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परमेश्‍वर के लोगों के बीच सुरक्षा पाइए

परमेश्‍वर के लोगों के बीच सुरक्षा पाइए

अध्याय १७

परमेश्‍वर के लोगों के बीच सुरक्षा पाइए

१, २. मानवजाति की स्थिति एक तूफ़ान से तहस-नहस हुए क्षेत्र के लोगों के समान कैसे है?

कल्पना कीजिए कि एक प्रचंड तूफ़ान ने आपके क्षेत्र को तस-नहस कर दिया है। आपका घर बरबाद हो गया, और आपकी सारी सम्पत्ति चली गयी। भोजन की कमी है। स्थिति आशाहीन प्रतीत होती है। तब, अचानक राहत सामग्री पहुँचती है। भोजन और कपड़े बहुतायत में प्रदान किए जाते हैं। आपके लिए नया घर बनाया जाता है। निश्‍चित ही आप उस व्यक्‍ति के आभारी होंगे जिसने ये प्रबन्ध किए।

आज इसी से मिलता-जुलता कार्य हो रहा है। उस तूफ़ान की तरह, आदम और हव्वा के विद्रोह ने मनुष्यजाति को बहुत क्षति पहुँचायी। मानवजाति का परादीस घर चला गया। तब से, मानव सरकारें लोगों को युद्ध, अपराध, और अन्याय से बचाने में असफल रही हैं। धर्म ने बहुसंख्या में लोगों को हितकर आध्यात्मिक भोजन के लिए तरसता हुआ छोड़ा है। लेकिन, आध्यात्मिक रूप से कहें तो यहोवा परमेश्‍वर अभी भोजन, वस्त्र, और आश्रय प्रदान कर रहा है। वह ऐसा कैसे कर रहा है?

“विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास”

३. यहोवा मानवजाति के लिए प्रबन्ध कैसे करता है, और यह किन उदाहरणों से दिखाया गया है?

राहत सामग्री सामान्यतः एक संगठित माध्यम के द्वारा बाँटी जाती है, और उसी तरह यहोवा ने भी अपने लोगों के लिए आध्यात्मिक प्रबन्ध किया है। उदाहरण के लिए, लगभग १,५०० सालों तक इस्राएली “यहोवा की मण्डली” थे। उनके बीच वे लोग थे जिन्होंने परमेश्‍वर की व्यवस्था सिखाने के लिए उसके माध्यम के रूप में कार्य किया। (१ इतिहास २८:८; २ इतिहास १७:७-९) सामान्य युग प्रथम शताब्दी में, यहोवा ने मसीही संगठन स्थापित किया। कलीसियाएँ बनायी गयीं, और उन्होंने प्रेरितों और प्राचीनों से बने शासी निकाय के निर्देशन के अधीन कार्य किया। (प्रेरितों १५:२२-३१) उसी तरह आज, यहोवा अपने लोगों के साथ एक संगठित निकाय के द्वारा व्यवहार करता है। हम यह कैसे जानते हैं?

४. आधुनिक समय में “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” कौन साबित हुआ है, और परमेश्‍वर के आध्यात्मिक प्रबन्ध कैसे उपलब्ध कराए गए हैं?

यीशु ने कहा कि राज्य सत्ता में उसकी उपस्थिति के समय, “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” उसके अनुयायियों को ‘समय पर भोजन’ देता हुआ पाया जाता। (मत्ती २४:४५-४७) जब १९१४ में यीशु को स्वर्गीय राजा के रूप में पदासीन किया गया, तब कौन यह “दास” साबित हुआ? निश्‍चित ही मसीहीजगत का पादरीवर्ग नहीं। अधिकांशतः, वे अपने झुण्ड को उस प्रचार से पोषित कर रहे थे जो प्रथम विश्‍व युद्ध में स्वयं उनकी राष्ट्रीय सरकारों के समर्थन में था। लेकिन उपयुक्‍त और समयोचित आध्यात्मिक भोजन सच्चे मसीहियों के उस समूह द्वारा बाँटा जा रहा था जो परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा से अभिषिक्‍त थे और यीशु द्वारा कहे “छोटे झुण्ड” का भाग थे। (लूका १२:३२) इन अभिषिक्‍त मसीहियों ने मनुष्य की सरकारों के बजाय परमेश्‍वर के राज्य का प्रचार किया। फलस्वरूप, सालों के दौरान, धर्मी प्रवृत्ति की लाखों ‘अन्य भेड़ें’ सच्चे धर्म का पालन करने में अभिषिक्‍त “दास” के साथ मिल गयी हैं। (यूहन्‍ना १०:१६, NW) ‘विश्‍वासयोग्य दास’ और उसके वर्तमान-समय शासी निकाय को प्रयोग करके परमेश्‍वर अपने संगठित लोगों को निर्देशित करता है कि उन लोगों के लिए आध्यात्मिक भोजन, वस्त्र, और आश्रय उपलब्ध कराएँ जो इन चीज़ों को प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं।

