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परमेश्‍वर के सेवकों का शुद्ध होना ज़रूरी है

परमेश्‍वर के सेवकों का शुद्ध होना ज़रूरी है

पाठ ९

परमेश्‍वर के सेवकों का शुद्ध होना ज़रूरी है

हमारा हर प्रकार से शुद्ध होना क्यों ज़रूरी है? (१)

आध्यात्मिक रूप से शुद्ध (२), नैतिक रूप से शुद्ध (३), मानसिक रूप से शुद्ध (४), शारीरिक रूप से स्वच्छ (५) होने का अर्थ क्या है?

हमें किस प्रकार की अशुद्ध बोली से दूर रहना चाहिए? (६)

१. यहोवा परमेश्‍वर शुद्ध और पवित्र है। वह अपने उपासकों से शुद्ध रहने की अपेक्षा करता है—आध्यात्मिक, नैतिक, मानसिक, और शारीरिक रूप से। (१ पतरस १:१६) परमेश्‍वर की नज़रों में शुद्ध रहने के लिए बड़ा प्रयास लगता है। हम एक अशुद्ध संसार में जीते हैं। हमें ग़लत कार्य करने की अपनी प्रवृत्तियों के विरुद्ध भी जूझना पड़ता है। लेकिन हमें हार नहीं माननी है।

२. आध्यात्मिक शुद्धता:  यदि हम यहोवा की सेवा करना चाहते हैं, तो हम झूठे धर्म की किसी भी शिक्षा या प्रथा को थामे नहीं रख सकते। हमारा झूठे धर्म से बाहर निकलना और उसे किसी भी तरीक़े से समर्थन न देना ज़रूरी है। (२ कुरिन्थियों ६:१४-१८; प्रकाशितवाक्य १८:४) एक बार जब हमने परमेश्‍वर के बारे में सत्य सीख लिया है, हमें ऐसे लोगों द्वारा पथभ्रष्ट न किए जाने के लिए सावधान होना चाहिए जो झूठ सिखाते हैं।—२ यूहन्‍ना १०, ११.

३. नैतिक शुद्धता:  यहोवा चाहता है कि उसके उपासक सारे समय सच्चे मसीहियों की तरह व्यवहार करें। (१ पतरस २:१२) वह सब कुछ जो हम करते हैं, गुप्त रूप से भी, वह उसे देखता है। (इब्रानियों ४:१३) हमें लैंगिक अनैतिकता से और इस संसार के अन्य अशुद्ध कार्यों से दूर रहना चाहिए।—१ कुरिन्थियों ६:९-११.

४. मानसिक शुद्धता:  यदि हम अपने मन को साफ़, विशुद्ध विचारों से भरें, तो हमारा आचरण भी शुद्ध होगा। (फिलिप्पियों ४:८) लेकिन यदि हमारा ध्यान अशुद्ध बातों पर रहेगा, तो उसका परिणाम दुष्ट कार्य होगा। (मत्ती १५:१८-२०) हमें उस प्रकार के मनोरंजन से दूर रहना चाहिए जो हमारे मन को मलीन कर सकता है। हम परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन करने के द्वारा अपने मन को शुद्ध विचारों से भर सकते हैं।

५. शारीरिक स्वच्छता:  क्योंकि मसीही परमेश्‍वर का प्रतिनिधित्व करते हैं, उन्हें अपने शरीर और कपड़ों को साफ़ रखना चाहिए। हमें शौचालय का प्रयोग करने के बाद अपने हाथ धोने चाहिए, और हमें भोजन खाने से पहले या खाद्य पदार्थ को छूने से पहले उन्हें धोना चाहिए। यदि आपके पास उचित मलजल-निपटान व्यवस्था नहीं है, तो मल को गाड़ना चाहिए। (व्यवस्थाविवरण २३:१२, १३) शारीरिक रूप से स्वच्छ रहना अच्छे स्वास्थ्य में योगदान देता है। एक मसीही के घर को दोनों अन्दर से और बाहर से साफ़-सुथरा होना चाहिए। समुदाय में एक अच्छे उदाहरण के रूप में उसे स्पष्ट दिखना चाहिए।

६. शुद्ध बोली:  परमेश्‍वर के सेवकों को हमेशा सच बोलना चाहिए। झूठ बोलनेवाले परमेश्‍वर के राज्य में प्रवेश नहीं करेंगे। (इफिसियों ४:२५; प्रकाशितवाक्य २१:८) मसीही गन्दी भाषा का प्रयोग नहीं करते। वे अश्‍लील चुटकुले या गन्दी कहानियों को न तो सुनते ना ही कहते हैं। उनकी शुद्ध बोली के कारण, वे कार्य-स्थल पर या स्कूल में और पड़ोस में स्पष्ट रूप से भिन्‍न दिखते हैं।—इफिसियों ४:२९, ३१; ५:३.

[पेज १८, १९ पर तसवीरें]

परमेश्‍वर के सेवकों का सभी पहलुओं में शुद्ध होना ज़रूरी है