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अध्याय चार

आप एक गृहस्थी कैसे चला सकते हैं?

आप एक गृहस्थी कैसे चला सकते हैं?

१. आज एक गृहस्थी चलाना क्यों इतना मुश्‍किल हो सकता है?

“इस संसार की रीति और व्यवहार बदलते जाते हैं।” (१ कुरिन्थियों ७:३१) ये शब्द १,९०० साल से भी पहले लिखे गए थे, और वे आज कितने सही हैं! स्थिति बदल रही है, ख़ासकर पारिवारिक जीवन के सम्बन्ध में। जो बात ४० या ५० साल पहले सामान्य या पारंपरिक समझी जाती थी वह आज अकसर स्वीकार्य नहीं है। इस कारण, सफलतापूर्वक एक गृहस्थी चलाना बड़ी चुनौतियाँ प्रस्तुत कर सकता है। फिर भी, यदि शास्त्रीय सलाह को मानें, तो आप उन चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।

चादर देखकर पाँव फैलाइए

२. कौन-सी आर्थिक परिस्थितियाँ एक परिवार में तनाव उत्पन्‍न करती हैं?

आज अनेक लोग एक सरल, परिवार-प्रमुख जीवन से संतुष्ट नहीं रहे। जैसे-जैसे व्यापार जगत अधिकाधिक उत्पादों का उत्पादन करता है और जनता को लुभाने के लिए अपने विज्ञापन कौशल प्रयोग करता है, लाखों माता-पिता घंटों काम करते हैं ताकि वे इन उत्पादों को ख़रीद सकें। अन्य लाखों को बस दो वक़्त की रोटी जुटाने के लिए हर दिन संघर्ष करना पड़ता है। उन्हें पहले से कहीं ज़्यादा देर-देर तक काम करना पड़ता है, शायद सिर्फ़ ज़रूरतों को पूरा करने के लिए दो नौकरियाँ करनी पड़ती हैं। और दूसरे हैं जो एक नौकरी मिलने पर ख़ुश हो जाते, चूँकि बेरोज़गारी एक व्यापक समस्या है। जी हाँ, आधुनिक परिवार के लिए जीवन हमेशा आसान नहीं होता, लेकिन बाइबल सिद्धान्त स्थिति का अच्छे से अच्छा उपयोग करने में परिवारों की मदद कर सकते हैं।

३. प्रेरित पौलुस ने कौन-सा सिद्धान्त समझाया, और उसे लागू करना कैसे एक व्यक्‍ति को सफलतापूर्वक एक गृहस्थी चलाने में मदद दे सकता है?

प्रेरित पौलुस ने आर्थिक दबाव अनुभव किए। उनसे निपटते समय उसने एक मूल्यवान सबक़ सीखा, जो वह अपने मित्र तीमुथियुस को लिखी अपनी पत्री में समझाता है। पौलुस लिखता है: “न हम जगत में कुछ लाए हैं और न कुछ ले जा सकते हैं। और यदि हमारे पास खाने और पहिनने को हो, तो इन्हीं पर सन्तोष करना चाहिए।” (१ तीमुथियुस ६:७, ८) यह सच है कि एक परिवार को सिर्फ़ रोटी और कपड़े से ज़्यादा की ज़रूरत होती है। उसे रहने के लिए एक जगह की भी ज़रूरत होती है। बच्चों को शिक्षा की ज़रूरत होती है। साथ ही दवा-दारू का ख़र्च और दूसरे ख़र्च होते हैं। फिर भी, पौलुस के शब्दों का सिद्धान्त लागू होता है। यदि हम अपनी चाहतों को पूरा करने के बजाय अपनी ज़रूरतों को पूरा करने से संतुष्ट हैं, तो जीवन ज़्यादा आसान होगा।

४, ५. पूर्वविचार और योजना गृहस्थी प्रबन्ध में कैसे मदद दे सकते हैं?

