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अध्याय 4

अधिकार रखनेवालों का आदर कीजिए

अधिकार रखनेवालों का आदर कीजिए

“हर किस्म के इंसान का आदर करो, भाइयों की सारी बिरादरी से प्यार करो, परमेश्‍वर का डर मानो, राजा का आदर करो।”​—1 पतरस 2:17.

1, 2. (क) हमें किसके मार्गदर्शन पर चलना चाहिए? (ख) इस अध्याय में हम किन सवालों पर चर्चा करेंगे?

 शायद आपके बचपन में ऐसा कई बार हुआ हो कि आपके माता-पिता ने आपको कुछ काम करने के लिए कहा, लेकिन आपका मन नहीं कर रहा था। आप अपने माता-पिता से प्यार करते थे और जानते थे कि आपको उनकी बात माननी चाहिए। फिर भी कभी-कभी आप उनका कहा मानना ही नहीं चाहते थे।

2 हमारा पिता यहोवा हमसे प्यार करता है। उसने हमें वह सब दिया है, जिससे हम ज़िंदगी का मज़ा ले सकें। वह हमारा मार्गदर्शन भी करता है, ताकि हम एक अच्छी ज़िंदगी जी सकें। वह कई बार इंसानों के ज़रिए मार्गदर्शन करता है। इस वजह से हमें उन लोगों का आदर करना चाहिए, जिन्हें यहोवा ने हम पर अधिकार दिया है। (नीतिवचन 24:21) लेकिन कभी-कभी उनकी सलाह मानना हमें मुश्‍किल लगता है। ऐसा क्यों होता है? यहोवा क्यों चाहता है कि हम उनके मार्गदर्शन पर चलें? हम यहोवा के अधिकार का आदर कैसे कर सकते हैं?​—“मार्गदर्शन, निर्देश और सलाह” देखिए।

यह मुश्‍किल क्यों है?

3, 4. (क) इंसान अपरिपूर्ण कैसे हो गए? (ख) मार्गदर्शन को मानना हमें मुश्‍किल क्यों लग सकता है?

3 इंसान को किसी के अधिकार में रहना पसंद नहीं, इसलिए उसे दूसरों की बात मानना मुश्‍किल लगता है। पहले इंसान आदम और हव्वा के ज़माने से ही ऐसा रहा है। उन्हें परिपूर्ण बनाया गया था, फिर भी उन्होंने यहोवा के अधिकार को नहीं माना और वे अपरिपूर्ण हो गए। इसके बाद जितने भी इंसान पैदा हुए, वे सभी अपरिपूर्ण हैं। इस अपरिपूर्णता की वजह से हमें यहोवा और इंसानों से मिलनेवाले मार्गदर्शन पर चलना मुश्‍किल लगता है। एक और वजह यह है कि यहोवा ने जिन इंसानों को हम पर अधिकार दिया है, वे भी अपरिपूर्ण हैं।​—उत्पत्ति 2:15-17; 3:1-7; भजन 51:5; रोमियों 5:12.

4 अपरिपूर्ण होने की वजह से बड़ी आसानी से हमारे अंदर घमंड आ जाता है और मार्गदर्शन को मानना हमारे लिए बहुत मुश्‍किल हो जाता है। प्राचीन इसराएल में कोरह नाम के आदमी के साथ ऐसा ही कुछ हुआ था। वह यहोवा की सेवा कई सालों से कर रहा था, लेकिन बाद में वह घमंडी बन गया। उसने मूसा का बहुत अपमान किया। मूसा को यहोवा ने इसराएल राष्ट्र का मार्गदर्शन करने के लिए चुना था। इसके बावजूद वह बिलकुल भी घमंडी नहीं था। उसके बारे में बाइबल में लिखा है कि वह अपने ज़माने का सबसे नम्र इंसान था। फिर भी कोरह मूसा के निर्देशों को मानना नहीं चाहता था। उसने बहुत-से लोगों को अपनी तरफ कर लिया और सबने मिलकर मूसा के खिलाफ आवाज़ उठायी। मगर इसका उन्हें बुरा अंजाम भुगतना पड़ा। वे सभी मारे गए। (गिनती 12:3; 16:1-3, 31-35) बाइबल में कोरह के जैसे कई लोगों के बारे में बताया गया है, जिनसे हमें सीख मिलती है कि घमंड का नतीजा बहुत बुरा होता है।​—2 इतिहास 26:16-21; “घमंड और नम्रता” देखिए।

5. कुछ लोगों ने अपने अधिकार का गलत इस्तेमाल कैसे किया है?

