दानिय्येल की किताब—कठघरे में
दूसरा अध्याय
दानिय्येल की किताब—कठघरे में
1, 2. दानिय्येल की किताब पर क्या इलज़ाम लगाया गया है और इसकी सफाई में पेश किए गए सबूतों की जाँच करना क्यों ज़रूरी है?
मान लीजिए कि आप एक अदालत में एक बहुत ही अहम मुकद्दमे की सुनवाई के वक्त मौजूद हैं। एक आदमी पर धोखाधड़ी का इलज़ाम लगाया गया है। सरकारी वकील पूरे यकीन के साथ दावा करता है कि यह आदमी मुजरिम है। पर यह आदमी तो अपनी बरसों की ईमानदारी के लिए मशहूर है। तो क्या आप यह नहीं जानना चाहेंगे कि इस आदमी को बेगुनाह साबित करने के लिए सफाई में क्या सबूत पेश किए जाते हैं?
2 बाइबल की दानिय्येल की किताब इस आदमी की तरह कठघरे में खड़ी है। इसे लिखनेवाला इंसान अपनी ईमानदारी के लिए बेहद मशहूर था। उसके नाम की किताब को सदियों से बहुत इज़्ज़त दी जाती रही है। यह किताब खुद को सच्चे इतिहास के रूप में पेश करती है और बताती है कि इसे लिखनेवाला दानिय्येल है। दानिय्येल एक यहूदी नबी था जो सा.यु.पू. सातवीं सदी से छठवीं सदी के दौरान जिया था। बाइबल के इतिहास की मदद से सही-सही समय निर्धारित करने पर यह पता चलता है कि इस किताब में सा.यु.पू. 618 से लेकर सा.यु.पू. 536 तक की घटनाएँ लिखी गयी हैं और सा.यु.पू. 536 में ही इसका लिखा जाना पूरा हुआ। लेकिन इन सब बातों के बावजूद इस किताब को कठघरे में खड़ा कर दिया गया है। कुछ इनसाइक्लोपीडिया और दूसरी किताबें यह कहती हैं या सीधे-सीधे यह इलज़ाम लगाती हैं कि यह किताब एक बड़ा धोखा है।
3. द न्यू इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका दानिय्येल की किताब की सच्चाई के बारे में क्या कहती है?
3 उदाहरण के लिए, द न्यू इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका एक तरफ तो यह मानती है कि एक समय में “आमतौर पर यह माना जाता था” कि दानिय्येल की किताब में “सच्चा इतिहास और सच्ची भविष्यवाणियाँ लिखी हुई हैं।” लेकिन दूसरी तरफ ब्रिटैनिका ऐसा भी दावा करती है कि असल में “इस किताब को लिखने का जो समय बताया जाता है इसे उससे बहुत समय बाद लिखा गया था यानी उस वक्त जब यहूदी राष्ट्र संकट में था क्योंकि उन पर [सीरिया का राजा] एन्टियोकस IV इपिफनीस बहुत ज़ुल्म ढा रहा था।” इस हिसाब से यह इनसाइक्लोपीडिया कहती है कि दानिय्येल की किताब को सा.यु.पू. दूसरी सदी (सा.यु.पू. 167-164 के बीच) में लिखा गया था और इसके लिखनेवाले ने
भविष्य में होनेवाली घटनाओं के बारे में नहीं लिखा बल्कि “जो घटनाएँ पहले ही घट चुकी थीं उन्हें भविष्यवाणियाँ बताकर लिखा।”4. दानिय्येल की किताब की आलोचना करना कब शुरू हुआ, और 18वीं और 19वीं सदियों में इलज़ामों के भड़कने की क्या वज़ह थी?
4 इस तरह के विचार कब शुरू हुए? दानिय्येल की किताब की आलोचना करना आज की बात नहीं बल्कि यह सिलसिला तीसरी सदी में पोर्फरी नाम के एक तत्वज्ञानी से शुरू हुआ था। बहुत से दूसरे लोगों की तरह वह भी मानता था कि मसीहियत रोमी साम्राज्य के लिए एक खतरा है। इसलिए उसने इस “नये” धर्म को झूठा साबित करने के लिए 15 किताबें लिखीं। इनमें से 12वीं किताब में, दानिय्येल की किताब को निशाना बनाया गया था। पोर्फरी ने दावा किया कि दानिय्येल की किताब एक जालसाज़ी है और उसने कहा कि इसे किसी यहूदी ने सा.यु.पू. दूसरी सदी में लिखा था। इस किताब पर बढ़ा-चढ़ाकर इसी किस्म के इलज़ाम 18वीं और 19वीं सदी में भी लगाए गए थे। इन्हें ऐसे विद्वानों ने भड़काया जो बाइबल को परमेश्वर का वचन नहीं मानते, और यह दावा करते हैं कि किसी घटना के घटने से पहले ही उसके बारे में बता देना नामुमकिन है यानी भविष्यवाणी जैसी कोई चीज़ होती ही नहीं। इसलिए दानिय्येल की किताब एक आसान निशाना बन गई, मानो दानिय्येल और उसकी किताब दोनों को ही अदालत में लाकर खड़ा कर दिया गया हो। इन विद्वानों ने दावा किया कि हमारे पास इस बात को साबित करने के लिए ढेरों सबूत मौजूद हैं कि दानिय्येल की किताब, दानिय्येल ने नहीं लिखी और न ही इसे उस वक्त लिखा गया था जब यहूदी लोग बाबुल में बँधुए थे बल्कि इसे किसी और आदमी ने सैकड़ों साल बाद लिखा था। * इस किताब पर इस कदर हमले होने लगे कि एक लेखक को तो इसके बचाव में एक किताब लिखनी पड़ी जिसका नाम था “दानिय्येल आलोचकों की माँद में।”
5. दानिय्येल की किताब पर लगाए गए इलज़ामों पर गौर करना ज़रूरी क्यों है?
5 लेकिन क्या आलोचकों के पास इन इलज़ामों का कोई ठोस सबूत है? या फिर, क्या सारे सबूत ही मुलज़िम को बेकसूर साबित करते हैं? यह जानना बहुत ज़रूरी है क्योंकि
यह सिर्फ इस प्राचीन किताब की आबरू का ही सवाल नहीं है बल्कि हमारे भविष्य का सवाल भी है, क्योंकि हमारा भविष्य भी इन बातों को जानने पर निर्भर करता है। अगर दानिय्येल की किताब एक जालसाज़ी है तो इंसान के लिए इसमें बताए गए सभी वादे झूठे और खोखले हैं। लेकिन अगर इसमें सचमुच सच्ची भविष्यवाणियाँ लिखी हुई हैं तो आप बेशक यह जानना चाहेंगे कि इन भविष्यवाणियों का आज हमारे लिए क्या मतलब है। इन बातों को मद्देनज़र रखते हुए आइए हम दानिय्येल पर लगाए गए कुछ इलज़ामों पर गौर करें।6. दानिय्येल की किताब में दी गई कुछ ऐतिहासिक जानकारी के बारे में क्या आरोप लगाया गया है?
