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भाग 6

यीशु के जन्म से लेकर उसकी मौत तक

यीशु के जन्म से लेकर उसकी मौत तक

परमेश्‍वर ने जिब्राईल नाम के एक स्वर्गदूत को एक अच्छी स्त्री मरियम के पास भेजा। जिब्राईल ने उसे बताया कि उसके एक बेटा होगा, जो राजा बनकर हमेशा तक राज करेगा। यह बच्चा कोई और नहीं, यीशु था। उसका जन्म एक अस्तबल में हुआ, जहाँ उसे देखने के लिए चरवाहे आए। कुछ समय बाद एक तारा देखकर पूरब दिशा से कुछ और लोग भी उसे देखने आए। आखिर किसने उन लोगों को वह तारा दिखाया? और जब यीशु को मारने की कोशिश की गयी, तो उसे कैसे बचाया गया? इन सब बातों के बारे में हम आगे पढ़ेंगे।

फिर हम देखेंगे कि कैसे यीशु ने 12 साल की उम्र में मंदिर में टीचरों से बात की। उसके 18 साल बाद यीशु का बपतिस्मा हुआ। तब उसने राज्य का प्रचार काम और लोगों को सिखाने का काम शुरू किया। इसी काम के लिए परमेश्‍वर ने उसे धरती पर भेजा था। इस काम में उसका हाथ बँटाने के लिए उसने 12 आदमियों को चुना और उन्हें अपना प्रेरित बनाया।

यीशु ने कई चमत्कार भी किए। जैसे, उसने कुछ छोटी मछलियों और थोड़ी-सी रोटियों से हज़ारों लोगों को खाना खिलाया। बीमार लोगों को ठीक किया, यहाँ तक कि मरे हुओं को भी ज़िंदा किया। इस सब के बाद हम यह जानेंगे कि यीशु के जीवन के आखिरी दिन उसके साथ क्या-क्या हुआ और उसे कैसे मार डाला गया। यीशु ने करीब साढ़े तीन साल तक प्रचार किया। भाग 6 में करीब 34 साल के दौरान हुई घटनाओं के बारे में बताया गया है।

 

इस भाग में

कहानी 84

एक स्वर्गदूत मरियम से मिलने आया

उसने मरियम को परमेश्‍वर का एक संदेश सुनाया: उसे एक बच्चा होगा जो हमेशा-हमेशा के लिए राजा होगा

कहानी 85

अस्तबल में यीशु का जन्म

भविष्य में होने वाला राजा भला जानवरों के अस्तबल में पैदा क्यों हुआ?

कहानी 86

एक तारे ने आदमियों को रास्ता दिखाया

किसने ज्योतिषियों को रास्ता दिखाया? जवाब जानकर शायद आप हैरान रह जाएँ।

कहानी 87

छोटा यीशु मंदिर में

उसमें बात ही कुछ ऐसी थी कि मंदिर में सिखानेवाले बुज़ुर्ग भी दंग रह जाते थे।

कहानी 88

यूहन्‍ना ने यीशु को बपतिस्मा दिया

यूहन्‍ना पापियों को बपतिस्मा देता था, पर यीशु ने कभी कोई पाप नहीं किया। तो यूहन्‍ना ने उसे बपतिस्मा क्यों दिया?

कहानी 89

मंदिर के लिए यीशु का प्यार

परमेश्‍वर के लिए प्यार होने के वजह से यीशु गुस्सा हो उठा।

कहानी 90

जीवन का जल

यीशु ने जो पानी देने का वादा किया उसे पीकर कैसे वह औरत कभी प्यासी न रहती?

कहानी 91

यीशु की लाजवाब शिक्षाएँ

पहाड़ी उपदेश की शिक्षाओं से आप पूरी ज़िंदगी समझदारी से काम ले पाएँगे।

कहानी 92

यीशु ने मरे हुओं को ज़िंदा किया

परमेश्‍वर की शक्‍ति की मदद से यीशु ने सिर्फ दो शब्द कहे और याइर की बेटी ज़िंदा हो गयी

कहानी 93

यीशु ने हज़ारों को भरपेट खिलाया

यीशु ने चमत्कार किया और हज़ारों को खाना खिलाया इससे क्या साबित होता है?

कहानी 94

छोटे बच्चों के लिए यीशु का प्यार

यीशु, प्रेषितों को सिखाता है कि उन्हें न सिर्फ बच्चों के बारे में और भी बातें सीखनी है बल्कि उन्हें बच्चों से भी सीखने की ज़रूरत है।

कहानी 95

यीशु के सिखाने का तरीका

यीशु ने पड़ोसी सामरी की जो मिसाल दी, उससे हम यीशु के बारे में यह सीखते हैं कि वह अकसर मिसालें देकर सिखाता था।

कहानी 96

यीशु ने बीमार लोगों को ठीक किया

यीशु ने जो चमत्कार किए उससे वह क्या साबित कर पाया?

कहानी 97

यीशु एक राजा के तौर पर आया

बड़ी भीड़ ने उसका स्वागत किया पर सब लोग इससे खुश नहीं हैं।

कहानी 98

जैतून पहाड़ पर

यीशु अपने चार चेलों को उन बातों के बारे में बताता है जो हमारे समय में पूरी हो रही हैं

कहानी 99

एक नया समारोह

यीशु ने अपने चेलों से क्यों कहा कि उन्हें हर साल इस खास भोज को मनाना चाहिए?

कहानी 100

यीशु की गिरफ्तारी

यहूदा ने यीशु को धोखा देने के लिए क्यों चूमा?

कहनी 101

यीशु को मार डाला गया

काठ पर यीशु अपनी जान देते वक्‍त भी किसी से फिरदौस में ज़िंदगी का वादा करता है