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पाठ 98

मसीही धर्म कई देशों में फैल गया

मसीही धर्म कई देशों में फैल गया

प्रेषितों ने यीशु की यह आज्ञा मानी कि वे पूरी दुनिया में जाकर खुशखबरी सुनाएँ। ईसवी सन्‌ 47 में अंताकिया के भाइयों ने पौलुस और बरनबास को प्रचार के एक दौरे पर भेजा ताकि वे अलग-अलग जगह जाकर खुशखबरी सुना सकें। वे दोनों जोशीले प्रचारक थे और उन्होंने पूरे एशिया माइनर की जगहों में प्रचार किया, जैसे दिरबे, लुस्त्रा और इकुनियुम में।

पौलुस और बरनबास ने हर किसी को प्रचार किया, फिर चाहे वह अमीर हो या गरीब, जवान हो या बूढ़ा। बहुत-से लोगों ने मसीह के बारे में सच्चाई स्वीकार की। जब पौलुस और बरनबास ने कुप्रुस द्वीप के राज्यपाल, सिरगियुस पौलुस को प्रचार किया तो एक जादूगर ने उन्हें रोकने की कोशिश की। पौलुस ने जादूगर से कहा, ‘यहोवा तुझे सज़ा देगा।’ उसी पल जादूगर अंधा हो गया। यह देखकर राज्यपाल पौलुस मसीही बन गया।

पौलुस और बरनबास ने हर जगह प्रचार किया। उन्होंने घर-घर जाकर, बाज़ारों में, सड़कों पर और सभा-घरों में प्रचार किया। जब उन्होंने लुस्त्रा में एक लँगड़े आदमी को ठीक किया तो यह चमत्कार देखनेवालों ने सोचा कि पौलुस और बरनबास देवता हैं। उन्होंने उनकी पूजा करने की कोशिश की। मगर पौलुस और बरनबास ने यह कहकर उन्हें रोका, ‘सिर्फ परमेश्‍वर की उपासना करो! हम बस इंसान हैं।’ तब कुछ यहूदी आए और उन्होंने भीड़ को पौलुस के खिलाफ कर दिया। भीड़ ने पौलुस को पत्थरों से मारा और लोग उसे मरा समझकर शहर के बाहर घसीटकर ले गए। मगर पौलुस ज़िंदा था! वहाँ के भाई फौरन पौलुस के पास आए और उसे वापस शहर में ले गए। बाद में पौलुस अंताकिया लौट गया।

ईसवी सन्‌ 49 में पौलुस प्रचार के दूसरे दौरे पर गया। पहले तो वह दोबारा एशिया माइनर गया ताकि वहाँ के भाइयों से मिल सके। फिर वह दूर यूरोप के इलाकों में गया और वहाँ खुशखबरी सुनायी। वह इफिसुस, एथेन्स, थिस्सलुनीके, फिलिप्पी और दूसरी जगहों में गया। इस सफर पर पौलुस के साथ सीलास, लूका और तीमुथियुस नाम का एक जवान मसीही भी था। उन सबने मिलकर जगह-जगह मंडलियाँ बनायीं और उन्हें मज़बूत बनने में मदद दी। पौलुस ने डेढ़ साल कुरिंथ में रहकर वहाँ के भाइयों को मज़बूत किया। उसने लोगों को प्रचार किया, सिखाया और कई मंडलियों को चिट्ठियाँ लिखीं। वह तंबू बनाने का काम भी करता था। बाद में पौलुस अंताकिया लौट गया।

ईसवी सन्‌ 52 में पौलुस तीसरे दौरे पर गया। उसने यह दौरा एशिया माइनर से शुरू किया। वह काफी दूर सफर करके उत्तर की तरफ फिलिप्पी गया और फिर नीचे कुरिंथ गया। पौलुस ने इफिसुस में कई साल बिताए। वहाँ उसने लोगों को सिखाया, बीमारों को ठीक किया और मंडलियों की मदद की। वह एक स्कूल के सभा-भवन में हर दिन भाषण भी देता था। बहुत-से लोगों ने उसका भाषण सुना और अपने जीने का तरीका बदल दिया। इस तरह कई देशों में प्रचार करने के बाद पौलुस आखिर में यरूशलेम चला गया।

“इसलिए जाओ और सब राष्ट्रों के लोगों को मेरा चेला बनना सिखाओ।”—मत्ती 28:19