6 मिसाल के तौर पर, दी इनसाइक्लोपीडिया अमैरिकाना में दिए गए आरोप को ही लें। यह इनसाइक्लोपीडिया कहती है कि दानिय्येल की किताब में “दी गई बहुत सारी ऐतिहासिक बातें [उदाहरण के लिए बाबुल में बँधुआई के समय की जानकारी] गलत हैं।” मगर क्या ये बातें वाकई गलत हैं? आइए हम एक-एक करके ऐसी तीन बातों की जाँच करें जिनके गलत होने का दावा किया जाता है।
इतिहास में गुमशुदा राजा की तलाश
7. (क) दानिय्येल की किताब में बेलशस्सर राजा का ज़िक्र आलोचकों के लिए लंबे अरसे तक एक अच्छा बहाना क्यों बना रहा? (ख) उस इलज़ाम का क्या हुआ जिसमें कहा गया था कि बेलशस्सर नाम का राजा सिर्फ एक दिमागी उपज है?
7 दानिय्येल ने लिखा कि बाबुल शहर पर कब्ज़ा किए जाने के वक्त उस शहर का राजा, नबूकदनेस्सर का “पुत्र” बेलशस्सर था। (दानिय्येल 5:1, 11, 18, 22, 30) एक लंबे अरसे तक आलोचक इस बात को लेकर प्रहार करते रहे कि बेलशस्सर नाम, बाइबल के सिवाय और कहीं पाया ही नहीं जाता। प्राचीन इतिहासकारों के मुताबिक तो नबूकदनेस्सर के बाद नबोनाइडस ने राजगद्दी सँभाली थी और वही बाबुल का आखिरी राजा था। इसलिए सन् 1850 में फर्डिनंड हिट्ज़िख ने कहा कि बेलशस्सर नाम का राजा सिर्फ दानिय्येल की किताब लिखनेवाले की दिमागी उपज थी। लेकिन क्या आपको हिट्ज़िख की यह राय जल्दबाज़ी में कायम की हुई नहीं लगती? वैसे भी आज उस वक्त के इतिहास के बारे में हमें बहुत कम जानकारी मिली है। ऐसे में अगर इस राजा का ज़िक्र बाइबल के अलावा कहीं और नहीं पाया जाता तो क्या इसका मतलब यह हो जाता है कि वह वाकई कभी था ही नहीं? दिलचस्पी की बात यह है कि सन् 1854 में बाबुल के ऊर शहर के खंडहरों में कुछ छोटे-छोटे मिट्टी के बेलन पाए गए, जिन पर कीलाक्षर लिपि में कुछ लिखा हुआ था। इन बेलनों में से एक पर राजा नबोनाइडस ने अपने बेटे के लिए एक प्रार्थना लिखी थी जिसमें उसने कहा था: “मेरा सबसे बड़ा बेटा, बेलसरस्सर।” आखिरकार आलोचकों को भी मानना पड़ा कि यही दानिय्येल की किताब में बताया गया बेलशस्सर है।
8. यह बात कैसे सच साबित हुई कि दानिय्येल बेलशस्सर को उस वक्त का राजा बताता है?
8 इस पर भी आलोचकों को तसल्ली नहीं हुई। इनमें से एच. एफ. टैलबट ने यह कहा: “इससे कुछ साबित नहीं होता।” उन्होंने कहा कि इस बेलन में जिस बेटे का ज़िक्र किया गया है वह एक छोटा बच्चा भी हो सकता है जबकि दानिय्येल कहता है कि वह उस वक्त का राजा था। लेकिन टैलबट की यह बात छपने के एक साल के अंदर ही कीलाक्षर लिपि में और भी पट्टियाँ मिलीं जिनमें लिखा था कि राजा बेलशस्सर के कई मंत्री थे और उसके बहुत सारे घरेलू नौकर-चाकर और कर्मचारी भी थे। इससे वह एक बच्चा तो हरगिज़ नहीं लगता! आखिर में और कई ऐसी पट्टियाँ मिलीं जिन्होंने मामले को पूरी तरह साफ कर दिया। इनमें लिखा था कि नबोनाइडस कई सालों तक बाबुल से बाहर रहता था, और इन दिनों के दौरान वह बाबुल का “राज चलाने का काम” अपने सबसे बड़े बेटे (बेलशस्सर) को “सौंप” देता था। उन दिनों के दौरान बेलशस्सर, बाबुल का राजा था या अपने पिता के साथ राज चलानेवाला दूसरा राजा। *
9. (क) दानिय्येल किस मायने में बेलशस्सर को नबूकदनेस्सर का बेटा कहता है? (ख) किस तरह आलोचकों का यह इलज़ाम गलत साबित होता है कि दानिय्येल की किताब में नबोनाइडस के होने का इशारा तक नहीं मिलता?
9 लेकिन इतने पर भी कुछ आलोचकों को चैन नहीं पड़ता, वे कहते हैं कि बाइबल बेलशस्सर को नबूकदनेस्सर का बेटा बताती है, नबोनाइडस का नहीं। वे दलील देते हैं कि दानिय्येल की किताब में नबोनाइडस के होने का इशारा तक नहीं मिलता। लेकिन जब इन इलज़ामों को परखा जाता है तो ये एकदम खोखले निकलते हैं। नबोनाइडस, नबूकदनेस्सर का जंवाई था क्योंकि उसने नबूकदनेस्सर की बेटी से शादी की थी और इस तरह उसका बेटा बेलशस्सर, नबूकदनेस्सर का नाती हुआ। लेकिन इब्रानी और अरामी दोनों ही भाषाओं में पुत्र के लिए शब्द तो है लेकिन “दादा” या “नाती-पोते,” के लिए शब्द नहीं हैं। इसलिए किसी “के पुत्र” का मतलब “नाती-पोता” यहाँ तक कि किसी का “वंशज” भी हो सकता है। (मत्ती 1:1 से तुलना कीजिए।) यह सच नहीं है कि बाइबल से ऐसा कोई इशारा तक नहीं मिलता कि बेलशस्सर, नबोनाइडस का बेटा था। दरअसल जिस वक्त राजा बेलशस्सर को अपने महल की दीवार पर एक हाथ नज़र आया, जिसे देखकर वह बहुत डर गया था, तब उसने यह ऐलान करवाया था कि जो कोई उस हाथ की लिखी हुई बातों का भेद बताएगा, उसके राज्य में तीसरा वही प्रभुता करेगा। (दानिय्येल 5:7) उसने तीसरा क्यों कहा, दूसरा क्यों नहीं? इसका मतलब यह है कि पहले और दूसरे स्थानों पर प्रभुता करनेवाले मौजूद थे। और वे थे पहला, राजा नबोनाइडस, दूसरा उसका बेटा यानी खुद बेलशस्सर।
10. ऐसा क्यों है कि बाबुल के साम्राज्य के बारे में जितनी ज़्यादा और अच्छी जानकारी दानिय्येल देता है उतनी दूसरे प्राचीन इतिहासकारों ने नहीं दी है?
