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कहानी 76

यरूशलेम का विनाश

यरूशलेम का विनाश

अरे ये क्या? यरूशलेम शहर में कितनी भयंकर आग लगी है। सारा शहर जलकर राख हो रहा है। और बचे हुए इस्राएलियों को पकड़कर बाबुल ले जाया जा रहा है।

याद है ना, यहोवा के नबियों ने इस्राएलियों को पहले से खबरदार कर दिया था कि अगर उन्होंने बुरे काम करना नहीं छोड़ा, तो उनके साथ यही होगा। लेकिन इस्राएलियों ने उनकी एक न सुनी। वे यहोवा की उपासना करने के बजाय, झूठे देवी-देवताओं की पूजा करते रहे। इसकी सज़ा तो उन्हें मिलनी ही थी। हमें यह सब इसलिए पता है, क्योंकि परमेश्‍वर के एक नबी, यहेजकेल ने उनके बुरे कामों के बारे में लिखा था, जो हम बाइबल में पढ़ सकते हैं।

क्या आप यहेजकेल के बारे में और जानना चाहेंगे? वह उन पढ़े-लिखे इस्राएलियों में से एक था, जिन्हें राजा नबूकदनेस्सर यरूशलेम के इस विनाश से 10 साल पहले बाबुल ले गया था। उन लोगों में दानिय्येल और उसके तीन दोस्त शद्रक, मेशक और अबेदनगो भी थे।

जब यहेजकेल बाबुल में था, तब यहोवा ने उसे वे सारे बुरे काम दिखाए, जो यरूशलेम में यहोवा के मंदिर में किए जा रहे थे। लेकिन यहोवा ने यह कैसे किया? उसने एक चमत्कार किया, जिससे यहेजकेल बाबुल में रहकर यरूशलेम के मंदिर में हो रहे बुरे कामों को देख सका। उसने जो देखा, उससे उसकी आँखें फटी-की-फटी रह गयीं!

यहोवा ने यहेजकेल से कहा: ‘देख, लोग मंदिर में कैसे गंदे-गंदे काम कर रहे हैं। और उधर देख, मंदिर की दीवारों पर उन्होंने साँपों और दूसरे जानवरों की तसवीरें बनायी हैं। और इस्राएली उनकी पूजा कर रहे हैं!’ वहाँ जो कुछ हो रहा था, यहेजकेल ने वह सब देखा और उसके बारे में लिख दिया।

फिर यहोवा ने यहेजकेल से पूछा: ‘क्या तू देख रहा है कि इस्राएली नेता चोरी-छिपे क्या कर रहे हैं?’ हाँ, यहेजकेल को यह भी दिखायी दे रहा था। वहाँ 70 आदमी थे और वे सब झूठे देवी-देवताओं की पूजा कर रहे थे। वे आपस में कह रहे थे: ‘यहोवा हमें नहीं देख रहा है। उसने तो इस देश को छोड़ दिया है।’

फिर यहोवा ने यहेजकेल को मंदिर के उत्तरी फाटक पर कुछ औरतें दिखायीं। वे वहाँ बैठकर झूठे देवता तम्मूज की पूजा कर रही थीं। लेकिन इस्राएलियों का इतने से ही जी नहीं भरा! यहेजकेल ने यहोवा के मंदिर के फाटक पर करीब 25 आदमियों को देखा। वे पूरब की ओर झुककर सूरज की पूजा कर रहे थे!

यहोवा ने यहेजकेल से कहा: ‘देखा, ये लोग मेरा ज़रा भी आदर नहीं करते। वे कहीं और नहीं, मेरे मंदिर में घुसकर बुरे-बुरे काम कर रहे हैं।’ इसलिए यहोवा ने कहा: ‘बस! बहुत हो चुका। अब उन्हें मेरे गुस्से से कोई नहीं बचा सकता। मैं उन्हें खत्म कर दूँगा। और ऐसा करके मुझे ज़रा भी दुःख नहीं होगा।’

इसके कुछ तीन साल बाद इस्राएलियों ने राजा नबूकदनेस्सर का कहा मानने से इनकार कर दिया। तब नबूकदनेस्सर उनसे लड़ने आया। उसके डेढ़ साल बाद बाबुल की सेना यरूशलेम की दीवार तोड़कर शहर में घुस गयी। उसने पूरे शहर को जलाकर राख कर दिया। ज़्यादातर इस्राएली या तो मारे गए या फिर उन्हें बंदी बनाकर बाबुल ले जाया गया।

मगर कुछ इस्राएलियों को वहीं रहने दिया गया। उन लोगों की देखरेख करने की ज़िम्मेदारी राजा नबूकदनेस्सर ने गदल्याह नाम के एक इस्राएली को सौंपी। लेकिन कुछ इस्राएलियों ने गदल्याह का खून कर दिया। इससे बाकी लोग डर गए। उन्हें लगा कि अब बाबुल के लोग उन्हें ज़िंदा नहीं छोड़ेंगे। इसलिए वे मिस्र भाग गए और जाते-जाते यिर्मयाह को भी ज़बरदस्ती अपने साथ ले गए।

इसके बाद इस्राएल देश बिलकुल सुनसान हो गया। अगले 70 साल तक वहाँ कोई नहीं रहा। आखिर यहोवा ने इस्राएलियों को क्यों इस तरह बरबाद होने दिया? क्योंकि उन्होंने न तो यहोवा की बातों पर ध्यान दिया और ना ही उसके नियमों को माना। इससे हम क्या सीखते हैं? यही कि हमें हमेशा यहोवा का कहा मानना चाहिए। पर इस्राएलियों के साथ इतना सब होने के बाद भी यहोवा ने वादा किया कि वह 70 साल बाद उन्हें वापस यरूशलेम लाएगा। इस बीच उन इस्राएलियों के साथ क्या हुआ, जिन्हें बाबुल ले जाया गया था? यह हम आगे की कहानियों में देखेंगे