शासी निकाय की तरफ से एक खत
यहोवा से प्यार करनेवालो:
“तुम सच्चाई को जानोगे और सच्चाई तुम्हें आज़ाद करेगी।” (यूहन्ना 8:32) यीशु के इन शब्दों से हमें कितना हौसला मिलता है! हालाँकि आज हर तरफ झूठ का बोलबाला है, फिर भी संकटों से भरे इन “आखिरी दिनों” में सच्चाई जानना मुमकिन है। (2 तीमुथियुस 3:1) क्या आपको वह घड़ी याद है जब पहली बार आपको परमेश्वर के वचन से समझाया गया और आपके दिल ने यह गवाही दी कि यही सच्चाई है? उस दिन आप कितने खुश हुए थे!
सच्चाई की सही-सही समझ पाना और दूसरों को इसके बारे में सिखाते रहना जितना ज़रूरी है, उतना ही ज़रूरी है कि हम खुद इस सच्चाई के मुताबिक जीएँ। हमें खुद को परमेश्वर के प्यार के लायक बनाए रखना होगा। इसके लिए क्या करना ज़रूरी है? जवाब के लिए गौर कीजिए कि यीशु ने अपनी मौत से कुछ वक्त पहले अपने वफादार प्रेषितों से क्या कहा, “अगर तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्यार के लायक बने रहोगे, ठीक जैसे मैं पिता की आज्ञाएँ मानता हूँ और उसके प्यार के लायक बना रहता हूँ।”—यूहन्ना 15:10.
गौर कीजिए कि यीशु ने अपने पिता के प्यार के लायक बने रहने के लिए उसकी आज्ञाओं का पालन किया। हमें भी यही करना है। परमेश्वर के प्यार के लायक बने रहने के लिए हमें हर दिन, हर रोज़ सच्चाई के हिसाब से चलना होगा। यीशु ने उस वक्त यह भी कहा, “तुमने ये बातें जान ली हैं, लेकिन अगर तुम ऐसा करो तो सुखी होगे।”—यूहन्ना 13:17.
हमें पूरी उम्मीद है कि यह किताब आपको हर रोज़ सच्चाई पर अमल करते रहने में मदद देगी। इस तरह आप खुद को ‘परमेश्वर के प्यार के लायक बनाए रखेंगे जिससे आपको हमेशा की ज़िंदगी मिलेगी।’—यहूदा 21.
यहोवा के साक्षियों का शासी निकाय