10 इसलिए दानिय्येल की किताब में बेलशस्सर के नाम का ज़िक्र होने से यह साबित नहीं होता कि इसमें ‘गलत ऐतिहासिक जानकारी’ पायी जाती है। दानिय्येल का काम बाबुल का इतिहास लिखना तो नहीं था, लेकिन दानिय्येल ने बाबुल के साम्राज्य के बारे में जितनी ज़्यादा और अच्छी जानकारी दी है उतनी हिरॉडटस, ज़ॆनोफोन, और बरॉसस जैसे दूसरे प्राचीन इतिहासकारों ने भी नहीं दी। लेकिन ऐसा क्यों था कि जो बातें इन इतिहासकारों को मालूम नहीं थीं वे बातें दानिय्येल लिख सका? ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि दानिय्येल खुद उस वक्त बाबुल में मौजूद था। अपनी किताब में उसने जो कुछ भी लिखा वह खुद उन सबका चश्मदीद गवाह था। ये बातें किसी जालसाज़ ने सदियों बाद नहीं लिखी थीं।
दारा मादी कौन था?
11. दानिय्येल दारा मादी के बारे में क्या बताता है, लेकिन उसके बारे में दावे के साथ क्या कहा गया है?
11 दानिय्येल बताता है कि जब बाबुल पर कब्ज़ा किया गया तब “दारा मादी” नाम का राजा राजगद्दी पर विराजमान हुआ। (दानिय्येल 5:31) बाइबल के अलावा किसी भी प्राचीन दस्तावेज़ में दारा का नाम नहीं पाया जाता। इसलिए, द न्यू इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका दावे से यह कहती है कि दारा “नाम का कोई आदमी कभी था ही नहीं।”
12. (क) बाइबल की आलोचना करनेवालों को दावे के साथ यह क्यों नहीं कहना चाहिए कि दारा मादी नाम का कोई आदमी था ही नहीं? (ख) यह दारा मादी कौन हो सकता है और इसका सबूत क्या है?
12 लेकिन दूसरे विद्वान जल्दबाज़ी में कोई राय कायम नहीं करना चाहते। और ऐसा क्यों न हो, आलोचकों ने तो इससे पहले बेलशस्सर को भी “ख़याली” राजा बताया था। बेशक दारा का मामला भी इन आलोचकों को झूठा साबित करेगा। कुछ कीलाक्षर पटियाओं को पढ़ने से पता लग चुका है कि फारसी राजा कुस्रू ने बाबुल पर जीत हासिल करने के फौरन बाद ही “बाबुल के राजा” की पदवी नहीं सँभाली थी। इसके बारे में दानिय्येल 6:1.
अपनी राय देते हुए एक विद्वान कहते हैं: “खुद कुस्रू बाबुल का राजा नहीं बना। बल्कि जिस किसी को भी बाबुल के राजा की पदवी दी गई थी, दरअसल वह बाबुल पर राज करने के लिए कुस्रू द्वारा ठहराया गया, एक कर देनेवाला राजा था।” तो क्या दारा, नाम नहीं बल्कि एक उपाधि थी? क्या यह उपाधि उस शक्तिशाली मादी राज-अधिकारी की थी जिसे कुस्रू ने बाबुल पर राजा ठहराया था? प्राचीन दस्तावेज़ यह बताते हैं कि कुस्रू ने गुबरू नाम के आदमी को बाबुल का हाकिम ठहराया था और उसे बहुत बड़े अधिकार दिए थे। एक कीलाक्षर पटिया कहती है कि गुबरू ने खुद भी सारे बाबुल में अधिपति ठहराए थे। इसीलिए कुछ लोग यह बताते हैं कि दारा ही गुबरू नाम का वह आदमी हो सकता है। दिलचस्पी की बात यह है कि दानिय्येल भी यही बताता है कि दारा ने बाबुल के राज्य में 120 क्षत्रप यानी अधिपति ठहराए थे।—13. क्या वज़ह हो सकती है कि दारा के बारे में दानिय्येल की किताब में ज़्यादा जानकारी दी गई है जबकि आज तक बची हुई इतिहास की दूसरी किसी भी किताब में उसका नाम नहीं पाया जाता?
13 आनेवाले सालों में इस राजा के बारे में और भी बहुत सारे सबूत मिल सकते हैं, जिनसे पूरी-पूरी जानकारी मिल जाएगी। दारा के बारे में यह कहना कि वह एक “ख़याली” आदमी है क्योंकि उसके बारे में पुरातत्व खोज-बीन में कोई सबूत नहीं मिला, ज़रा भी जायज़ नहीं। और-तो-और इसकी बिना पर यह दावा करना तो बिलकुल बेबुनियाद है कि दानिय्येल की पूरी किताब ही “जालसाज़ी” है। इससे ज़्यादा अकलमंदी यह मानने में है कि दानिय्येल ने अपनी किताब में उन घटनाओं के बारे में लिखा था जिनका वह खुद चश्मदीद गवाह था और इसीलिए उसकी किताब में, आज तक बची हुई इतिहास की दूसरी सभी किताबों से ज़्यादा जानकारी पायी जाती है।
यहोयाकीम का राज
14. यहोयाकीम के राज करने के साल को लेकर दानिय्येल और यिर्मयाह के बीच गड़बड़ क्यों नहीं है?
14 दानिय्येल 1:1 कहता है: “यहूदा के राजा यहोयाकीम के राज्य के तीसरे वर्ष में बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने यरूशलेम पर चढ़ाई करके उसको घेर लिया।” लेकिन यिर्मयाह कहता है कि यहोयाकीम के राज्य का चौथा वर्ष नबूकदनेस्सर के राज्य का पहला वर्ष था। (यिर्मयाह 25:1; 46:2) इसीलिए आलोचकों ने इस आयत को पकड़ लिया। लेकिन क्या दानिय्येल, यिर्मयाह की बात को काट रहा था? इसके बारे में और ज़्यादा जानकारी लेने से मामला एकदम साफ हो जाता है। मिस्र के सम्राट, फिरौन-नको ने यहोयाकीम को सा.यु.पू. 628 में अपने अधीन करके यहूदा का राजा ठहराया था। इसलिए यिर्मयाह ने यहोयाकीम के राज करने के साल की गिनती सा.यु.पू. 628 से की जब उसे फिरौन-नको ने अपने अधीन राजा ठहराया था। और यरूशलेम में रहनेवाले यहूदियों ने भी इसी तरह सालों को गिना होगा। दूसरी तरफ, सा.यु.पू. 624 में नबूकदनेस्सर अपने पिता की जगह बाबुल का राजा बना था। फिर सा.यु.पू. 620 में नबूकदनेस्सर ने यहूदा पर चढ़ाई की और यहोयाकीम को अपने अधीन कर लिया। (2 राजा 23:34; 24:1) इसीलिए दानिय्येल ने सा.यु.पू. 620 से यहोयाकीम के ‘तीसरे वर्ष’ को गिना जब नबूकदनेस्सर ने यहोयाकीम को अपने अधीन करके राजा ठहराया था, और दानिय्येल ने 1:1 में जो लिखा वह सा.यु.पू. 620 के बाद तीसरे साल यानी सा.यु.पू. 618 में घटा था जब नबूकदनेस्सर ने यरूशलेम पर दूसरी बार चढ़ाई करके उसको घेर लिया। और बाबुल में रहनेवाले यहूदियों ने भी इसी तरह सालों को गिना होगा।
15. दानिय्येल 1:1 में पाई गई तारीख पर इलज़ाम लगाना जायज़ क्यों नहीं है?