एक और सहायक सिद्धान्त यीशु के एक दृष्टान्त में मिलता है। उसने कहा: “तुम में से कौन है कि गढ़ बनाना चाहता हो, और पहिले बैठकर खर्च न जोड़े, कि पूरा करने की विसात मेरे पास है कि नहीं?” (लूका १४:२८) यहाँ यीशु पूर्वविचार, पहले से योजना बनाने के बारे में बोल रहा है। हमने पिछले एक अध्याय में देखा कि यह तब कैसे मदद करता है जब एक युवक-युवती विवाह करने की सोच रहे हैं। और विवाह के बाद, यह एक गृहस्थी चलाने में भी सहायक है। इस क्षेत्र में किए जानेवाले पूर्वविचार में सम्मिलित है एक बजट रखना, उपलब्ध साधनों का सर्वबुद्धिमानी से प्रयोग करने के लिए पहले से योजना बनाना। इस प्रकार एक परिवार ख़र्चों पर नियंत्रण रख सकता है, हर दिन या हर सप्ताह अनिवार्य वस्तुओं पर ख़र्च करने के लिए पैसे अलग रखना, और अपनी औक़ात के बाहर पाँव नहीं फैलाना।

कुछ देशों में, ऐसा बजट बनाने का अर्थ हो सकता है अनावश्‍यक ख़रीदारी के लिए ऊँचे ब्याज पर उधार लेने की ललक का विरोध करना। दूसरे देशों में, इसका अर्थ हो सकता है क्रॆडिट कार्डों के प्रयोग पर कड़ी लगाम रखना। (नीतिवचन २२:७) इसका यह अर्थ भी हो सकता है कि आवेग में आकर ख़रीदारी नहीं करना—आवश्‍यकताओं और परिणामों के बारे में सोचे बिना झोंक में आकर कोई चीज़ ख़रीद लेना। इसके अलावा, एक बजट यह स्पष्ट कर देगा कि स्वार्थ के कारण जूआ खेलने, तम्बाकू पीने, और बहुत शराब पीने में पैसा बरबाद करना परिवार की आर्थिक स्थिति को हानि पहुँचाता है, साथ ही यह बाइबल सिद्धान्तों के विरुद्ध जाता है।—नीतिवचन २३:२०, २१, २९-३५; रोमियों ६:१९; इफिसियों ५:३-५.

६. जिन्हें ग़रीबी में रहना पड़ता है उन्हें कौन-सी शास्त्रीय सच्चाइयाँ मदद देती हैं?

लेकिन, उनके बारे में क्या जो ग़रीबी में रहने के लिए मजबूर हैं? एक बात यह है कि वे यह जानकर सांत्वना पा सकते हैं कि यह विश्‍वव्यापी समस्या मात्र कुछ समय के लिए है। बहुत तेज़ी से आ रहे नए संसार में, यहोवा ग़रीबी और साथ ही अन्य सभी बुराइयों को मिटा देगा जो मानवजाति की दुर्दशा का कारण हैं। (भजन ७२:१, १२-१६) इस बीच, सच्चे मसीही चाहे वे बहुत ग़रीब भी क्यों न हों, पूरी तरह से निराश नहीं होते, क्योंकि उन्हें यहोवा की प्रतिज्ञा में विश्‍वास है: “मैं तुझे कभी न छोड़ूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा।” अतः, एक विश्‍वासी भरोसे के साथ कह सकता है: “प्रभु, मेरा सहायक है; मैं न डरूंगा।” (इब्रानियों १३:५, ६) इन मुश्‍किल दिनों में, यहोवा ने अपने उपासकों को अनेक तरीक़ों से सहारा दिया है जब वे उसके सिद्धान्तों के अनुसार जीते हैं और उसके राज्य को अपने जीवन में पहला स्थान देते हैं। (मत्ती ६:३३) प्रेरित पौलुस के शब्दों में कहते हुए, उनमें से बड़ी संख्या में लोग इस बात की गवाही दे सकते हैं: “हर एक बात और सब दशाओं में मैं ने तृप्त होना, भूखा रहना, और बढ़ना-घटना सीखा है। जो मुझे सामर्थ देता है उस में मैं सब कुछ कर सकता हूं।”—फिलिप्पियों ४:१२, १३.