‘समय पर भोजन’

५. आज संसार में कैसी आध्यात्मिक स्थिति है, लेकिन इसके बारे में यहोवा क्या कर रहा है?

यीशु ने कहा: “मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्‍वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा।” (मत्ती ४:४) लेकिन, दुःख की बात है कि अधिकांश लोग परमेश्‍वर के वचनों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। जैसा यहोवा के भविष्यवक्‍ता आमोस ने पूर्वबताया, ‘एक अकाल है, यह अकाल रोटी या पानी का नहीं वरन्‌ यहोवा के वचन सुनने का है।’ (आमोस ८:११, NHT) अति धार्मिक लोग भी आध्यात्मिक रूप से भूखे मर रहे हैं। फिर भी, यहोवा की इच्छा है कि “सब मनुष्यों का उद्धार हो; और वे सत्य को भली भांति पहचान लें।” (१ तीमुथियुस २:३, ४) तदनुसार, वह बहुतायत में आध्यात्मिक भोजन प्रदान कर रहा है। लेकिन यह कहाँ प्राप्त किया जा सकता है?

६. बीते समय में यहोवा ने अपने लोगों को आध्यात्मिक रूप से कैसे पोषित किया है?

पूरे इतिहास में, यहोवा ने अपने लोगों को सामूहिक रूप से आध्यात्मिक भोजन दिया है। (यशायाह ६५:१३) उदाहरण के लिए, इस्राएली याजक परमेश्‍वर की व्यवस्था के सामूहिक उपदेश के लिए पुरुषों, स्त्रियों और बच्चों को इकट्ठा करते थे। (व्यवस्थाविवरण ३१:९, १२) शासी निकाय के निर्देशन के अधीन, प्रथम-शताब्दी मसीहियों ने कलीसियाएँ संगठित कीं और सभी के उपदेश और प्रोत्साहन के लिए सभाएँ आयोजित कीं। (रोमियों १६:५; फिलेमोन १, २) यहोवा के साक्षी इस नमूने की नक़ल करते हैं। उनकी सभी सभाओं में उपस्थित होने के लिए आपको हार्दिक निमंत्रण है।

७. मसीही सभाओं में नियमित उपस्थिति ज्ञान और विश्‍वास के साथ कैसे सम्बन्धित है?

निःसंदेह, आप बाइबल के अपने व्यक्‍तिगत अध्ययन में शायद काफ़ी कुछ सीख चुके होंगे। संभवतः किसी ने आपकी मदद की है। (प्रेरितों ८:३०-३५) लेकिन आपके विश्‍वास की समानता एक ऐसे पौधे से की जा सकती है जो उपयुक्‍त देखभाल न किए जाने पर कुम्हलाकर मर जाएगा। अतः, आपको सही आध्यात्मिक पोषण मिलना चाहिए। (१ तीमुथियुस ४:६) मसीही सभाएँ ऐसे उपदेश का सतत कार्यक्रम प्रदान करती हैं जो आपको आध्यात्मिक रूप से पोषित करने के लिए रचा गया है, और यह जैसे-जैसे आप परमेश्‍वर के ज्ञान में बढ़ते जाते हैं वैसे-वैसे विश्‍वास में बढ़ते जाने में आपकी मदद करने के लिए भी रचा गया है।—कुलुस्सियों १:९, १०.

८. हमें यहोवा के साक्षियों की सभाओं में उपस्थित होने के लिए क्यों प्रोत्साहित किया जाता है?