15 इससे यही साबित होता है कि दानिय्येल ने अपनी किताब को बाबुल में बँधुआई के वक्त लिखा था। इतना ही नहीं दानिय्येल के खिलाफ इस इलज़ाम को एक और बात से झूठा साबित किया जा सकता है। ध्यान दीजिए कि दानिय्येल किताब के लिखनेवाले के पास यिर्मयाह की किताब भी थी और उसने उसका ज़िक्र भी किया है। (दानिय्येल 9:2) अगर दानिय्येल की किताब का लिखनेवाला एक धूर्त जालसाज़ होता तो क्या वह अपनी किताब की पहली ही आयत में ऐसी बात कहकर खुद को मुसीबत में डालता जिससे यह लगे कि वह यिर्मयाह जैसी जानी-मानी किताब को गलत ठहरा रहा है, और वह भी यह जानते हुए कि यिर्मयाह की किताब को सच्चा माना जाता है और उसका बहुत आदर किया जाता था? बिलकुल नहीं, अगर वह कोई जालसाज़ होता तो ऐसा करने की जुर्रत तक न करता!
बारीक जानकारी
16, 17. पुरातत्व खोजों से मिले सबूत दानिय्येल की इन बातों को कैसे सच साबित करते हैं: (क) सब लोगों से पूजा करवाने के लिए नबूकदनेस्सर का एक बड़ी मूरत बनवाना? (ख) नबूकदनेस्सर ने बाबुल में जो राजनिवास और इमारतें बनवाई थीं उनके बारे में उसका शेखी मारना?
16 आइए अब हम आलोचना के बजाय इस किताब के पक्ष की कुछ बातों पर ध्यान दें। जैसे, दानिय्येल की किताब में दी गई कई घटनाओं की बारीक जानकारी। इस जानकारी पर गौर करने से यह पता चलता है कि इसका लिखनेवाला उस समय का ही रहनेवाला था क्योंकि वह उस वक्त की घटनाओं और रीति-रिवाज़ों से बहुत अच्छी तरह वाकिफ था।
17 दानिय्येल ने जिस तरह प्राचीन बाबुल के बारे में बारीक-से-बारीक जानकारी दी है दानिय्येल 3:1-6 बताता है कि नबूकदनेस्सर ने एक बड़ी मूरत खड़ी कराई ताकि सब लोग उस मूरत की पूजा करें। सम्राट नबूकदनेस्सर की ऐसी ही कई योजनाओं के बारे में पुरातत्व वैज्ञानिकों ने भी सबूत पाएँ हैं जो साबित करते हैं कि वह अपने साम्राज्य के लोगों को देशभक्ति और धर्म के कामों में शामिल करना चाहता था। दानिय्येल ने यह भी बताया था कि नबूकदनेस्सर ने बड़े-बड़े राजनिवास और बड़ी-बड़ी इमारतें बनाने की वज़ह से घमंड में भरकर शेखी मारी थी। (दानिय्येल 4:30) लेकिन पुरातत्ववालों को आज कहीं जाकर इस बात की जानकारी मिली कि बाबुल में बड़ी-बड़ी इमारतें और बाकी चीज़ें बनवाने में नबूकदनेस्सर का बड़ा हाथ था। और उसके घमंड करने की बात का हमें इससे पता चलता है कि उसने ईंटों पर भी अपने नाम का ठप्पा लगवाया था! दानिय्येल की किताब की आलोचना करनेवाले कहते हैं कि इसे एक जालसाज़ ने मक्काबियों के वक्त में लिखा था (सा.यु.पू. 167-63)। तो क्या वे इस बात का जवाब दे सकते हैं कि इस जालसाज़ को अपने समय से चार सदी पहले किए गए निर्माण के इस काम की जानकारी कैसे मिली, जिसके बारे में आज कहीं जाकर पुरातत्ववालों को जानकारी मिली है?
उससे साबित होता है कि उसकी किताब सच्ची है। मिसाल के तौर पर,18. दानिय्येल की किताब में दी गई जानकारी एकदम सच्ची है इसे बाबुल और फारस की अलग-अलग सज़ाओं से कैसे देखा जा सकता है?
18 दानिय्येल की किताब से बाबुल के और मादी-फारसियों के कानूनों के बीच कुछ दानिय्येल 3:6; 6:7-9) कुछ विद्वान आग के भट्ठे में डाले जाने की बात को सिर्फ एक कहानी बताते हैं, लेकिन पुरातत्ववालों को खोज में एक ऐसी चिट्ठी मिली है जो बताती है कि प्राचीन बाबुल में ऐसी सज़ा थी। और क्योंकि मादी और फारसी आग को पवित्र मानते थे, इसलिए उनके कानून में शेरों की माँद में डालने की खतरनाक सज़ा थी।
खास भिन्नताओं का पता चलता है। हम इसे एक उदाहरण से देख सकते हैं। बाबुल के कानून में राजा का हुक्म न माननेवालों को आग के भट्ठे में फेंक दिया जाता था। जबकि मादी-फारसियों के कानून में हुक्म न माननेवालों को शेरों की माँद में फेंक दिया जाता था। इसीलिए दानिय्येल के तीन साथियों को बाबुल के राजा का हुक्म तोड़ने पर आग के भट्ठे में फेंक दिया गया। और कई सालों बाद फारस के राज में, जब दानिय्येल ने अपने ज़मीर की बात मानकर एक कानून को नहीं माना तो उसे शेरों की माँद में फेंक दिया गया। (19. दानिय्येल की किताब बाबुल और मादी-फारस की कानून-व्यवस्था में किस तरह का फर्क बताती है?
19 दानिय्येल एक और फर्क बताता है। बाबुल का राजा नबूकदनेस्सर अपनी मर्ज़ी से कानून को बदल सकता था। लेकिन दारा ‘मादी फारसियों की व्यवस्था’ को रत्ती भर भी दानिय्येल 2:5, 6, 24, 46-49; 3:10, 11, 29; 6:12-16) इतिहासकार जॉन सी. व्हिटकॉम लिखते हैं: “प्राचीन इतिहास से भी इस बात का सबूत मिलता है। बाबुल में, राजा के हाथों में कानून था और मादी-फारस में राजा कानून के अधीन था।”
बदल नहीं सकता था, ऐसे कानूनों को भी नहीं जो उसने खुद बनाए थे! (20. बेलशस्सर की जेवनार के बारे में दानिय्येल की किताब में दी गई बारीक जानकारी से कैसे साबित होता है कि दानिय्येल बाबुल के उस वक्त के रीति-रिवाज़ों से अच्छी तरह वाकिफ था?
