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सच्चा परमेश्‍वर कौन है?

सच्चा परमेश्‍वर कौन है?

अध्याय ३

सच्चा परमेश्‍वर कौन है?

१. अनेक लोग बाइबल के प्रारंभिक शब्दों से क्यों सहमत हैं?

जब आप एक खुली रात को आसमान की ओर देखते हैं तो क्या आप इतने सारे तारे देखकर हैरान नहीं होते? आप उनके अस्तित्व को कैसे समझाएँगे? और पृथ्वी पर जीवित वस्तुओं के बारे में क्या—रंग-बिरंगे फूल, पक्षी और उनका मधुर संगीत, समुद्र में उछलती हुई शक्‍तिशाली ह्वेल? सूची अन्तहीन है। यह सब संयोग से नहीं आ सकता था। इसमें कोई आश्‍चर्य नहीं कि अनेक लोग बाइबल के प्रारंभिक शब्दों से सहमत हैं: “आदि में परमेश्‍वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की”!—उत्पत्ति १:१.

२. बाइबल परमेश्‍वर के बारे में क्या कहती है, और यह हमें क्या करने के लिए प्रोत्साहित करती है?

परमेश्‍वर के बारे में मानवजाति के बीच अनेक भिन्‍न धारणाएँ हैं। कुछ लोग सोचते हैं कि परमेश्‍वर एक अवैयक्‍तिक शक्‍ति है। करोड़ों लोग यह विश्‍वास करते हुए मृत पूर्वजों की उपासना करते हैं कि परमेश्‍वर पहुँच से बहुत दूर है। लेकिन बाइबल प्रकट करती है कि सच्चा परमेश्‍वर एक वास्तविक व्यक्‍ति है जो हम में व्यक्‍तियों के रूप में स्नेही दिलचस्पी दिखाता है। इसीलिए यह हमें प्रोत्साहित करती है कि “परमेश्‍वर को ढूंढ़ें,” और कहती है: ‘वह हम में से किसी से दूर नहीं।’—प्रेरितों १७:२७.

३. परमेश्‍वर की प्रतिमा बनाना क्यों असंभव है?

परमेश्‍वर देखने में कैसा है? उसके कुछ ही सेवकों ने उसकी महिमावान्‌ उपस्थिति के दर्शन देखे हैं। इनमें उसने अपने आपको सिंहासन पर बैठा हुआ चित्रित किया है और उसमें से बहुत तेज निकल रहा है। लेकिन, जिन्होंने ऐसे दर्शन देखे उन्होंने कभी एक स्पष्ट चेहरे का वर्णन नहीं किया। (दानिय्येल ७:९, १०; प्रकाशितवाक्य ४:२, ३) ऐसा इसलिए है क्योंकि “परमेश्‍वर आत्मा है”; उसके पास भौतिक देह नहीं है। (यूहन्‍ना ४:२४) असल में, हमारे सृष्टिकर्ता की यथार्थ भौतिक प्रतिमा बनाना असंभव है, क्योंकि “परमेश्‍वर को किसी ने कभी नहीं देखा।” (यूहन्‍ना १:१८; निर्गमन ३३:२०) फिर भी, बाइबल हमें परमेश्‍वर के बारे में बहुत कुछ सिखाती है।

सच्चे परमेश्‍वर का एक नाम है

४. बाइबल में परमेश्‍वर के लिए कौन-सी कुछ अर्थपूर्ण उपाधियाँ प्रयोग की गयी हैं?

बाइबल में “सर्वशक्‍तिमान्‌ ईश्‍वर,” “परमप्रधान,” “महान सृजनहार,” “महान उपदेशक,” “सर्वसत्ताधारी प्रभु,” और “सनातन राजा” जैसी अभिव्यक्‍तियों से सच्चे परमेश्‍वर की पहचान करायी गयी है। (उत्पत्ति १७:१; भजन ५०:१४; सभोपदेशक १२:१, NW; यशायाह ३०:२०, NW; प्रेरितों ४:२४, NW; १ तीमुथियुस १:१७) ऐसी उपाधियों पर मनन करना परमेश्‍वर के ज्ञान में बढ़ने में हमारी मदद कर सकता है।

५. परमेश्‍वर का क्या नाम है, और यह इब्रानी शास्त्र में कितनी बार आता है?

