अध्याय अठारह
क्या मुझे अपना जीवन परमेश्वर को समर्पित करके बपतिस्मा लेना चाहिए?
1. इस किताब का अध्ययन करने के बाद आप शायद क्या सोचें?
इस किताब का अध्ययन करके आपने बाइबल की कई सच्चाइयाँ सीखी हैं। जैसे, परमेश्वर ने इंसानों को हमेशा की ज़िंदगी देने का वादा किया है, मरे हुओं की क्या दशा है और उनके लिए यह आशा है कि उन्हें ज़िंदा किया जाएगा। (सभोपदेशक 9:5; लूका 23:43; यूहन्ना 5:28, 29; प्रकाशितवाक्य 21:3, 4) आप शायद यहोवा के साक्षियों की सभाओं में जाते होंगे और यह मानते होंगे कि वे सच्ची उपासना करते हैं। (यूहन्ना 13:35) यहोवा के साथ आपकी दोस्ती बढ़ने लगी होगी। आपने फैसला कर लिया होगा कि आप उसकी सेवा करना चाहते हैं। और अब आप शायद सोचें, ‘परमेश्वर की सेवा करने के लिए मुझे क्या करना होगा?’
2. इथियोपिया का आदमी क्यों बपतिस्मा लेना चाहता था?
2 यही सवाल यीशु के ज़माने में एक आदमी के मन में उठा था। वह आदमी इथियोपिया का रहनेवाला था। यीशु के ज़िंदा किए जाने के कुछ समय बाद, उसके एक चेले फिलिप्पुस ने उस आदमी को प्रचार किया। फिलिप्पुस ने उसे शास्त्र से सबूत देकर समझाया कि यीशु मसीहा है। इन बातों का उस आदमी पर इतना गहरा असर हुआ कि उसने फौरन कहा, “देख! यहाँ पानी है, अब मुझे बपतिस्मा लेने में क्या रुकावट है?”—प्रेषितों 8:26-36.
3. (क) यीशु ने अपने चेलों को क्या आज्ञा दी? (ख) एक व्यक्ति को कैसे बपतिस्मा दिया जाना चाहिए?
3 बाइबल साफ-साफ बताती है कि अगर आप यहोवा की सेवा करना चाहते हैं तो आपको बपतिस्मा लेना होगा। यीशु ने अपने चेलों को आज्ञा दी, “सब राष्ट्रों के लोगों को मेरा चेला बनना सिखाओ और उन्हें . . . बपतिस्मा दो।” (मत्ती 28:19) खुद यीशु ने भी बपतिस्मा लिया था। उसे पानी में पूरी तरह डुबकी लगवाकर बपतिस्मा दिया गया था, न कि उसके सिर पर पानी छिड़का गया था। (मत्ती 3:16) उसी तरह आज जब एक व्यक्ति को बपतिस्मा दिया जाता है तो उसे पानी में पूरी तरह डुबकी लगवायी जाती है।
4. आपका बपतिस्मा लेना क्या दिखाएगा?
4 जब आप बपतिस्मा लेते हैं तो आप सबको यह दिखाते हैं कि आप सचमुच यहोवा के दोस्त बनना चाहते हैं और उसकी सेवा करना चाहते हैं। (भजन 40:7, 8) आप शायद सोचें, ‘बपतिस्मा लेने के लिए मुझे क्या करना होगा?’
ज्ञान और विश्वास
5. (क) बपतिस्मा लेने के लिए आपको सबसे पहले क्या करना होगा? (ख) मसीही सभाओं में जाना क्यों ज़रूरी है?
5 बपतिस्मा लेने से पहले आपको यहोवा और यीशु के बारे में जानना यूहन्ना 17:3 पढ़िए।) मगर यह काफी नहीं है। बाइबल बताती है कि आपको यहोवा की मरज़ी के बारे में ‘सही ज्ञान से भर जाने’ की ज़रूरत है। (कुलुस्सियों 1:9) इसके लिए आपको यहोवा के साक्षियों की सभाओं में जाना होगा। ये सभाएँ आपको यहोवा के और भी करीब आने में मदद देंगी। यह एक वजह है कि क्यों आपको लगातार सभाओं में जाना चाहिए।—इब्रानियों 10:24, 25.