20 दानिय्येल के 5वें अध्याय में बेलशस्सर की बड़ी जेवनार के बारे में ऐसी बारीक जानकारी दी गई है जो सच साबित हुई है। इस अध्याय में कई बार मदिरा का ज़िक्र किया गया है जिससे यह पता चलता है कि इस जेवनार में ढेर सारी मदिरा थी और शायद हलका-फुल्का नाश्ता भी था। (दानिय्येल 5:1, 2, 4) दरअसल पुरातत्व खोजबीनों में दीवारों पर ऐसी नक्काशियाँ पाई गई हैं जिनमें ऐसी जेवनारों में लोगों को सिर्फ मदिरा पीते दिखाया गया है। तो इससे पता चलता है कि ऐसे मौकों पर मदिरा का बहुत सेवन होता था। दानिय्येल यह बताता है कि इस मौके पर राजा की रानियाँ और रखैलियाँ भी मौजूद थीं। (दानिय्येल 5:3, 23) पुरातत्व खोजों से भी यह बात सच साबित हो चुकी है कि बाबुल में ऐसे मौकों पर पुरुषों के साथ स्त्रियाँ भी मौजूद होती थीं। मगर मक्काबियों के वक्त में यूनानी और यहूदी लोगों में यह रिवाज़ नहीं था कि जेवनारों में पुरुषों के साथ स्त्रियाँ भी मौजूद हों। और शायद इसीलिए जब इब्रानी शास्त्र का यूनानी भाषा में अनुवाद किया गया, जिसे सेप्टुआजॆंट कहा जाता है, तब शुरू-शुरू में कुछ अनुवादकों ने दानिय्येल की किताब में से स्त्रियों का ज़िक्र * करनेवाला यह हिस्सा निकाल दिया था। तो यह इलज़ाम कैसे सच हो सकता है कि सेप्टुआजॆंट लिखे जाने के इसी दौर में जब यूनानी संस्कृति का बोलबाला था किसी जालसाज़ ने इस किताब को लिखा हो?
21. दानिय्येल को बँधुआई के वक्त बाबुल के रीति-रिवाज़ों का बारीकी ज्ञान था इसे किस बात से समझाया जा सकता है?
21 इतनी बारीक जानकारी होने के बावजूद, ताज्जुब की बात है जब ब्रिटैनिका यह कहती है कि दानिय्येल की किताब लिखनेवाले को यहूदी बँधुआई के वक्त की बस एक “सरसरी और गलत” जानकारी ही थी। यह कैसे हो सकता है कि सैकड़ों साल बाद सा.यु.पू. दूसरी सदी में पैदा होनेवाले एक जालसाज़ इंसान को प्राचीन समय के बाबुल और फारस के रीति-रिवाज़ों का इतना बारीकी ज्ञान हो? और यह भी ध्यान में रखिए कि सा.यु.पू. दूसरी सदी से बहुत पहले ही इन दोनों साम्राज्यों की हस्ती मिट चुकी थी। और उस वक्त पुरातत्व वैज्ञानिक भी नहीं थे; न ही उस सदी के यहूदी लोग विदेशी रीति-रिवाज़ों के बारे में इतना ज्ञान रखते थे। तो सिर्फ ऐसा आदमी जिसे उस वक्त की घटनाओं और रीति-रिवाज़ों की बारीक जानकारी थी वही इस किताब को लिख सकता था। और ऐसा इंसान खुद भविष्यवक्ता दानिय्येल ही था जिसने बाइबल में पाई जानेवाली दानिय्येल की किताब लिखी!
क्या कोई और सबूत इसे जालसाज़ी साबित करता है?
22. इब्रानी शास्त्र में दानिय्येल की किताब को रखने की बात को लेकर आलोचक क्या इलज़ाम लगाते हैं?
22 दानिय्येल की किताब के खिलाफ जो सबसे भारी इलज़ाम लगाया जाता है वह बाइबल के इब्रानी शास्त्र में उसकी जगह को लेकर है। प्राचीन काल के रब्बियों ने पूरे इब्रानी शास्त्र को तीन भागों में बाँटा था: व्यवस्था की किताबें, भविष्यवक्ताओं और इतिहास की किताबें। और उन्होंने दानिय्येल की किताब को भविष्यवक्ताओं की किताबों के साथ नहीं रखा बल्कि इतिहास की किताबों के साथ रखा था। इसीलिए आलोचना
करनेवाले दलील देते हैं कि जब भविष्यवक्ताओं की अलग-अलग किताबों को इकट्ठा किया गया था तब तक दानिय्येल की किताब नहीं लिखी गई थी। इसे इतिहास की किताबों के साथ रखा गया क्योंकि इतिहास की इन किताबों को बाद में इकट्ठा किया गया था।23. प्राचीन समय के यहूदी लोग दानिय्येल की किताब को किस नज़र से देखते थे और हम यह कैसे जानते हैं?
23 कई विद्वान यह नहीं मानते कि रब्बियों ने दानिय्येल की किताब को भविष्यवक्ताओं की किताबों में शामिल नहीं किया। और दूसरे तो यह भी नहीं मानते कि प्राचीन रब्बियों ने इब्रानी शास्त्र के तीन भाग बनाए भी थे। लेकिन चाहे उन रब्बियों ने दानिय्येल की किताब को इतिहास की किताबों के साथ रखा भी हो, तो क्या इससे यह साबित हो जाता है कि यह किताब उस वक्त नहीं बल्कि बहुत समय बाद लिखी गई थी? बेशक नहीं। जाने-माने विद्वानों ने इस बात के कई कारण बताएँ हैं कि क्यों रब्बियों ने शायद दानिय्येल की किताब को भविष्यवक्ताओं की किताबों के साथ न रखा हो। इनमें से एक कारण वे यह बताते हैं कि शायद रब्बियों ने इस किताब में लिखी बातों का बुरा माना हो या फिर वे यह सोचते हों कि दानिय्येल बाकी भविष्यवक्ताओं से इसलिए अलग था क्योंकि वह दूसरे देश का सरकारी मुलाज़िम था। लेकिन चाहे रब्बियों ने इसे भविष्यवक्ताओं की किताब में रखा हो या इतिहास की, सबसे अहम बात यह है कि प्राचीन समय के यहूदी लोग दानिय्येल की किताब को पवित्र शास्त्र का भाग मानते थे और इसकी बहुत इज़्ज़त करते थे। इसके अलावा सबूत यह दिखाते हैं कि सा.यु.पू. दूसरी सदी से बहुत पहले ही बाइबल के इब्रानी शास्त्र की सारी किताबें इकट्ठी की जा चुकी थीं और इब्रानी शास्त्र पूरा कर लिया गया था। और इसके बाद इसमें कोई भी किताब शामिल करने की सख्त मनाही थी। सा.यु.पू. दूसरी सदी के दौरान लिखी गई किसी भी किताब को इसमें शामिल नहीं किया गया।
24. इक्लिज़ियास्टिकस किताब को लेकर दानिय्येल की किताब पर क्या इलज़ाम लगाया गया है, और क्यों कहा जा सकता है कि ऐसा मानना अकलमंदी नहीं?