बोझ बाँटना

७. यदि उन पर अमल किया जाए, तो यीशु के कौन-से शब्द सफल गृहस्थी प्रबन्ध में मदद करेंगे?

अपनी पार्थिव सेवकाई के अन्त के निकट, यीशु ने कहा: “तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।” (मत्ती २२:३९) परिवार में इस सलाह पर अमल करना गृहस्थी प्रबन्ध में बहुत मदद देता है। आख़िरकार, क्या हमारे परिवार के लोग ही हमारे सबसे निकट, सबसे प्रिय पड़ोसी नहीं हैं—पति-पत्नी, माता-पिता, और बच्चे? पारिवार के सदस्य एक दूसरे के लिए प्रेम कैसे दिखा सकते हैं?

८. परिवार के अन्दर प्रेम कैसे व्यक्‍त किया जा सकता है?

एक तरीक़ा है कि परिवार का हर सदस्य घर के कामों में थोड़ा-बहुत हाथ बँटाए। अतः, बच्चों को यह सिखाने की ज़रूरत है कि इस्तेमाल करने के बाद चीज़ों को वापस रखें, चाहे वे कपड़े हों या खिलौने। हर सुबह बिस्तर बनाने में समय और प्रयास लग सकता है, लेकिन यह गृहस्थी के प्रबन्ध में एक बड़ी मदद है। निःसंदेह, कभी-कभार, थोड़ी उलट-पलट तो रोकी नहीं जा सकती, लेकिन सभी मिलकर घर को काफ़ी हद तक साफ़-सुथरा रखने के लिए कार्य कर सकते हैं, साथ ही भोजन के बाद साफ़-सफ़ाई में हाथ बँटा सकते हैं। आलस, असंयम, और एक दुर्भावयुक्‍त, अनिच्छुक आत्मा का सभी पर नकारात्मक प्रभाव होता है। (नीतिवचन २६:१४-१६) दूसरी ओर, एक प्रसन्‍नचित्त, इच्छुक आत्मा एक सुखी पारिवारिक जीवन को पोषित करती है। “परमेश्‍वर हर्ष से देनेवाले से प्रेम रखता है।”—२ कुरिन्थियों ९:७.

९, १०. (क) घर की स्त्री पर अकसर कौन-सा भार होता है, और इसे हलका कैसे किया जा सकता है? (ख) घर के काम के बारे में कौन-सा संतुलित दृष्टिकोण सुझाया गया है?

विचारशीलता और प्रेम वह स्थिति नहीं आने में मदद देंगे जो कुछ घरों में एक गंभीर समस्या है। पारंपरिक रूप से माताएँ घरेलू जीवन का मुख्य आधार रही हैं। उन्होंने बच्चों को पाला है, घर साफ़ किया है, परिवार के कपड़े धोए हैं, और ख़रीदारी करके खाना पकाया है। कुछ देशों में, सामान्यतः स्त्रियों ने खेतों में भी काम किया है, उपज को बाज़ार में बेचा है, या अन्य तरीक़ों से परिवार के बजट में योग दिया है। जहाँ पहले यह सामान्य नहीं था, वहाँ भी अनिवार्यता ने लाखों विवाहित स्त्रियों को घर के बाहर रोज़गार ढूँढने के लिए विवश किया है। एक पत्नी और माता जो इन भिन्‍न क्षेत्रों में मेहनत करती है सराहना के योग्य है। बाइबल में वर्णित “भली पत्नी” के समान, वह पूरा दिन काम करती है। “अपनी रोटी बिना परिश्रम नहीं खाती।” (नीतिवचन ३१:१०, २७) लेकिन, इसका अर्थ यह नहीं कि स्त्री ही वह एकमात्र व्यक्‍ति है जो घर में काम कर सकती है। जब पति-पत्नी दोनों दिन-भर घर के बाहर काम करके आते हैं, तो क्या केवल पत्नी को घर का सारा काम करना चाहिए, जबकि पति और बाक़ी का परिवार विश्राम करते हैं? निश्‍चित ही नहीं। (२ कुरिन्थियों ८:१३, १४ से तुलना कीजिए।) अतः, उदाहरण के लिए, यदि माँ भोजन तैयार करने जा रही है तो वह आभारी होगी यदि परिवार के अन्य सदस्य मेज़ लगाने, कुछ ख़रीदारी करने, या घर में थोड़ी-बहुत सफ़ाई करने के द्वारा तैयारी करने में मदद दें। जी हाँ, सभी ज़िम्मेदारी को बाँट सकते हैं।—गलतियों ६:२ से तुलना कीजिए।