सभाएँ एक और अति महत्त्वपूर्ण उद्देश्‍य पूरा करती हैं। पौलुस ने लिखा: “प्रेम, और भले कामों में उस्काने के लिये एक दूसरे की चिन्ता किया करें। और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें।” (इब्रानियों १०:२४, २५) “उस्काने के लिये” अनुवादित यूनानी शब्द का अर्थ “तेज़ करना” भी हो सकता है। बाइबल का एक नीतिवचन कहता है: “जैसे लोहा, लोहे को तेज़ करता है, वैसे ही मनुष्य, मनुष्य को सुधारता है।” (नीतिवचन २७:१७, NHT) हम सब को निरन्तर ‘तेज़ किए जाने’ की ज़रूरत है। संसार से आए दैनिक दबाव हमारे विश्‍वास को मन्द कर सकते हैं। जब हम मसीही सभाओं में उपस्थित होते हैं, तो प्रोत्साहन की अदला-बदली होती है। (रोमियों १:११, १२) कलीसिया के सदस्य प्रेरित पौलुस की सलाह को मानते हैं कि “एक दूसरे को शान्ति दो, और एक दूसरे की उन्‍नति के कारण बनो,” और ऐसी बातें हमारे विश्‍वास को तेज़ करती हैं। (१ थिस्सलुनीकियों ५:११) मसीही सभाओं में नियमित हाज़िरी यह भी दिखाती है कि हम परमेश्‍वर से प्रेम करते हैं और हमें उसकी स्तुति करने के अवसर देती है।—भजन ३५:१८.

‘प्रेम को धारण कर लो’

९. प्रेम प्रदर्शित करने में यहोवा ने कैसे उदाहरण रखा है?

पौलुस ने लिखा: “प्रेम को, जो एकता का सिद्ध बन्ध है, धारण कर लो।” (कुलुस्सियों ३:१४, NHT) यहोवा ने दयालुता से हमारे लिए यह वस्त्र प्रदान किया है। किस प्रकार? मसीही लोग प्रेम प्रदर्शित कर सकते हैं क्योंकि यह यहोवा की पवित्र आत्मा का एक परमेश्‍वर-प्रदत्त फल है। (गलतियों ५:२२, २३) स्वयं यहोवा ने अपने एकलौते पुत्र को भेजने के द्वारा सर्वश्रेष्ठ प्रेम प्रदर्शित किया है ताकि हम अनन्त जीवन पा सकें। (यूहन्‍ना ३:१६) प्रेम के इस सर्वोच्च प्रदर्शन ने इस गुण को व्यक्‍त करने में हमारे लिए एक आदर्श प्रदान किया है। “जब परमेश्‍वर ने हम से ऐसा प्रेम किया,” प्रेरित यूहन्‍ना ने लिखा, “तो हम को भी आपस में प्रेम रखना चाहिए।”—१ यूहन्‍ना ४:११.

१०. हम “भाइयों के सम्पूर्ण संघ” से कैसे लाभ उठा सकते हैं?

१० राज्यगृह में सभाओं में आपका उपस्थित होना आपको प्रेम दिखाने का अत्युत्तम अवसर देगा। वहाँ आप विविध प्रकार के लोगों से मिलेंगे। इसमें कोई संदेह नहीं कि उनमें से कुछ की ओर आप फ़ौरन आकर्षित हो जाएँगे। निःसंदेह, यहोवा की सेवा करनेवालों के बीच भी व्यक्‍तित्व भिन्‍न होते हैं। संभवतः अतीत में आप ऐसे लोगों से कतराते हों जिनके शौक़ या स्वभाव आपके समान नहीं थे। लेकिन, मसीहियों को ‘भाइयों के सम्पूर्ण संघ के लिए प्रेम रखना’ है। (१ पतरस २:१७, NW) इसलिए, राज्यगृह में लोगों के साथ परिचित होना अपना लक्ष्य बनाइए—उनके साथ भी जिनकी उम्र, व्यक्‍तित्व, जाति, या शिक्षा-स्तर शायद आपसे भिन्‍न हो। संभवतः आप पाएँगे कि हरेक में कोई प्रीतिकर गुण विशेष रूप से है।

११. यहोवा के लोगों के बीच विविध प्रकार के व्यक्‍तित्वों से आपको क्यों परेशान नहीं होना चाहिए?