होगा। जब से आप बाइबल का अध्ययन करने लगें तब से आप ऐसा कर रहे हैं। (6. बपतिस्मा लेने के लिए आपको बाइबल की कितनी जानकारी होनी चाहिए?
6 यहोवा यह उम्मीद नहीं करता कि बपतिस्मा लेने के लिए आपको बाइबल का पूरा ज्ञान हो। उसने इथियोपिया के उस आदमी से भी यह उम्मीद नहीं की थी कि बपतिस्मा लेने से पहले उसे हर बात मालूम हो। (प्रेषितों 8:30, 31) सच तो यह है कि हम परमेश्वर के बारे में हमेशा-हमेशा सीखते रहेंगे। (सभोपदेशक 3:11) लेकिन बपतिस्मा लेने के लिए आपको बाइबल की बुनियादी शिक्षाएँ मालूम होनी चाहिए और उन्हें दिल से मानना चाहिए।—इब्रानियों 5:12.
7. बाइबल का अध्ययन करने की वजह से आपको क्या फायदा हुआ है?
7 बाइबल में लिखा है, “विश्वास के बिना परमेश्वर को खुश करना नामुमकिन है।” (इब्रानियों 11:6) इसलिए बपतिस्मा लेने से पहले आपमें विश्वास होना ज़रूरी है। बाइबल बताती है कि पुराने ज़माने में कुरिंथ शहर के कुछ लोगों ने यीशु के चेलों का संदेश सुनकर “विश्वास किया और बपतिस्मा लिया।” (प्रेषितों 18:8) इसी तरह, बाइबल का अध्ययन करने की वजह से आप शायद परमेश्वर के वादों पर विश्वास करने लगे हों। आप शायद यह भी विश्वास करने लगे हों कि यीशु के बलिदान से हम पाप और मौत से छुड़ाए जा सकते हैं।—यहोशू 23:14; प्रेषितों 4:12; 2 तीमुथियुस 3:16, 17.
दूसरों को बाइबल की सच्चाइयाँ बताइए
8. आप जो सीख रहे हैं उसे दूसरों को बताने के लिए क्या बात आपको उभारेगी?
8 जब आप बाइबल से और ज़्यादा सीखेंगे और सीखी बातों को यिर्मयाह 20:9; 2 कुरिंथियों 4:13) लेकिन आप किसे बता सकते हैं?
अपनी ज़िंदगी में लागू करके फायदा पाएँगे, तो आपका विश्वास मज़बूत होगा। और यही विश्वास आपको उभारेगा कि आप सीखी बातें दूसरों को बताएँ। (9, 10. (क) आप जो सीख रहे हैं वह आप किन्हें बताना शुरू कर सकते हैं? (ख) अगर आप मंडली के साथ प्रचार में जाना चाहते हैं तो आपको क्या करना चाहिए?
9 आप शायद अपने परिवारवालों, दोस्तों, पड़ोसियों और साथ काम करनेवालों को बताना चाहें कि आप क्या सीख रहे हैं। यह एक अच्छी बात है, मगर आपको हमेशा प्यार से और आदर के साथ उन्हें बताना चाहिए। फिर कुछ समय बाद आप मंडली के साथ भी प्रचार में जा सकते हैं। जब आपको लगता है कि आप इसके लिए तैयार हैं, तो जो साक्षी आपका अध्ययन करा रहा है उससे बात कीजिए। अगर उसे भी लगता है कि आप तैयार हैं और आप बाइबल के उसूलों के मुताबिक ज़िंदगी जी रहे हैं तो वह और आप मंडली में अगुवाई करनेवाले दो भाइयों यानी प्राचीनों से मिलेंगे।
10 उस मुलाकात में क्या होगा? प्राचीन आपसे बात करके देखेंगे कि आप बाइबल की बुनियादी शिक्षाएँ कितनी अच्छी तरह समझते हैं और उन्हें मानते हैं या नहीं। वे यह भी देखेंगे कि आप बाइबल के सिद्धांतों के मुताबिक जी रहे हैं या नहीं और आप सचमुच यहोवा के साक्षी बनना चाहते हैं या नहीं। याद रखिए, परमेश्वर ने प्राचीनों को मंडली के सभी सदस्यों की, यहाँ तक कि आपकी भी देखभाल करने की ज़िम्मेदारी दी है। इसलिए उनसे बात करने से मत घबराइए। (प्रेषितों 20:28; 1 पतरस 5:2, 3) उस मुलाकात के बाद प्राचीन आपको बताएँगे कि आप मंडली के साथ प्रचार में जाना शुरू कर सकते हैं या नहीं।
11. मंडली के साथ प्रचार शुरू करने से पहले आपको क्यों बदलाव करने की ज़रूरत है?
