कहानी 63
बुद्धिमान राजा सुलैमान
सुलैमान जब राजा बना तब वह जवान लड़का ही था। वह यहोवा से प्यार करता था और उसके पिता दाऊद ने उसे जो सलाह दी थी, उसी पर चलता था। यहोवा भी उससे बहुत खुश था। इसलिए एक रात उसने सुलैमान से सपने में कहा: ‘सुलैमान, बोलो तुम्हें क्या चाहिए?’
सुलैमान ने कहा: ‘हे मेरे परमेश्वर यहोवा, मैं उम्र में बहुत छोटा हूँ और मैं नहीं जानता कि लोगों पर कैसे राज करूँ। इसलिए मुझे बुद्धि दे, ताकि मैं तेरे लोगों पर सही तरीके से राज कर सकूँ।’
सुलैमान ने जो माँगा, उससे यहोवा और भी खुश हुआ। यहोवा ने उससे कहा: ‘तुमने बुद्धि माँगी, न कि लंबी उम्र या धन-दौलत। इसलिए मैं तुम्हें सबसे ज़्यादा बुद्धि दूँगा। साथ ही, मैं तुम्हें वह भी दूँगा, जो तुमने नहीं माँगा यानी ढेर सारी धन-दौलत। और तुम्हारा नाम दूर-दूर तक फैल जाएगा।’
कुछ समय बाद, दो औरतें सुलैमान के पास एक बहुत बड़ी समस्या लेकर आयीं। उनमें से एक ने कहा: ‘हम दोनों एक ही घर में रहती हैं। एक दिन मेरे एक बेटा हुआ। उसके दो दिन बाद, इसके भी एक बेटा हुआ। फिर एक रात इसका बच्चा मर गया। और जब मैं सो रही थी, तब इसने मेरा बच्चा ले लिया और अपना मरा हुआ बच्चा मेरे बगल में लिटा दिया। सुबह होने पर मैंने देखा कि मेरे बगल में मरा हुआ बच्चा पड़ा है। पर वह मेरा नहीं था।’
इस पर दूसरी औरत ने कहा: ‘नहीं! यह मेरा बच्चा है और जो बच्चा मर गया, वह इसका था!’ पहली औरत ने कहा: ‘नहीं, तुम झूठ बोल रही हो। मरा हुआ बच्चा तुम्हारा था, यह बच्चा मेरा है।’ इस तरह वे दोनों आपस में झगड़ती रहीं। अब सुलैमान क्या करता?
उसने एक तलवार मँगवायी और कहा: ‘इस बच्चे के दो टुकड़े कर दो और दोनों औरतों को आधा-आधा दे दो।’
तब उस बच्चे की असली माँ चिल्ला उठी: ‘नहीं! बच्चे को मत मारिए। बच्चा इसी औरत को दे दीजिए!’ पर दूसरी औरत ने कहा: ‘नहीं, हममें से किसी को मत दीजिए। इसके दो टुकड़े कर डालिए।’
तब सुलैमान ने कहा: ‘बच्चे को मत मारो! इसे पहली औरत को दे दो। वही इसकी माँ है।’ आखिर सुलैमान सच्चाई का पता कैसे लगा पाया? वह जानता था कि माँ को अपने बच्चे से बहुत प्यार होता है। इसलिए जो कोई भी उस बच्चे की असली माँ होगी, वह बच्चे को देने के लिए तो तैयार हो जाएगी, मगर उसे मरने नहीं देगी। जब लोगों को पता चला कि सुलैमान ने इस समस्या को कैसे हल किया, तो उन्हें बहुत खुशी हुई कि सुलैमान जैसा बुद्धिमान इंसान उनका राजा है।
सुलैमान के राज में, परमेश्वर ने लोगों को खूब आशीषें दीं। उसके राज्य में फसल की खूब पैदावार होती थी। गेहूँ, जौ, अंगूर, अंजीर और दूसरे फल और अनाज के ढेर लग जाते थे। लोग बढ़िया-से-बढ़िया कपड़े पहनते थे और सुंदर-सुंदर घरों में रहते थे। अच्छी-अच्छी चीज़ों की कोई कमी नहीं थी।