कहानी 50
दो बहादुर औरतें
जब इस्राएली मुसीबत में फँस गए, तो वे यहोवा को पुकारने लगे। यहोवा ने उनकी मदद के लिए बहादुर लोगों को भेजा। इन बहादुर लोगों को बाइबल में न्यायी कहा गया है। उनमें से कुछ के नाम हैं, ओत्नीएल, एहूद और शमगर। इनके अलावा, यहोवा ने इस्राएलियों की मदद के लिए दो औरतों को भी चुना। वे थीं, दबोरा और याएल।
दबोरा एक नबिया थी। उसे नबिया इसलिए कहा जाता था, क्योंकि यहोवा उसे भविष्य में होनेवाली बातों के बारे में पहले से बता देता था। फिर यही बातें वह लोगों को बताती थी। इसके अलावा, वह एक न्यायी भी थी। वह पहाड़ी देश में एक खजूर के पेड़ के नीचे बैठा करती थी। वहीं पर लोग अपनी परेशानियाँ लेकर उसके पास आते थे और वह उनका हल बताती थी।
उन दिनों कनान देश में याबीन नाम का एक राजा रहता था। उसके पास 900 युद्ध के रथ थे। उसकी सेना बहुत ही ताकतवर थी और उसी के दम पर उसने कई इस्राएलियों को ज़बरदस्ती अपना गुलाम बना लिया था। उसके सेनापति का नाम सीसरा था।
उस समय बाराक इस्राएलियों का न्यायी था। एक दिन दबोरा ने बाराक को अपने पास बुलाया और उससे कहा: ‘यहोवा ने कहा है, “तू 10,000 आदमियों को लेकर ताबोर पर्वत पर जा। उस पर्वत के नीचे जो घाटी है, वहाँ मैं सीसरा को लाऊँगा। वहीं मैं तुझे उस पर और उसकी सेना पर जीत दिलाऊँगा।”’
बाराक ने दबोरा से कहा: ‘अगर तुम मेरे साथ चलोगी, तो मैं जाऊँगा।’ दबोरा उसके साथ चलने को तैयार हो गयी। लेकिन उसने बाराक से कहा: ‘इस जीत के लिए लोग तुम्हारी तारीफ नहीं करेंगे। क्योंकि यहोवा सीसरा को एक औरत के हाथों मरवाएगा।’ दबोरा ने जैसा कहा ठीक वैसा ही हुआ।
बाराक ताबोर पर्वत से उतरकर घाटी में सीसरा के सैनिकों से लड़ने गया। अचानक यहोवा ने ज़ोर की बारिश करवायी, जिससे घाटी पानी से भर गयी। इस पानी में सीसरा के कई सैनिक डूबकर मर गए। मगर सीसरा अपने रथ से उतरकर भाग गया।
वहाँ से भागते-भागते सीसरा, याएल नाम की औरत के तंबू के पास आया। याएल ने उसे अपने तंबू में बुलाया और उसे पीने के लिए थोड़ा दूध दिया। दूध पीते ही उसे नींद आ गयी और वह सो गया। तब याएल ने तंबू गाड़ने का एक खूंटा लेकर उस बुरे आदमी के सिर में ठोक दिया। बाद में, जब बाराक आया तो याएल ने उसे सीसरा की लाश दिखायी! दबोरा की बात कितनी सही निकली, है ना?
इस सब के बाद, राजा याबीन भी मारा गया। तब इस्राएल में एक बार फिर कुछ समय के लिए शांति छा गयी।