लेकिन, परमेश्‍वर का एक अद्वितीय नाम है जो केवल इब्रानी शास्त्र में ही लगभग ७,००० बार आता है—उसकी किसी भी उपाधि से अधिक बार। लगभग १,९०० साल पहले, यहूदियों ने अन्धविश्‍वास से परमेश्‍वरीय नाम का उच्चारण करना बन्द कर दिया। बाइबलीय इब्रानी बिना स्वरों के लिखी जाती थी। अतः, ठीक-ठीक यह जानने का कोई भी तरीक़ा नहीं है कि मूसा, दाऊद, या प्राचीन समय के अन्य लोग इन चार व्यंजनों (יהוה) का उच्चारण कैसे करते थे, जिनसे परमेश्‍वरीय नाम बनता है। कुछ विद्वान कहते हैं कि परमेश्‍वर के नाम का उच्चारण शायद “याहवेह” किया जाता हो, लेकिन वे निश्‍चित नहीं हैं। लेकिन हिन्दी उच्चारण “यहोवा” और अनेक भाषाओं में इसका तुल्य शब्द शताब्दियों से प्रयोग हो रहा है और आज विस्तृत रूप से स्वीकार किया जाता है।—निर्गमन ६:३ और यशायाह २६:४ देखिए।

आपको परमेश्‍वर का नाम क्यों प्रयोग करना चाहिए

६. भजन ८३:१८ यहोवा के बारे में क्या कहता है, और हमें उसका नाम क्यों प्रयोग करना चाहिए?

परमेश्‍वर का अद्वितीय नाम, यहोवा उसको अन्य सभी ईश्‍वरों से भिन्‍न दिखाने का कार्य करता है। इसीलिए वह नाम बाइबल में, ख़ासकर इब्रानी पाठ में इतनी बार आता है। अनेक अनुवादक परमेश्‍वरीय नाम का प्रयोग करने से चूक जाते हैं, लेकिन भजन ८३:१८ स्पष्ट रूप से कहता है: “केवल तू जिसका नाम यहोवा है, सारी पृथ्वी के ऊपर परमप्रधान है।” सो यह हमारे लिए उपयुक्‍त है कि जब हम परमेश्‍वर के बारे में बात करते हैं तो उसके व्यक्‍तिगत नाम का प्रयोग करें।

७. यहोवा नाम का अर्थ हमें परमेश्‍वर के बारे में क्या सिखाता है?

यहोवा नाम एक इब्रानी क्रिया-पद है जिसका अर्थ है “अस्तित्व में आना।” अतः, परमेश्‍वर के नाम का अर्थ है “वह अस्तित्व में लाता है।” इस प्रकार यहोवा परमेश्‍वर अपनी पहचान महान उद्देष्टा के रूप में कराता है। वह हमेशा अपने उद्देश्‍यों को वास्तविकता बनाता है। सही अर्थ में केवल सच्चा परमेश्‍वर यह नाम धारण कर सकता है, क्योंकि मनुष्य कभी निश्‍चित नहीं हो सकते कि उनकी योजनाएँ सफल होंगी। (याकूब ४:१३, १४) केवल यहोवा ही कह सकता है: “उसी प्रकार से मेरा वचन भी होगा जो मेरे मुख से निकलता है; . . . जिस काम के लिये मैं ने उसको भेजा है उसे वह सुफल करेगा।”—यशायाह ५५:११.

८. यहोवा ने मूसा के द्वारा क्या उद्देश्‍य घोषित किया?

