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अध्याय 6

अच्छा मनोरंजन क्या है​—कैसे जानें?

अच्छा मनोरंजन क्या है​—कैसे जानें?

“सबकुछ परमेश्‍वर की महिमा के लिए करो।”​—1 कुरिंथियों 10:31.

1, 2. मनोरंजन के मामले में हमें सोच-समझकर फैसला क्यों करना चाहिए?

 मान लीजिए, आप एक फल खाने की सोच रहे हैं। मगर जैसे ही आप उसे हाथ में लेते हैं, आप देखते हैं कि उसका कुछ हिस्सा सड़ा हुआ है। अब आप क्या करेंगे? उसे खाएँगे या फेंक देंगे? या फिर सड़ा हुआ हिस्सा काटकर निकाल देंगे और अच्छा हिस्सा खाएँगे?

2 आजकल का ज़्यादातर मनोरंजन एक तरह से उस फल जैसा है। कुछ फिल्में, टीवी कार्यक्रम वगैरह अच्छे होते हैं, मगर ज़्यादातर बहुत बुरे होते हैं। अनैतिकता, मार-धाड़, हैवानियत, भूत-प्रेत के किस्से, यह सब दिखाना बहुत आम है। मनोरंजन के मामले में आप क्या मानते हैं? क्या आपका यह कहना है, “मेरी मरज़ी, जो चाहे देखूँ, जो चाहे सुनूँ” या आप यह मानते हैं कि कोई भी मनोरंजन ठीक नहीं है या फिर आप सोच-समझकर मनोरंजन करते हैं और बुरी बातें बिलकुल नहीं देखते?

3. मनोरंजन के मामले में हमें किस बारे में सोचना चाहिए?

3 हम सबको थोड़ा-बहुत मनोरंजन तो चाहिए, मगर हम यह भी चाहते हैं कि वह मनोरंजन अच्छा हो। हमें सोचना है कि हम किस तरह का मनोरंजन करते हैं, क्योंकि इसका हमारी उपासना से गहरा नाता है।

“सबकुछ परमेश्‍वर की महिमा के लिए करो”

4. एक सिद्धांत बताइए, जिसे मन में रखने से हम अच्छा मनोरंजन कर पाएँगे।

4 जब हम अपना जीवन यहोवा को समर्पित करते हैं, तो हम उससे वादा करते हैं कि सारी ज़िंदगी उसकी सेवा करेंगे। (सभोपदेशक 5:4 पढ़िए।) हम बाइबल के इस सिद्धांत पर चलने का फैसला करते हैं कि हम “सबकुछ परमेश्‍वर की महिमा के लिए” करेंगे। (1 कुरिंथियों 10:31) इसका मतलब है कि हम सिर्फ प्रचार करते वक्‍त या सभाओं में ही नहीं बल्कि हर समय परमेश्‍वर के समर्पित सेवक हैं, यहाँ तक कि मनोरंजन करते वक्‍त भी।

5. हमारी उपासना कैसी होनी चाहिए?

5 हम ज़िंदगी में जो कुछ करते हैं, उस पर निर्भर करता है कि परमेश्‍वर हमारी उपासना स्वीकार करेगा या नहीं। पौलुस ने यही बात समझाते हुए कहा था, “अपने शरीर को जीवित, पवित्र और परमेश्‍वर को भानेवाले बलिदान के तौर पर अर्पित करो।” (रोमियों 12:1) यीशु ने कहा था, “तू अपने परमेश्‍वर यहोवा से अपने पूरे दिल, अपनी पूरी जान, अपने पूरे दिमाग और अपनी पूरी ताकत से प्यार करना।” (मरकुस 12:30) हम यहोवा की उपासना के लिए जो भी करते हैं, वह हमारी तरफ से सबसे अच्छा होना चाहिए। इसराएलियों को बताया गया था कि जब भी वे यहोवा के लिए कोई जानवर बलिदान करें, तो वह ऐसा जानवर होना चाहिए, जो पूरी तरह स्वस्थ हो। अगर जानवर में कोई दोष होता, तो यहोवा उसे स्वीकार नहीं करता था। (लैव्यव्यवस्था 22:18-20) उसी तरह अगर आज हमारी उपासना में कोई दोष होगा, तो यहोवा उसे स्वीकार नहीं करेगा। इसका मतलब क्या है?

6, 7. हम जो मनोरंजन करते हैं, उससे हमारी उपासना दूषित क्यों हो सकती है?