5 अकसर देखा गया है कि अधिकार पाते ही इंसान भ्रष्ट हो जाता है। अगर हम इतिहास के पन्‍ने पलटें, तो हम पाते हैं कि ज़्यादातर राजाओं ने अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल किया है। (सभोपदेशक 8:9 पढ़िए।) इसका एक उदाहरण है, शाऊल। जब यहोवा ने उसे इसराएल देश का राजा चुना, तब वह एक नम्र और भला इंसान था। लेकिन बाद में वह घमंडी बन गया। वह दाविद से जलने लगा और उसे बेवजह सताने लगा। (1 शमूएल 9:20, 21; 10:20-22; 18:7-11) शाऊल के बाद दाविद राजा बना। वह एक अच्छा राजा था, मगर बाद में उसने भी अपने अधिकार का गलत इस्तेमाल किया। उसने बतशेबा के साथ नाजायज़ संबंध रखे, जो उसके एक सैनिक उरियाह की पत्नी थी। फिर उसने अपना यह पाप छिपाने के लिए उरियाह को लड़ाई में भेजकर मरवा डाला।​—2 शमूएल 11:1-17.

हम यहोवा के अधिकार का आदर क्यों करते हैं?

6, 7. (क) यहोवा से प्यार होने की वजह से हम क्या करते हैं? (ख) किस बात को ध्यान में रखने से हम तब भी यहोवा की आज्ञा मानेंगे, जब यह आसान नहीं होता?

6 हम किसी भी इंसान से ज़्यादा यहोवा से प्यार करते हैं, इसलिए उसके अधिकार का आदर करते हैं और उसे खुश करना चाहते हैं। (नीतिवचन 27:11; मरकुस 12:29, 30 पढ़िए।) पहले इंसान आदम और हव्वा के समय से ही शैतान की यही कोशिश रही है कि इंसान यहोवा के अधिकार पर उँगली उठाए। शैतान हमें यकीन दिलाना चाहता है कि यहोवा को हमें यह बताने का अधिकार नहीं है कि हमें क्या करना चाहिए। लेकिन हम जानते हैं कि यह बात झूठी है। यहोवा को हम पर पूरा अधिकार है, जैसे बाइबल बताती है, “हे यहोवा, हमारे परमेश्‍वर, तू महिमा, आदर और शक्‍ति पाने के योग्य है क्योंकि तू ही ने सारी चीज़ें रची हैं।”​—प्रकाशितवाक्य 4:11.

7 शायद आपको छुटपन से ही सिखाया गया था कि आपको हमेशा अपने माता-पिता की बात माननी चाहिए, फिर चाहे आपका मन न भी करे। उसी तरह यहोवा की आज्ञा मानना भी कभी-कभी हमें मुश्‍किल लग सकता है। लेकिन हम यहोवा से प्यार करते हैं और उसका आदर करते हैं, इसलिए हम उसकी बात मानने की पूरी कोशिश करते हैं। इस मामले में यीशु हमारे लिए एक अच्छी मिसाल है। उसने यहोवा की आज्ञा तब भी मानी, जब उसके लिए यह आसान नहीं था। यही वजह थी कि उसने अपने पिता से कहा, “मेरी मरज़ी नहीं बल्कि तेरी मरज़ी पूरी हो।”​—लूका 22:42; “अधिकार” देखिए।

8. यहोवा किन तरीकों से हमारा मार्गदर्शन करता है? (“ सलाह मानिए” नाम का बक्स देखिए।)

8 आज यहोवा कई तरीकों से हमारा मार्गदर्शन करता है। जैसे, उसने हमें बाइबल दी है, मंडली में प्राचीन ठहराए हैं। हमें प्राचीनों का आदर करना चाहिए। ऐसा करके हम यहोवा के अधिकार का आदर कर रहे होते हैं। जब हम प्राचीनों की बात नहीं मानते, तो एक तरह से हम यहोवा की बात नहीं मानते। जब इसराएलियों ने मूसा की बात नहीं मानी, तो यहोवा को यह बिलकुल अच्छा नहीं लगा। यहोवा की नज़र में यह ऐसा था, मानो वे उसकी बात नहीं मान रहे हैं।​—गिनती 14:26, 27; “प्राचीन” देखिए।

9. प्यार हमें अधिकार रखनेवालों का आदर करने के लिए कैसे उभारता है?