24 अजीब बात यह है कि जिन किताबों को बाद में इब्रानी शास्त्र में जोड़ने से मना कर दिया गया था उन्हीं किताबों में से एक को लेकर दानिय्येल की किताब पर इलज़ाम लगाया गया है। और यह किताब थी, इक्लिज़ियास्टिकस जिसे जीज़स बेन सिरक ने करीब सा.यु.पू. 180 में लिखा था। यह किताब बाइबल का भाग होने का दावा करती है। आलोचक कहते हैं कि इस किताब में इस्राएलियों के धर्मी पूर्वजों के बारे में बताया गया है मगर उनके बीच दानिय्येल का नाम नहीं पाया जाता। वे बस इसी बात को पकड़ लेते हैं कि दानिय्येल के बारे में इसलिए नहीं लिखा गया क्योंकि इस वक्त तक उसका * तो क्या हमें इन सबको ख़याली इंसान मान लेना चाहिए और वह भी सिर्फ इसलिए क्योंकि इनके नाम एक ऐसी किताब में नहीं पाए जाते जो ना तो बाइबल का भाग है और ना ही यह दावा करती है कि इसमें सभी इस्राएली पूर्वजों के बारे में बताया गया है? ऐसा मानना अकलमंदी नहीं होगी।
कहीं भी अता-पता नहीं था। और इस दलील को कई विद्वानों ने कबूल भी किया है। लेकिन इन बातों पर ध्यान दीजिए: इसी किताब में धर्मियों के नामों के बीच एज्रा और मोर्दकै (जिन्हें बाबुल से लौटनेवाले यहूदी, महान अगुवे मानते थे), अच्छे राजा यहोशापात, और अय्यूब जैसे खरे इंसान का नाम भी नहीं पाया जाता और न्यायियों में से यह सिर्फ शमूएल के बारे में बताती है।दानिय्येल के समर्थन में सबूत
25. (क) जोसीफस की बात से दानिय्येल की किताब के सच्चे होने का सबूत कैसे मिलता है? (ख) सिकंदर महान और दानिय्येल की किताबवाले जोसीफस के किस्से के बारे में हमें इतिहास से क्या पता चलता है? (दूसरा फुटनोट देखिए।) (ग) दानिय्येल किताब की भाषा की शैली को जाँचने से इसके सच्चे होने का सबूत कैसे मिलता है? (पेज 26 देखिए।)
25 आइए एक बार फिर हम दानिय्येल की किताब के पक्ष की बातों पर गौर करें। यह कहा गया है कि बाइबल के इब्रानी शास्त्र की किसी और किताब के समर्थन में इतने सबूत नहीं मिलते जितने कि दानिय्येल की किताब के। मिसाल के तौर पर मशहूर यहूदी इतिहासकार जोसीफस की बातों से इसका समर्थन मिलता है कि यह किताब सच्ची है। वे बताते हैं कि सा.यु.पू. चौथी सदी में सिकंदर महान ने फारस के खिलाफ जंग की और इस दौरान वह यरूशलेम में आया, और याजकों ने उसे दानिय्येल की किताब दिखाई। सिकंदर ने खुद यह माना कि दानिय्येल की किताब की जो भविष्यवाणी उसे दिखाई गई थी वह फारस के खिलाफ उसकी उसी लड़ाई की भविष्यवाणी थी। * यह घटना उस तारीख से डेढ़ सौ साल पहले हुई थी जिसे आलोचक दानिय्येल की किताब के लिखे जाने का समय बताते हैं और कहते हैं कि उस वक्त एक “जालसाज़” ने इस किताब को लिखा था। आलोचकों ने जोसीफस की इस बात का जमकर विरोध किया। वे इसलिए भी जोसीफस के पीछे हाथ धोकर पड़ गए क्योंकि उन्होंने बताया था कि दानिय्येल की कई भविष्यवाणियाँ पूरी हो चुकी हैं। लेकिन, जैसा इतिहासकार जोसेफ डी. विलसन कहते हैं, “इन आलोचकों को क्या पता, [जोसीफस] को इनसे लाख दर्जे ज़्यादा जानकारी थी।”
26. मृत सागर के पास मिले खर्रों ने दानिय्येल की किताब के समर्थन में कैसे सबूत दिया है?
26 इस्राएल में जब मृत सागर के पास की ख़ुमरान गुफाओं में शास्त्रों के कई खर्रे मिले तो उसके साथ ही दानिय्येल की किताब के समर्थन में एक और सबूत मिला। वहाँ सन् 1952 में बाकी कई चीज़ों के बीच में दानिय्येल की किताब के खर्रे और टुकड़े भी मिले हैं! इनमें से सबसे पुराना खर्रा करीब सा.यु.पू. दूसरी सदी का बताया जाता है। तो फिर इसका मतलब है कि उस वक्त तक दानिय्येल की किताब बहुत मशहूर हो चुकी थी और उसका आदर किया जाता था, नहीं तो इसे बाकी शास्त्रों के साथ भला क्यों रखा जाता? ज़ोनडरवन पिक्टोरियल इनसाइक्लोपीडिया ऑफ द बाइबल कहती है: “अब कोई यह दावा नहीं कर सकता है कि दानिय्येल की किताब को मक्काबियों के वक्त (सा.यु.पू. दूसरी सदी) में लिखा गया था। क्योंकि इतने कम वक्त में यह किताब इतनी मशहूर नहीं हो सकती और ना ही इतने कम वक्त में इसे इतना पवित्र माना जा सकता है कि (सा.यु.पू. दूसरी सदी के ही) एक पंथ ने इसे अपनी धार्मिक किताबों के संग रख लिया हो।”
27. इस बात का सबसे पुराना और ज़बरदस्त सबूत क्या है कि दानिय्येल वाकई बाबुल की बँधुआई के वक्त रहनेवाला एक मशहूर इंसान था?
27 दानिय्येल की किताब के समर्थन में ये सब वाकई बहुत ही ज़बरदस्त सबूत हैं। मगर एक और सबूत है जो इनसे भी ज़बरदस्त, पुराना और भरोसेमंद है। और वह है दानिय्येल के ज़माने के ही भविष्यवक्ता यहेजकेल की गवाही। यहेजकेल भी बाबुल में बँधुआई के वक्त एक भविष्यवक्ता था। और उसकी किताब में दानिय्येल का नाम कई बार आता है। (यहेजकेल 14:14, 20; 28:3) इससे यह पता चलता है कि दानिय्येल अपने जीवनकाल में ही यानी सा.यु.पू. छठवीं सदी में अपनी भक्ति और बुद्धि के लिए इतना मशहूर हो चुका था कि यहेजकेल ने उसका नाम नूह और अय्यूब जैसे वफादार भक्तों के साथ गिना।
सबसे बड़ा सबूत
28, 29. (क) दानिय्येल की किताब के सच्चे होने का सबसे भरोसेमंद सबूत क्या है? (ख) हमें यीशु की गवाही को क्यों मानना चाहिए?
28 आखिर में, आइए हम दानिय्येल की किताब के सच्चे होने के पक्ष में सबसे बड़े मत्ती 24:15; दानिय्येल 11:31; 12:11.