१० कुछ लोग शायद कहें: “जहाँ मैं रहता हूँ वहाँ ऐसे काम करना एक पुरुष की भूमिका नहीं है।” यह शायद सच हो, लेकिन क्या इस विषय पर थोड़ा विचार करना अच्छा नहीं होगा? जब यहोवा परमेश्‍वर ने परिवार का आरंभ किया, उसने यह निर्धारित नहीं किया कि कुछ काम केवल स्त्रियों द्वारा ही किए जाते। एक अवसर पर, जब विश्‍वासी पुरुष इब्राहीम से यहोवा के ख़ास दूतों ने भेंट की, तो अतिथियों के लिए भोजन तैयार करने और परोसने में उसने स्वयं हाथ बँटाया। (उत्पत्ति १८:१-८) बाइबल सलाह देती है: “उचित है, कि पति अपनी अपनी पत्नी से अपनी देह के समान प्रेम रखे।” (इफिसियों ५:२८) यदि रात होते-होते पति थक गया है और आराम करना चाहता है, तो क्या यह संभव नहीं कि पत्नी भी ऐसा ही महसूस करती है, शायद और भी ज़्यादा? (१ पतरस ३:७) तो, क्या पति के लिए यह उपयुक्‍त और प्रेममय नहीं होगा कि घर में मदद करे?—फिलिप्पियों २:३, ४.

११. घर के हर सदस्य के लिए यीशु ने किस प्रकार एक उत्तम उदाहरण रखा?

११ यीशु ऐसे व्यक्‍ति का सर्वोत्तम उदाहरण है जिसने परमेश्‍वर को प्रसन्‍न किया और अपने साथियों को ख़ुशी दी। हालाँकि यीशु ने कभी विवाह नहीं किया, वह पतियों, साथ ही पत्नियों और बच्चों के लिए एक अच्छा उदाहरण है। उसने अपने बारे में कहा: “मनुष्य का पुत्र, वह इसलिये नहीं आया कि उस की सेवा टहल किई जाए, परन्तु इसलिये आया कि आप सेवा टहल करे,” अर्थात्‌ दूसरों की सेवा करे। (मत्ती २०:२८) वे परिवार कितने आनन्दमय हैं जिनमें सभी सदस्य एक ऐसी मनोवृत्ति विकसित करते हैं!

स्वच्छता—इतनी महत्त्वपूर्ण क्यों?

१२. यहोवा उनसे क्या माँग करता है जो उसकी सेवा करते हैं?

१२ एक और बाइबल सिद्धान्त जो एक गृहस्थी के प्रबन्ध में मदद दे सकता है २ कुरिन्थियों ७:१ में दिया गया है। वहाँ हम पढ़ते हैं: “आओ, हम अपने आप को शरीर और आत्मा की सब मलिनता से शुद्ध करें।” जो इन उत्प्रेरित वचनों का पालन करते हैं वे यहोवा को स्वीकार्य हैं, जो “शुद्ध और निर्मल भक्‍ति” की माँग करता है। (याकूब १:२७) और उनके घराने को अतिरिक्‍त लाभ मिलते हैं।

१३. गृहस्थी प्रबन्ध में स्वच्छता क्यों महत्त्वपूर्ण है?

