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दुष्ट आत्मिक शक्‍तियों का विरोध कीजिए

दुष्ट आत्मिक शक्‍तियों का विरोध कीजिए

अध्याय १२

दुष्ट आत्मिक शक्‍तियों का विरोध कीजिए

१. जब यीशु का सामना दुष्टात्माओं से हुआ तो उसने कैसी प्रतिक्रिया दिखायी?

अपने बपतिस्मे के तुरन्त बाद, यीशु मसीह प्रार्थना और मनन करने के लिए यहूदा के वीराने में गया। वहाँ शैतान अर्थात्‌ इब्‌लीस ने उससे परमेश्‍वर की व्यवस्था का उल्लंघन करवाने की कोशिश की। लेकिन, यीशु ने इब्‌लीस के प्रलोभन को ठुकराया और उसके जाल में नहीं फँसा। पृथ्वी पर अपनी सेवकाई के दौरान यीशु का सामना अन्य दुष्टात्माओं से भी हुआ। फिर भी, बारंबार, उसने उन्हें डाँटा और उनका विरोध किया।—लूका ४:१-१३; ८:२६-३४; ९:३७-४३.

२. हम किन प्रश्‍नों पर चर्चा करेंगे?

उन भेंटों का वर्णन करनेवाले बाइबल वृत्तान्तों से हमें विश्‍वस्त होना चाहिए कि दुष्ट आत्मिक शक्‍तियाँ अस्तित्व में हैं। वे लोगों को पथभ्रष्ट करने की कोशिश करती हैं। फिर भी, हम इन बुरी आत्माओं का विरोध कर सकते हैं। लेकिन दुष्टात्माएँ कहाँ से आती हैं? वे मनुष्यों को क्यों बहकाने की कोशिश करती हैं? और वे अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कौन-से तरीक़े प्रयोग करती हैं? ऐसे प्रश्‍नों के उत्तर पाना आपको दुष्ट आत्मिक शक्‍तियों का विरोध करने में मदद देगा।

दुष्ट आत्माएँ—उनका उद्‌गम और निशाना

३. शैतान अर्थात्‌ इब्‌लीस का उद्‌गम कैसे हुआ?

यहोवा परमेश्‍वर ने मनुष्यों की सृष्टि करने से बहुत पहले बहुसंख्य आत्मिक प्राणी बनाए। (अय्यूब ३८:४, ७) जैसा अध्याय ६ में समझाया गया है, इनमें से एक स्वर्गदूत ने यह अभिलाषा विकसित की कि मनुष्य यहोवा की उपासना करने के बजाय उसकी उपासना करें। उस लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए, इस दुष्ट स्वर्गदूत ने सृष्टिकर्ता का विरोध किया और उसकी निन्दा की, और प्रथम स्त्री के मन में यह भी डाला कि परमेश्‍वर झूठा था। तो, उपयुक्‍त रीति से यह विद्रोही आत्मिक प्राणी शैतान (विरोधी) अर्थात्‌ इब्‌लीस (निन्दक) के नाम से जाना गया।—उत्पत्ति ३:१-५; अय्यूब १:६.

४. नूह के समय में कुछ स्वर्गदूतों ने कैसे पाप किया?

