आशीषों का आनंद उठाएगी, वे आपके लिए क्या मायने रखती हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 123 पर तसवीर]

बड़ी भीड़ के लाखों लोग एकता में रहकर सच्चे परमेश्‍वर की उपासना करते हैं