तुरही
धातु से बना एक साज़ जिसे फूँककर बजाया जाता था। इसे इशारा करने के लिए बजाया जाता था और संगीत में भी इस्तेमाल किया जाता था। गिनती 10:2 के मुताबिक यहोवा ने हिदायत दी कि चाँदी की दो तुरहियाँ बनायी जाएँ जो खास तौर पर मंडली को इकट्ठा करने, पड़ाव उठाने और युद्ध का ऐलान करने के लिए फूँकी जातीं। शायद ये तुरहियाँ सीधी होती थीं, जबकि “नरसिंगे” मुड़े होते थे और जानवरों के सींग से बने होते थे। मंदिर में बजाए जानेवाले साज़ों में तुरहियाँ भी शामिल थीं, मगर बाइबल यह नहीं बताती कि उनकी बनावट कैसी थी। तुरहियों की आवाज़ का लाक्षणिक तौर पर भी इस्तेमाल हुआ है। जब यहोवा अपना फैसला सुनाता है या उसकी तरफ से कोई खास घटना घटती है, तो उसके साथ-साथ तुरहियों की आवाज़ सुनायी देती है।—2इत 29:26; एज 3:10; 1कुर 15:52; प्रक 8:7–11:15.