11 प्राचीन शायद आपको बताएँ कि इससे पहले कि आप मंडली के साथ प्रचार में जाना शुरू करें आपको कुछ और बदलाव करने की ज़रूरत है। ये 1 कुरिंथियों 6:9, 10; गलातियों 5:19-21.
बदलाव करना क्यों ज़रूरी है? क्योंकि जब हम दूसरों को परमेश्वर के बारे में बताते हैं तो हम यहोवा की तरफ से बोल रहे होते हैं। इसलिए हमें ऐसी ज़िंदगी जीनी चाहिए जिससे उसका आदर हो।—पश्चाताप कीजिए और पलटकर लौट आइए
12. सभी इंसानों को पश्चाताप करने की ज़रूरत क्यों है?
12 बपतिस्मा लेने से पहले आपको एक और कदम उठाने की ज़रूरत है। पतरस ने कहा, “पश्चाताप करो और पलटकर लौट आओ ताकि तुम्हारे पाप मिटाए जाएँ।” (प्रेषितों 3:19) पश्चाताप करने का क्या मतलब है? हमने जो भी गलती की उसका हमें अफसोस होना चाहिए। उदाहरण के लिए, अगर एक इंसान बदचलन ज़िंदगी जी रहा है तो उसे पश्चाताप करना होगा। मगर एक ऐसे इंसान को भी पश्चाताप करने की ज़रूरत है जिसने अपनी पूरी ज़िंदगी सही काम किए हैं। क्यों? क्योंकि हम सब पापी हैं और कोई-न-कोई गलती करते हैं और इसीलिए हमें परमेश्वर से माफी माँगनी चाहिए।—रोमियों 3:23; 5:12.
13. ‘पलटकर लौट आने’ का क्या मतलब है?
13 क्या सिर्फ पश्चाताप करना काफी है? नहीं। पतरस ने कहा कि आपको ‘पलटकर लौट आने’ की भी ज़रूरत है। इसका मतलब है कि गलत काम छोड़ने के अलावा आपको सही काम भी करना चाहिए। इसे समझने के लिए एक उदाहरण लीजिए। मान लीजिए, आप अपनी गाड़ी से एक नयी जगह जा रहे हैं। कुछ दूरी तय करने के बाद आपको एहसास होता है कि आप गलत रास्ते पर जा रहे हैं। आपको जहाँ मुड़ना था वह मोड़ पीछे रह गया है। अब आप क्या करेंगे? आप अपनी गाड़ी रोकेंगे, उसे घुमाएँगे और फिर सही रास्ता लेंगे। उसी तरह, जैसे-जैसे आप बाइबल का अध्ययन करते हैं आप शायद पाएँ कि आपमें कुछ बुरी आदतें हैं या आप कुछ गलत काम कर रहे हैं। ऐसे में ‘पलटकर लौट आइए।’ यानी आपको जो बदलाव करने हैं उन्हें कीजिए और फिर सही काम कीजिए।
अपना जीवन परमेश्वर को समर्पित कीजिए
14. आप परमेश्वर को अपना जीवन समर्पित कैसे कर सकते हैं?
14 बपतिस्मा लेने से पहले आपको एक और ज़रूरी कदम उठाने की ज़रूरत है। आपको अपना जीवन यहोवा को समर्पित करना है। इसके लिए आपको प्रार्थना में यहोवा से वादा करना होगा कि आप सिर्फ उसकी उपासना करेंगे और उसकी मरज़ी को अपनी ज़िंदगी में सबसे ज़्यादा अहमियत देंगे।—व्यवस्थाविवरण 6:15.
