भाग 7
यहोवा ने तोड़ी गुलामी की बेड़ियाँ
यहोवा मिस्र पर एक-के-बाद-एक कई विपत्तियाँ लाया। फिर उसने मूसा के ज़रिए इसराएलियों को मिस्र की गुलामी से छुड़ाया और उन्हें अपना कानून दिया
कई सालों तक इसराएली मिस्र में रहे। उनकी गिनती बढ़ती गयी और उनके पास काफी धन-संपत्ति जमा हो गयी। फिर मिस्र में एक नया फिरौन राज करने लगा, जो एक बेरहम तानाशाह था। वह यूसुफ को नहीं जानता था। इसराएलियों की बढ़ती आबादी देखकर उसके दिल में यह डर बैठ गया कि कहीं वे मिस्रियों पर राज न करने लगें। इसलिए फिरौन ने उन्हें अपना गुलाम बना लिया। उसने यह हुक्म भी दिया कि अगर इसराएलियों का बेटा पैदा हो, तो उन्हें नील नदी में फेंक दिया जाए। लेकिन एक बहादुर माँ ने अपने नन्हे बेटे की जान बचायी। कैसे? उसने उसे एक टोकरी में लिटा दिया और उस टोकरी को नदी के किनारे ऊँची-ऊँची घास के बीच रख दिया। जब फिरौन की बेटी नदी पर आयी, तो उसकी नज़र टोकरी पर पड़ी। वह बच्चे को अपने साथ राजमहल ले आयी और उसने उसका नाम मूसा रखा। इस तरह, मूसा की परवरिश राजघराने में होने लगी।
जब मूसा 40 साल का हुआ, तब वह एक मुसीबत में फँस गया। उसने देखा कि एक मिस्री अधिकारी, इसराएली आदमी को मार रहा है। उससे यह बरदाश्त नहीं हुआ और उसने अधिकारी को जान से मार डाला। इसके बाद, वह मिस्र से भाग खड़ा हुआ और एक दूर देश में जाकर रहने लगा। फिर जब मूसा 80 साल का हुआ, तब यहोवा ने उसे वापस मिस्र लौटने के लिए कहा। और उसे बताया कि वह फिरौन के पास जाकर परमेश्वर के लोगों यानी इसराएलियों को छोड़ने की माँग करे।
फिरौन ने इसराएलियों को छोड़ने से साफ इनकार कर दिया। इस पर यहोवा ने मिस्र पर दस विपत्तियाँ लायीं। मगर हर विपत्ति से पहले मूसा ने फिरौन को अपना मन बदलने का मौका दिया, ताकि मिस्र पर विपत्ति न आए। फिर भी, फिरौन ढीठ का ढीठ बना रहा। यहाँ तक कि उसने मूसा और उसके परमेश्वर यहोवा की बेइज़्ज़ती की। आखिरकार, दसवीं विपत्ति में परमेश्वर के स्वर्गदूत ने सारे मिस्री परिवारों के बड़े बेटों को मार डाला। जबकि इसराएलियों के बड़े बेटों को उसने छोड़ दिया, क्योंकि उन्होंने यहोवा की आज्ञा मानते हुए अपने घरों की चौखट पर बलि चढ़ाए मेम्ने का खून छिड़का था। यह दिन इसराएलियों के लिए एक यादगार बन गया, क्योंकि यहोवा ने हैरतअँगेज़ तरीके से उन्हें बचाया था। उसके बाद से वे हर साल उस तारीख को ‘फसह’ नाम का त्योहार मनाने लगे।
जब फिरौन का बड़ा बेटा मारा गया, तो उसने मूसा और इसराएलियों को मिस्र से चले जाने के लिए कहा। इसराएली बिना वक्त गँवाए वहाँ से रवाना हो गए। मगर फिर, फिरौन को अफसोस हुआ कि उसने क्यों अपने गुलामों को जाने दिया। उसने तुरंत अपनी सेना और रथ तैयार किए और इसराएलियों का पीछा करने के लिए निकल पड़ा। उस वक्त इसराएली लाल सागर के पास डेरा डाले हुए थे। फिरौन की सेना को आते देख उन्हें लगा कि अब उनके बचने का कोई रास्ता नहीं। मगर तभी यहोवा ने लाल सागर को दो हिस्सों में बाँट दिया, जिससे पानी दोनों तरफ दीवार की तरह खड़ा हो गया! फिर इसराएली समुद्र के बीच की सूखी ज़मीन में से होकर पार जाने लगे। और जब फिरौन और उसकी सेना उनका पीछा करते हुए समुद्र के बीच पहुँची, तब परमेश्वर ने पानी की दीवारों को ढाह दिया। नतीजा, फिरौन और उसकी सेना सागर में डूब गए।
कुछ समय बाद, इसराएलियों ने सीनै पहाड़ के पास अपने तंबू खड़े किए। वहाँ यहोवा ने उनके साथ एक वाचा बाँधी। उसने मूसा के ज़रिए उन्हें कानून भी दिए, जो ज़िंदगी के लगभग हर पहलू से ताल्लुक रखते थे। ये कानून उन्हें अपनी ज़िंदगी में सही फैसले लेने में मदद देते और उनकी हिफाज़त करते। यहोवा ने इसराएलियों से वादा किया कि वह उनकी मदद करता रहेगा और उन्हें एक ऐसा राष्ट्र बनाएगा जिसके ज़रिए पूरी मानवजाति को आशीष मिलेगी। मगर उसने एक शर्त रखी कि वे उसके वफादार बने रहें और उसे अपना राजा मानें।
पर अफसोस, ज़्यादातर इसराएली वफादार नहीं रहे। उन्होंने परमेश्वर पर विश्वास नहीं दिखाया। इसलिए परमेश्वर ने उन्हें 40 साल जंगल में भटकने दिया। फिर मूसा ने नेकदिल यहोशू को इसराएल का अगला नेता चुना। आखिरकार, वह वक्त आ ही गया जब इसराएली उस देश में दाखिल होनेवाले थे, जिसका वादा यहोवा ने अब्राहम से किया था।
—यह भाग निर्गमन; लैव्यव्यवस्था; गिनती; व्यवस्थाविवरण; भजन 136:10-15; प्रेषितों 7:17-36 पर आधारित है।