गुण नंबर 2
बातचीत की शैली
2 कुरिंथियों 2:17
क्या करना है: स्वाभाविक तरीके से बात कीजिए। तब सुननेवाले जान पाएँगे कि आप जो कह रहे हैं, वह दिल से कह रहे हैं और आप उनका भला चाहते हैं।
कैसे करना है:
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प्रार्थना करके अच्छी तैयारी कीजिए। परमेश्वर से मदद माँगिए ताकि आपका ध्यान आपकी बातों पर रहे, न कि इस पर कि आप कितने घबराए हुए हैं। मुख्य मुद्दे मन में बिठा लीजिए। जो लिखा है वह शब्द-ब-शब्द बोलने के बजाय, अपने शब्दों में बोलिए।
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दिल से बोलिए। सोचिए कि आप जो बताना चाहते हैं, वह लोगों के लिए क्यों ज़रूरी है। उन पर ध्यान लगाइए। तब आपके खड़े रहने या बैठने के तरीके से और आपके हाथों और चेहरे के हाव-भाव से पता चलेगा कि आप दिल से और दोस्ताना अंदाज़ में बोल रहे हैं।
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नज़रें मिलाकर बात कीजिए। जहाँ बुरा नहीं माना जाता, वहाँ लोगों को देखकर बात कीजिए। भाषण देते वक्त, सब लोगों को एक-साथ देखने के बजाय, कुछ पल के लिए किसी एक व्यक्ति की तरफ देखकर बात कीजिए।