इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

कहानी 79

दानियेल शेरों की माँद में

दानियेल शेरों की माँद में

बाप रे! देखो, दानिय्येल के चारों तरफ कितने शेर घूम रहे हैं! पर ये क्या, शेर तो उसे कुछ नहीं कर रहे हैं! क्या आप इसकी वजह जानना चाहेंगे? क्या आप यह भी जानना चाहेंगे कि किसने दानिय्येल को शेरों की माँद में डाला? आइए कहानी पढ़कर जानें।

यह तब की बात है, जब बाबुल पर दारा नाम का आदमी राज कर रहा था। वह दानिय्येल को बहुत पसंद करता था, क्योंकि दानिय्येल बड़ा ही दयालु और बुद्धिमान था। इसलिए उसने दानिय्येल को अपने राज्य में एक बड़ा अधिकारी बना दिया। इससे राज्य के बाकी लोग दानिय्येल से जलने लगे। जानते हैं तब उन्होंने क्या किया?

वे दारा के पास गए और उससे कहने लगे: ‘हे राजा! हम सब चाहते हैं, आप एक ऐसा नियम बनाएँ कि 30 दिन तक कोई भी आपके सिवा किसी और देवता या इंसान से प्रार्थना न करे। अगर कोई इस नियम को तोड़े, तो उसे शेरों की माँद में फेंक दिया जाए।’ दारा को नहीं मालूम था कि ये लोग ऐसा नियम क्यों बनाना चाहते हैं। उसने सोचा कि बात तो बहुत अच्छी है। इसलिए उसने वह नियम लिखकर जारी कर दिया। अब यह नियम पत्थर की लकीर बन गया था, इसे कोई नहीं बदल सकता था।

जब दानिय्येल को इस नियम के बारे में पता चला, तो वह अपने घर गया और हर दिन की तरह यहोवा से प्रार्थना करने लगा। उन बुरे लोगों को पता था कि दानिय्येल, यहोवा से प्रार्थना करना नहीं छोड़ेगा। इसलिए वे बहुत खुश थे। क्योंकि दानिय्येल को अपने रास्ते से हटाने की उनकी चाल कामयाब हो रही थी।

जब दारा को उन बुरे लोगों के इरादे का पता चला, तो वह बहुत दुःखी हुआ। मगर अब वह खुद भी उस नियम को बदल नहीं सकता था। इसलिए उसे मजबूरन दानिय्येल को शेरों की माँद में डालने का हुक्म देना पड़ा। मगर राजा ने दानिय्येल से कहा: ‘मुझे उम्मीद है कि तेरा परमेश्‍वर, जिसकी तू सेवा करता है, तुझे ज़रूर बचाएगा।’

दारा इतना दुःखी था कि उस रात वह सो नहीं पाया। अगले दिन सुबह होते ही वह दौड़कर शेरों की माँद के पास गया। देखिए, राजा ऊपर खड़ा है। उसने ज़ोर से आवाज़ लगायी: ‘हे जीवित परमेश्‍वर के सेवक दानिय्येल! जिस परमेश्‍वर की तू सेवा करता है, क्या उसने तुझे बचाया?’

दानिय्येल ने जवाब दिया: ‘हाँ राजा, परमेश्‍वर ने अपना स्वर्गदूत भेजकर शेरों के मुँह बंद करवा दिए। इसलिए मुझे एक खरोंच तक नहीं आयी।’

यह सुनकर राजा बहुत ही खुश हुआ। उसने दानिय्येल को माँद से बाहर निकालने का हुक्म दिया। फिर राजा ने उन्हीं लोगों को शेरों की माँद में फिंकवा दिया, जिन्होंने दानिय्येल को मार डालने की चाल चली थी। वे लोग माँद में नीचे पहुँचे भी नहीं थे कि शेर उन पर झपट पड़े और उन्हें नोच-नोचकर खा गए।

इसके बाद, राजा दारा ने अपने राज्य के सब लोगों के लिए एक नियम जारी किया: ‘मेरा हुक्म है कि हर कोई दानिय्येल के परमेश्‍वर का आदर करे। वह बड़े-बड़े चमत्कार करता है। उसी ने दानिय्येल को शेरों के मुँह से बचाया।’