इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

विश्‍वास और प्रथाएँ जो परमेश्‍वर को अप्रसन्‍न करते हैं

विश्‍वास और प्रथाएँ जो परमेश्‍वर को अप्रसन्‍न करते हैं

पाठ ११

विश्‍वास और प्रथाएँ जो परमेश्‍वर को अप्रसन्‍न करते हैं

किस प्रकार के विश्‍वास और प्रथाएँ ग़लत हैं? (१)

क्या मसीहियों का यह विश्‍वास होना चाहिए कि परमेश्‍वर त्रिएक है? (२)

सच्चे मसीही क्रिसमस, ईस्टर या जन्मदिन क्यों नहीं मनाते? (३, ४)

क्या मृतजन जीवितों को हानि पहुँचा सकते हैं? (५)

क्या यीशु एक क्रूस पर मरा था? (६)

परमेश्‍वर को प्रसन्‍न करना कितना महत्त्वपूर्ण है? (७)

१. सभी विश्‍वास और प्रथाएँ बुरे नहीं होते। लेकिन यदि वे झूठे धर्म से आते हैं या बाइबल की शिक्षाओं के विरुद्ध हैं तो परमेश्‍वर उनको स्वीकार्य नहीं समझता।—मत्ती १५:६.

२. त्रिएक:  क्या यहोवा एक त्रिएक है—एक परमेश्‍वर में तीन व्यक्‍ति? नहीं! यहोवा, अर्थात्‌ पिता, ‘अद्वैत सच्चा परमेश्‍वर’ है। (यूहन्‍ना १७:३; मरकुस १२:२९) यीशु उसका पहिलौठा पुत्र है, और वह परमेश्‍वर के अधीन है। (१ कुरिन्थियों ११:३) पिता पुत्र से बड़ा है। (यूहन्‍ना १४:२८) पवित्र आत्मा एक व्यक्‍ति नहीं है; यह परमेश्‍वर की सक्रिय शक्‍ति है।—उत्पत्ति १:२; प्रेरितों २:१८.

३. क्रिसमस और ईस्टर:  यीशु दिसम्बर २५ के दिन नहीं जन्मा था। वह अक्‍तूबर १ के आस-पास जन्मा था, वर्ष का ऐसा समय जब चरवाहे रात को अपने झुण्ड बाहर रखते। (लूका २:८-१२) यीशु ने मसीहियों को उसका जन्मदिन मनाने की आज्ञा कभी नहीं दी। इसके बजाय, उसने अपने शिष्यों से कहा कि उसकी मृत्यु को स्मरण या याद करें। (लूका २२:१९, २०) क्रिसमस और उसकी प्रथाएँ प्राचीन झूठे धर्मों से आती हैं। यही बात ईस्टर की प्रथाओं के बारे में भी सच है, जिनमें अंडे और खरगोश प्रयोग किए जाते हैं। प्रारंभिक मसीहियों ने क्रिसमस या ईस्टर नहीं मनाया, ना ही आज सच्चे मसीही मनाते हैं।

४. जन्मदिन:  बाइबल में केवल जिन दो जन्मदिन समारोहों की बात की गयी है वे ऐसे व्यक्‍तियों द्वारा आयोजित किए गए थे जो यहोवा की उपासना नहीं करते थे। (उत्पत्ति ४०:२०-२२; मरकुस ६:२१, २२, २४-२७) प्रारंभिक मसीहियों ने जन्मदिन नहीं मनाए। जन्मदिन मनाने की प्रथा प्राचीन झूठे धर्मों से आती है। सच्चे मसीही वर्ष में दूसरे अवसरों पर उपहार देते हैं और इकट्ठे मिलकर अच्छा समय बिताते हैं।

५. मृतजनों का भय:  मृतजन न तो कुछ कर सकते हैं ना ही उन्हें कुछ महसूस होता है। हम उनकी मदद नहीं कर सकते, और वे हमें हानि नहीं पहुँचा सकते। (भजन १४६:४; सभोपदेशक ९:५, १०) प्राण मरता है; मृत्यु के बाद यह जीता नहीं रहता। (यहेजकेल १८:४) लेकिन कभी-कभी दुष्ट स्वर्गदूत, जिन्हें पिशाच कहा जाता है, मृतजनों की आत्माएँ होने का स्वाँग भरते हैं। ऐसी कोई भी प्रथाएँ जो मृतजनों के भय या उनकी उपासना से ताल्लुक़ रखती हैं ग़लत हैं।—यशायाह ८:१९.

६. क्रूस:  यीशु एक क्रूस पर नहीं मरा था। वह एक खंभे पर, या एक स्तम्भ पर मरा। अनेक बाइबलों में “क्रूस” अनुवादित यूनानी शब्द का अर्थ केवल लकड़ी का एक टुकड़ा था। क्रूस का चिन्ह प्राचीन झूठे धर्मों से आता है। प्रारंभिक मसीही क्रूस का प्रयोग या उसकी उपासना नहीं करते थे। इसलिए, क्या आपको लगता है कि उपासना में क्रूस का प्रयोग करना उचित होगा?—व्यवस्थाविवरण ७:२६; १ कुरिन्थियों १०:१४.

७. इनमें से कुछ विश्‍वासों और प्रथाओं को त्यागना शायद बहुत ही कठिन हो। सगे-सम्बन्धी और दोस्त शायद आपको क़ायल करने की कोशिश करें कि आप अपने विश्‍वासों को न बदलें। लेकिन परमेश्‍वर को प्रसन्‍न करना मनुष्य को प्रसन्‍न करने से ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है।—नीतिवचन २९:२५; मत्ती १०:३६, ३७.

[पेज २२ पर तसवीर]

परमेश्‍वर त्रिएक नहीं है

[पेज २३ पर तसवीर]

क्रिसमस और ईस्टर प्राचीन झूठे धर्मों से आते हैं

[पेज २३ पर तसवीर]

मृतजनों की उपासना करने या उनका भय रखने का कोई कारण नहीं है