दाँवना; खलिहान
अनाज के दानों को डंठलों और भूसी से अलग करने को दाँवना कहा जाता था। अनाज को डंडों से पीट-पीटकर दाँवा जाता था। लेकिन अगर अनाज ज़्यादा हो तो उसे खास औज़ार से दाँवा जाता था। जैसे, दाँवने की पटिया या छोटे-छोटे पहिए जिन्हें जानवर खींचते थे। अनाज को खलिहान में फैलाया जाता था और उस पर दाँवने का औज़ार चलाया जाता था। दाँवने की जगह को खलिहान कहा जाता था। खलिहान अकसर गोलाकार होता था और किसी ऊँची जगह पर बना होता था जहाँ हवा चलती थी।—लैव 26:5; यश 41:15; मत 3:12.