११ कलीसिया में व्यक्‍तित्वों की विविधता से आपको परेशान होने की ज़रूरत नहीं। उदाहरण के लिए, कल्पना कीजिए कि मार्ग पर आपके साथ-साथ अनेकों गाड़ियाँ सफ़र कर रही हैं। सभी एक रत्नतार से नहीं चल रहीं, न ही सब एक जैसी अवस्था में हैं। कुछ ने मीलों दूरी तय की है, लेकिन कुछ ने आपकी तरह, अभी-अभी सफ़र शुरू किया है। परन्तु, इन भिन्‍नताओं की परवाह किए बिना, मार्ग पर सभी सफ़र कर रही हैं। यह उन व्यक्‍तियों के बारे में भी सही है जिनसे एक कलीसिया बनती है। सभी एक रत्नतार से मसीही गुण विकसित नहीं करते। इसके अलावा, सभी एक जैसी शारीरिक अथवा भावात्मक अवस्था में नहीं हैं। कुछ लोग बहुत सालों से यहोवा की उपासना कर रहे हैं; दूसरों ने अभी-अभी शुरू की है। फिर भी, सभी अनन्त जीवन के मार्ग पर सफ़र कर रहे हैं, ‘एक ही मन और एक ही मत होकर मिले हुए हैं।’ (१ कुरिन्थियों १:१०) इसलिए, कलीसिया के लोगों की कमज़ोरियाँ देखने के बजाय उनकी ख़ूबियाँ देखिए। ऐसा करने से आपका हृदय प्रसन्‍न होगा, क्योंकि आपको एहसास होगा कि परमेश्‍वर सचमुच इन लोगों के बीच में है। और निश्‍चित ही आप यहीं होना चाहते हैं।—१ कुरिन्थियों १४:२५.

१२, १३. (क) यदि कलीसिया में कोई व्यक्‍ति आपको नाराज़ कर देता है, तो आप क्या कर सकते हैं? (ख) मनमुटाव नहीं बनाए रखना क्यों महत्त्वपूर्ण है?

१२ चूँकि सभी मनुष्य अपरिपूर्ण हैं, हो सकता है कि कलीसिया में कोई कभी कुछ ऐसा कह दे या कर दे जो आपको परेशान करता है। (रोमियों ३:२३) शिष्य याकूब ने यथार्थता से लिखा: “हम सब बहुत बार चूक जाते हैं: जो कोई वचन में नहीं चूकता, वही तो सिद्ध मनुष्य है।” (याकूब ३:२) यदि कोई आपको नाराज़ कर देता है तो आप कैसी प्रतिक्रिया दिखाएँगे? बाइबल का एक नीतिवचन कहता है: “जो मनुष्य बुद्धि [“अंतर्दृष्टि,” NW] से चलता है वह विलम्ब से क्रोध करता है, और अपराध को भुलाना उसको सोहता है।” (नीतिवचन १९:११) अंतर्दृष्टि होने का अर्थ है एक स्थिति के पीछे क्या है उसे देखना, उन मूल तत्त्वों को समझना जो एक व्यक्‍ति को अमुक ढंग से बोलने या व्यवहार करने के लिए प्रेरित करते हैं। हम में से अधिकांश जन अपनी ग़लतियों की सफ़ाई देने में काफ़ी अंतर्दृष्टि प्रयोग करते हैं। क्यों न इसे दूसरों की अपरिपूर्णताओं को समझने और ढाँपने के लिए भी प्रयोग करें?—मत्ती ७:१-५; कुलुस्सियों ३:१३.

१३ कभी मत भूलिए कि यदि हमें यहोवा की क्षमा प्राप्त करनी है तो हमें दूसरों को क्षमा करना है। (मत्ती ६:९, १२, १४, १५) यदि हम सत्य पर चल रहे हैं तो हम दूसरों के साथ प्रेममय रीति से व्यवहार करेंगे। (१ यूहन्‍ना १:६, ७; ३:१४-१६; ४:२०, २१) इसलिए, यदि कलीसिया में आपको किसी व्यक्‍ति से कोई समस्या हो जाती है, तो मनमुटाव बनाए रखने की प्रवृत्ति के विरुद्ध लड़िए। यदि आपने प्रेम को धारण किया हुआ है, तो आप समस्या को सुलझाने का प्रयास करेंगे, और यदि आप नाराज़गी का कारण हैं तो आप क्षमा माँगने से हिचकिचाएँगे नहीं।—मत्ती ५:२३, २४; १८:१५-१७.

१४. हमें कौन-से गुण धारण करने चाहिए?