१३ उदाहरण के लिए, बाइबल हमें आश्‍वस्त करती है कि वह दिन आएगा जब रोग और बीमारी नहीं रहेंगे। उस समय, “कोई निवासी न कहेगा कि मैं रोगी हूं।” (यशायाह ३३:२४; प्रकाशितवाक्य २१:४, ५) लेकिन तब तक, हर परिवार को समय-समय पर बीमारी का सामना करना पड़ता है। पौलुस और तीमुथियुस भी बीमार पड़े। (गलतियों ४:१३; १ तीमुथियुस ५:२३) परन्तु, चिकित्सा विशेषज्ञ कहते हैं कि काफ़ी हद तक बीमारियों का निवारण किया जा सकता है। बुद्धिमान परिवार कुछ निवार्य रोगों से बच जाते हैं यदि वे शारीरिक और आध्यात्मिक अशुद्धता से दूर रहते हैं। आइए विचार करें कैसे।—नीतिवचन २२:३ से तुलना कीजिए।

१४. किस प्रकार नैतिक शुद्धता एक परिवार को बीमारी से बचा सकती है?

१४ आध्यात्मिक शुद्धता में नैतिक शुद्धता सम्मिलित है। जैसा कि सुप्रसिद्ध है, बाइबल उच्च नैतिक स्तरों को बढ़ावा देती है और विवाह के बाहर किसी भी क़िस्म की लैंगिक अंतरंगता की निन्दा करती है। “न वेश्‍यागामी, . . . न परस्त्रीगामी, न लुच्चे, न पुरुषगामी . . . परमेश्‍वर के राज्य के वारिस होंगे।” (१ कुरिन्थियों ६:९, १०) इन सख़्त स्तरों का पालन करना आज के पतित संसार में रह रहे मसीहियों के लिए अति-महत्त्वपूर्ण है। ऐसा करना परमेश्‍वर को प्रसन्‍न करता है और यह परिवार को एड्‌स, सिफ़िलिस, सूज़ाक, और क्लामिडीया जैसे लैंगिक रूप से फैलनेवाले रोगों से बचाने में भी मदद देता है।—नीतिवचन ७:१०-२३.

१५. शारीरिक शुद्धता की कमी का एक उदाहरण दीजिए जो अनावश्‍यक रोग उत्पन्‍न कर सकता है।

१५ ‘अपने आप को शरीर की सब मलिनता से शुद्ध करना’ परिवार को अन्य बीमारियों से बचाने में मदद करता है। अनेक रोग शारीरिक शुद्धता की कमी के कारण होते हैं। एक प्रमुख उदाहरण है धूम्रपान की आदत। धूम्रपान न सिर्फ़ फेफड़ों, कपड़ों, और वायु को दूषित करता है बल्कि यह लोगों को भी बीमार कर देता है। लाखों लोग हर साल मरते हैं क्योंकि वे तम्बाकू पीते थे। इसके बारे में सोचिए: हर साल लाखों लोग बीमार नहीं पड़े होते और असमय मरे नहीं होते यदि वे ‘शरीर की मलिनता’ से दूर रहे होते!

१६, १७. (क) यहोवा द्वारा दिए गए किस नियम ने इस्राएलियों को कुछ रोगों से बचाया? (ख) व्यवस्थाविवरण २३:१२, १३ के पीछे जो सिद्धान्त है वह सभी गृहस्थियों में कैसे लागू किया जा सकता है?