इब्रानी कुलपिता इब्राहीम, इसहाक, और याक़ूब ने “यहोवा से प्रार्थना की,” लेकिन वे परमेश्‍वरीय नाम का पूरा महत्त्व नहीं जानते थे। (उत्पत्ति २१:३३; २६:२५; ३२:९; निर्गमन ६:३) बाद में जब यहोवा ने उनके वंशज, इस्राएलियों को मिस्र की दासता से छुड़ाने और उन्हें एक ऐसा देश देने का अपना उद्देश्‍य प्रकट किया “जिस में दूध और मधु की धारा बहती है,” तो यह शायद असंभव प्रतीत हुआ हो। (निर्गमन ३:१७) फिर भी, परमेश्‍वर ने अपने भविष्यवक्‍ता मूसा को यह कहने के द्वारा अपने नाम के अनन्त महत्त्व पर ज़ोर दिया: “तू इस्राएलियों से यह कहना, कि तुम्हारे पितरों का परमेश्‍वर, अर्थात्‌ इब्राहीम का परमेश्‍वर, इसहाक का परमेश्‍वर, और याक़ूब का परमेश्‍वर, यहोवा, उसी ने मुझ को तुम्हारे पास भेजा है। देख, सदा तक मेरा नाम यही रहेगा, और पीढ़ी पीढ़ी में मेरा स्मरण इसी से हुआ करेगा।”—निर्गमन ३:१५.

९. फ़िरौन ने यहोवा को किस दृष्टि से देखा?

मूसा ने मिस्र के राजा, फ़िरौन से कहा कि इस्राएलियों को वीराने में यहोवा की उपासना करने के लिए जाने दे। लेकिन फ़िरौन ने, जिसे स्वयं एक ईश्‍वर समझा जाता था और जो अन्य मिस्री ईश्‍वरों की उपासना करता था, जवाब दिया: “यहोवा कौन है, कि मैं उसका वचन मानकर इस्राएलियों को जाने दूं? मैं यहोवा को नहीं जानता, और मैं इस्राएलियों को नहीं जाने दूंगा।”—निर्गमन ५:१, २.

१०. प्राचीन मिस्र में, इस्राएलियों से सम्बन्धित अपने उद्देश्‍य को पूरा करने के लिए यहोवा ने क्या कार्यवाही की?

१० तब यहोवा ने अपने उद्देश्‍य को पूरा करने के लिए क्रमिक कार्यवाही की, अतः अपने नाम के सामंजस्य में कार्य किया। वह प्राचीन मिस्रियों पर दस विपत्तियाँ लाया। अन्तिम विपत्ति ने मिस्र के सभी पहलौठों को मार डाला, जिसमें अहंकारी फ़िरौन का पुत्र भी सम्मिलित था। तब मिस्री चाहते थे कि इस्राएल जल्दी से जाए। लेकिन, कुछ मिस्री यहोवा के सामर्थ्य से इतने प्रभावित हुए कि जब इस्राएली मिस्र को छोड़ रहे थे तो वे उनके साथ हो लिए।—निर्गमन १२:३५-३८.

११. लाल समुद्र पर यहोवा ने कौन-सा चमत्कार किया, और उसके शत्रु क्या स्वीकार करने पर मजबूर हुए?

११ ज़िद्दी फ़िरौन और उसकी सेना ६०० युद्ध रथों के साथ उसके दासों को फिर से बन्दी बनाने के लिए निकल पड़े। जैसे ही मिस्री निकट आए, परमेश्‍वर ने चमत्कारिक रूप से लाल समुद्र को विभाजित कर दिया ताकि इस्राएली सूखी भूमि पर पार कर सकें। जब पीछा करनेवालों ने समुद्र की सतह में प्रवेश किया, तब यहोवा ने “उनके रथों के पहियों को निकाल डाला, जिससे उनका चलाना कठिन हो गया।” मिस्री योद्धा चिल्लाए: “आओ, हम इस्राएलियों के साम्हने से भागें; क्योंकि यहोवा उनकी ओर से मिस्रियों के विरुद्ध युद्ध कर रहा है।” लेकिन बहुत देर हो चुकी थी। जल की बड़ी दीवारों के पलटने से ‘रथ और सवार वरन फ़िरौन की सारी सेना उस में डूब गई।’ (निर्गमन १४:२२-२५, २८) अतः यहोवा ने अपने लिए बड़ा नाम कमाया, और उस घटना को लोग आज तक नहीं भूले हैं।—यहोशू २:९-११.