गवाह की बात पर ध्यान दें। यह गवाह था, यीशु मसीह। जब वह दुनिया के आखिरी दिनों के बारे में बता रहा था तब उसने “दानिय्येल भविष्यद्वक्ता” का ज़िक्र करते हुए उसकी किताब में लिखी एक भविष्यवाणी पर ध्यान दिलाया।—29 अगर हम आलोचकों की इस बात को सच मानें कि दानिय्येल की किताब को किसी ने मक्काबियों के वक्त में लिखा था तो हमारे सामने दो सवाल आते हैं। पहला यह कि क्या यीशु ही इस झूठी किताब को सच मान बैठा था? या फिर क्या ऐसा भी हो सकता है कि जो बात मत्ती ने लिखी वह यीशु ने कभी कही ही नहीं? लेकिन दोनों ही बातें सच नहीं हैं। अगर हम मत्ती में लिखी बातों पर विश्वास नहीं कर सकते तो बाकी बाइबल पर कैसे विश्वास कर सकते हैं? अगर हम इन आयतों को गलत मानकर निकालेंगे तो हम पवित्र शास्त्र की और कितनी बातों को निकालेंगे? प्रेरित पौलुस ने लिखा था: “हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है।” (2 तीमुथियुस 3:16, तिरछे टाइप हमारे।) इसलिए अगर दानिय्येल की किताब एक जालसाज़ी है, तो हर एक शास्त्र को पवित्र कहनेवाले पौलुस को भी एक धोखेबाज़ कहा जाएगा! और यीशु के बारे में क्या, क्या उसे मूर्ख बनाया जा सकता था? हरगिज़ नहीं। क्योंकि जब दानिय्येल की किताब लिखी जा रही थी उस वक्त वह स्वर्ग में मौजूद था और सबकुछ देख सकता था। क्योंकि यीशु ने खुद यह कहा था: “मैं तुम से सच सच कहता हूं; कि पहिले इसके कि इब्राहीम उत्पन्न हुआ मैं हूं।” (यूहन्ना 8:58) इसलिए, दानिय्येल की किताब सच्ची है या नहीं यह यीशु से बेहतर हमें और कौन बता सकता है? लेकिन यह पूछने की नौबत ही नहीं आती क्योंकि उसने एकदम साफ-साफ इस किताब के पक्ष में गवाही दी है।
30. यीशु के बपतिस्मे के समय पर दानिय्येल की किताब के समर्थन में और क्या सबूत मिला?
30 यीशु के बपतिस्मे के समय पर ही दानिय्येल की किताब के समर्थन में एक और सबूत मिला। जब उसने बपतिस्मा लिया तब वह मसीहा बना और इस तरह दानिय्येल की किताब में 69 सप्ताहों के बारे में लिखी हुई भविष्यवाणी पूरी हुई। (दानिय्येल 9:25, 26; इस किताब का 11वाँ अध्याय देखिए।) अगर यह दावा सही भी मान लिया जाए कि दानिय्येल की किताब को सा.यु.पू. दूसरी सदी में लिखा गया, तो इसका मतलब यह निकलता है कि इसका लिखनेवाला भविष्य के बारे में 200 साल पहले से ही जानता था। लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है? परमेश्वर क्यों किसी जालसाज़ को अपनी पवित्र शक्ति से प्रेरित करके सच्ची भविष्यवाणी लिखवाएगा? ऐसा कभी नहीं हो सकता। यीशु की सच्ची गवाही पर परमेश्वर के वफादार लोगों ने हमेशा दिल से यकीन किया है। तो चाहे दुनिया भर के सारे आलोचक, सारे इतिहासकार और विद्वान इकट्ठे होकर दानिय्येल को झूठा करार क्यों न दें तौभी यीशु की सिर्फ एक ही गवाही उन सबको झूठा साबित कर देती है क्योंकि वही “विश्वासयोग्य, और सच्चा गवाह है।”—प्रकाशितवाक्य 3:14.
31. क्या वज़ह है कि आज तक बहुत सारे बाइबल के आलोचक दानिय्येल की किताब पर यकीन करने के लिए तैयार नहीं हैं?
31 लेकिन यीशु की यह गवाही भी बाइबल के कई आलोचकों को काफी नहीं लगती। तब हम सोचने लगते हैं कि इतना सबकुछ देखने के बाद भी आखिर इन लोगों को और कितने सबूत चाहिए? आखिर ये कब यकीन करेंगे? ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर ने लिखा: “जब तक इनके मन में यह बात बैठी रहेगी कि ‘भविष्यवाणी नाम की कोई चीज़ होती ही नहीं’ तब तक सिर्फ जवाबों से इनका मुँह बन्द नहीं किया जा सकता।” दरअसल उनके अपने ही अविश्वास ने उन्हें अंधा कर रखा है। लेकिन आखिरकार यह फैसला उन्हीं का है और आखिर में नुकसान भी उन्हीं को भुगतना पड़ेगा।
32. दानिय्येल की किताब के अध्ययन में हम क्या-क्या पाएँगे?
32 लेकिन आप क्या मानते हैं? अगर आप दानिय्येल की किताब पर शक की कोई वज़ह नहीं पाते और इसे सच्चा मानते हैं तो बेशक आप इस किताब में पाए जानेवाले इतिहास के सफर पर निकलने और इसमें दी गईं भविष्यवाणियों का भेद जानने के लिए तैयार हैं। आप इस सफर को दिलचस्प और इन भविष्यवाणियों को हैरतअँगेज़ पाएँगे। लेकिन इससे भी बढ़कर आप यह पाएँगे कि हर अध्याय खत्म करने के साथ आपका विश्वास और भी मज़बूत होता जाएगा। आपको इसका कभी-भी मलाल नहीं होगा कि आपने दानिय्येल की भविष्यवाणी पर ध्यान दिया!
[फुटनोट]
^ पैरा. 4 कुछ आलोचकों ने जालसाज़ी के इस इलज़ाम पर लीपा-पोती करने के लिए यह कहा कि इसके लिखनेवाले ने दानिय्येल नाम को एक तख़ल्लुस की तरह इस्तेमाल किया है। ठीक उसी तरह जैसे कि कई लेखकों ने तख़ल्लुस का इस्तेमाल करके ऐसी कई किताबें लिखी हैं जिन्हें बाइबल का हिस्सा कहा जाता है पर असल में वे बाइबल का भाग नहीं हैं। लेकिन बाइबल के एक और आलोचक प्रोफेसर फर्डिनंड हिट्ज़िख ने सीधे-सीधे यह कहा: “दानिय्येल की किताब का मामला सिर्फ तख़ल्लुस इस्तेमाल करने का मामला नहीं बल्कि यह सचमुच जालसाज़ी का एक काम है। इसके लेखक ने पढ़नेवालों को धोखे में रखा और सोचा कि उसने ऐसा उनकी ही भलाई के लिए किया है।”
^ पैरा. 8 जब बाबुल पर कब्ज़ा किया गया था तब नबोनाइडस बाबुल में मौजूद नहीं था। इसीलिए बेलशस्सर को उस वक्त का राजा बताया गया है। लेकिन आलोचक यह कहकर एतराज़ जताते हैं कि बाइबल के अलावा बाकी दस्तावेज़ बेलशस्सर को राजा की पदवी नहीं देते। फिर भी, उसे राजा कहा जा सकता है क्योंकि बहुत सारे पुराने दस्तावेज़ों से पता चलता है कि उस ज़माने में प्रान्तों के हाकिमों को भी लोग राजा कहकर पुकारते थे।
^ पैरा. 20 इब्रानी विद्वान सी. एफ. काइल, दानिय्येल 5:3 के बारे में लिखते हैं: “मकिदुनी, यूनानी और रोमी लोगों में जेवनारों पर स्त्रियों के मौजूद होने का दस्तूर नहीं था। इसलिए LXX [यानी सेप्टुआजॆंट] की आयत 3 और आयत 23 में से स्त्रियों का ज़िक्र निकाल दिया गया था।”
^ पैरा. 24 मगर जब प्रेरित पौलुस ने ईश्वर-प्रेरणा से इब्रानियों का 11वाँ अध्याय लिखा और उसमें धर्मी पुरुषों और स्त्रियों का ज़िक्र किया तब शायद उसने दानिय्येल की किताब में लिखी हुई एक घटना की तरफ भी इशारा किया था। (दानिय्येल 6:16-24; इब्रानियों 11:32, 33) लेकिन प्रेरित ने इस अध्याय में उस वक्त तक के सभी धर्मी लोगों के नाम नहीं दिए हैं। यशायाह, यिर्मयाह, और यहेजकेल के नाम इस अध्याय में नहीं पाये जाते, लेकिन इससे यह साबित नहीं हो जाता कि वे कभी थे ही नहीं।
^ पैरा. 25 इतिहास से पता चलता है कि उस वक्त सिकंदर, फारस से दोस्ती रखनेवाले हर मुल्क और कौम को जड़ से मिटाने के लिए निकल पड़ा था। मगर उसने यहूदियों के साथ ऐसा नहीं किया, हालाँकि एक लंबे अरसे से उनके फारस के साथ बहुत अच्छे संबंध रहे थे। कुछ इतिहासकार कहते हैं कि सिकंदर दानिय्येल की इसी भविष्यवाणी की वज़ह से यहूदियों पर बहुत मेहरबान था।
आपने क्या समझा?