१६ एक और उदाहरण पर विचार कीजिए। लगभग ३,५०० साल पहले, परमेश्‍वर ने इस्राएल जाति को उनकी उपासना, और एक हद तक उनके दैनिक जीवन को संगठित करने के लिए अपनी व्यवस्था दी। व्यवस्था ने स्वास्थ्य के कुछ मूल नियम स्थापित करने के द्वारा उस जाति को रोग से बचने में मदद दी। ऐसा एक नियम मानव मल के विसर्जन के सम्बन्ध में था, जिसे छावनी से दूर ठीक ढंग से मिट्टी में ढाँपा जाना था ताकि जिस क्षेत्र में लोग रहते थे वह प्रदूषित न हो। (व्यवस्थाविवरण २३:१२, १३) वह प्राचीन नियम अभी भी अच्छी सलाह है। आज भी लोग बीमार पड़ते और मरते हैं क्योंकि वे इस पर नहीं चलते। *

१७ उस इस्राएली नियम के पीछे जो सिद्धान्त था उसके सामंजस्य में, परिवार के स्नानघर और शौचालय क्षेत्र को—चाहे घर के अन्दर हो या बाहर—साफ़ और विसंक्रमित रखा जाना चाहिए। यदि शौचालय क्षेत्र को साफ़ और ढाँपकर नहीं रखा जाता है तो वहाँ मक्खियाँ इकट्ठी हो जाएँगी और घर के दूसरे क्षेत्रों में—और जो भोजन हम खाते हैं उस पर—रोगाणु फैलाएँगी! इसके अलावा, शौचालय जाने के बाद बच्चों को और बड़ों को अपने हाथ धोने चाहिए। नहीं तो, वे अपने साथ अपनी त्वचा पर रोगाणु वापिस ले आते हैं। एक फ्रांसीसी डॉक्टर के अनुसार, हाथ धोना “अभी भी कुछ पाचन, श्‍वसन, अथवा त्वचा संक्रमणों के निवारण की एक सर्वोत्तम गारंटी है।”

चीज़ों को साफ़ रखना दवाइयाँ ख़रीदने से सस्ता है

१८, १९. एक कच्चे प्रतिवेश में भी एक साफ़ घर बनाए रखने के लिए कौन-से सुझाव दिए गए हैं?

१८ यह सच है कि एक कच्चे प्रतिवेश में स्वच्छता एक चुनौती है। ऐसे इलाक़ों से परिचित एक व्यक्‍ति ने समझाया: “अत्यधिक गर्म मौसम सफ़ाई के कार्य को दुगुना कठिन बना देता है। अन्धड़ से घर के कोने-कोने में बारीक़ भूरी मिट्टी भर जाती है। . . . शहरों में, साथ ही कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या भी स्वास्थ्य बाधाएँ उत्पन्‍न करती है। खुले गटर, फैले हुए कूड़े के ढेर, गन्दे जन शौचालय, रोग-फैलानेवाले चूहे, तिलचट्टे, और मक्खियाँ आम नज़ारा बन गए हैं।”

१९ इन परिस्थितियों में स्वच्छता बनाए रखना मुश्‍किल है। फिर भी, यह प्रयास करने के योग्य है। साबुन और पानी और थोड़ा-सा अधिक काम दवाइयों और अस्पताल के ख़र्च से अधिक सस्ता है। यदि आप एक ऐसे परिवेश में रहते हैं, तो जहाँ तक संभव हो, अपने घर और आंगन को साफ़ और जानवरों के गोबर से मुक्‍त रखिए। यदि बरसात के समय आपके घर के रास्ते में कीचड़ हो जाती है, तो क्या आप मिट्टी को घर से बाहर रखने के लिए वहाँ बजरी या पत्थर डाल सकते हैं? यदि जूतों या चप्पलों का प्रयोग किया जाता है, तो घर में प्रवेश करने से पहले क्या इन्हें उतारा जा सकता है? साथ ही, आपको अपनी जल सप्लाई संदूषण से मुक्‍त रखनी चाहिए। यह अनुमान लगाया गया है कि साल में कम-से-कम २० लाख मौतें गन्दे पानी और ख़राब शौच-व्यवस्था से सम्बन्धित रोगों के कारण होती हैं।

२०. यदि घर स्वच्छ होना है, तो किसे ज़िम्मेदारी को बाँटना है?