बाद में, अन्य स्वर्गदूतों ने शैतान अर्थात्‌ इब्‌लीस का पक्ष लिया। धर्मी मनुष्य नूह के दिनों में, इनमें से कुछ स्वर्गदूतों ने स्वर्ग में अपनी सेवा त्याग दी और पार्थिव स्त्रियों के साथ लैंगिक सम्बन्ध रखने की अपनी कामुकता को संतुष्ट करने के लिए भौतिक देह धारण कर ली। इसमें कोई संदेह नहीं कि अवज्ञाकारिता का वह मार्ग अपनाने के लिए शैतान ने उन स्वर्गदूतों को प्रभावित किया। यह उन्हें नेफिलिम नामक संकर संतानों के पिता बनने की ओर ले गया, जो हिंसक गुंडे बने। जब यहोवा बड़ा जलप्रलय लाया, तो उसने भ्रष्ट मानवजाति और अवज्ञाकारी स्वर्गदूतों की असाधारण संतान को नष्ट कर दिया। विद्रोही स्वर्गदूत अपनी भौतिक देह त्यागकर आत्मिक क्षेत्र में लौटने के द्वारा विनाश से बच गए। लेकिन परमेश्‍वर ने इन पिशाचों के साथ बहिष्कृतों, अर्थात्‌ आध्यात्मिक अन्धकार में रहनेवालों के समान व्यवहार करने के द्वारा उन पर प्रतिबन्ध लगाया। (उत्पत्ति ६:१-७, १७; यहूदा ६) फिर भी, ‘दुष्टात्माओं का प्रधान,’ शैतान और उसके दुष्ट स्वर्गदूत अपने विद्रोह में आगे बढ़े हैं। (लूका ११:१५) उनका लक्ष्य क्या है?

५. शैतान और उसके पिशाचों का क्या लक्ष्य है, और वे लोगों को फँसाने के लिए क्या प्रयोग करते हैं?

शैतान और पिशाचों का दुर्लक्ष्य है लोगों को यहोवा परमेश्‍वर के विरुद्ध करना। अतः, ये दुष्ट पूरे मानव इतिहास में लोगों को पथभ्रष्ट करते, डराते और उन पर हमला करते रहे हैं। (प्रकाशितवाक्य १२:९) आधुनिक-दिन के उदाहरण इस बात की पुष्टि करते हैं कि पिशाच आक्रमण अभी पहले से कहीं ज़्यादा बुरा है। लोगों को फँसाने के लिए, पिशाच अकसर सभी रूप में प्रेतात्मावाद का प्रयोग करते हैं। पिशाच प्रेतात्मवाद के प्रलोभन को कैसे प्रयोग करते हैं, और आप अपना बचाव कैसे कर सकते हैं?

दुष्ट आत्माएँ आपको कैसे पथभ्रष्ट करने की कोशिश करती हैं

६. प्रेतात्मवाद क्या है, और उसके कुछ रूप क्या हैं?

प्रेतात्मवाद क्या है? यह पिशाचों, या दुष्टात्माओं के साथ प्रत्यक्ष रूप से या किसी मानवी माध्यम के द्वारा अंतर्ग्रस्तता है। प्रेतात्मवाद पिशाचों के लिए उतना ही कारगर है जितना कि चारा शिकारियों के लिए है: यह शिकार को आकर्षित करता है। और जैसे एक शिकारी जानवरों को अपने जाल में फँसाने के लिए तरह-तरह का चारा लगाता है, वैसे ही दुष्टात्माएँ मनुष्यों को अपने वश में करने के लिए विभिन्‍न रूप में प्रेतात्मवाद को प्रोत्साहन देती हैं। (भजन ११९:११० से तुलना कीजिए।) इनमें से कुछ रूप हैं शकुन-विद्या, जादू, शुभ-अशुभ मुहूर्त निकालना, टोना, मंत्र-मुग्ध करना, माध्यमों से परामर्श लेना, मृतकों को बुलाना।

७. प्रेतात्मवाद कितना व्यापक है, और तथाकथित मसीही देशों में भी यह क्यों इतना फलता-फूलता है?

