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अंगूर रौंदने का हौद

अंगूर रौंदने का हौद

इसमें आम तौर पर दो हौद होते थे जो चूने-पत्थर की चट्टान से काटकर बनाए जाते थे। एक हौद ऊँचे पर रखा जाता था और दूसरा नीचे। दोनों हौदों के बीच एक छोटी-सी नाली बनी होती थी। ऊँचाई पर रखे हौद में अंगूर रौंदे जाते थे और उनका रस बहकर नीचेवाले हौद में जाता था। ये शब्द परमेश्‍वर की तरफ से मिलनेवाली सज़ा को दर्शाने के लिए भी इस्तेमाल हुए हैं।​—यश 5:2; प्रक 19:15.