१२, १३. (क) परमेश्‍वर के नाम का आज हमारे लिए क्या अर्थ है? (ख) लोगों को जल्दी से जल्दी क्या सीखने की ज़रूरत है, और क्यों?

१२ परमेश्‍वर ने अपने लिए जो नाम कमाया है उसका आज हमारे लिए बड़ा अर्थ है। उसका नाम, यहोवा एक गारंटी के रूप में है कि वह सब कुछ जो उसने ठाना है उसे वह पूरा करेगा। इसमें उसके इस आरंभिक उद्देश्‍य की पूर्ति सम्मिलित है कि हमारी पृथ्वी एक परादीस बने। (उत्पत्ति १:२८; २:८) ऐसा करने के लिए, परमेश्‍वर की सर्वसत्ता का आज विरोध करनेवाले सभी लोगों को वह मिटा देगा, क्योंकि उसने कहा है: “उन्हें जानना पड़ेगा कि मैं यहोवा हूँ।” (यहेजकेल ३८:२३, NW) तब परमेश्‍वर धार्मिकता के एक नए संसार में अपने उपासकों को बचाकर ले जाने की अपनी प्रतिज्ञा पूरी करेगा।—२ पतरस ३:१३.

१३ उन सभी के लिए जो परमेश्‍वर का अनुग्रह चाहते हैं विश्‍वास के साथ उसका नाम लेना सीखना ज़रूरी है। बाइबल प्रतिज्ञा करती है: “जो कोई प्रभु [“यहोवा,” NW] का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा।” (रोमियों १०:१३) जी हाँ, यहोवा नाम बहुत अर्थपूर्ण है। अपने परमेश्‍वर और छुड़ानेवाले के रूप में यहोवा को पुकारना आपको अन्तहीन सुख की ओर ले जा सकता है।

सच्चे परमेश्‍वर के गुण

१४. बाइबल परमेश्‍वर के कौन-से मूल गुणों को विशिष्ट करती है?

१४ मिस्र से इस्राएल के छुटकारे का अध्ययन परमेश्‍वर के पूर्ण रूप से संतुलित चार मूल गुणों को विशिष्ट करता है। फ़िरौन के साथ उसके व्यवहार ने उसके विस्मयकारी सामर्थ्य को प्रकट किया। (निर्गमन ९:१६) उस जटिल स्थिति से निपटने के परमेश्‍वर के अतिकुशल ढंग ने उसकी अतुलनीय बुद्धि दिखायी। (रोमियों ११:३३) ज़िद्दी विरोधियों और अपने लोगों के सतानेवालों को दंड देने के द्वारा उसने अपना न्याय प्रकट किया। (व्यवस्थाविवरण ३२:४) परमेश्‍वर का एक प्रमुख गुण है प्रेम। इब्राहीम के वंशजों के सम्बन्ध में अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करने के द्वारा यहोवा ने उल्लेखनीय प्रेम दिखाया। (व्यवस्थाविवरण ७:८) उसने कुछ मिस्रियों को झूठे ईश्‍वरों को त्यागने तथा एकमात्र सच्चे परमेश्‍वर के पक्ष में अपनी स्थिति लेने के द्वारा बहुत लाभ उठाने की अनुमति दी, ऐसा करने के द्वारा भी उसने प्रेम दिखाया।

१५, १६. परमेश्‍वर ने किन तरीक़ों से प्रेम दिखाया है?