6 यहोवा हमसे कहता है, “तुम्हें पवित्र बने रहना है क्योंकि मैं पवित्र हूँ।” (1 पतरस 1:14-16; 2 पतरस 3:11) यहोवा हमारी उपासना तभी स्वीकार करेगा, जब वह पवित्र या शुद्ध होगी। (व्यवस्थाविवरण 15:21) यहोवा को अनैतिकता, हिंसा, जादू-टोने जैसी बातों से नफरत है। अगर हम ऐसे काम करें, तो हमारी उपासना अशुद्ध हो जाएगी। (रोमियों 6:12-14; 8:13) हो सकता है कि हम खुद ऐसे काम न करें, लेकिन फिल्मों वगैरह में इन्हीं बातों का मज़ा लें। ऐसे में हमारी उपासना दूषित हो जाएगी। यहोवा उसे स्वीकार नहीं करेगा और उसके साथ हमारा जो रिश्‍ता है, वह भी टूट सकता है।

7 हम सही किस्म का मनोरंजन कैसे चुन सकते हैं? किन सिद्धांतों का ध्यान रखने से हम जान पाएँगे कि फलाँ मनोरंजन अच्छा है या बुरा?

बुराई से नफरत कीजिए

8, 9. हम किस तरह का मनोरंजन नहीं करते और क्यों?

8 मनोरंजन के लिए आज बहुत कुछ उपलब्ध है। इनमें से कुछ बातें तो ठीक होती हैं और हम मसीही उसका आनंद ले सकते हैं, मगर ज़्यादातर बातें बुरी होती हैं और हमारे लिए सही नहीं हैं। आइए पहले जानें कि किस तरह का मनोरंजन बुरा है।

9 कई फिल्में, टीवी कार्यक्रम, गाने, वेबसाइट और वीडियो गेम अनैतिकता, हिंसा और जादू-टोने पर आधारित होते हैं। उनमें बुरी बातें इस तरह पेश की जाती हैं मानो वे गलत नहीं हैं, यहाँ तक कि वे मज़ेदार बनाकर पेश की जाती हैं। यह सब यहोवा की नज़र में अशुद्ध है, इसलिए हम इस तरह का मनोरंजन नहीं करते। (प्रेषितों 15:28, 29; 1 कुरिंथियों 6:9, 10) यह देखकर यहोवा को खुशी होती है कि हम बुराई से नफरत करते हैं।​—भजन 34:14; रोमियों 12:9.

10. गलत किस्म का मनोरंजन करने से क्या हो सकता है?

10 मगर कुछ लोगों को लगता है कि अनैतिकता, हिंसा और जादू-टोने पर आधारित फिल्में वगैरह देखने में कोई बुराई नहीं है। वे कहते हैं, ‘मैं थोड़े न ऐसे काम करनेवाला हूँ। मैं तो बस मज़े के लिए देख रहा हूँ।’ मगर ऐसा सोचने से हम खुद को ही धोखा दे रहे होंगे। बाइबल कहती है, “दिल सबसे बड़ा धोखेबाज़ है और यह उतावला होता है।” (यिर्मयाह 17:9) जिन बातों से यहोवा नफरत करता है, अगर हम उनका मज़ा लें, तो क्या हम यह कह पाएँगे कि हम उनसे नफरत करते हैं? हम जितना ज़्यादा उन बातों का मज़ा लेंगे, उतना ही हमें लगने लगेगा कि उनमें कोई बुराई नहीं है। धीरे-धीरे हमारा ज़मीर कमज़ोर पड़ जाएगा। फिर ऐसा वक्‍त भी आएगा कि हम कोई गलत बात देखने जा रहे होंगे और यह हमें सावधान नहीं करेगा।​—भजन 119:70; 1 तीमुथियुस 4:1, 2.

11. गलातियों 6:7 के सिद्धांत से हम क्या सीख सकते हैं?

11 बाइबल कहती है कि “इंसान जो बोता है, वही काटेगा भी।” (गलातियों 6:7) यह बात एकदम सच है। अगर हम बुरी बातों का आनंद लें, तो कुछ समय बाद हम बुरे काम करने भी लग जाएँगे। ऐसा कुछ मसीहियों के साथ हुआ है। उन्हें अनैतिक बातों से मनोरंजन करने की आदत थी, इसीलिए उन्होंने नाजायज़ संबंध रखने का पाप कर दिया। इस वजह से यह बहुत ज़रूरी है कि हम सिर्फ सही किस्म का मनोरंजन करें। इस बारे में यहोवा हमें अच्छी सलाह देता है।

बाइबल के सिद्धांतों के मुताबिक फैसला कीजिए

12. हम मनोरंजन के मामले में सही फैसला कैसे कर सकते हैं?