9 जब हम मंडली में अधिकार रखनेवालों का आदर करते हैं, तो हम दिखाते हैं कि हमें भाई-बहनों से भी प्यार है। वह कैसे? इस बात को समझने के लिए एक उदाहरण पर ध्यान दीजिए। जब कहीं प्राकृतिक विपत्ति आती है, तो राहत दल के लोग मिलकर काम करते हैं ताकि ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों की जान बचा सकें। वह दल अच्छी तरह तभी काम कर पाएगा, जब दल के सब लोग निर्देश देनेवाले की बात मानेंगे। अगर उनमें से एक व्यक्‍ति उसकी बात न माने और उसे जो सही लगता है वही करे, तो क्या होगा? चाहे उसका इरादा कितना भी नेक क्यों न हो, उसकी वजह से दल के बाकी लोगों के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है। किसी को बड़ी चोट भी लग सकती है। उसी तरह जब हम यहोवा के मार्गदर्शन पर नहीं चलते और उसने जिन लोगों को अधिकार दिया है उनकी बात नहीं मानते, तो हमारे भाई-बहनों को परेशानी झेलनी पड़ सकती है। लेकिन जब हम यहोवा की आज्ञा मानते हैं, तब हम दिखाते हैं कि हमें भाई-बहनों से प्यार है और हम यहोवा के इंतज़ाम को सहयोग देते हैं।​—1 कुरिंथियों 12:14, 25, 26.

10, 11. अब हम किस बात पर चर्चा करेंगे?

10 यहोवा हमें जो भी करने के लिए कहता है, उसमें हमारी ही भलाई है। जब हम परिवार और मंडली में अधिकार रखनेवालों का और सरकारी अधिकारियों का आदर करते हैं, तो इससे सबका भला होता है।​—व्यवस्थाविवरण 5:16; रोमियों 13:4; इफिसियों 6:2, 3; इब्रानियों 13:17.

11 अगर हम यह बात ध्यान में रखें कि यहोवा हमें दूसरों का आदर करने के लिए क्यों कहता है, तो हमारे लिए उनका आदर करना आसान हो जाता है। आइए देखें कि ज़िंदगी के तीन पहलुओं में हम किस तरह दूसरों का आदर कर सकते हैं।

परिवार में अधिकार रखनेवालों का आदर

12. एक पुरुष यहोवा का आदर कैसे कर सकता है?

12 परिवार की व्यवस्था यहोवा ने की है। परिवार के हर सदस्य की अपनी एक भूमिका होती है। जब हर कोई अपनी भूमिका अच्छी तरह समझता है, तो घर-गृहस्थी अच्छी तरह चलती है और हर कोई खुश रहता है। (1 कुरिंथियों 14:33) यहोवा ने पुरुष को परिवार के मुखिया का दर्जा दिया है। इसका मतलब है कि यहोवा उससे उम्मीद करता है कि वह अपनी पत्नी और बच्चों का खयाल रखे और उन्हें सही राह पर ले चले। एक पुरुष यहोवा के सामने जवाबदेह है कि वह अपने परिवार का किस तरह खयाल रखता है। एक मसीही पुरुष को अपनी पत्नी और बच्चों के साथ प्यार से पेश आना चाहिए, जिस तरह यीशु मंडली के साथ पेश आता है। जब एक पुरुष ऐसा करता है, तो वह यहोवा का आदर कर रहा होता है।​—इफिसियों 5:23; “परिवार का मुखिया” देखिए।

मसीह के नक्शे-कदम पर चलनेवाला पिता अपने परिवार का खयाल रखता है

13. एक पत्नी अपने पति का आदर कैसे कर सकती है?

13 पत्नी की भूमिका भी बहुत मायने रखती है। परमेश्‍वर ने उसे भी काफी मान दिया है। जब वह अपने पति का पूरा साथ देती है, तो पति मुखिया के तौर पर अपनी ज़िम्मेदारी अच्छी तरह निभा पाता है। पति के साथ-साथ उसे भी बच्चों को सिखाने की ज़िम्मेदारी दी गयी है। एक तरीका जिससे वह बच्चों को आदर करना सिखाती है, वह है खुद पति का आदर करके। (नीतिवचन 1:8) वह अपने पति के फैसलों के मुताबिक चलती है। अगर कभी वह उससे सहमत नहीं होती, तो भी वह अपनी बात आदर के साथ उसे बताती है। अगर एक बहन का पति साक्षी नहीं है, तो उसे कुछ अलग तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। फिर भी अगर वह अपने पति से प्यार करे और उसका आदर करे, तो हो सकता है कि एक दिन उसका पति भी यहोवा को जानने और उसकी उपासना करने के लिए कदम उठाए।​—1 पतरस 3:1, 2 पढ़िए।

14. बच्चे अपने माता-पिता का आदर कैसे कर सकते हैं?