१५ जैसे-जैसे आप बाइबल पढ़ते हैं, आप देखेंगे कि प्रेम परमेश्‍वर का मुख्य गुण है, और वह इसे अनेक तरीक़ों से प्रदर्शित करता है। उदाहरण के लिए, प्रेम के कारण ही वह सृष्टिकर्ता बना और जीवन का आनन्द पहले आत्मिक प्राणियों के साथ बाँटा। वे करोड़ों स्वर्गदूत परमेश्‍वर से प्रेम करते और उसकी स्तुति करते हैं। (अय्यूब ३८:४, ७; दानिय्येल ७:१०) परमेश्‍वर ने पृथ्वी की सृष्टि करने और उसे सुखी मानव अस्तित्व के लिए तैयार करने के द्वारा भी प्रेम दिखाया।—उत्पत्ति १:१, २६-२८; भजन ११५:१६.

१६ हम परमेश्‍वर के प्रेम से इतने सारे तरीक़ों से लाभ उठाते हैं कि उनका उल्लेख करना भी कठिन है। एक बात यह है कि परमेश्‍वर ने प्रेमपूर्वक हमारे शरीर को इतने अद्‌भुत ढंग से बनाया है कि हम जीवन का आनन्द उठा सकते हैं। (भजन १३९:१४) इससे भी उसका प्रेम दिखता है कि वह “आकाश से वर्षा और फलवन्त ऋतु देकर, [हमारे] मन को भोजन और आनन्द से भरता” है। (प्रेरितों १४:१७) परमेश्‍वर “भलों और बुरों दोनों पर अपना सूर्य उदय करता है, और धर्मियों और अधर्मियों दोनों पर मेंह बरसाता है।” (मत्ती ५:४५) प्रेम परमेश्‍वर का ज्ञान पाने में और उसके उपासकों के रूप में ख़ुशी से उसकी सेवा करने में हमें मदद देने के लिए भी हमारे सृष्टिकर्ता को प्रेरित करता है। सचमुच, “परमेश्‍वर प्रेम है।” (१ यूहन्‍ना ४:८) लेकिन उसके व्यक्‍तित्व के अनेकों अन्य पहलू हैं।

‘परमेश्‍वर दयालु और अनुग्रहकारी’

१७. निर्गमन ३४:६, ७ में हम परमेश्‍वर के बारे में क्या सीखते हैं?

१७ लाल समुद्र पार करने के बाद भी इस्राएलियों को परमेश्‍वर को ज़्यादा अच्छी तरह जानने की ज़रूरत थी। मूसा ने इस ज़रूरत को महसूस किया और प्रार्थना की: “यदि तेरी कृपा-दृष्टि मुझ पर है, तो मुझे अपने मार्ग समझा दे, कि मैं तुझे जान सकूं, जिस से कि मैं तेरी कृपा-दृष्टि प्राप्त करूँ।” (निर्गमन ३३:१३, NHT) स्वयं परमेश्‍वर की घोषणा सुनने पर मूसा परमेश्‍वर को ज़्यादा अच्छी तरह जान पाया: “यहोवा, यहोवा परमेश्‍वर, दयालु और अनुग्रहकारी, कोप करने में धीमा, और करुणा तथा सत्य से भरपूर; हज़ारों पर करुणा करनेवाला; अधर्म, अपराध और पाप क्षमा करनेवाला; फिर भी दोषी को वह किसी भी प्रकार दण्ड दिए बिना नहीं छोड़ेगा।” (निर्गमन ३४:६, ७, NHT) परमेश्‍वर अपने प्रेम को न्याय के साथ संतुलित करता है, अतः हठीले पापियों को उनके कुकर्म के परिणामों से नहीं बचाता।

१८. यहोवा कैसे दयालु साबित हुआ है?