यह चारा काम करता है, क्योंकि प्रेतात्मवाद संसार-भर में लोगों को आकर्षित करता है। जो जंगल में गाँवों में रहते हैं वे ओझाओं के पास जाते हैं, और शहरों के दत्नतरों में काम करनेवाले ज्योतिषियों से परामर्श लेते हैं। प्रेतात्मवाद तथाकथित मसीही देशों में भी फलता-फूलता है। अनुसंधान दिखाता है कि मात्र अमरीका में ही लगभग ३० पत्रिकाएँ जिनका कुल वितरण १,००,००,००० से ज़्यादा है, प्रेतात्मवाद के विभिन्‍न रूपों को समर्पित हैं। ब्राज़ीलवासी हर साल प्रेतात्मवादी वस्तुओं पर ५० करोड़ से ज़्यादा डॉलर खर्च करते हैं। फिर भी, उस देश में प्रेतात्मवादी उपासना-केंद्रों में जानेवालों में से ८० प्रतिशत लोग बपतिस्मा-प्राप्त कैथोलिक हैं जो मिस्सा में भी भाग लेते हैं। चूँकि कुछ पादरी प्रेतात्मवाद का अभ्यास करते हैं, अनेक धार्मिक लोग सोचते हैं कि इसका अभ्यास करना परमेश्‍वर को स्वीकार्य है। लेकिन क्या उसे स्वीकार्य है?

बाइबल प्रेतात्मवाद के अभ्यास की क्यों निन्दा करती है

८. प्रेतात्मवाद के बारे में शास्त्रीय दृष्टिकोण क्या है?

यदि आपको सिखाया गया है कि प्रेतात्मवाद के कुछ रूप अच्छी आत्माओं से संपर्क करने के माध्यम हैं, तो आप शायद यह जानकर चकित हों कि बाइबल प्रेतात्मवाद के बारे में क्या कहती है। यहोवा के लोगों को चेतावनी दी गयी थी: “ओझाओं और भूत साधने वालों की ओर न फिरना, और ऐसों की खोज करके उनके कारण अशुद्ध न हो जाना।” (तिरछे टाइप हमारे।) (लैव्यव्यवस्था १९:३१; २०:६, २७) बाइबल की प्रकाशितवाक्य नामक पुस्तक चेतावनी देती है कि “टोन्हों” को ‘उस झील में डाला जाएगा, जो आग और गन्धक से जलती रहती है: यह दूसरी [अनन्त] मृत्यु है।’ (प्रकाशितवाक्य २१:८; २२:१५) प्रेतात्मवाद के सभी रूपों को यहोवा परमेश्‍वर अस्वीकार करता है। (व्यवस्थाविवरण १८:१०-१२) ऐसा क्यों है?

९. हम क्यों यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि आत्मिक लोक से मिले वर्तमान-समय के संदेश यहोवा की ओर से नहीं हैं?

बाइबल पूरी होने से पहले यहोवा ने अच्छी आत्माओं, या धर्मी स्वर्गदूतों को कुछ मनुष्यों के साथ संचार करने के लिए भेजा। उसके पूरा होने के बाद से, परमेश्‍वर के वचन ने वह मार्गदर्शन प्रदान किया है जिसकी मनुष्यों को स्वीकार्य रूप से यहोवा की सेवा करने के लिए ज़रूरत है। (२ तीमुथियुस ३:१६, १७; इब्रानियों १:१, २) माध्यमों को संदेश देने के द्वारा वह अपने पवित्र वचन की उपेक्षा नहीं करता। आत्मिक लोक से मिले वर्तमान-समय के ऐसे सभी संदेश दुष्टात्माओं की ओर से आते हैं। प्रेतात्मवाद के अभ्यास के कारण पिशाच उत्पीड़न या दुष्टात्माओं द्वारा वशीकरण भी हो सकता है। इसलिए, परमेश्‍वर प्रेमपूर्वक हमें आगाह करता है कि किसी प्रेतात्मवादी अभ्यास में न उलझें। (व्यवस्थाविवरण १८:१४; गलतियों ५:१९-२१) इसके अलावा, यदि हम प्रेतात्मवाद के बारे में यहोवा का दृष्टिकोण जानने के बाद भी उसका अभ्यास जारी रखें, तो हम विद्रोही दुष्टात्माओं का पक्ष ले रहे होंगे और परमेश्‍वर के शत्रु होंगे।—१ शमूएल १५:२३; १ इतिहास १०:१३, १४; भजन ५:४.

१०. शकुन-विद्या क्या है, और हमें इससे दूर क्यों रहना चाहिए?