14 बच्चे यहोवा को बहुत प्यारे होते हैं। वह चाहता है कि माता-पिता उनका खयाल रखें और उन्हें सही राह पर चलना सिखाएँ। जब बच्चे माता-पिता की बात मानते हैं, तो वे माता-पिता को खुश करते हैं। वे यहोवा का आदर करते हैं और उसे भी खुश करते हैं। (नीतिवचन 10:1) बहुत-से परिवारों में सिर्फ माँ या पिता होते हैं और उन्हें अकेले ही बच्चों की देखभाल करनी पड़ती है। ऐसे में माँ या पिता के साथ-साथ बच्चों को भी काफी मुश्‍किल होती है। लेकिन अगर बच्चे माँ या पिता का कहना मानें और इस तरह उनका साथ दें, तो मुश्‍किलें काफी कम हो सकती हैं। चाहे परिवार में माता-पिता दोनों हों या फिर सिर्फ माँ या पिता, ऐसा कोई भी परिवार नहीं जिसमें समस्याएँ न हों। फिर भी अगर परिवार में हर कोई यहोवा का मार्गदर्शन माने, तो परिवार सुखी हो सकता है। इससे यहोवा की महिमा होगी, जिसने परिवार की व्यवस्था की है।​—इफिसियों 3:14, 15.

मंडली में अधिकार रखनेवालों का आदर

15. मंडली में हम यहोवा का आदर कैसे कर सकते हैं?

15 यहोवा मसीही मंडली के ज़रिए हमारा मार्गदर्शन करता है। उसने मंडली पर यीशु को पूरा अधिकार दिया है। (कुलुस्सियों 1:18) यीशु ने धरती पर परमेश्‍वर के लोगों की देखभाल की ज़िम्मेदारी “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” को सौंपी है। (मत्ती 24:45-47) यह “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” शासी निकाय है। शासी निकाय हमें सही वक्‍त पर वह सब देता है, जिससे हमारा विश्‍वास मज़बूत रहे। शासी निकाय प्राचीनों, सहायक सेवकों और सर्किट निगरानों का मार्गदर्शन करता है, जो पूरी दुनिया में मंडलियों की देख-रेख करते हैं। इन सारे भाइयों को हमारी देखभाल करने की ज़िम्मेदारी दी गयी है। वे अपनी यह ज़िम्मेदारी जिस तरह निभाते हैं, इसके लिए वे यहोवा के सामने जवाबदेह होते हैं। जब हम उनका आदर करते हैं, तो हम यहोवा का आदर कर रहे होते हैं।​—1 थिस्सलुनीकियों 5:12; इब्रानियों 13:17 पढ़िए;शासी निकाय” देखिए।

16. यह कैसे कहा जा सकता है कि प्राचीन और सहायक सेवक पवित्र शक्‍ति के ज़रिए नियुक्‍त किए जाते हैं?

16 प्राचीन और सहायक सेवक मंडली के भाई-बहनों की मदद करते हैं, ताकि उनका विश्‍वास मज़बूत रहे और उनमें एकता हो। वे भी हमारी तरह अपरिपूर्ण इंसान हैं। फिर भी वे इस ज़िम्मेदारी के लिए पवित्र शक्‍ति के ज़रिए नियुक्‍त किए जाते हैं। यह हम कैसे कह सकते हैं? इस ज़िम्मेदारी के लिए उन्हीं भाइयों को चुना जाता है, जो बाइबल में बतायी कुछ माँगों पर खरे उतरते हैं। (1 तीमुथियुस 3:1-7, 12; तीतुस 1:5-9) ये माँगें पवित्र शक्‍ति के ज़रिए लिखवायी गयी थीं। दूसरी बात, जब मंडली के प्राचीन किसी भाई को प्राचीन या सहायक सेवक नियुक्‍त करने के बारे में बात करते हैं, तो वे यहोवा की पवित्र शक्‍ति के लिए प्रार्थना करते हैं। इससे साफ पता चलता है कि मंडली का मार्गदर्शन यहोवा और यीशु ही कर रहे हैं। (प्रेषितों 20:28) जिन भाइयों को हमारी देखभाल करने और हमारी मदद करने की ज़िम्मेदारी दी गयी है, वे मानो परमेश्‍वर से मिले तोहफे हैं।​—इफिसियों 4:8.

17. यहोवा के इंतज़ाम को मानने से एक बहन क्या करेगी?

