कहानी 100
यीशु की गिरफ्तारी
ऊपरवाले कमरे से निकलकर यीशु और उसके प्रेरित गतसमनी बाग में गए। यहाँ वे पहले भी कई बार आ चुके थे। बाग में पहुँचकर यीशु ने अपने प्रेरितों से जागते रहने और प्रार्थना करते रहने के लिए कहा। उसके बाद वह थोड़ी दूर गया और घुटने टेककर प्रार्थना करने लगा।
कुछ देर बाद, यीशु अपने प्रेरितों के पास वापस आया। आप क्या सोचते हैं, वे क्या कर रहे होंगे? वे सब सो रहे थे। यीशु ने तीन बार उनसे कहा कि उन्हें जागते रहना चाहिए। लेकिन हर बार वापस आने पर उसने उन्हें सोते हुए ही पाया। आखिरी बार जब यीशु उनके पास आया, तो उसने उनसे कहा: ‘तुम ऐसे समय पर कैसे सो सकते हो? वह घड़ी आ गयी है, जब मुझे मेरे दुश्मनों के हाथ सौंप दिया जाएगा।’
यीशु, प्रेरितों से बात कर ही रहा था कि लोगों का शोरगुल सुनायी देने लगा। जब उसने नज़र उठायी तो देखा कि कई आदमी मशाल, तलवार और लाठी लिए चले आ रहे थे। जब वे नज़दीक आए, तो भीड़ में से एक आदमी निकलकर यीशु के पास आया। उसने यीशु को चूमा। जैसा कि आप इस तसवीर में देख सकते हैं। वह आदमी था यहूदा इस्करियोती! लेकिन उसने यीशु को भला चूमा क्यों?
यीशु ने उससे पूछा: ‘यहूदा, क्या तुम मुझे चूमकर धोखा देना चाहते हो?’ दरअसल यहूदा का यीशु को चूमना एक निशानी थी। इससे यहूदा के साथ आए लोगों को पता चल जाता कि वही यीशु है, जिसे वे पकड़ना चाहते हैं। तब यीशु के दुश्मनों ने आगे बढ़कर उसे दबोच लिया। लेकिन पतरस इतनी आसानी से उन्हें यीशु को नहीं ले जाने दे सकता था। उसने तुरंत अपनी तलवार निकाली और अपने पास खड़े आदमी पर चला दी। उस आदमी का सिर तो बच गया, लेकिन दायाँ कान चला गया। पर यीशु ने उस आदमी का कान छुआ और उसे फिर से जोड़ दिया।
यीशु ने पतरस से कहा: ‘तलवार को म्यान में रखो। तुम क्या सोचते हो, अगर मैं चाहूँ तो क्या अपने बचाव के लिए अपने पिता से कहकर हज़ारों स्वर्गदूत नहीं बुला सकता?’ जी हाँ, यीशु ऐसा कर सकता था! लेकिन उसने परमेश्वर से स्वर्गदूतों को भेजने के लिए नहीं कहा, क्योंकि वह जानता था कि वह समय आ गया है, जब दुश्मन उसे पकड़कर ले जाएँगे। इसलिए वह चुपचाप उनके साथ चल दिया। फिर यीशु के साथ क्या हुआ? यह जानने के लिए अगली कहानी पढ़िए।