१० प्रेतात्मवाद का एक प्रचलित रूप है शकुन-विद्या—आत्माओं की मदद से भविष्य या अज्ञात के बारे में जानने की कोशिश करना। शकुन-विद्या के कुछ रूप हैं ज्योतिष-विद्या, क्रिस्टल-बॉल देखना, स्वप्न का अर्थ निकालना, हस्तरेखा-शास्त्र, और ताश के पत्तों का प्रयोग करके भविष्य बताना। अनेक लोग शकुन-विद्या को अहानिकर खेल समझते हैं, लेकिन बाइबल दिखाती है कि भविष्य बतानेवालों और दुष्टात्माओं का निकट सम्बन्ध है। उदाहरण के लिए, प्रेरितों १६:१६-१९ “भावी कहनेवाली आत्मा” का उल्लेख करता है जिसने एक लड़की को “भावी कहने” में समर्थ किया। लेकिन, भविष्य बताने की उसकी योग्यता चली गयी जब उस पिशाच को निकाल दिया गया। सपष्टतया, शकुन-विद्या वह प्रलोभन है जिसे पिशाच लोगों को अपने जाल में फँसाने के लिए प्रयोग करते हैं।

११. मृतकों के साथ संचार करने के प्रयास जाल में कैसे फँसाते हैं?

११ यदि आप परिवार के एक प्रिय सदस्य या एक घनिष्ठ मित्र की मृत्यु का शोक मना रहे हैं, तो आप एक और प्रलोभन के द्वारा आसानी से लुभाए जा सकते हैं। एक आत्मिक माध्यम शायद आपको ख़ास जानकारी दे या ऐसी आवाज़ में बोले जो उस मृत व्यक्‍ति की प्रतीत हो। सावधान! मृतकों के साथ संचार करने के प्रयास जाल में फँसाते हैं। क्यों? क्योंकि मृत जन बात नहीं कर सकते। जैसा कि शायद आपको याद हो, परमेश्‍वर का वचन साफ़-साफ़ कहता है कि मृत्यु होने पर एक व्यक्‍ति ‘मिट्टी में मिल जाता है; उसी दिन उसकी सब कल्पनाएं नाश हो जाती हैं।’ मरे हुए “कुछ भी नहीं जानते।” (भजन १४६:४; सभोपदेशक ९:५, १०) इसके अलावा, वास्तव में पिशाच मृतक की आवाज़ की नक़ल करने और मरे हुऐ व्यक्‍ति के बारे में आत्मिक माध्यम को जानकारी देने के लिए प्रसिद्ध हैं। (१ शमूएल २८:३-१९) सो ‘जो मृतकों को बुलाता है’ वह दुष्टात्माओं द्वारा जाल में फँसाया जा रहा है और यहोवा परमेश्‍वर की इच्छा के विरुद्ध कार्य कर रहा है।—व्यवस्थाविवरण १८:११, १२, NHT; यशायाह ८:१९.

आकर्षण से आक्रमण

१२, १३. इस बात का क्या प्रमाण है कि पिशाच लोगों को प्रलोभित और उत्पीड़ित करने में डटे रहते हैं?

१२ जब आप प्रेतात्मवाद के सम्बन्ध में परमेश्‍वर के वचन की सलाह को मानते हैं, तब आप पिशाचों के प्रलोभन को ठुकराते हैं। (भजन १४१:९, १०; रोमियों १२:९ से तुलना कीजिए।) क्या इसका यह अर्थ है कि दुष्टात्माएँ आपको अपने वश में करने की कोशिश करना छोड़ देंगी? किसी हालत नहीं! तीन बार यीशु की परीक्षा करने के बाद, शैतान “कुछ समय के लिये उसके पास से चला गया।” (लूका ४:१३) उसी प्रकार, हठी आत्माएँ न सिर्फ़ लोगों को आकर्षित करती हैं बल्कि उन पर आक्रमण भी करती हैं।