२० एक स्वच्छ घर सभी पर निर्भर करता है—माता, पिता, बच्चे, और आने-जानेवाले। केन्या में आठ बच्चों की एक माँ ने कहा: “सभी ने अपने हिस्से का काम करना सीख लिया है।” एक साफ़-सुथरे घर से पूरे परिवार की अच्छी छवि मिलती है। एक स्पैनिश कहावत है: “ग़रीबी और स्वच्छता का कोई झगड़ा नहीं।” चाहे एक व्यक्‍ति एक हवेली, एक भवन, एक साधारण घर, या एक झोपड़ी में रहता हो, स्वच्छता एक ज़्यादा स्वस्थ परिवार की एक कुंजी है।

प्रोत्साहन से हम फलते-फूलते हैं

२१. नीतिवचन ३१:२८ के सामंजस्य में, एक गृहस्थी में ख़ुशी लाने में कौन-सी बात मदद करेगी?

२१ योग्य पत्नी की चर्चा करते समय, नीतिवचन की पुस्तक कहती है: “उसके पुत्र उठ उठकर उसको धन्य कहते हैं; उसका पति भी उठकर उसकी ऐसी प्रशंसा करता है।” (नीतिवचन ३१:२८) पिछली बार कब आपने अपने परिवार के एक सदस्य की सराहना की थी? वास्तव में, हम वसन्त ऋतु के पौधों के समान हैं जो थोड़ी गर्मी और नमी मिलते ही खिलने को तैयार रहते हैं। हमारे मामले में, हमें सराहना की गर्मी की ज़रूरत है। एक पत्नी को यह जानकर अच्छा लगता है कि उसका पति उसकी मेहनत और प्रेममय परवाह का मूल्यांकन करता है और कि वह उसकी उपेक्षा नहीं करता। (नीतिवचन १५:२३; २५:११) और पति द्वारा घर के अन्दर और बाहर किए गए कार्य के लिए जब एक पत्नी अपने पति की सराहना करती है तो यह सुखद होता है। बच्चे भी खिल उठते हैं जब उनके माता-पिता घर पर, स्कूल में, या मसीही कलीसिया में उनके प्रयासों के लिए उनकी प्रशंसा करते हैं। और थोड़ा-सा आभार कितना कुछ करता है! “धन्यवाद” कहने में क्या जाता है? बहुत कम, फिर भी बदले में परिवार का मनोबल बहुत बढ़ सकता है।

२२. एक घर को “स्थिर” करने के लिए किस चीज़ की ज़रूरत है, और इसे कैसे प्राप्त किया जा सकता है?

२२ अनेक कारणों से, एक गृहस्थी चलाना आसान नहीं है। फिर भी, इसे सफलता के साथ किया जा सकता है। बाइबल का एक नीतिवचन कहता है: “घर बुद्धि से बनता है, और समझ के द्वारा स्थिर होता है।” (नीतिवचन २४:३) बुद्धि और समझ प्राप्त की जा सकती है यदि परिवार में सभी जन परमेश्‍वर की इच्छा सीखने और अपने जीवन में उस पर अमल करने का प्रयास करें। एक सुखी परिवार निश्‍चित ही प्रयास के योग्य है!

^ पैरा. 16 अतिसार एक सामान्य रोग है जो अनेक शिशुओं की मृत्यु का कारण बनता है। इससे बचने के उपायों पर एक पुस्तिका में विश्‍व स्वास्थ्य संगठन कहता है: “यदि कोई शौचालय नहीं है: घर से और उन क्षेत्रों से जहाँ बच्चे खेलते हैं, दूर जाकर मल त्यागें, और जल सप्लाई से कम-से-कम १० मीटर दूर जाएँ; मल को मिट्टी से ढाँपें।”