१४ हमारे आध्यात्मिक वस्त्रों में प्रेम के साथ निकटता से जुड़े हुए अन्य गुण भी सम्मिलित होने चाहिए। पौलुस ने लिखा: “बड़ी करुणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो।” प्रेम में सम्मिलित ये विशेषताएँ धर्म-परायण “नए मनुष्यत्व” का भाग हैं। (कुलुस्सियों ३:१०, १२) क्या आप इन्हें धारण करने का प्रयास करेंगे? ख़ासकर यदि आप भाईचारे का प्रेम धारण करते हैं तो आप के पास यीशु के शिष्यों का पहचान चिन्ह होगा, क्योंकि उसने कहा: “यदि आपस में प्रेम रखोगे तो इसी से सब जानेंगे, कि तुम मेरे चेले हो।”—यूहन्‍ना १३:३५.

सुरक्षा का स्थान

१५. कलीसिया एक आश्रय के समान कैसे है?

१५ कलीसिया एक आश्रय, रक्षात्मक शरण के रूप में भी कार्य करती है, जहाँ आप सुरक्षित महसूस कर सकते हैं। इसमें आपको सत्हृदयी लोग मिलेंगे जो परमेश्‍वर की दृष्टि में सही कार्य करने का प्रयास कर रहे हैं। उनमें से अनेक लोगों ने उन बुरी आदतों और मनोवृत्तियों को छोड़ा है जिन पर जीत पाने के लिए आप शायद संघर्ष कर रहे हों। (तीतुस ३:३) वे आपकी मदद कर सकते हैं, क्योंकि हमें कहा गया है कि “एक दूसरे के भार उठाओ।” (गलतियों ६:२) स्वाभाविक है कि उस मार्ग पर चलना जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है अन्ततः आपकी अपनी ज़िम्मेदारी है। (गलतियों ६:५; फिलिप्पियों २:१२) फिर भी, यहोवा ने मसीही कलीसिया को सहायता और सहारे के एक उत्कृष्ट माध्यम के रूप में प्रदान किया है। चाहे आपकी समस्याएँ कितनी ही कष्टकर क्यों न हों, आपके लिए एक मूल्यवान साधन उपलब्ध है—एक प्रेममय कलीसिया जो मुसीबत या तंगहाली के समय में आपका साथ देगी।—लूका १०:२९-३७; प्रेरितों २०:३५ से तुलना कीजिए।

१६. कलीसिया प्राचीन क्या सहायता प्रदान करते हैं?

१६ जो आपकी मदद के लिए उपलब्ध होंगे उनमें “मनुष्यों में भेंट” अर्थात्‌ कलीसिया के नियुक्‍त प्राचीन, या ओवरसियर सम्मिलित हैं, जो स्वेच्छा और उत्सुकता से झुण्ड की रखवाली करते हैं। (इफिसियों ४:८, ११, १२, NW; प्रेरितों २०:२८; १ पतरस ५:२, ३) उनके बारे में यशायाह ने भविष्यवाणी की: “हर एक मानो आंधी से छिपने का स्थान, और बौछार से आड़ होगा; या निर्जल देश में जल के झरने, व तप्त भूमि में बड़ी चट्टान की छाया।”—यशायाह ३२:२.

१७. (क) यीशु ख़ासकर किस क़िस्म की मदद देना चाहता था? (ख) परमेश्‍वर ने अपने लोगों के लिए क्या प्रबन्ध करने की प्रतिज्ञा की?

१७ जब यीशु पृथ्वी पर था, तब धार्मिक अगुओं द्वारा प्रेममय निगरानी की दुःखद रूप से कमी थी। लोगों की स्थिति उसे गहराई तक छू गयी, और वह ख़ासकर आध्यात्मिक रूप से उनकी मदद करना चाहता था। यीशु ने उन पर तरस खाया क्योंकि “वे उन भेड़ों की नाईं जिनका कोई रखवाला न हो, ब्याकुल और भटके हुए से थे।” (मत्ती ९:३६) यह वर्तमान-समय के अनेक लोगों की दुर्दशा का कितना उपयुक्‍त ढंग से वर्णन करता है जो हृदयविदारक समस्याओं को सहते हैं और जिनका कोई नहीं जिसके पास वे आध्यात्मिक मदद और सांत्वना के लिए जाएँ! लेकिन यहोवा के लोगों के पास आध्यात्मिक सहायता है, क्योंकि उसने प्रतिज्ञा की: “मैं उनके लिये चरवाहे नियुक्‍त करूंगा जो उन्हें चराएंगे; और तब वे न तो फिर डरेंगी, न विस्मित होंगी और न उन में से कोई खो जाएगी।”—यिर्मयाह २३:४.