१३ परमेश्‍वर के सेवक अय्यूब पर शैतान के आक्रमण के बारे में हमारी पिछली चर्चा को याद कीजिए। इब्‌लीस उसके पशुधन के नुक़सान और उसके अधिकांश दासों की मृत्यु का कारण बना। शैतान ने अय्यूब के बच्चों को भी मार डाला। उसके बाद, वह स्वयं अय्यूब पर एक दर्दनाक बीमारी लाया। लेकिन अय्यूब ने परमेश्‍वर के प्रति अपनी खराई रखी और उसे बहुत आशिष मिली। (अय्यूब १:७-१९; २:७, ८; ४२:१२) तब से, पिशाचों ने कुछ लोगों को गूँगा या अंधा कर दिया है और मनुष्यों के दुःखों से आनन्द प्राप्त करते रहे हैं। (मत्ती ९:३२, ३३; १२:२२; मरकुस ५:२-५) आज, रिपोर्टें दिखाती हैं कि पिशाच कुछ लोगों को लैंगिक रूप से उत्पीड़ित करते हैं और दूसरों को पागल बना देते हैं। कुछ और लोगों को वे हत्या अथवा आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करते हैं, जो परमेश्‍वर के विरुद्ध पाप हैं। (व्यवस्थाविवरण ५:१७; १ यूहन्‍ना ३:१५) इसके बावजूद, ऐसे हज़ारों लोग जो कभी इन दुष्टात्माओं के जाल में फँसे थे अपने आप को मुक्‍त करने में समर्थ हुए हैं। उनके लिए यह कैसे संभव हुआ है? उन्होंने ऐसा अति महत्त्वपूर्ण क़दम उठाने के द्वारा किया है।

दुष्टात्माओं का विरोध कैसे करें

१४. प्रथम-शताब्दी इफिसुस के मसीहियों के उदाहरण के सामंजस्य में आप दुष्टात्माओं का विरोध कैसे कर सकते हैं?

१४ दुष्टात्माओं का विरोध करने तथा अपने आपको और अपने परिवार को उनके फन्दों से बचाने का एक तरीक़ा क्या है? इफिसुस के प्रथम-शताब्दी मसीहियों ने, जिन्होंने विश्‍वासी बनने से पहले प्रेतात्मवाद का अभ्यास किया था, सकारात्मक क़दम उठाए। हम पढ़ते हैं कि “जादू करनेवालों में से बहुतों ने अपनी अपनी पोथियां इकट्ठी करके सब के साम्हने जला दीं।” (प्रेरितों १९:१९) यदि आपने प्रेतात्मवाद का अभ्यास नहीं किया है तौभी ऐसी किसी भी वस्तु को दूर कीजिए जिसका प्रेतात्मवादी प्रयोग है या उसके साथ ज़रा-भी सम्बन्ध है। इसमें पुस्तकें, पत्रिकाएँ, वीडियो, पोस्टर, संगीत रिकॉर्डिंग, और प्रेतात्मवादी कार्यों में प्रयोग की जानेवाली वस्तुएँ सम्मिलित हैं। इसमें मूर्तियाँ, तावीज़ें और बचाव के लिए पहनी जानेवाली अन्य वस्तुएँ, और प्रेतात्मवाद का अभ्यास करनेवालों से मिले उपहार भी सम्मिलित हैं। (व्यवस्थाविवरण ७:२५, २६; १ कुरिन्थियों १०:२१) उदाहरण के लिए, थाइलैंड में एक विवाहित दम्पति को पिशाचों ने लम्बे अरसे से उत्पीड़ित कर रखा था। तब उन्होंने प्रेतात्मवाद से सम्बन्धित वस्तुएँ दूर कीं। परिणाम क्या था? उन्हें पैशाचिक आक्रमणों से राहत मिली और उसके बाद उन्होंने वास्तविक आध्यात्मिक प्रगति की।

१५. दुष्ट आत्मिक शक्‍तियों का विरोध करने के लिए एक और ज़रूरी क़दम क्या है?