15, 16. क्या बात एक इंसान को अपना जीवन परमेश्वर को समर्पित करने के लिए उभारती है?
15 यहोवा की सेवा करने का वादा करना ऐसा है मानो उस इंसान से ज़िंदगी-भर साथ निभाने का वादा करना जिसे आप प्यार करते हैं। कल्पना कीजिए कि एक लड़के की मुलाकात एक लड़की से होती है। धीरे-धीरे वे रोज़ एक-दूसरे से मिलने लगते हैं। जैसे-जैसे वह लड़की को जानने लगता है, वह उससे प्यार करने लगता है। कुछ समय बाद वह उससे शादी करना चाहता है। वह जानता है कि यह एक बहुत बड़ा फैसला है और इससे उसकी ज़िम्मेदारी बढ़ जाएगी। फिर भी वह यह कदम उठाने के लिए तैयार है क्योंकि वह उससे प्यार करता है।
16 जैसे-जैसे आप यहोवा के बारे में सीखते हैं, आप उससे प्यार करने लगते हैं और आपमें उसकी सेवा करने की इच्छा पैदा होती है। यह इच्छा आपको उभारेगी कि आप यहोवा से उसकी सेवा करने का वादा करें। बाइबल बताती है कि जो कोई यीशु का चेला बनना चाहता है उसे ‘खुद से इनकार करना’ होगा। (मरकुस 8:34) इसका क्या मतलब है? इसका मतलब है कि हर बात में पहले यहोवा की आज्ञा मानना, उसकी मरज़ी पूरी करना और अपनी इच्छाओं और लक्ष्यों को दूसरी जगह पर रखना।—1 पतरस 4:2 पढ़िए।
नाकाम होने के डर पर काबू पाइए
17. कुछ लोग क्यों यहोवा को अपना जीवन समर्पित नहीं करते?
17 कुछ लोग यहोवा को अपना जीवन समर्पित नहीं करते क्योंकि उन्हें
यह डर होता है कि वे उसकी सेवा करने का अपना वादा नहीं निभा पाएँगे। वे किसी भी तरह यहोवा को निराश नहीं करना चाहते। या वे शायद सोचें कि अगर वे यहोवा को अपना जीवन समर्पित नहीं करेंगे तो उन्हें उसे अपने कामों का हिसाब भी नहीं देना पड़ेगा।18. यहोवा को निराश करने के डर पर काबू पाने में क्या बात आपकी मदद करेगी?
18 यहोवा के लिए आपका प्यार आपको अपने इस डर पर काबू पाने में मदद देगा। दरअसल, यही प्यार आपको उभारेगा कि आप अपना वादा निभाने की पूरी कोशिश करें। (सभोपदेशक 5:4; कुलुस्सियों 1:10) इसी प्यार की वजह से आप ऐसा कभी नहीं सोचेंगे कि यहोवा की मरज़ी पूरी करना बहुत मुश्किल है। यूहन्ना ने लिखा, “परमेश्वर से प्यार करने का मतलब यही है कि हम उसकी आज्ञाओं पर चलें और उसकी आज्ञाएँ हम पर बोझ नहीं हैं।”—1 यूहन्ना 5:3.
19. आपको अपना जीवन यहोवा को समर्पित करने से क्यों नहीं डरना चाहिए?
19 यहोवा को अपना जीवन समर्पित करने के लिए ज़रूरी नहीं कि आपसे कोई गलती ही न हो। वह हमसे कभी कुछ ऐसा करने के लिए नहीं कहता जिसे करना हमारे बस में न हो। (भजन 103:14) इसके बजाय, वह आपको सही काम करने में मदद देगा। (यशायाह 41:10) पूरे दिल से यहोवा पर भरोसा रखिए और “वह [आपको] सही राह दिखाएगा।”—नीतिवचन 3:5, 6.
सब लोगों के सामने ऐलान
20. परमेश्वर को अपना जीवन समर्पित करने के बाद अगला कदम क्या है?
20 क्या आपको लगता है कि आप अपना जीवन यहोवा को समर्पित करने के लिए तैयार हैं? अगर हाँ, तो ऐसा कीजिए। उसके बाद आप अगला कदम उठाने के लिए तैयार होंगे। वह है बपतिस्मा।
21, 22. आप ‘सब लोगों के सामने अपने विश्वास का ऐलान’ कैसे कर सकते हैं?