12 यह तो हम समझ गए कि जिस मनोरंजन के बारे में हम जानते हैं कि वह यहोवा की नज़र में बुरा है, वह हमें हरगिज़ नहीं करना चाहिए। लेकिन मान लीजिए किसी मनोरंजन के बारे में हम समझ नहीं पा रहे कि वह यहोवा की नज़र में ठीक है या नहीं, तब हम क्या करेंगे? यहोवा ने हमें नियमों की कोई सूची नहीं दी है कि हम क्या देखें, सुनें या पढ़ें। वह चाहता है कि हम अपने ज़मीर को प्रशिक्षित करें और उसके हिसाब से फैसला करें। (गलातियों 6:5 पढ़िए।) यहोवा ने हमें बाइबल में ऐसे सिद्धांत या सच्चाइयाँ बतायी हैं, जिनसे हम जान सकते हैं कि किसी मामले में उसकी सोच क्या है। अगर हम अपने ज़मीर को इन सिद्धांतों के हिसाब से काम करना सिखाएँ, तो यह हमें मनोरंजन के मामले में भी बताएगा कि “यहोवा की मरज़ी क्या है।” (इफिसियों 5:17) फिर हम सही फैसला कर पाएँगे और यहोवा खुश होगा।

बाइबल के सिद्धांतों को मानने से हम सही किस्म का मनोरंजन चुन पाएँगे

13. (क) मनोरंजन के मामले में मसीहियों का फैसला एक-दूसरे से अलग क्यों हो सकता है? (ख) सभी मसीहियों को कौन-सी बात ध्यान में रखनी चाहिए?

13 मनोरंजन के मामले में मसीहियों का फैसला एक-दूसरे से अलग हो सकता है। ऐसा क्यों होता है? एक वजह यह है कि हम सबकी अपनी-अपनी पसंद होती है। दूसरी वजह है कि जो बात एक को सही लगती है, वह शायद दूसरे को सही न लगे। चाहे जो भी हो, हरेक मसीही को इस मामले में बाइबल के सिद्धांतों का ध्यान रखना चाहिए। (फिलिप्पियों 1:9) फिर वह जो भी मनोरंजन करेगा, वह यहोवा की नज़र में बुरा नहीं होगा।​—भजन 119:11, 129; 1 पतरस 2:16.

14. (क) हम मनोरंजन करने में कितना समय बिताते हैं, इसका हमें ध्यान क्यों रखना चाहिए? (ख) पौलुस ने मसीहियों को क्या सलाह दी?

14 हमें एक और बात याद रखनी है। वह यह कि हम मनोरंजन करने में कितना समय बिताते हैं। इससे पता चलेगा कि हम इसे कितना महत्त्व देते हैं। हम मसीहियों के लिए यहोवा की सेवा करना सबसे ज़रूरी है। (मत्ती 6:33 पढ़िए।) पर हो सकता है, हम मनोरंजन करने में इतना डूब जाते हैं कि हमें पता ही नहीं चलता कि हमारा कितना वक्‍त बरबाद हो रहा है। पौलुस ने मसीहियों को यह सलाह दी, “खुद पर कड़ी नज़र रखो कि तुम्हारा चालचलन कैसा है, मूर्खों की तरह नहीं बल्कि बुद्धिमानों की तरह चलो। अपने वक्‍त का सही इस्तेमाल करो।” (इफिसियों 5:15, 16) हमें तय करना है कि हम मनोरंजन के लिए कितना समय देंगे। हमें यह भी ध्यान रखना है कि हम यहोवा की सेवा को सबसे ज़्यादा अहमियत दें।​—फिलिप्पियों 1:10.

15. हम ऐसे मनोरंजन के मामले में क्या करेंगे, जिससे यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता खतरे में पड़ सकता है?