१५ दुष्टात्माओं का विरोध करने के लिए एक और ज़रूरी क़दम है परमेश्‍वर-प्रदत्त सारे आध्यात्मिक हथियार बान्धने के बारे में प्रेरित पौलुस की सलाह पर अमल करना। (इफिसियों ६:११-१७) मसीहियों को दुष्टात्माओं के विरुद्ध अपने बचाव को मज़बूत करना चाहिए। इस क़दम में क्या सम्मिलित है? “और उन सब के साथ,” पौलुस ने कहा, “विश्‍वास की ढाल लेकर स्थिर रहो जिस से तुम उस दुष्ट के सब जलते तीरों को बुझा सको।” सचमुच, जितना अधिक आपका विश्‍वास मज़बूत होगा उतनी अधिक दुष्ट आत्मिक शक्‍तियों का विरोध करने की आपकी योग्यता होगी।—मत्ती १७:१४-२०.

१६. आप अपने विश्‍वास को कैसे मज़बूत बना सकते हैं?

१६ आप अपने विश्‍वास को कैसे मज़बूत बना सकते हैं? बाइबल का अध्ययन जारी रखने और उसकी सलाह को अपने जीवन में लागू करने से। एक व्यक्‍ति के विश्‍वास की मज़बूती अधिकांशतः उसके आधार—परमेश्‍वर के ज्ञान—की दृढ़ता पर निर्भर करती है। क्या आप नहीं मानते कि जैसे-जैसे बाइबल का अध्ययन करने के द्वारा जो यथार्थ ज्ञान आपने प्राप्त किया और उसे गंभीरता से लिया है, उसने आपके विश्‍वास को बढ़ाया है? (रोमियों १०:१०, १७) इसलिए, निःसंदेह जैसे-जैसे आप इस अध्ययन को जारी रखते हैं और यहोवा के साक्षियों की सभाओं में उपस्थित होना अपनी आदत बनाते हैं, आपका विश्‍वास और भी मज़बूत होगा। (रोमियों १:११, १२; कुलुस्सियों २:६, ७) यह पैशाचिक आक्रमणों से शक्‍तिशाली बचाव होगा।—१ यूहन्‍ना ५:५.

१७. दुष्ट आत्मिक शक्‍तियों का विरोध करने के लिए और कौन-से क़दम ज़रूरी हो सकते हैं?

१७ एक व्यक्‍ति जो दुष्ट आत्मिक शक्‍तियों का विरोध करने के लिए दृढ़-संकल्प है और कौन-से क़दम उठा सकता है? इफिसुस के मसीहियों को बचाव की ज़रूरत थी क्योंकि वे पिशाचवाद से ग्रस्त शहर में रहते थे। अतः, पौलुस ने उनसे कहा: ‘हर समय आत्मा में प्रार्थना करते रहो।’ (इफिसियों ६:१८) चूँकि हम पिशाच-ग्रस्त संसार में रहते हैं, दुष्टात्माओं का विरोध करने के लिए परमेश्‍वर की सुरक्षा के लिए तीव्रता से प्रार्थना करना अत्यावश्‍यक है। (मत्ती ६:१३) इस सम्बन्ध में मसीही कलीसिया के नियुक्‍त प्राचीनों की आध्यात्मिक मदद और प्रार्थनाएँ सहायक हैं।—याकूब ५:१३-१५.

दुष्टात्माओं के विरुद्ध अपनी लड़ाई जारी रखिए

१८, १९. यदि पिशाच एक व्यक्‍ति को फिर से परेशान करते हैं तो क्या किया जा सकता है?