21 अपनी मंडली के प्राचीनों के निकाय के संयोजक को बताइए कि आपने अपना जीवन यहोवा को समर्पित कर दिया है और अब आप यहोवा के साक्षियों के अगले सम्मेलन या अधिवेशन में बपतिस्मा ले सकते हैं। सम्मेलन या अधिवेशन में एक भाषण होगा जिसमें बपतिस्मे का मतलब समझाया जाएगा। फिर भाषण देनेवाला भाई, बपतिस्मे के लिए तैयार लोगों से दो आसान-से सवाल पूछेगा। उन सवालों के जवाब ‘हाँ’ में देकर आप ‘सब लोगों के सामने अपने विश्वास का ऐलान’ कर रहे होंगे।—रोमियों 10:10.
बपतिस्मा लेना चाहते हैं। वह कुछ प्राचीनों से कहेगा कि वे आपके साथ बाइबल की बुनियादी शिक्षाओं पर चर्चा करें। अगर उन प्राचीनों को लगता है कि आप बपतिस्मे के लिए तैयार हैं, तो वे आपको बता देंगे कि आप22 इसके बाद आपका बपतिस्मा होगा। आपको पानी में पूरी तरह डुबकी लगवायी जाएगी। आपका बपतिस्मा सब लोगों को दिखाएगा कि आपने अपना जीवन यहोवा को समर्पित किया है और अब आप यहोवा के एक साक्षी हैं।
आपका बपतिस्मा किस बात की निशानी है
23. “पिता, बेटे और पवित्र शक्ति के नाम से बपतिस्मा” लेने का क्या मतलब है?
23 यीशु ने कहा था कि उसके चेले “पिता, बेटे और पवित्र शक्ति के नाम से बपतिस्मा” लेंगे। (मत्ती 28:19 पढ़िए।) इसका क्या मतलब है? पिता के नाम से बपतिस्मा लेने का मतलब है कि आप यहोवा के अधिकार को स्वीकार करते हैं। बेटे के नाम से बपतिस्मा लेने का मतलब है कि परमेश्वर के मकसद में यीशु की जो भूमिका है उसे भी आप स्वीकार करते हैं। और पवित्र शक्ति के नाम से बपतिस्मा लेने का मतलब है कि आप यह मानते हैं कि परमेश्वर अपना मकसद पूरा करने के लिए इसी शक्ति का इस्तेमाल करता है।—भजन 83:18; मत्ती 28:18; गलातियों 5:22, 23; 2 पतरस 1:21.
24, 25. (क) बपतिस्मा किस बात की निशानी है? (ख) आखिरी अध्याय में हम किस बात पर चर्चा करेंगे?
24 बपतिस्मा एक बहुत बड़ी बात की निशानी है। जब आपका पूरा शरीर पानी के अंदर जाता है, तो यह ऐसा है मानो आपकी बीती ज़िंदगी खत्म हो गयी है या आपने अपनी पुरानी ज़िंदगी छोड़ दी है। जब आप पानी से बाहर आते हैं तो यह ऐसा है मानो आप एक नयी ज़िंदगी की शुरूआत कर रहे हैं जिसमें आप परमेश्वर की मरज़ी पूरी करेंगे। बपतिस्मा लेना दिखाता है कि अब से आप यहोवा की सेवा करेंगे। याद रखिए, आपने किसी इंसान, संगठन या किसी काम के लिए खुद को समर्पित नहीं किया है। आपने अपना जीवन यहोवा को समर्पित किया है।
25 आपका समर्पण आपको यहोवा के साथ गहरी दोस्ती करने में मदद देगा। (भजन 25:14) मगर बपतिस्मा लेने का यह मतलब नहीं कि आपका उद्धार पक्का है। पौलुस ने लिखा, “डरते-काँपते हुए अपने उद्धार के लिए काम करते जाओ।” (फिलिप्पियों 2:12) बपतिस्मा बस एक शुरूआत है। अब सवाल है कि आप यहोवा के करीब कैसे बने रह सकते हैं? इस किताब के आखिरी अध्याय में इस सवाल का जवाब दिया जाएगा।