15 इसमें कोई शक नहीं कि हमें ऐसा मनोरंजन नहीं करना चाहिए, जिससे यहोवा नफरत करता है। लेकिन अगर हम किसी मनोरंजन को लेकर दुविधा में हैं, तो हमें क्या करना चाहिए? क्या ऐसे में भी हमें सावधान रहना चाहिए? मान लीजिए कि आप एक पहाड़ी रास्ते पर चल रहे हैं। क्या आप उस रास्ते के एकदम किनारे से जाएँगे? नहीं। अगर आपको अपनी जान प्यारी है, तो आप जितना हो सके किनारे से दूर रहेंगे। मनोरंजन के मामले में भी हमें इसी तरह की सावधानी बरतनी है। बाइबल में हमसे कहा गया है, “बुराई के रास्ते पर कदम रखने से दूर रहना।” (नीतिवचन 4:25-27) जिस मनोरंजन के बारे में हम पक्के तौर पर जानते हैं कि वह बुरा है, उससे तो दूर रहेंगे ही, लेकिन हम उस मनोरंजन से भी दूर रहेंगे, जिसके बारे में हमें शंका हो कि वह शायद अच्छा नहीं है। वरना यहोवा के साथ हमारा जो रिश्‍ता है, वह खतरे में पड़ सकता है।

यहोवा की सोच अपनाइए

16. (क) यहोवा कैसी बातों से नफरत करता है? (ख) अगर हम भी उन बातों से नफरत करते हैं, तो हम क्या करेंगे?

16 भजन के एक रचयिता ने लिखा, “यहोवा से प्यार करनेवालो, बुराई से नफरत करो।” (भजन 97:10) बाइबल पढ़ने से हम जान पाते हैं कि किसी बात के बारे में यहोवा की सोच क्या है और वह कैसा महसूस करता है। हमें भी वही नज़रिया अपनाना चाहिए। मिसाल के लिए, बाइबल में लिखा है कि यहोवा को ‘झूठ बोलनेवाली जीभ, बेगुनाहों का खून करनेवाले हाथ, साज़िश रचनेवाले दिल और बुराई की तरफ दौड़नेवाले पैरों’ से नफरत है। (नीतिवचन 6:16-19) यह भी लिखा है कि ‘नाजायज़ यौन-संबंध, मूर्तिपूजा, जादू-टोना, जलन, गुस्से से भड़कना, ईर्ष्या, पियक्कड़पन, रंगरलियाँ’ और इस तरह के काम उसकी नज़र में बुरे हैं। (गलातियों 5:19-21) क्या आप समझ पाए कि बाइबल के इन सिद्धांतों को ध्यान में रखने से आप मनोरंजन के मामले में सही फैसला कैसे कर सकते हैं? हमें जीवन के हर पहलू में और हर समय यहोवा के स्तरों को मानना चाहिए, फिर चाहे हम लोगों के साथ हों या अकेले। (2 कुरिंथियों 3:18) दरअसल हम अकेले में जो करते हैं, उसी से पता चलेगा कि हम अंदर से कैसे इंसान हैं।​—भजन 11:4; 16:8.

17. किसी भी तरह का मनोरंजन करने से पहले हमें क्या सोचना चाहिए?

17 किसी भी तरह का मनोरंजन करने से पहले ज़रा सोचिए, ‘कहीं इस मनोरंजन की वजह से यहोवा के साथ मेरा रिश्‍ता कमज़ोर तो नहीं पड़ जाएगा? इसका मेरे ज़मीर पर क्या असर पड़ेगा?’ आइए कुछ और सिद्धांतों पर चर्चा करें, जिनकी मदद से हम सही किस्म का मनोरंजन चुन सकते हैं।

18, 19. (क) पौलुस ने मसीहियों को क्या सलाह दी? (ख) किन सिद्धांतों का ध्यान रखने से हम सही फैसला कर पाएँगे?

18 हम जिन बातों से मनोरंजन करते हैं, वही बातें हमारे दिलो-दिमाग में भर जाती हैं। पौलुस ने लिखा, “जो बातें सच्ची हैं, जो बातें गंभीर सोच-विचार के लायक हैं, जो बातें नेक हैं, जो बातें साफ-सुथरी हैं, जो बातें चाहने लायक हैं, जो बातें अच्छी मानी जाती हैं, जो बातें सद्‌गुण की हैं और जो तारीफ के लायक हैं, उन्हीं पर ध्यान देते रहो।” (फिलिप्पियों 4:8) अगर हम अच्छी बातों से अपने मन को भरें, तो हम यह कह पाएँगे, “हे यहोवा, मेरी चट्टान और मेरे छुड़ानेवाले, मेरे मुँह की बातें और मन के विचार हमेशा तुझे भाएँ।”​—भजन 19:14.