17 कभी-कभी हो सकता है कि मंडली की कोई ज़िम्मेदारी निभाने के लिए एक भी प्राचीन या सहायक सेवक मौजूद नहीं है। ऐसे में बपतिस्मा पाए हुए दूसरे भाई वह काम कर सकते हैं। लेकिन अगर ऐसा कोई भाई भी न हो, तो एक बहन वह काम कर सकती है। उसे वह ज़िम्मेदारी निभाते वक्‍त अपना सिर ढकना चाहिए। (1 कुरिंथियों 11:3-10) ऐसा करके वह यहोवा के इंतज़ाम को मान रही होगी, फिर चाहे वह इस तरह की ज़िम्मेदारी मंडली में निभा रही हो या परिवार में।​—“सिर ढकना” देखिए।

सरकारी अधिकारियों का आदर

18, 19. (क) रोमियों 13:1-7 से हम क्या सीखते हैं? (ख) हम अधिकारियों का आदर कैसे करते हैं?

18 यहोवा ने सरकारों को कुछ अधिकार दिए हैं, इसलिए हमें सरकारी अधिकारियों का आदर करना चाहिए। वे देश और समाज में अच्छी व्यवस्था करते हैं, ताकि आम जनता को परेशानी न हो और उन्हें ज़रूरी सेवाएँ मिलती रहें। रोमियों 13:1-7 (पढ़िए।) में हम मसीहियों को जो हिदायतें दी गयी हैं, उन्हें हम मानते हैं। हमें अपने देश और इलाके के “ऊँचे अधिकारियों” का आदर करना चाहिए और उनके नियमों का पालन करना चाहिए। ये नियम हमारे परिवार, व्यापार, नौकरी या हमारी ज़मीन-जायदाद को लेकर हो सकते हैं। जैसे, सरकार को कर देना या ऐसी जानकारी देना, जिसकी वह माँग करती है। लेकिन अगर सरकार हमसे कोई ऐसा काम करने के लिए कहे, जो परमेश्‍वर के नियम के खिलाफ है, तो हमें क्या करना चाहिए? ऐसे में हमारा जवाब भी वही होगा, जो प्रेषित पतरस का था, “इंसानों के बजाय परमेश्‍वर को अपना राजा जानकर उसकी आज्ञा मानना ही हमारा फर्ज़ है।”​—प्रेषितों 5:28, 29.

19 जब हम किसी काम के सिलसिले में सरकारी अधिकारियों के पास जाते हैं, जैसे न्यायाधीश या पुलिसवाले के पास, तो हमें उनके साथ इज़्ज़त से पेश आना चाहिए। स्कूल जानेवाले बच्चों को टीचरों और बाकी कर्मचारियों का आदर करना चाहिए। अपने काम की जगह पर हमें मालिक का आदर करना चाहिए, फिर चाहे दूसरे कर्मचारी न भी करते हों। जब हम ऐसा करते हैं, तो हम प्रेषित पौलुस की मिसाल पर चल रहे होते हैं। वह अधिकारियों के साथ इज़्ज़त से पेश आता था, हालाँकि यह कभी-कभी उसके लिए मुश्‍किल होता था। (प्रेषितों 26:2, 25) चाहे कोई हमारे साथ बुरा व्यवहार करे, तो भी हम उसका आदर करेंगे।​—रोमियों 12:17, 18 पढ़िए; 1 पतरस 3:15.

20, 21. जब हम दूसरों का आदर करते हैं, तो कौन-सी अच्छी बातें हो सकती हैं?

20 आज दुनिया में बहुत कम लोग दूसरों का आदर करते हैं। लेकिन यहोवा के लोग इस बात का ध्यान रखते हैं कि वे हर इंसान का आदर करें। वे प्रेषित पतरस की यह सलाह मानते हैं, “हर किस्म के इंसान का आदर करो।” (1 पतरस 2:17) जब हम लोगों का आदर करते हैं, तो वे हमारे और दूसरों के बीच फर्क देख सकते हैं। यीशु ने हमसे कहा, “तुम्हारी रौशनी लोगों के सामने चमके ताकि वे तुम्हारे भले काम देखकर स्वर्ग में रहनेवाले तुम्हारे पिता की महिमा करें।”​—मत्ती 5:16.

21 जब हम परिवार के और मंडली के लोगों का आदर करते हैं और बाकी लोगों के साथ भी अच्छा व्यवहार करते हैं, तो हमारा चालचलन देखकर लोग शायद यहोवा के बारे में जानना चाहें। जब हम लोगों का आदर करते हैं, तो असल में हम यहोवा का आदर कर रहे होते हैं। इससे यहोवा खुश होता है और हम दिखाते हैं कि हम उससे प्यार करते हैं।