• दानिय्येल की किताब पर क्या इलज़ाम लगाया गया है?
• दानिय्येल की किताब पर आलोचकों ने जो इलज़ाम लगाए हैं वे खोखले क्यों हैं?
• दानिय्येल की किताब के समर्थन में कौन-कौन से सबूत पाए जाते हैं?
• दानिय्येल की किताब सच्ची है इसका सबसे बड़ा सबूत क्या है?
[अध्ययन के लिए सवाल]
[पेज 26 पर बक्स]
भाषा की शैली
दानिय्येल की किताब करीब सा.यु.पू. 536 में लिखकर पूरी की गई। इसे इब्रानी और अरामी भाषाओं में लिखा गया, साथ ही इसमें कुछ यूनानी और फारसी शब्द भी पाए जाते हैं। बाइबल में इस तरह भाषा का इस्तेमाल अनोखा ज़रूर है पर यह बाइबल में अकेली ऐसी किताब नहीं है जिसकी भाषा की शैली ऐसी है। एज्रा की किताब भी इब्रानी और अरामी भाषाओं में लिखी गई है। लेकिन दानिय्येल की किताब की भाषा को देखते हुए कुछ आलोचक इस बात को लेकर अड़ जाते हैं कि इसे सा.यु.पू. 536 में नहीं बल्कि उसके बहुत बाद लिखा गया होगा। एक मशहूर आलोचक के मुताबिक दानिय्येल की किताब में जिस तरह यूनानी शब्दों का इस्तेमाल किया गया है वह इस बात का दावा है कि इसे बहुत समय बाद ही लिखा गया था। इसमें पाई जानेवाली इब्रानी भाषा इसका समर्थन करती है और इसकी अरामी भाषा भी कम-से-कम इसकी गुंजाइश छोड़ती है कि इसे बहुत समय बाद यानी करीब सा.यु.पू. दूसरी सदी में लिखा गया होगा।
लेकिन भाषा का ज्ञान रखनेवाले सभी विद्वान इस बात को नहीं मानते। इनमें से कुछ विद्वानों ने कहा है कि दानिय्येल की किताब की इब्रानी भाषा की शैली यहेजकेल और एज्रा की इब्रानी भाषा जैसी ही है। इसकी भाषा उन किताबों की तरह नहीं जो बाद में लिखी गईं, जैसे इक्लीज़ियास्टिकस किताब। और जहाँ तक इस किताब में अरामी भाषा के इस्तेमाल की बात आती है तो मृत सागर के पास पाए गए दो दस्तावेज़ों पर ध्यान दीजिए। इन्हें करीब सा.यु.पू. दूसरी सदी में अरामी भाषा में लिखा गया था और आलोचक कहते हैं कि इसी समय पर दानिय्येल की जालसाज़ किताब लिखी गई थी। लेकिन विद्वानों ने इन दस्तावेज़ों की अरामी भाषा की शैली और दानिय्येल की किताब की अरामी भाषा की शैली के बीच ज़मीन-आसमान का फर्क पाया है। इसीलिए कई विद्वान कहते हैं कि दानिय्येल की किताब सा.यु.पू. दूसरी सदी में नहीं लिखी गई जैसा उसके आलोचक दावा करते हैं बल्कि यह इससे बहुत समय पहले लिखी गई थी।
तो फिर दानिय्येल की किताब में पाए जानेवाले उन यूनानी शब्दों के बारे में क्या कहा जा सकता है जिन्हें कई विद्वान “पेचीदा” बताते हैं? मगर अब पता चला है कि इनमें से कई शब्द तो यूनानी हैं ही नहीं बल्कि फारसी हैं! और बाकी बचे जिन तीन पेचीदा शब्दों को यूनानी समझा जाता है वे सिर्फ तीन साज़ों के नाम हैं। लेकिन क्या इन तीन शब्दों का होना ही इस बात का दावा बन जाता है कि दानिय्येल की किताब को बाद में लिखा गया था? बिलकुल नहीं! पुरातत्ववालों ने पाया है कि विश्वशक्ति बनने से सदियों पहले यूनानी संस्कृति का कई देशों पर कुछ हद तक प्रभाव था और इसीलिए यह तीन शब्द इस किताब में पाए जाते हैं। लेकिन अगर दानिय्येल की किताब को सा.यु.पू. दूसरी सदी में लिखा गया होता, जब यूनानी संस्कृति पूरी दुनिया पर छाई हुई थी, तो क्या इसमें सिर्फ तीन यूनानी शब्द होते? ऐसा हो ही नहीं सकता बल्कि इसमें तीन से कहीं ज़्यादा यूनानी शब्द पाए जाते। इसलिए इस किताब की भाषा की शैली को जाँचने से यह साफ-साफ ज़ाहिर होता है कि दानिय्येल की किताब वाकई सच्ची है।
[पेज 12 पर बड़ी तसवीर दी गयी है]
[पेज 20 पर तसवीरें]
(नीचे) बाबुल के मंदिर का बेलन जिस पर राजा नबोनाइडस और उसके बेटे बेलशस्सर का नाम है
(ऊपर) इस शिलालेख में नबूकदनेस्सर ने अपने निर्माण के काम के बारे में शेखी मारी है
[पेज 21 पर तसवीर]
नबोनाइडस की शिला के मुताबिक, कुस्रू की सेना को बाबुल में दाखिल होने के लिए युद्ध नहीं करना पड़ा
[पेज 22 पर तसवीरें]
(दाएँ) ‘नबोनाइडस का लेख’ बताता है कि नबोनाइडस ने अपने बड़े बेटे को अपना राज चलाने की ज़िम्मेदारी दी
(बाएँ) नबूकदनेस्सर के यहूदा पर चढ़ाई करने के बारे में बाबुल में पाया गया शिलालेख