१८ जैसे मूसा ने सीखा, यहोवा दया दिखाता है। दयालु व्यक्‍ति को पीड़ितों पर तरस आता है और वह उनको राहत पहुँचाने की कोशिश करता है। अतः पीड़ा, बीमारी, और मृत्यु से स्थायी राहत का प्रबन्ध करने के द्वारा परमेश्‍वर ने मानवजाति पर करुणा की है। (प्रकाशितवाक्य २१:३-५) परमेश्‍वर के उपासक इस दुष्ट संसार की परिस्थितियों के कारण विपत्तियों का सामना कर सकते हैं, या वे मूर्खता का कार्य करके मुसीबत में पड़ सकते हैं। लेकिन यदि वे सहायता के लिए नम्रतापूर्वक यहोवा की ओर मुड़ें, तो वह उन्हें सांत्वना और मदद देगा। क्यों? क्योंकि वह दया से अपने उपासकों की कोमल परवाह करता है।—भजन ८६:१५; १ पतरस ५:६, ७.

१९. हम क्यों कह सकते हैं कि परमेश्‍वर अनुग्रहकारी है?

१९ अधिकार रखनेवाले अनेक लोग दूसरों के साथ कठोरता से व्यवहार करते हैं। उसकी विषमता में, यहोवा अपने दीन सेवकों के प्रति कितना अनुग्रहकारी है! जबकि वह विश्‍व में सबसे बड़ा अधिकारी है, वह सामान्यतः पूरी मानवजाति के प्रति उल्लेखनीय कृपा दिखाता है। (भजन ८:३, ४; लूका ६:३५) यहोवा व्यक्‍तियों के प्रति भी अनुग्रहकारी है, वह अनुग्रह की उनकी ख़ास बिनती सुनता है। (निर्गमन २२:२६, २७; लूका १८:१३, १४) निःसंदेह, परमेश्‍वर किसी को अनुग्रह या दया दिखाने को बाध्य नहीं है। (निर्गमन ३३:१९) इसलिए, हमें परमेश्‍वर की दया और अनुग्रह के लिए गहरा मूल्यांकन दिखाने की ज़रूरत है।—भजन १४५:१, ८.

कोप करने में धीमा, निष्पक्ष, और धर्मी

२०. क्या बात दिखाती है कि यहोवा कोप करने में धीमा और निष्पक्ष है?

२० यहोवा कोप करने में धीमा है। फिर भी, इसका यह अर्थ नहीं कि वह कार्यवाही नहीं करता, क्योंकि ज़िद्दी फ़िरौन और उसकी सेना को लाल समुद्र में नाश करते समय उसने ऐसा किया था। यहोवा निष्पक्ष भी है। अतः, उसके अनुगृहीत लोग, अर्थात्‌ इस्राएलियों ने निरन्तर कुकर्म करने के द्वारा अन्ततः उसका अनुग्रह खो दिया। परमेश्‍वर सभी राष्ट्रों के लोगों को अपने उपासकों के रूप में स्वीकार करता है, लेकिन सिर्फ़ उन्हीं को जो उसके धर्मी मार्गों पर चलते हैं।—प्रेरितों १०:३४, ३५.

२१. (क) प्रकाशितवाक्य १५:२-४ हमें परमेश्‍वर के बारे में क्या सिखाता है? (ख) क्या बात हमारे लिए वह कार्य करना ज़्यादा आसान बना देगी जिसे परमेश्‍वर सही कहता है?

२१ बाइबल की प्रकाशितवाक्य नामक पुस्तक परमेश्‍वर के ‘धर्मी कानूनों’ के बारे में सीखने के महत्त्व को विशिष्ट करती है। वह बताती है कि स्वर्गीय प्राणी गाते हैं: “हे सर्वशक्‍तिमान प्रभु परमेश्‍वर, तेरे कार्य्य बड़े, और अद्‌भुत हैं, हे युग युग के राजा, तेरी चाल ठीक और सच्ची है। हे प्रभु, कौन तुझ से न डरेगा? और तेरे नाम की महिमा न करेगा? क्योंकि केवल तू ही पवित्र है, और सारी जातियां आकर तेरे साम्हने दण्डवत करेंगी, क्योंकि तेरे न्याय के काम [“धर्मी कानून,” NW] प्रगट हो गए हैं।” (प्रकाशितवाक्य १५:२-४) जिसे यहोवा सही कहता है उसके अनुसार चलने से हम यहोवा का हितकर भय, या उसके प्रति श्रद्धा दिखाते हैं। अपने आपको परमेश्‍वर की बुद्धि और प्रेम के बारे में याद दिलाने से ऐसा करना ज़्यादा आसान हो जाता है। उसकी सभी आज्ञाएँ हमारी भलाई के लिए हैं।—यशायाह ४८:१७, १८.