१८. यदि हमें आध्यात्मिक मदद की ज़रूरत है तो हमें किसी प्राचीन के पास क्यों जाना चाहिए?

१८ कलीसिया में नियुक्‍त प्राचीनों से जान-पहचान कीजिए। उनके पास परमेश्‍वर के ज्ञान को लागू करने का काफ़ी अनुभव है, क्योंकि उन्होंने ओवरसियरों के लिए बाइबल में दी गयी योग्यताओं को पूरा किया है। (१ तीमुथियुस ३:१-७; तीतुस १:५-९) यदि आपको एक ऐसी आदत या कमज़ोरी पर जीत पाने के लिए आध्यात्मिक मदद की ज़रूरत है जो परमेश्‍वर की माँगों के विरोध में है, तो उनमें से किसी के पास जाने से मत हिचकिचाइए। आप पाएँगे कि प्राचीन पौलुस की सलाह को मानते हैं: “हताश प्राणों से सांत्वनापूर्वक बोलो, कमज़ोरों को सहारा दो, सब के प्रति सहनशील बनो।”—१ थिस्सलुनीकियों २:७, ८; ५:१४, NW.

यहोवा के लोगों के साथ सुरक्षा का आनन्द लीजिए

१९. जो यहोवा के संगठन के अन्दर सुरक्षा ढूँढते हैं उनको उसने क्या आशिषें दी हैं?

१९ जबकि हम अभी अपूर्ण परिस्थितियों के बीच रहते हैं, यहोवा हमें आध्यात्मिक भोजन, वस्त्र, और आश्रय प्रदान करता है। निःसंदेह, हमें भौतिक परादीस के लाभों का अनुभव करने के लिए परमेश्‍वर के प्रतिज्ञात नए संसार की प्रतीक्षा करने की ज़रूरत है। लेकिन जो यहोवा के संगठन का भाग हैं वे अभी एक आध्यात्मिक परादीस की सुरक्षा का आनन्द ले रहे हैं। उनके बारे में यहेजकेल ने भविष्यवाणी की: “वे निडर रहेंगे, और उनको कोई न डराएगा।”—यहेजकेल ३४:२८; भजन ४:८.

२०. यहोवा की उपासना के लिए हम जो भी बलिदान करते हैं उसकी क्षतिपूर्ति वह कैसे करेगा?

२० हम कितने आभारी हो सकते हैं कि यहोवा अपने वचन और संगठन के द्वारा प्रेममय आध्यात्मिक प्रबन्ध करता है! परमेश्‍वर के लोगों के निकट आइए। इस डर से पीछे मत हटिए कि आपके बारे में मित्र या रिश्‍तेदार क्या सोचेंगे क्योंकि आप परमेश्‍वर का ज्ञान ले रहे हैं। कुछ लोग इसलिए नापसन्द करेंगे क्योंकि आप यहोवा के साक्षियों के साथ संगति कर रहे हैं और राज्यगृह में सभाओं में उपस्थित हो रहे हैं। लेकिन परमेश्‍वर की उपासना के लिए आप जो भी बलिदान करते हैं वह उदारता से उसकी क्षतिपूर्ति करेगा। (मलाकी ३:१०) इसके अतिरिक्‍त, यीशु ने कहा: “ऐसा कोई नहीं, जिस ने मेरे और सुसमाचार के लिये घर या भाइयों या बहिनों या माता या पिता या लड़के-बालों या खेतों को छोड़ दिया हो। और अब इस समय सौ गुणा न पाए, घरों और भाइयों और बहिनों और माताओं और लड़के-बालों और खेतों को पर उपद्रव के साथ और परलोक [“आनेवाली रीति-व्यवस्था,” NW] में अनन्त जीवन।” (मरकुस १०:२९, ३०) जी हाँ, चाहे आपने पीछे जो भी छोड़ा हो या आपको सहना पड़ता है, आप परमेश्‍वर के लोगों के बीच आनन्दपूर्ण संगति और आध्यात्मिक सुरक्षा पा सकते हैं।

अपने ज्ञान को जाँचिए

“विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” कौन है?

आध्यात्मिक रूप से हमें पोषित करने के लिए यहोवा ने क्या प्रबंध किया है?

मसीही कलीसिया के लोग हमारी मदद कैसे कर सकते हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 165 पर बड़ी तसवीर दी गयी है]