जुआ
एक आदमी के कंधों पर रखा गया डंडा जिसके दोनों तरफ भार लटकाया जाता था। या फिर बोझ ढोनेवाले दो जानवरों (अकसर गाय-बैलों) की गरदन पर रखी बल्ली या फट्टा, जिससे वे हल जैसा कोई औज़ार या गाड़ी खींचते थे। गुलाम अकसर भारी-भरकम बोझ ढोने के लिए जुए का इस्तेमाल करते थे, इसलिए जुए को गुलामी या दूसरे इंसान के अधीन होने, ज़ुल्म और अत्याचार की निशानी बताया गया है। जुआ हटाने या तोड़ने का मतलब था गुलामी, ज़ुल्मों और अत्याचार से छुटकारा पाना।—लैव 26:13; मत 11:29, 30.