19 खुद से पूछिए, ‘मैं अपने मन को किस तरह की बातों से भर रहा हूँ? कोई फिल्म या टीवी कार्यक्रम देखने के बाद मुझे कैसा लगता है? क्या मैं खुश रहता हूँ? क्या मेरा ज़मीर शांत रहता है? (इफिसियों 5:5; 1 तीमुथियुस 1:5, 19) क्या मैं बेझिझक यहोवा से प्रार्थना कर पाता हूँ या मुझे बुरा लगता है? क्या उस मनोरंजन की वजह से मैं खून-खराबे के बारे में सोचने लगता हूँ या मेरे मन में अनैतिक खयाल उठने लगते हैं? (मत्ती 12:33; मरकुस 7:20-23) मैं जिस तरह का मनोरंजन करता हूँ, क्या उसकी वजह से मैं “दुनिया की व्यवस्था के मुताबिक ढलने” लगा हूँ?’ (रोमियों 12:2) इन सवालों का हमारे मन में जो जवाब आता है, उससे हमें पता चलेगा कि यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता मज़बूत करने के लिए हमें क्या करना होगा। भजन के एक रचयिता की तरह हम भी परमेश्‍वर से यही बिनती करते हैं, “मेरी आँखों को बेकार की चीज़ों से फेर दे।” *​—भजन 119:37.

दूसरों के बारे में भी सोचिए

20, 21. हमें दूसरों के बारे में भी क्यों सोचना चाहिए?

20 एक और अहम सिद्धांत है, “सब बातें जायज़ तो हैं, मगर सब बातें फायदेमंद नहीं। सब बातें जायज़ तो हैं, मगर सब बातें हौसला नहीं बढ़ातीं। हर कोई अपने फायदे की नहीं बल्कि दूसरे के फायदे की सोचता रहे।” (1 कुरिंथियों 10:23, 24) हमें कुछ करने की आज़ादी है, तो इसका यह मतलब नहीं कि हमें वह करना ही है। हमें यह भी देखना चाहिए कि अगर हमने वह किया, तो हमारे भाई-बहनों पर कैसा असर पड़ेगा।

21 सबका ज़मीर एक जैसा काम नहीं करता। उदाहरण के लिए, टीवी का एक कार्यक्रम देखने में शायद आपके ज़मीर को एतराज़ न हो। लेकिन जब आपको पता चलता है कि वह कार्यक्रम किसी भाई या बहन के ज़मीर को गवारा नहीं है, तो आप क्या करेंगे? शायद आप उसे न देखने का फैसला करें, इसके बावजूद कि आपको उसे देखने का अधिकार है। ऐसा क्यों? अगर आप उसे देखेंगे, तो आप उस ‘भाई के खिलाफ पाप’ कर रहे होंगे, यहाँ तक कि “मसीह के खिलाफ” पाप कर रहे होंगे। (1 कुरिंथियों 8:12) हमें ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए, जिससे हमारे भाई-बहनों को ठोकर लगे।​—रोमियों 14:1; 15:1; 1 कुरिंथियों 10:32.

22. दूसरे भाई-बहनों को जो सही लगता है, हमें उसे गलत क्यों नहीं ठहराना चाहिए?

22 यह भी हो सकता है कि एक भाई या बहन को जो चीज़ें देखना या पढ़ना सही लगता है, वह आपको सही न लगे। तब आप क्या करेंगे? बेशक आप अपनी राय उस पर नहीं थोपना चाहेंगे, न ही उसे मना करेंगे, क्योंकि आप उससे प्यार करते हैं। भले ही आप दोनों की राय थोड़ी अलग हो, मगर आप दोनों ही बाइबल के सिद्धांतों को मान रहे हैं। उदाहरण के लिए, एक अच्छा ड्राइवर अपनी रफ्तार पर गाड़ी चलाता है, पर जब वह देखता है कि दूसरे लोग उससे तेज़ या धीरे चला रहे हैं, तो वह यह नहीं सोचता कि वे अच्छे ड्राइवर नहीं हैं।​—सभोपदेशक 7:16; फिलिप्पियों 4:5.

23. हम सही किस्म का मनोरंजन कैसे चुन सकते हैं?

23 हम सही किस्म का मनोरंजन कैसे चुन सकते हैं? अगर हम अपने ज़मीर को बाइबल के सिद्धांतों के मुताबिक प्रशिक्षित करें और अपने भाई-बहनों के बारे में सोचें, तो हम सही फैसला कर पाएँगे। इससे हमें खुशी होगी कि हम “सबकुछ परमेश्‍वर की महिमा के लिए” कर रहे हैं।

^ मनोरंजन पर लागू होनेवाले कुछ और सिद्धांत इन आयतों में दिए गए हैं: नीतिवचन 3:31; 13:20; इफिसियों 5:3, 4 और कुलुस्सियों 3:5, 8, 20.