१८ लेकिन, इन बुनियादी क़दमों को उठाने के बाद भी, कुछ लोगों को दुष्टात्माओं ने परेशान किया है। उदाहरण के लिए, कोत दीवॉर में एक पुरुष ने यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल का अध्ययन किया और अपनी सभी तावीज़ें नष्ट कर दीं। उसके बाद, उसने अच्छी प्रगति की, यहोवा को अपना जीवन समर्पित किया, और बपतिस्मा लिया। लेकिन उसके बपतिस्मे के एक सप्ताह बाद, पिशाचों ने फिर उसे परेशान करना शुरू कर दिया, और आवाज़ों ने उसे कहा कि वह अपना नव-प्राप्त विश्‍वास त्याग दे। यदि आपके साथ ऐसा होता, तो क्या इसका अर्थ होता कि आपने यहोवा की सुरक्षा खो दी थी? ज़रूरी नहीं।

१९ जबकि परिपूर्ण मनुष्य यीशु मसीह के पास ईश्‍वरीय सुरक्षा थी, उसे दुष्ट आत्मिक प्राणी शैतान, अर्थात इब्‌लीस की आवाज़ सुनायी दी। यीशु ने दिखाया कि ऐसे समय में क्या करना चाहिए। उसने इब्‌लीस को कहा: “हे शैतान दूर हो जा।” (मत्ती ४:३-१०) उसी रीति से, आपको आत्मिक लोक से आवाज़ें सुनने से इनकार करना चाहिए। मदद के लिए यहोवा को पुकारने के द्वारा दुष्टात्माओं का विरोध कीजिए। जी हाँ, परमेश्‍वर का नाम प्रयोग करके ज़ोर से प्रार्थना कीजिए। नीतिवचन १८:१० कहता है: “यहोवा का नाम दृढ़ कोट है; धर्मी उस में भागकर सब दुर्घटनाओं से बचता है।” कोत दीवॉर में उस मसीही पुरुष ने ऐसा ही किया, और दुष्टात्माओं ने उसे उत्पीड़ित करना छोड़ दिया।—भजन १२४:८; १४५:१८.

२०. सारांश में, दुष्टात्माओं का विरोध करने के लिए आप क्या कर सकते हैं?

२० यहोवा ने दुष्टात्माओं को अस्तित्व में रहने दिया है, लेकिन वह अपनी शक्‍ति ख़ासकर अपने लोगों के लिए दिखाता है, और उसका नाम पूरी पृथ्वी पर घोषित किया जा रहा है। (निर्गमन ९:१६) यदि आप परमेश्‍वर के निकट रहते हैं, तो आपको दुष्टात्माओं से डरने की ज़रूरत नहीं। (गिनती २३:२१, २३; याकूब ४:७, ८; २ पतरस २:९) उनकी शक्‍ति सीमित है। उन्हें नूह के समय में दण्ड दिया गया था, हाल के समय में स्वर्ग से निकाल दिया गया है, और अब अन्तिम न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं। (यहूदा ६; प्रकाशितवाक्य १२:९; २०:१-३, ७-१०, १४) असल में, उन्हें अपने आनेवाले विनाश से दहशत है। (याकूब २:१९) सो दुष्टात्माएँ आपको चाहे किसी क़िस्म के प्रलोभन से आकर्षित करने की कोशिश करें या किसी तरह आप के ऊपर आक्रमण करें, आप उनका विरोध कर सकते हैं। (२ कुरिन्थियों २:११) प्रेतात्मवाद के हर रूप से दूर रहिए, परमेश्‍वर के वचन की सलाह पर अमल कीजिए, और यहोवा का अनुमोदन पाने की कोशिश कीजिए। बिना देर किए ऐसा कीजिए, क्योंकि आपका जीवन आपके द्वारा दुष्ट आत्मिक शक्‍तियों का विरोध करने पर निर्भर है!

अपने ज्ञान को जाँचिए

दुष्टात्माएँ लोगों को कैसे पथभ्रष्ट करने की कोशिश करती हैं?

बाइबल प्रेतात्मवाद की निन्दा क्यों करती है?

एक व्यक्‍ति दुष्ट आत्मिक शक्‍तियों से कैसे मुक्‍त हो सकता है?

आपको दुष्टात्माओं का विरोध क्यों करते रहना चाहिए?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 110 पर तसवीर]

प्रेतात्मवाद को उसके अनेक रूपों में आप किस दृष्टि से देखते हैं?