‘हमारा परमेश्‍वर यहोवा एक ही है’

२२. जो बाइबल को स्वीकार करते हैं वे त्रियेक की उपासना क्यों नहीं करते?

२२ प्राचीन मिस्री अनेक ईश्‍वरों की उपासना करते थे, लेकिन यहोवा “अनन्य भक्‍ति की माँग करनेवाला परमेश्‍वर” है। (निर्गमन २०:५, NW) मूसा ने इस्राएलियों को याद दिलाया कि “यहोवा हमारा परमेश्‍वर है, यहोवा एक ही है।” (तिरछे टाइप हमारे।) (व्यवस्थाविवरण ६:४) यीशु मसीह ने इन शब्दों को दोहराया। (मरकुस १२:२८, २९) इसलिए, जो बाइबल को परमेश्‍वर के वचन के रूप में स्वीकार करते हैं वे एक में तीन व्यक्‍तियों या ईश्‍वरों से बने त्रियेक की उपासना नहीं करते। असल में, “त्रियेक” शब्द बाइबल में तो आता ही नहीं। सच्चा परमेश्‍वर एक व्यक्‍ति है, जो यीशु मसीह से अलग है। (यूहन्‍ना १४:२८; १ कुरिन्थियों १५:२८) परमेश्‍वर की पवित्र आत्मा एक व्यक्‍ति नहीं है। वह यहोवा की सक्रिय शक्‍ति है, जिसे सर्वशक्‍तिमान अपने उद्देश्‍यों को पूरा करने के लिए प्रयोग करता है।—उत्पत्ति १:२; प्रेरितों २:१-४, ३२, ३३; २ पतरस १:२०, २१.

२३. (क) परमेश्‍वर के लिए आपका प्रेम कैसे बढ़ेगा? (ख) परमेश्‍वर से प्रेम करने के बारे में यीशु ने क्या कहा, और हमें मसीह के बारे में क्या सीखने की ज़रूरत है?

२३ जब आप इस पर विचार करते हैं कि यहोवा कितना उत्कृष्ट है, तब क्या आप नहीं मानते कि वह आपकी उपासना के योग्य है? जैसे-जैसे आप उसके वचन, बाइबल का अध्ययन करते हैं, आप उसको ज़्यादा अच्छी तरह जान पाएँगे और यह सीखेंगे कि वह आपके अनन्त कल्याण और सुख के लिए आपसे क्या माँग करता है। (मत्ती ५:३, ६) इसके अलावा, परमेश्‍वर के लिए आपका प्रेम बढ़ेगा। यह उपयुक्‍त है, क्योंकि यीशु ने कहा: “तू प्रभु [“यहोवा,” NW] अपने परमेश्‍वर से अपने सारे मन से और अपने सारे प्राण से, और अपनी सारी बुद्धि से, और अपनी सारी शक्‍ति से प्रेम रखना।” (मरकुस १२:३०) स्पष्टतः, परमेश्‍वर के लिए यीशु को ऐसा प्रेम था। लेकिन बाइबल यीशु मसीह के बारे में क्या प्रकट करती है? यहोवा के उद्देश्‍य में उसकी क्या भूमिका है?

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परमेश्‍वर का क्या नाम है, और यह इब्रानी शास्त्र में कितनी बार प्रयोग हुआ है?

आपको परमेश्‍वर का नाम क्यों प्रयोग करना चाहिए?

यहोवा परमेश्‍वर के कौन-से गुण आपको ख़ासकर आकर्षक लगते हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 29 पर तसवीरें]

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