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पाठ 94

चेलों ने पवित्र शक्‍ति पायी

चेलों ने पवित्र शक्‍ति पायी

यीशु के स्वर्ग लौटने के 10 दिन बाद उसके चेलों ने पवित्र शक्‍ति पायी। ईसवी सन्‌ 33 में पिन्तेकुस्त के त्योहार का दिन था। यह त्योहार मनाने के लिए कई जगहों से लोग यरूशलेम आए थे। यीशु के करीब 120 चेले एक घर के ऊपरी कमरे में इकट्ठा हुए। अचानक हैरान कर देनेवाली एक घटना घटी। हर चेले के सिर पर आग की लपटों जैसा कुछ दिखायी देने लगा और वे सब अलग-अलग भाषा बोलने लगे। तेज़ आँधी जैसी आवाज़ से सारा घर गूँज उठा।

दूसरे देशों से आए लोगों ने जब यह आवाज़ सुनी तो वे भागकर उस घर के पास गए। वे देखना चाहते थे कि क्या हुआ है। जब चेले उनसे उनकी भाषा में बात करने लगे तो वे हैरान रह गए। उन्होंने कहा, ‘ये तो गलील के लोग हैं। फिर ये हमारी भाषा कैसे बोल पा रहे हैं?’

तब पतरस और दूसरे प्रेषित भीड़ के सामने खड़े हुए। पतरस ने लोगों को बताया कि यीशु को कैसे मार डाला गया था और फिर यहोवा ने कैसे उसे ज़िंदा कर दिया। पतरस ने कहा, ‘अब यीशु स्वर्ग में परमेश्‍वर के दाएँ हाथ बैठा है और जैसे उसने वादा किया था, उसने हम पर पवित्र शक्‍ति उँडेली है। इसीलिए आज ये चमत्कार हुए हैं जो तुम देख और सुन रहे हो।’

पतरस की बातों का लोगों पर गहरा असर हुआ। उन्होंने पूछा, “अब हमें क्या करना चाहिए?” पतरस ने उनसे कहा, ‘पश्‍चाताप करो और यीशु के नाम से बपतिस्मा लो। तुम भी पवित्र शक्‍ति का वरदान पाओगे।’ उस दिन करीब 3,000 लोगों ने बपतिस्मा लिया। तब से यरूशलेम में चेलों की गिनती तेज़ी से बढ़ने लगी। पवित्र शक्‍ति की मदद से प्रेषितों ने और भी कई मंडलियाँ बनायीं ताकि वे चेलों को वे सब बातें सिखा सकें जो यीशु ने उन्हें सिखाने की आज्ञा दी थी।

“अगर तू मुँह से सब लोगों के सामने ऐलान करे कि यीशु ही प्रभु है और अपने दिल में यह विश्‍वास रखे कि परमेश्‍वर ने उसे मरे हुओं में से ज़िंदा किया है, तो तू उद्धार पाएगा।”—रोमियों 10:9